...

भ्रष्टाचार की दलदल बनी नगर परिषद छपारा में पार्षदो ने बैठक में नहीं लिया हिस्सा

लगभग 01 साल पहले 8 अगस्त 2022 को पहली बार छपारा नगर परिषद के रूप में सामने आई थी जिसमें निर्विरोध अध्यक्ष के रूप में श्रीमती निशा सुरेश पटेल की ताजपोशी की गई थी वहीं उपाध्यक्ष के पद पर ठा. शिवकांत सिंह की ताजपोशी की गई थी। जब छपारा नगर परिषद में निर्विरोध अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुने गये थे तब भारतीय जनता पार्टी के स्थापित नेता अपने हाथ से अपनी पीठ थपथपा रहे थे लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम था कि जिनके हाथो में वह छपारा नगर की कमान सौंप रहे हैं वह हाथ विकास के बजाय भ्रष्टाचार का कीर्तिमान स्थापित करने के लिए बने हुए है। जब से श्रीमती निशा सुरेश पटेल अध्यक्ष बनी है तब से उन्होंने सीएमओ श्यामगोपाल भारती के साथ मिलकर छपारा नगर परिषद को भ्रष्टाचार का दलदल बना दिया गया है जिसे दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने प्रकाशित भी किया। बताया जाता है कि छपारा नगर परिषद के द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार से अब चुने हुए पार्षद भी नाराज नजर आने लगे हैं जिसके चलते शुक्रवार को सामान्य सभा की बैठक का पार्षदो ने बहिष्कार कर दिया।
पार्षदो का आरोप है कि नगर परिषद छपारा में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत प्रमाण सहित जिले के कलेक्टर क्षितिज सिंघल से की गई थी लेकिन लगभग 4 महीने बीत जाने के बाद भी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया। पार्षदों का कहना है कि नगर परिषद के सीएमएओ अध्यक्ष व लेखापाल से कई बार जानकारी मांगी गई लेकिन उनके द्वारा जानकारी नहीं दी गई। वर्ष 2022-23 के आय व्यय की जो जानकारी प्रदान की गई उसमें कई वित्तीय अनियमितताएं एवं शासकीय राशि के दुरूपयोग का मामला सामने आया लेकिन इसकी भी कोई जांच नहीं की गई।
नाराज पार्षदो का कहना है कि नगर परिषद छपारा में स्थाई,नियमित,सफाई कर्मी की एक निश्चित संख्या है किन्तु इनके वेतनमान के नाम पर एक वर्ष में ही लाखो का खर्च दिखता हैं जो संदेह जनक है। इसी तरह   दैनिक वेतन भोगी/मस्टररोल अधिकारी का भुगतान भी लाखो में किया गया उसमे भी शासकीय राशि व्यय की गई है उक्त व्यक्तियों  को किस काम के मस्टर के आधार पर दी गई है यह संदेह जनक है जिसकी सूक्ष्म जॉच की माँग की थी।
साथ ही चुनाव व्यय के नाम पर वित्तीय वर्ष 2022-23 में नगरपरिषद छपारा के द्वारा  चुनाव व्यय के रूप में लाखो खर्च किये गये है जबकि इस अवधि में नगर परिषद क्षेत्र में कोई भी चुनाव सम्पन्न नही हुये है प्राप्त जानकारी के अनुसार उपरोक्त भुगतान  टिफिन सेंटर को 7,500 टिफिन के देयक के रूप में किया गया है जो स्पष्ट रूप से इनकी आर्थिक अनियमितता एवं भ्रष्टाचार को उजागर करता है।