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20 सालो में सिवनी विधानसभा में गोंडवाना का गिरते रहा वोट प्रतिशत

सिवनी महाकौशल 26 नवं. 2023
मध्य प्रदेश में 2003 के विधानसभा चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के दो विधायक चुने गए थे लेकिन 2003 के बाद गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की पहचान एक राजनीतिक पार्टी के रूप में कम और वोट काटने वाली पार्टी के रूप में अधिक हो गई है। 2003 के बाद से सिवनी जिले की विधानसभा के आंकड़ों को देखा जाए तो अधिकांश जगह गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का इस्तेमाल वोट काटने के लिए ही किया गया। 2003 से लेकर 2018 तक सिवनी विधानसभा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का ग्राफ धीरे-धीरे कम होते गया। 2003 के विधानसभा चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने अनिल भलावी को टिकट दिया था तब अनिल भलावी को 10.26 प्रतिशत यानी की 11865 वोट मिले थे उस समय गोंडवाना सहित 09 निर्दलियों को 24354 वोट मिले थे तब राजकुमार खुराना 15354 वोटो से चुनाव हारे थे। 2008 के चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने इस्माइल खान को टिकिट दिया था जिन्हे 10.69 प्रतिशत वोट यानी कि 13649 वोट मिले थे तब कुछ मुस्लिम और आदिवासियों ने उन्हें वोट दिया था। 2008 के चुनाव में भी निर्दलीय प्रत्याशियों ने जमकर वोट लिया था।
2013 में मिले थे सिर्फ 4.48 प्रतिशत वोट
10 साल के भीतर सिवनी विधानसभा से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी कमजोर हो गई। 10 साल पहले 2003 में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 10.26 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि 2013 में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को सिर्फ 4. 8 प्रतिशत वोट ही मिले थे। 2013 के विधानसभा चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने रामू तुमराम को टिकिट दिया था तब गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 7909 वोट मिले थे।
2018 में मिले थे 3.02 प्रतिशत वोट
2018 आते तक गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की सिवनी विधानसभा में और भी दयनीय स्थिति हो गई थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में गोंडवाना ने गया प्रसाद कुमरे को टिकट दिया था जो वर्तमान में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिला अध्यक्ष हैं। 2018 के चुनाव में गया प्रसाद कुमरे  को सिर्फ 3.02 प्रतिशत यानी की 6066 वोट ही मिले थे। 2008 के बाद गोंडवाना का वोट बैंक धीरे धीरे कांग्रेस की तरफ शिफ्ट होते गया यही कारण है कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस को 77568 वोट मिले थे जो पिछले सभी चुनाव की तुलना में कांग्रेस को मिले वोटो से कही अधिक वोट है।
रंजीत वासनिक के ऊपर गोंडवाना ने जताया भरोसा
2023 के चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व कई मामलों में सुर्खियां बटोरते रहा। असल में 2023 के चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने बालाघाट जिले के परसवाड़ा विधानसभा से तीन लोगों की टिकट बदला जिसके कारण उनके विश्वसनीयता को लेकर प्रश्नचिन्ह लगने लगे थे इस बीच सिवनी विधानसभा से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने बरघाट नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष रंजीत वासनिक को टिकट दिया वहीं केवलारी विधानसभा से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने मेहरू मर्सकोले को टिकट दिया था जबकि प्रीतम उईके अपने आपको सबसे मजबूत दावेदार बताते थे और उन्होंने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की टिकट फाइनल होने का डिंडौरा भी पीट दिया था बाद में उन्हें जब टिकट नहीं मिली तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ लिया। इन घटनाक्रमों ने जिले की गोंडवाना के ऊपर प्रश्नचिन्ह लगा दिया। सिवनी में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने रंजीत वासनिक को टिकट इसलिए दिया ताकि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी अपना पुराना वोट बैंक हासिल कर सके। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का सीधा सा गणित था कि रंजीत वासनिक को टिकट देने से आदिवासियों के अलावा एससी और मुस्लिम वोट भी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की तरफ झुकेंगे हालांकि सिवनी शहर में जहां मुस्लिम बाहुल्य एवं कई एससी क्षेत्र है वहां गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का बहुत कुछ असर देखने को नहीं मिला। सिवनी विधानसभा से गोंडवाना प्रत्याशी रंजित वासनिक को मिलने वाले वोट भी जीत हार तय करेंगे। देखना यह है कि रंजीत वासनिक ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का वोट बैंक बढ़ाया है या नहीं।