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सहायक आयुक्त के माध्यम से छात्रावासो तक पहुंचने का प्रयास कर रही आरसीएम कंपनी

सिवनी महाकौशल। सिवनी जिले का जनजाति कार्य विभाग कई मामलों में चर्चित रहा है( बताया जाता है की जनजाति कार्य विभाग में पदस्थ सहायक आयुक्त डॉ. अमर उनके के रहते कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड दो यशवंत नगभिरे, लेखापाल संतोष राजनेगी, सहायक ग्रेड 3 सुधीर राजनेगी, तथाकथित क्षेत्रीय संयोजक वीरेंद्र बोरकर, मंडल संयोजक राकेश दुबे जैसे कुछ कर्मचारी है जो पूरी तरह से बेलगाम है। इनके अलावा कुछ स्कूलों, छात्रावास के अधीक्षकों और आश्रम अधीक्षकों की लापरवाही भी सामने आते ही रही है। बताया जाता है कि इन दिनों जनजाति कार्य विभाग में आरसीएम नेटवर्किंग कंपनी की गूंज सुनाई दे रही है। सूत्रों की मानें तो रीवा से आरसीएम नेटवर्किंग कंपनी से जुड़े कुछ लोग सिवनी के जनजाति कार्य विभाग के कुछ अधिकारियों का विश्वास जीतकर उनके माध्यम से वह हॉस्टल तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं ताकि अधीक्षकों को आरसीएम का प्रोडक्ट खरीदने के लिए प्रेरित किया जा सके और उन्हें आरसीएम प्रोडक्ट से जोड़ा जा सके ताकि संबंधित लोगों की आय बढ़ सके। सूत्रों की मानें तो रीवा से आने वाले लोग इस प्रयास में है कि जनजाति कार्य विभाग में पदस्थ सहायक आयुक्त डॉ. अमर उइके को विश्वास में लेते हुए उन्हें आरसीएम की आईडी दे दी जाए और उनके माध्यम से अधीक्षकों से दैनिक उपयोग में आने वाली सामग्री सप्लाई की जा सके। बताया जाता है कि आरसीएम में कई तरह के उपलब्ध होते हैं और आरसीएम से जुड़े हुए लोग नेटवर्किंग के माध्यम से व्यवसाय करते हैं। बताया जाता है कि आरसीएम प्रोडक्ट को लेकर रीवा के कुछ लोग सहायक आयुक्त कार्यालय के आसपास अक्सर दिखाई देते है। सूत्रों की माने तो कुछ लोगों ने अधीक्षकों के ऊपर यह दबाव डालने का प्रयास किया था कि वह आरसीएम से जुडक़र किराना दुकानों से प्रोडक्ट लेने के बजाय आरसीएम से प्रोडक्ट लें ताकि उनकी आय भी बढ़ सके। देखना यह है कि आरसीएम का प्रोडक्ट खरीदने का दबाव बनाने वाले लोगो के नाम उजागर होते हैं या नहीं? फिलहाल कई छात्रावास अधीक्षक आरसीएम प्रोडक्ट लेने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं।