अब मां रेवा मोटर्स संचालकों की आईजी से हुई शिकायत
धूमा पुलिस ने संचालकों के ऊपर क्यों दिखाई मेहरबानी
सिवनी महाकौशल। यदि आप राजनैतिक संरक्षण प्राप्त व्यवसाई है तो आपको उपभोक्ताओ को लूटने की खुली छूट है क्योंकि यदि आपकी कही शिकायत होती भी है तो राजनैतिक पहुंच पकड़ वाले व्यवसायियों के विरुद्ध किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं होती जैसा कि धूमा के मां रेवा मोटर्स के संचालको के साथ हो रहा है।
लगभग 04 महीने पहले धूमा थाने के नीलेश शिवहरे,विक्की अग्रवाल, प्रतीक शिवहरे, अमित, अमित शिवहरे एवं प्रांजल जैन की पार्टनरशिप वाली मां रेवा मोटर्स के द्वारा डाउन पेमेंट,इंशोरेंस एवं आरटीओ की फीस के नाम से कई उपभोक्ताओं के साथ ठगी की गई थी जिनकी शिकायत लगभग 4 महीने पहले धूमा थाने में की गई थी। आवेदन मिलने के बाद धूमा पुलिस ने मां रेवा मोटर्स के संचालकों को नोटिस भी जारी किया था लेकिन बाद में धूमा पुलिस नोटिस जारी कर भूल गई या यूं कहें कि मां रेवा मोटर्स संचालकों के राजनीतिक रसूख के सामने पुलिस कमजोर साबित हुई जिसके चलते 4 महीने बीत जाने के बाद भी मां रेवा मोटर्स के संचालकों के विरुद्ध किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई जिसके बाद पीडि़त तिलक जाटव ने जबलपुर रेंज के आईजी को आवेदन देते हुए उन्हें पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। देखना है कि इस पूरे मामले की जांच आईजी किस अधिकारी से कराते हैं।
वैसे यदि आयोजित इस पूरे मामले की जांच कर आते हैं तो उन्हें यह भी जांच कराना चाहिए कि 4 महीने पहले जो आवेदन पीडि़त ने धूमा थाने में दिया था उस आवेदन में क्या कार्रवाई की गई और मां रेवा मोटर्स के संचालकों ने कौन कौन से दस्तावेज धूमा थाने में जमा किए? ताकि पता चल सके कि थाना प्रभारी अब तक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर पाए। क्षेत्र में चल रही चर्चाओं की माने तो मां रेवा मोटर्स के जो संचालक है उनमें से कुछ लोगों की राजनीतिक पकड़ है तो वहीं कुछ लोग धनाढ्य परिवार से हैं जिसके चलते उनके विरोध किसी प्रकार की कार्रवाई करने से धूमा पुलिस परहेज कर रही है। जबकि जानकार बताते हैं कि यदि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होती है तो मां रेवा मोटर्स के संचालकों की मुश्किलें बढ़ जाएगी और उनके ऊपर ना केवल बड़ी रिकवरी निकलेगी बल्कि उनके विरूद्ध एफआईआर भी दर्ज होगी। देखना यह है कि आई जी कब तक उक्त शिकायत की जांच कराते हुए दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करते हैं।