आखिर चोरी का गल्ला खरीदने वाले व्यापारी और दलाल के ऊपर क्यों मेहरबान है घंसौर पुलिस
जब से घंसौर थाने की कमान चैनसिंह उइके के हाथो में आई है तब से ही घंसौर थाने की कानून व्यवस्था चरमरा गई है। इन दिनों घंसौर थाना चोरी का गल्ला खरीदने वाले गल्ला व्यापारी एवं दलालों को संरक्षण देने के मामले में चर्चित है। बताया जाता है कि घंसौर थाना अंतर्गत कहानी में गोविंद गोल्हानी नामक व्यापारी के गल्ले की दुकान का ताला और शटर तोडक़र चोरो ने दुकान के भीतर से 6 बोरी गेहू, 2 बोरी मसूर दाल, चार बोरी कनकी चुरा लिया था जिसकी रिपोर्ट घंसौर थाने में दर्ज कराई गई थी।
बताया जाता है कि रिपोर्ट दर्ज होने के चंद घंटे बाद ही घंसौर पुलिस ने चोरी करने वाले तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जिन्हें न्यायालय में पेश किया गया। बताया जाता है कि आरोपी के गिरफ्तार हुए लगभग एक सप्ताह हो गये बावजूद इसके घंसौर पुलिस यह पता नहीं लगवा पाई कि आरोपियों ने किस गल्ला व्यापारी को दलालो के माध्यम से अनाज बेचा था। घंसौर क्षेत्र में चल रही चर्चाओ की माने तो जिस समय पुलिस ने चोरी के आरोपियों को गिरफ्तार किया था उसी समय पूछताछ में उन्होंने कुछ दलाल और गल्ला व्यापारी का नाम भी बताया था लेकिन पुलिस ने उन्हें आरोपी नहीं बनाया।
कहां से जप्त किया अनाज
वैसे इस पूरे मामले में पुलिस के आला अधिकारियों को यह जांच अवश्य करना चाहिए कि चोरों ने जो गल्ला चुराया था वह कहां से जप्त किया और गल्ला किस वाहन से थाने में लाया गया? तब पता चल जायेगा कि गल्ला चोरी के मामले में पुलिस किसे बचा रही है और क्यों बचा रही है? फिलहाल इस पूरे मामले में घंसौर के एसडीओपी का कहना है कि यह विवेचना का विषय है और वह विवेचना में जो बात सामने आयेगी उस पर कार्यवाही की जाएगी। हालांकि एसडीओपी भी इस मामले में खुलकर कुछ नहीं बोल रहे।