आलोक दुबे के रहते भाजपा प्रबंध समिति की छवि हो रही धूमिल पार्टी में बढ़ रही गुटबाजी को नहीं कर पा रहे समाप्त
सिवनी महाकौशल। किसी भी पार्टी के जिलाध्यक्ष का यह प्रयास होता है कि उसकी कार्यप्रणाली इतनी अच्छी हो कि इसका असर संबंधित जिले के सभी विधानसभा में हो लेकिन सिवनी जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे को अपनी पार्टी को मजबूत करने से कोई लेना देना नहीं है। आलोक दुबे को उनकी प्रतिभा और पार्टी के प्रति समर्पण के बजाए उन्हें व्हीडी शर्मा के करीबी होने का आशीर्वाद मिला है और उन्हीं के आशीर्वाद से वह कम उम्र में जिला भाजपा अध्यक्ष बन गए। आलोक दुबे को जिला भाजपा का अध्यक्ष बने तीन साल से अधिक का समय बीत गया और इन बीते समय में वह पार्टी को मजबूत करने के बजाए कमजोर करते चले गए। भाजपा में जितनी गुटबाजी वर्तमान में है उतनी गुटबाजी पहले कभी नही रही।
आलोक दुबे भाजपा के संभवत: पहले अध्यक्ष है जिनके रहते संगठन के पदाधिकारियों की अधिकारियों के सामने भी किरकिरी होते रही है। ताजा मामला भाजपा प्रबंध समिति से जुड़ा है। बताया जाता है की भाजपा प्रबंध समिति के द्वारा कोई निर्णय लिया जाता है तो उस पर गंभीरता से विचार किया जाता है लेकिन आलोक दुबे के कार्यकाल के दौरान भाजपा प्रबंध समिति की गरिमा भी धूमिल हो गई है जिसका प्रमाण यह है कि भाजपा की प्रबंध समिति ने लगभग 06 महीने पहले सिवनी नगर पालिका की सीएमओ पूजा बुनकर, बरघाट की सीएमओ कामिनी लिलहारे, एसपी रामजी श्रीवास्तव एवं लोक सेवा केन्द्र के प्रबंधक संदीप मिश्रा का स्थानांतरण करने की सिफारिश किया था। स्थानांतरण सूची जारी होने के ठीक एक दिन पहले 24 फरवरी 2023 को कामिनी लिल्हारे रिश्वत लेते गिरफ्तार हो गई थी वहीं सिवनी सीएमओ पूजा बुनकर का करेली नरसिंहपुर स्थानांतरण हो गया था जबकि संदीप मिश्रा को भोपाल स्थानांतरित किया गया था तो उन्होंने उच्च न्यायलय से स्थगन ले आया था जबकि एसपी रामजी श्रीवास्तव भाजपा प्रबंध समिति के ऊपर भारी पड़ गए थे जिनका शिकायत होने के 06 महीने तक स्थानांतरण नहीं हुआ था।
बताया जाता है कि बाद में शिकवा शिकायत का दौर समाप्त नहीं हुआ और भारतीय जनता पार्टी के कुछ पदाधिकारी लगातार शिकायत करते रहे इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के बड़े पदाधिकारी को जिला कलेक्टर के पास से नोटिस जारी करते हुए जवाब देने का समय दिया जाने लगा। इन दिनों जिला भाजपा कार्यालय में भाजपा के कुछ स्थापित नेताओं को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किये जाने का मामला जमकर सुर्खियां बटोर रहा है। राजनीति से जुड़े हुए लोगों की माने तो ऐसा पहली बार हुआ है जब सत्ता पक्ष के स्थापित नेताओं को किसी शिकायत पर नोटिस जारी करते हुए उनसे जवाब तलब किया जा रहा है जो यह बताने के लिए काफी है कि जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे की संगठन के साथ-साथ प्रशासन में पकड़ कमजोर हो गई है जिसके चलते भारतीय जनता पार्टी के स्थापित नेताओं को शिकायत करना भारी पडऩे लगा है। वर्तमान में चुनावी वर्ष है ऐसे में भाजपा के जिला अध्यक्ष का इस तरह कमजोर होना कहीं ना कहीं पार्टी को कमजोर अवश्य करेगा जिसे गंभीरता से लेने के बजाय जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे स्वयं को और स्वयं के करीबियों को मजबूत करने में लगे हुए हैं, उन्हें संगठन से कोई लेना देना नहीं है जिसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में पार्टी को भुगतना पड़ सकता है।