आखिर कहां रूक गई जनजातीय कार्यविभाग के कर्मचारियों की स्थानांतरण की फाईल
सिवनी महाकौशल। जनजातीय कार्यविभाग में पदस्थ लगभग आधा दर्जन ऐसे कर्मचारी है जिनकी कार्यप्रणाली के कारण पूरा विभाग सुर्खियां बटोर रहा है। आश्चर्य इस बात का है कि सुर्खियां बटोरने के बावजूद कर्मचारियों के स्थानांतरण नहीं हो पा रहे। जबकि सूत्र बताते हैं कि जनजातीय कार्यविभाग में पदस्थ सहायक ग्रेड 3 सुधीर राजनेगी, सहायक ग्रेड 2 यशवंत नगभिरे, लेखापाल संतोष राजनेगी, मंडल संयोजक वीरेंद्र बोरकर जैसे कर्मचारियों की स्थानांतरण की बकायदा फाईल चली थी और कार्यालय में उक्त कर्मचारियों के स्थानांतरण को लेकर चर्चाएं भी चलने लगी थी लेकिन सभी कर्मचारियों ने स्थानांतरण की फाईल दबवा दिया जो यह बताने के लिए काफी है कि जनजातीय कार्यविभाग मे जब बाबू स्तर के कर्मचारी अपने स्थानांतरण की फाईल दबवा सकते हैं तो फिर सहायक आयुक्त का क्या रूतबा होगा। सूत्रों की माने तो सहायक आयुक्त डॉ. अमर उइके भी नहीं चाहते कि उनके कार्यालय में पदस्थ कर्मचारियों का स्थानांतरण हो क्योंकि अधिकांश कर्मचारी उनके विश्वासपात्र है और उनके एक इशारे में कई बड़े-बड़े काम कर देते हैं जिनमें से एक सुधीर राजनेगी है जो सहायक आयुक्त का बेहद ही करीबी बताया जाता है। सुधीर राजनेगी के पास दो महत्वपूर्ण शाखाओ का प्रभार है जिनमें से एक निर्माण शाखा है तो दूसरी देयक संबंधी शाखा, और दोनो ही शाखाओ में सुधीर राजनेगी की मनमर्जी चलती है।
उपायुक्त के पत्र के बाद भी नहीं हुई जांच
सुधीर राजनेगी की जनजातीय कार्यविभाग में कितनी पकड़ है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कार्यालय आयुक्त जनजातीय कार्य मप्र के उपायुक्त ने एक महीने पहले 10 जुलाई को जिले के कलेक्टर को पत्र लिखते हुए सुधीर राजनेगी के ऊपर लगे आरोपो की जांच करते हुए जांच प्रतिवेदन मांगा था लेकिन एक महीने बीत जाने के बाद भी सुधीर राजनेगी के ऊपर लगे आरोपो की जांच नहीं हो पाइ। या यूं कहे कि सुधीर राजनेगी ने उच्च स्तरीय सांठगांठ कर लिया जिसके चलते वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा लिखे गये पत्र के बावजूद जांच नहीं हो पा रही। कुल मिलाकर वर्तमान में जनजातीय कार्यविभाग के बाबू स्तर के अधिकारी वजनदार साबित हो रहे है और उन्होंने अपने स्थानांतरण की फाईल दबवा लिया।