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छपारा जनपद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी ‘कमीशन’ की भेंट चढ़ी

लंबे समय से छपारा जनपद कई मामलो में सुर्खियां बटोर चुकी है। छपारा जनपद में पदस्थ रहे लोकेश नारनोरे को शासन ने निलंबित तक कर दिया। लोकेश नारनोरे के बाद छपारा जनपद में प्रभारी सीईओ के पद पर विवादित और चर्चित अधिकारी श्रीमती सुमन खातरकर को पदस्थ किया गया जिन्होंने छपारा जनपद में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी छीनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तत्कालीन सीईओ लोकेश नारनोरे के कार्यकाल के दौरान जनपद में सीईओ सहित जनपद अध्यक्ष सदमसिंह वरकड़े, उपाध्यक्ष प्रभातसिंह ठाकुर सहित अन्य अधिकारियों के लिए व्हीआईपी चेयर खरीदी गई थी लेकिन कुर्सी सप्लाई करने वाली फर्म को भुगतान नहीं किया गया था, इस बीच तत्कालीन सीईओ लोकेश नारनोरे को निलंबित कर दिया गया जिसके चलते व्यापारी का बिल अधर में लटक गया। सूत्र बताते है कि व्यापारी कई दिनों से जनपद की मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुमन खातरकर के चक्कर लगा रहा था लेकिन सीईओ खातरकर ने बिल का भुगतान करने से मना कर दिया जिसके बाद व्यापारी मंगलवार को जनपद पहुंचा और अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के चेंबर से कुर्सियां उठा लिया जिसके बाद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के बैठने के लिए फायबर की कुर्सियां लगाई गई।
कमीशन के खेल की हो रही चर्चा
सूत्र बताते हैं कि छपारा जनपद में पदस्थ सुमन खातरकर व्यापारी का बिल पास नहीं करना चाहती थीं जिसके पीछे कमीशन का खेल बताया जाता है। सूत्रों की माने तो सुमन खातरकर इसलिए भी बिल पास नहीं करना चाहती थी क्योंकि उक्त कुर्सी के लिए तत्कालीन सीईओ लोकेश नारनोरे के कार्यकाल के दौरान खरीदी की गई थी, संभव है कि उक्त कुर्सी के बिल के लिए तत्कालीन सीईओ ने अपना कमीशन भी जोड़ा होगा। बाद में सीईओ के पद पर सुमन खातरकर की पदस्थापना हो गई। हो सकता है कि सुमन खातरकर भी अपना हिस्सा चाहती हों लेकिन व्यापारी के द्वारा उनकी बात नहीं मानी गई जिसके बाद व्यापारी ने दबंगई दिखाते हुए व्यापारी ने जनपद से कुर्सियां उठा ले आया। इस मामले को लेकर जनपद के अध्यक्ष उपाध्यक्ष भी बेहद नाराज बताये जा रहे हैं चूंकि जनपद अध्यक्ष गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के है वहीं उपाध्यक्ष प्रभातसिंह ठाकुर युवा कांग्रेस छपारा ब्लॉक के अध्यक्ष बताये जा रहे है। चर्चा है कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष विपक्षी पार्टी के होने के कारण भी सीईओ द्वारा कुर्सी सप्लाई करने वाले व्यापारी को भुगतान नहीं किया जा रहा था। बहरहाल इसमें सच्चाई क्या है यह तो जांच का विषय बना हुआ है लेकिन छपारा में चर्चा चल रही है कि पद में रहते हुए भी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी छीन ली गई।