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आलोक दुबे ने लखनादौन नगर परिषद में भाजपा पार्षद मंजू साहू के बजाय मीना बलराम गोल्हानी को बनवाया था अध्यक्ष

मुनमुन राय की पसंद का अध्यक्ष ना बन जाये इसलिए निर्दलीय को अध्यक्ष बनाने में निभाई थी भूमिका
सिवनी महाकौशल। आलोक दुबे को भाजपा जिलाध्यक्ष बने 03 साल से अधिक का समय हो गया। प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीडी शर्मा ने अपने बेहद ही करीबी आलोक दुबे को जिला भाजपा का अध्यक्ष इसलिए बनाया था ताकि उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी मजबूत हो सके। तीन सालो में आलोक दुबे के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी कितनी मजबूत हुई है और अध्यक्ष रहते आलोक दुबे कितने मजबूत हुए है इसकी समीक्षा वीडी शर्मा को अवश्य करना चाहिए।
वैसे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओ की माने तो आलोक दुबे भाजपा के कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में नाकाम ही रहे हैं, उनके रहते भारतीय जनता पार्टी में इतनी गुटबाजी हो गई है कि वह भाजपा के प्रत्याशियो को हराने निर्दलियो का सहारा तक लेते हैं जिसका प्रमाण नगर परिषद लखनादौन का चुनाव रहा है। बताया जाता है कि लखनादौन नगर परिषद से वार्ड क्र. 12 में श्रीमती मीना बलराम गोल्हानी को भारतीय जनता पार्टी ने टिकिट नही दिया था जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और जीता था। बताया जाता है कि जब नगर परिषद लखनादौन के अध्यक्ष का चुनाव होना था तब भारतीय जनता पार्टी की टिकिट से वार्ड क्र. 05 से चुनाव जीती पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष मंजू साहू अध्यक्ष पद की प्रबल दावेदार थी जिन्हें सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन का संरक्षण मिला हुआ था, यह बात जिला भाजपा अध्यक्ष आलोक दुबे को स्वीकार नहीं थी जिन्होंने स्थानीय भाजपा नेताओं के साथ मिलकर निर्दलीय चुनाव लड़ी श्रीमती मीना गोल्हानी को भाजपा का प्रत्याशी घोषित करवा दिया और इस तरह अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा की अधिकृत पार्षद मंजू साहू को हार का सामना करना पड़ा। ऐसा ही कुछ उपाध्यक्ष के चुनाव में भी हुआ जहां निर्दलीय चुनाव जीती विजूषा प्रदीप राजपूत को जीत मिली।
अध्यक्ष बनने के बाद मुनमुन राय ने सबसे ज्यादा किया था मदद
सिवनी में भाजपा नेता इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि जब आलोक दुबे को जिला भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया था उसके बाद सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन ही एक ऐसे विधायक रहे हैं जो आलोक दुबे को अपने साथ शासकीय बैठकों में लेकर जाते थे साथ ही ग्रामीण क्षेत्रो में उनके कार्यक्रम होते थे तब भी वह आलोक दुबे को ही साथ में लेकर जाते थे। मुनमुन राय और आलोक दुबे के बीच बढ़ती नजदीकियो को बढ़ते देख भाजपा के अन्य नेताओं को यही लगता था कि मुनमनु राय और आलोक दुबे एक हैं लेकिन बाद में आलोक दुबे की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं बढऩे लगी और वह विधायक बनने का सपना देखने लगे जिसके कारण उन्होंने दिनेश राय मुनमुन से किनारा कर लिया और इतना विरोध मे आ गये कि नगर परिषद लखनादौन में अध्यक्ष चुनाव में मुनमुन राय की करीबी मंजू साहू को जब नगर परिषद का अध्यक्ष प्रत्याशी बनाया गया तो आलोक दुबे ने अपने करीबियों के साथ मिलकर निर्दलीय चुनाव जीती श्रीमती मीना बलराम गोल्हानी को पार्टी का प्रत्याशी घोषित करवाते हुए उन्हें जीत दिलवाकर यह बताने का प्रयास किया कि पार्टी के भीतर मुनमुन राय से ज्यादा उनकी पकड़ है। आलोक दुबे की यही अति महत्वाकांक्षा पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।