...

12 हजार से अधिक वोटो से हारने वाले विजय उइके के ऊपर फिर दांव लगा सकती है भाजपा

कांग्रेस को हराने भाजपा को नहीं मिल पा रहे प्रत्याशी
सिवनी महाकौशल। लखनादौन विधानसभा एक ऐसी विधानसभा है जहां से भारतीय जनता पार्टी को मौजूदा विधायक योगेंद्र बाबा को हराने के लिए कोई प्रत्याशी नजर नहीं आ रहा है। सूत्र बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के द्वारा लखनादौन विधानसभा सीट जीतने के लिए काफी माथापच्ची करना पड़ रहा है। क्षेत्र में चर्चा चल रही है कि हो सकता है भाजपा किसी ऐसे चेहरे को सामने लाये जो काफी हद तक कांग्रेस को पटखनी दे सके लेकिन इस बीच राजनैतिक गलियारो में चल रही चर्चाओ की माने तो भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर लखनादौन विधानसभा से विजय उईके को अपना प्रत्याशी बना सकती है जिसकी सुगबुगाहट शुरू हो गई है जिसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी को ऐसा कोई चेहरा नजर नहीं आ रहा जो लखनादौन से जीत सके। हालांकि विजय उइके को टिकिट दिया जाना भी भाजपा के लिए घातक कदम ही होगा क्योंकि विजय उइके को योगेंद्र बाबा एक बार हार का मजा चखा चुके हैं।
पिछला चुनाव 12 हजार वोट से हारे थे विजय उईके
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने योगेंद्र बाबा को टिकिट दिया था जबकि भाजपा ने विजय उईके को टिकिट दिया था जिसमे कांग्रेस के प्रत्याशी योगेंद्र बाबा को 82 हजार 921 वोट मिले थे जबकि भाजपा के विजय उईके को 70 हजार 675 वोट मिले थे इस तरह विजय उईके 12 हजार 240 वोटों से हार गए थे। विजय उईके चुनाव हारने के बाद निष्क्रिय हो गये थे लेकिन जैसे ही चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई वैसे ही विजय उइके सक्रिय हो गये थे हालांकि बताया जाता है कि लखनादौन विधानसभा से विजय उइके के अलावा 09 अन्य नेता भी चुनाव लडऩे के इच्छुक थे जिनमें पूर्व जनपद अध्यक्ष राजेश्वरी उइके, पूर्व जिपं सदस्य सुश्री संगीता, रिटायर्ड शिक्षक डीएल नामी, पूर्व डीएपी अर्जुन उइके, पूर्व विधायक ढालसिंह, एसडीओ रहे पवनसिंह, रविंद्र परते, सरपंच शैलेंद्र मरकाम एवं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पूर्व प्रत्याशी इंदरसिंह का नाम सामने आ रहा था। बताया जाता है कि विजय उइके को भाजपा ने 2013 के चुनाव में टिकिट दिया था लेकिन वह योगेंद्र बाबा को टक्कर नहीं दे पाये और 12 हजार से अधिक वोटो से हार गये थे जिसके बाद वह निष्क्रिय हो गये थे, यदि पुन: विजय उइके को टिकिट दी जाती है और वोट मांगने क्षेत्र में जाते है तो लोग उनसे यही पूछेंगे कि चुनाव हारने के बाद विजय उइके कहां गुम हो गये थे?