भाजपा से दावेदारी करने वाली राजेश्वरी उइके के ऊपर एफआईआर किये जाने जनजातीय कार्यविभाग ने लिखा था पत्र
सिवनी महाकौशल। लखनादौन विधानसभा में विधायक योगेंद्र बाबा के विरूद्ध भारतीय जनता पार्टी को कोई मजबूत चेहरा नहीं मिल रहा। बताया जाता है कि लखनादौन विधानसभा से धूमा की सरपंच श्रीमती राजेश्वरी उइके का नाम पहले पायदान में बताया जा रहा है और राजेश्वरी उइके के समर्थकों की माने तो सबकुछ ठीक ठाक रहा तो राजेश्वरी उइके के नाम पर अंतिम मोहर लग सकती है हालांकि भारतीय जनता पार्टी के स्थापित नेता इस बात को आसानी से हजम नहीं कर सकते क्योंकि राजेश्वरी एक ऐसी नेत्री है जिनका राजनैतिक कार्यकाल विवादो से घिरा रहा है और कभी भी वह एक पार्टी तक सिमटकर नहीं रही। उन्होंने दो बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से भाग्य आजमाया तो एक बार राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से और तीनों ही बार मतदाताओं ने उन्हे सिरे से नकार दिया जिसके बाद राजेश्वरी उइके ने भाजपा की नाव में सवार होकर चुनाव लडऩे का मन बना लिया है हालांकि उनके लिए चुनाव लडऩा इसलिए आसान नहीं होगा क्योंकि जितना विवाद राजेश्वरी उइके के साथ जुड़ा है उतना अन्य किसी दावेदारो के साथ नहीं जुड़ा।
एफआईआर के लिए लिख चुका है विभाग
गौरतलब है कि जब श्रीमती राजेश्वरी उइके धूमा ग्राम पंचायत की सरपंच थी तब उनके सरपंच होने का फायदा उठाते हुए राजेश्वरी के पुत्र प्रशांत उइके के द्वारा धूमा में स्थित शासकीय शिक्षक आवास भवन में तोडफ़ोड़ कर कब्जा कर लिया गया था। बताया जाता है कि जिस भवन में तोडफ़ोड़ किया गया था। उक्त भवन दिनांक 24/11/1999 के द्वारा एसके तंतुवाय प्राचार्य शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धूमा एवं राजेश्वरी ऊईके के पति ओपी उईके जो उस समय कन्या आश्रम चौकी में अधीक्षक के पद पर पदस्थ थे उन्हें आवासीय प्रयोजन के लिए दी गई थी। सूत्र बताते हैं कि जिस समय उक्त शासकीय भवन को तोडफ़ोड़ कर कब्जा किया गया था उस समय राजेश्वरी उईके के पति थे ही नहीं। प्रश्र यह उठता है कि जिसके नाम से भवन आवंटित किया गया था उनकी गैरमौजूदगी में उक्त भवन को तोडफ़ोड़ कर कब्जा करने का प्रयास कैसे कर लिया गया? बताया जाता है कि इस पूरे मामले को आयुक्त जनजातीय कार्यविभाग मध्यप्रदेश भोपाल ने गंभीरता से लेते हुए दिनांक 18.9.2017 को जनजातीय कार्यविभाग सिवनी को पत्र लिखा था जिसके बाद 10 अक्टू. 2017 को कार्यालय कलेक्टर जनजातीय कार्यविभाग की ओर से आयुक्त जनजातीय कार्यविभाग मध्यप्रदेश भोपाल को पत्र लिखते हुए अवगत कराया था कि शासकीय शिक्षक आवास भवन को सरपंच के द्वारा पद का दुरूपयोग कर नियम विरूद्ध तोडऩे पर अपराधिक प्रकरण दर्ज कराने हेतु जानकारी चाही गई थी जो निम्रानुसार है जिसमें उल्लेख किया गया था कि उक्त भवन शासकीय शिक्षक आवास गृह है जो विभागीय है और उक्त भवन आदिवासी परियोजना के आधिपत्य है। हालांकि सूत्र बताते हैं कि एफआईआर के लिये लिखे गये पत्र के बाद राजेश्वरी उइके ने उच्च स्तरीय सांठगांठ कर कार्यवाही ठंडे बस्ते में करवा दिया था। यदि भारतीय जनता पार्टी को टिकिट देती है तो भाजपा के स्थापित नेताओं को यह जवाब देना पड़ेगा कि क्या पार्टी के पास एक भी ऐसा बेदाग चेहरा नहीं था जो योगेंद्र बाबा के विरूद्ध चुनाव में खड़ा हो सके। बहरहाल देखना यह है कि राजेश्वरी उइके के नाम पर विचार करने वाला शीर्ष नेतृत्व उनके साथ जुड़े विवादो में भी विचार करते हैं या नहीं?