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मंडला में 80 वर्ष की उम्र में लिख दिया 510 पन्नों का ग्रंथ मानस के मोती

अंजनिया निवासी सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक यदुनंदन सिंह पटेल ने 80 वर्ष की उम्र में युवाओं जैसा जोश दिखाते हुए 510 पन्ने के ग्रंथ मानस के मोती की अपनी हस्तलिपि में रचना की है। सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक यदुनंदन सिंह पटेल ने बताया कि युवा अवस्था से ही उनकी रूचि अध्यात्म की ओर रही है। शासकीय सेवा से निवृत्त होने के पश्चात जब उन्होंने अध्यात्मिक ग्रंथों के पठन की ओर कदम बढ़ाया तभी से कि मानस के मोती नाम का उनका यह मन में भाव आया कि आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ ऐसा दस्तावेज तैयार किए जाएं जो उनके लिए हितकर साबित हो।


रामायण से की 500 शब्दों की खोज

यदुनंदन सिंह पटेल ने बताया मानस के मोती हस्तलिखित ग्रंथ श्रीरामचरितमानस पर आधारित एक शोध प्रबंध है। उन्होंने तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस से उद्धृत शब्दावली से लगभग 500 शब्दों की खोज की गई है और अपनी कृति मानस के मोती में उन शब्दों से जुड़ी पंक्तियों का उल्लेख किया गया। कौन सा शब्द किस कांड के अंतर्गत किस दोहे का है इसका उल्लेख भी विशेष रूप किया गया है। ताकि समझने में आसानी हो। श्री पटैल ने इस ग्रंथ में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन से जुड़े अनेक पहलुओं को रेखांकित करने का प्रयास किया है। उनका मानना है कि भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र का अनुसरण कर मनुष्य अपनी जीवन यात्रा को सुगम बना सकता है।