भीड़ से जान बचाकर भागा आरक्षक, एक को मारा लठ्ठ
9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर भीड़ का हिस्सा रहे कुछ असामाजिक तत्वों ने विश्व आदिवासी दिवस की गरिमा को तार-तार करते हुए व्यापारियों की दुकानों में तोडफ़ोड़ कर दिया वहीं कई लोगों के साथ मारपीट की घटनाएं भी घटी। इसी बीच सोशल मीडिया में दो वीडियो वायरल हो रहे हैं जिसमें सुरक्षा की दृष्टि से ड्यूटी में लगाए गए पुलिस कर्मियों के साथ ही भीड़ में शामिल कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा लाठियां से हमला किया गया। बताया जाता है कि इस पूरे मामले की कोतवाली में एफआईआर भी दर्ज कराई गई है हालांकि अभी तक पुलिस उन आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई है जिन्होंने पुलिस के ऊपर हमला किया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोतवाली में पदस्थ आरक्षक सिद्धार्थ दुबे की 09 अगस्त को ड्यूटी लगी थी। बताया जाता है की रैली में शामिल कुछ लोग बुधवारी बाजार में घुस गए और जबरन दुकानें बंद कराने लगे। बताया जाता है कि रैली में शामिल कुछ लोग जबरन दुकानें बंद करा रहे थे तब आरक्षक सिद्धार्थ दुबे ने उन्हें जबरन दुकान बंद कराने से रोका तब कुछ लोगों ने सिद्धार्थ दुबे के साथ ही मारपीट करने का प्रयास किया तब सिद्धार्थ दुबे नीचे गिर गया जिसे बचाने थाने में ही पदस्थ आरक्षक इरफान खान पहुंचे तो भीड़ में से एक ने उन्हें लठ मार दिया जिससे इरफान खान का हाथ जख्मी हो गया।
बताया जाता है कि जो लोग दुकानें बंद करा रहे थे उनके हाथों में लठ और हथियार थे जो दहशत फैलाने का काम कर रहे थे। इस पूरे मामले में कोतवाली पुलिस ने सिद्धार्थ दुबे की रिपोर्ट पर अज्ञात आरोपियों के विरुद्ध धारा 353, 332, 186,34 के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया।
ऋ षभ चौरसिया आए बीच में
बुधवारी में भीड़ एक पुलिसकर्मी को पीटने के लिए पीछा कर रही थी तब पुलिसकर्मी नीचे गिरा और अपने आप को संभालते हुए एक दुकान के भीतर घुसने लगा तो उसके पीछे भीड़ भी घुसने लगे तब वहां मौजूद भारतीय जनता युवा मोर्चा के ऋषभ चौरसिया ने बहादुरी का परिचय देते हुए भीड़ का सामना कर पुलिस को बचाने का प्रयास किया। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो ऋषभ चौरसिया ने बिना यह सोचे की भीड़ उनके ऊपर भी हमला कर सकती है एक पुलिसकर्मी की मदद करना ही बेहतर समझा। बताया जाता है कि इस तरह का हंगामा और भी कई जगह हुआ। घटना के बाद व्यापारियों के भीतर आक्रोश देखने को मिला जिन्होंने गत दिवस ज्ञापन सौंपते हुए मांग किया कि इस तरह की रैली के लिए प्रशासन अनुमति ना दे। अब जबकि आरक्षक सिद्धार्थ दुबे ने थाने में एफआईआर दर्ज कराया है ऐसे में देखना यह है कि पुलिस सीसीटीव्ही फुटेज को देखते ुहए उन आरोपियो को कब तक गिरफ्तार करती है जिन्होंने विश्व आदिवासी दिवस में आतंक फैलाते हुए आदिवासी दिवस की गरिमा को ही धूमिल कर दिया।