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धर्म की जय हो, अधर्म का नाश

धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो,गौमाता की जय हो, गौ माता की हत्या बंद हो  यह नारे अक्सर सनातन धर्म की किसी आरती के बाद सनातन धर्मी लोग आस्था के समुन्दर में डूबकर गगन चुंभी नारे लगाते है......  जब सनातन धर्म की आस्था में गौवंश की हत्या से चोट पहुंचती है तो आक्रोश लाजमी है क्योंकि कोई भी धर्म अपनी आस्था के साथ इस तरह का कृत्य पसंद नही करता। देश में सनातन धर्म की आस्था गाय से जुड़ी है इसलिए आरती के बाद गौ माता की जय के नारे लगाए जाते है। देश में सांप्रदायिक सदभाव और एकता के कुछ दुश्मन गाय को ही अपना हथियार बनाकर एक माहौल तैयार कर लोगो के बीच दुश्मनी और खाई पैदा करने का कोई मौका नहीं छोड़ते जिससे सभी को सावधान रहने की आवश्यकता है। हाल ही में सिवनी जिले में जिस तरह गौवंश की हत्या हुई वह एक ऐसी घटना है जिसने लोगो की आस्था को झकझोर दिया है। इस घटना के बाद सरकार को गंभीर कदम उठाने पड़ेंगे वर्ना इंसानियत के दुश्मन यूं ही लोगो की आस्था के ऊपर हथियार चलाते रहेंगे। देश में 10 साल से भाजपा की सरकार है। मध्यप्रदेश में लगभग 20 साल से भाजपा की बहुमत वाली सरकार है। यदि सरकार चाह ले तो सनातन धर्म के लोगो को एक बड़ा तोहफा देते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करते हुए गौ माता का दर्जा दिलाकर लोगो की आस्था को और भी अधिक गहरी बनाई जा सकती है ताकि घर घर में गौ माता की देखरेख और पूजा होते रहे।   गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने के मांग कई वर्षो से की जा रही है । जिस तरह से गौवंश को लेकर आए दिन लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बन रही है उसे देखते हुए सरकार को गौवंश अधिनियम और पशुक्रूरता अधिनियम में व्यापक फेर बदल करना होगा। वर्तमान में गौवंश अधिनियम और पशुक्रूरता अधिनियम में सजा का जो प्रावधान है वह नाकाफी है। जिस तरह वन्य प्रणाली अधिनियम में सख्ती बरती गई है जिसमे तोता पालने से लेकर कछुआ और केकड़ा का शिकार करने में सख्त सजा का प्रावधान है ऐसा ही गौवंश की हत्या के मामले में सख्त सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए। एक तरफ इंडियन वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत मोर या किसी भी पक्षी को मारने पर 7 साल की सजा का प्रावधान है लेकिन ऐसा गौवंश की हत्या के मामले में नहीं है जिसके कारण कुछ वहशी लोगो के हौसले बढ़े हुए है और वह इस तरह की वारदात को अंजाम दे रहे है। देखा जाता है की जब गाय दूध देना छोड़ देती है और बैल कमजोर होकर कृषि कार्य के लायक नही बचते तो लोग उन गाय और बैल को या तो बेच देते है या फिर उन्हे आवारा सडक़ो पर छोड़ देते है। सरकार को ऐसा कानून बनाना चाहिए की जो भी ऐसे गौवंश को बेचता है या आवारा सडक़ो में छोड़ देता है ऐसे लोगो को भी चिन्हित करते हुए उनके विरुद्ध एफ आई आर कर उन्हे जेल भेजा जाए ताकि लोगो के भीतर कानून का डर समा सके और लोग गौवंश को बेचने के बजाए उनकी सेवा कर सके। यदि सरकार के द्वारा ऐसे स्वागत योग्य कदम उठाए जाते है तो सनातन धर्म की भावनाओ की रक्षा भी होगी और गौवंश की हत्या करने वाले दरिंदो को जेल भी होगी। इसलिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इस संवेदनशील मुद्दे पर सद्भावना पूर्ण विचार करते हुए सबसे पहले गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया जाना चाहिए। और जब तक केंद्र सरकार यह कदम नहीं उठाती तब तक मध्यप्रदेश की सरकार गाय को सबसे पहले राज्य पशु का दर्जा देकर प्रदेश वासियों को एक बड़ा तोहफा दे सकती है तब प्रदेश में ‘धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो,गौमाता की जय हो, गौ माता की हत्या बंद हो’ जैसी भावनाएं साकार होगी।  

    शमीम खान 

संपादक 

दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस सिवनी।