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18 साल से मंत्री पद के लिए तरस रहा सिवनी

सिवनी महाकौशल। प्रदेश सरकार ने चुनाव से लगभग दो महीने पहले मंत्रिमंडल का विस्तार किया जिसमे तीन मंत्रियों को शामिल किया गया है। उक्त मंत्रिमंडल में महाकौशल से बालाघाट के विधायक गौरीशंकर बिसेन ,रीवा के विधायक राजेंद्र शुक्ला को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है जबकि टीकमगढ़ के खरगापुर के विधायक राहुल लोधी को राज्य मंत्री बनाया गया है। बताया जाता है कि चुनाव से पहले जातिगत एवं क्षेत्रीय समीकरण को देखते हुए तीन चेहरों को शामिल किया गया है। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद एक बार फिर सिवनी की राजनीति में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। असल में मध्य प्रदेश की सरकार लगातार सिवनी जिले को नजर अंदाज करते रही है। वर्ष 2003 में जब पहली बार प्रदेश में सुश्री उमा भारती के नेतृत्व में सरकार बनी थी तब उमा भारती ने अपने मंत्रिमंडल में डॉक्टर ढालसिंह बिसेन को वन परिवहन और खनिज जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय सौंपा था लेकिन बाद में उमा भारती की विदाई हो गई थी और 2004 में भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर को मुख्यमंत्री बनाया गया था तब बाबूलाल गौर के मंत्रिमंडल में डॉक्टर ढालसिंह बिसेन को 2004 -2005 में स्कूल शिक्षा एवं जेल मंत्री बनाया गया था। शिवराज सिंह चौहान के हाथो में प्रदेश की कमान आने के बाद सरकार ने जिले के जनप्रतिनिधियों को दरकिनार करना शुरू कर दिया। स्थिति यह हो गई है की पिछले लगभग 18 सालो से सिवनी जिले के किसी भी जनप्रतिनिधि को मंत्री नही बनाया गया जबकि इसके ठीक विपरीत सरकार ने बालाघाट जिले को हमेशा से नेतृत्व दिया है। वर्तमान में बालाघाट जिले में दो मंत्री हो गये है जिनमे से एक आयुषमंत्री रामकिशोर कांवरे है तो दूसरे वरिष्ट नेता डॉक्टर ढालसिंह बिसेन को मंत्री बना दिया गया। जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ था तब वारासिवनी के निर्दलीय विधायक प्रदीप जयसवाल को खनिज निगम का अध्यक्ष बनाते हुए उन्हें भी केबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया, कुल मिलाकर वर्तमान में बालाघाट जिले के तीन मंत्री है जबकि सिवनी जिले को पूरी तरह नजर अंदाज कर दिया गया।
2013 में ढालसिंह और नरेश दिवाकर को मिला था मंत्री का दर्जा
2005 के बाद सिवनी जिले में किसी को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था तब भारतीय जनता पार्टी के भीतर जमकर आक्रोश पनप रहा था जिसे देखते हुए वर्ष 2012-13 में राज्य सरकार ने डॉक्टर ढालसिंह बिसेन को राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया था जिन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था वही सिवनी के पूर्व विधायक नरेश दिवाकर को महाकौशल विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनते हुए उन्हें भी मंत्री का दर्जा दिया गया था लेकिन उसके बाद से सिवनी जिले के किसी भी नेता को ना तो मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और ना ही आयोग मंडल में शामिल करते हुए उन्हें मंत्री का दर्जा दिया गया कुल मिलाकर लंबे समय से सिवनी जिले के भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है और आश्चर्य इस बात का है कि बार-बार दरकिनार किए जाने के बाद भी सिवनी जिले के भाजपा नेता शीर्ष नेतृत्व के सामने भाईसाहब और जी-हुजूरी करते हुए अपने नंबर बढ़ा रहे हैं, उन्हें सिवनी जिले के विकास से कोई लेना देना नहीं है उन्हें तो सिर्फ अपने विकास से लेना देना है यही कारण है कि लंबे समय से सिवनी के भाजपा नेताओं ने ना तो अपनी नाराजगी जाहिर किया और ना ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सिवनी के लोगों की भावनाओं से अवगत कराया जिसे पूरा फायदा राज्य सरकार उठा रही है जो सिवनी को लगातार नजर अंदाज कर रही है।