एक साल पहले भी अरी के अमरई टोला में मिले थे गौवंश के अवशेष-
सिवनी जिले के धूमा,धनौरा,पलारी, क्षेत्र में लगभग 60 गौवंश की अलग अलग जगह हत्या किए जाने के बाद जिले सहित आस पास क्षेत्र में जमकर आक्रोश पनप रहा है। सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन ने तो इस घटनाक्रम के पीछे पुलिस प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हुए दोषी अधिकारियों और पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कारवाही करने की मांग तक कर दिया। हालांकि सत्ता पक्ष के विधायक के द्वारा मांग किए तीन दिन बीत गए बावजूद इसके ना तो किसी आरक्षक के विरुद्ध कारवाही हुई और ना ही थाना प्रभारियों के विरुद्ध। वैसे सिवनी जिला हमेशा से गौवंश तस्करी को लेकर चर्चित और विवादित रहा है। जिले में आने वाले हर एस पी इस बात को अच्छी तरह से जानता है की जिले में विवाद का सबसे बड़ा कारण गौवंश तस्करी और गौ मांस है बावजूद इसके वह इस मामले में सक्रिय नहीं रहते। याद दिला दे की लगभग एक साल पहले भी जिले के अरी थाना क्षेत्र के खेत में कुछ गौवंश के अवशेष मिले थे यदि पुलिस उस समय सख्त कारवाही करते हुए आरोपियों को कड़ी सजा दिलाते हुए उनके मकान ध्वस्त कर देती तो शायद 60 से अधिक गौवंश की निर्ममता से हत्या नही होती। प्राप्त जानकारी के अनुसार अरी के वार्ड नंबर 12 के पंच उत्तम बोपचे ने पुलिस को बताया था की 04 जुलाई 2023 को दिन में लगभग साढ़े बारह बजे वह अपने साथी सतीश बोपचे के साथ वार्ड न. 17 अमरई टोला रामदयाल राउत के घर गया था । तब खेत जाने वाला कच्चा रास्ता पर बदबू आ रही थी तब उन्होंने देखा तो रास्ते से लगी झाडिय़ों में लगभग 07 गौवंश के कटे हुए सिर पड़े थे। इसके अलावा गोवर्धन साहू के खेत में स्थित कुआ के पानी में कुछ गौवंश के अवशेष भी तैरते अवस्था में मिले। अरी मे मलिक पटेल के खाली प्लाट में मोबाइल टवर के पास भी गौवंश के चार पैर कटी अवस्था में पडे मिले थे । तब अरी पुलिस ने अज्ञात आरोपी के विरुद्ध अरी थाने में अप.क्र. 00/23 धारा धारा 4,9 गौवंश प्रतिशेध अधि, 11 (ठ) पशुओ के प्रति क्रूरता, 429 भादवि के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया। लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की गई। घटना घटे लगभग एक साल होने को आए लेकिन अब तक पुलिस यह नही बता पाई की उक्त घटना के आरोपी गिरफ्तार हुए अथवा नहीं और यदि गिरफ्तार हुए तो वह कौन थे ? क्या उनके घरों में बुलडोजर चला यदि नही चला तो क्यों इन सवालों का जवाब पुलिस विभाग के आला अधिकारियों के अलावा कोई नहीं दे सकता।
घटना के समय दयाराम शरणागत ही क्यों रहते है थाना प्रभारी---+---- इसे संयोग ही कहा जाएगा की लगभग एक साल पहले अरी क्षेत्र के खेत में लगभग 10 गौवंश के अवशेष मिले थे तब अरी थाना प्रभारी उप निरीक्षक दयाराम शरणागत थे। उस समय इतनी बड़ी घटना घटने के बावजूद एस पी राकेश कुमार सिंह ने ना तो आरक्षको को लाइन अटैच किया और ना ही थाना प्रभारी दयाराम शरणागत के ऊपर कोई कारवाही किया। बाद में एस पी राकेश कुमार सिंह ने उप निरीक्षक दयाराम शरणागत को धनौरा थाने की कमान सौप दिया जिनके जाने के बाद 19 जनवरी को उनके थाना क्षेत्र में कई गौवंश मृत हालत में मिले। घटना के चार दिन बीत गए बावजूद इसके पुलिस के आला अधिकारी दोषी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कोई कारवाही नही कर पाई।अरी की घटना से सबक लेते तो नही घटती इतनी बड़ी घटना पुलिस हमेशा से सूचना तंत्र के ऊपर निर्भर रहती है। अरी में पुलिस का सूचना तंत्र कमजोर था जिसके कारण वहां लगभग 10 गौवंश के अवशेष मिले थे तब भी पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध कोई सख्त कारवाही नही किया। एस पी इस बात को अच्छी तरह से जानते थे की उप निरीक्षक दयाराम शरणागत का सूचना तंत्र कमजोर है बावजूद उन्हे धनौरा पदस्थ कर दिया जिनके रहते धनौरा क्षेत्र में दर्जनों गौवंश के शव मिले जो उनकी निष्क्रीय कार्यप्रणाली का प्रमाण है।अरी में घटी घटना को जनप्रतिनिधियों ने भी गंभीरता से नहीं लिया था लगभग 1 साल पहले अरी थाना क्षेत्र में घटी घटना को लेकर जिले के जनप्रतिनिधियों ने कोई सक्रियता नहीं दिखाई थी और ना ही उसे गंभीरता से लिया था। उस समय किसी भी जनप्रतिनिधि ने एस पी से यह पूछने की जहमत नहीं उठाया था कि उक्त घटना के आरोपियों को गिरफ्तार किया गया या नहीं और उनके घरों को ध्वस्त किया गया या नहीं ? किसी भी जनप्रतिनिधि ने यह नहीं पूछा था कि जिन पुलिस अधिकारियों के रहते इतनी बड़ी घटना घटी वह अभी तक थाने में कैसे बने हुए हैं ? यदि एक साल पहले जिले के प्रतिनिधि अरी की घटना को लेकर चिंतित हो जाते तो वर्तमान में 60 से ज्यादा गोवंश की निर्मम हत्या नही होती।