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06 साल के लिए चुनाव लडऩे के लिए अयोग्य घोषित हो चुकी है राजेश्वरी उइके

सिवनी महाकौशल। सरपंच जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए राजेश्वरी उईके ने अपने पुत्र प्रशांत उईके के सहयोग से शासकीय भवन को तोडक़र कब्जा तो करवा लिया था लेकिन उनकी यही तानाशाही उन्हें भारी पड़ गई थी। बताया जाता है की न्यायालय नायब तहसीलदार वृत धूमा ने शासकीय जमीन पर कब्जा कर अवैध निर्माण कार्य में रोक लगाते हुए कब्जा खाली करने का आदेश 26/09/2015 को जारी किया था। सरपंच पद का दुरुपयोग करते हुए राजेश्वरी उईके ने काम नही रोकने दिया। बताया जाता है की सरपंच के इस कृत्य को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व की न्यायलय ने गंभीरता से लिया था। तत्कालीन एसडीएमआई जे खालको ने 29/11/2016 को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए आदेश दिया था कि श्रीमती राजेश्वरी उईके को ग्राम पंचायत धूमा के धारित सरपंच पद पर बनाए रखना लोकहित व शासन हित में अवांछिनी होने के कारण मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40(1) में निहित प्रावधानों के तहत ग्राम पंचायत धूमा के सरपंच पद से पृथक किया जाता है एवं इसी अधिनियम की धारा 40(2) में वर्णित प्रावधानों के तहत आगामी 6 वर्षों की कालावधि के लिए निर्वाचन के लिए निर्हित( आयोग्य) घोषित किया जाता है।
गौरतलब है की परियोजना प्रशासक कार्यालय लखनादौन के आदेश क्रमांक 693/स्टेनो/ दिनांक 24/11/1999 के द्वारा  एसके तंतुवाय प्राचार्य शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धूमा एवं राजेश्वरी ऊईके के पति ओपी उईके जो उस समय कन्या आश्रम चौकी में अधीक्षक के पद पर पदस्थ थे उन्हें आवासीय प्रयोजन के लिए दी गई थी। जब राजेश्वरी उईके सरपंच बनी तो उन्होंने पद का दुरुपयोग कर उक्त शासकीय मकानों को सक्षम अधिकारी से अनुमति लिए बिना तोडक़र कब्जा जमाने का प्रयास किया था। इस मामले में ग्राम पंचायत धूमा की सरपंच राजेश्वरी उइके के ऊपर धारा 40 के तहत कार्यवाही करते हुए उन्हें 06 साल के चुनाव लडऩे के लिए अयोग्य करार दिया गया था। यदि भारतीय जनता पार्टी राजेश्वरी उइके जैसी विवादित महिला नेत्री के ऊपर विश्वास व्यक्त करती है तो भाजपा को कांग्रेस के सवालों का जवाब देते नहीं बनेगा।