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फरार चल रहे सहायक आयुक्त अमर उईके की दूसरी बार अग्रिम जमानत याचिका खारिज


सिवनी में पदस्थ रहे सहायक आयुक्त अमर उईके की दूसरी बार अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई। बताया जाता है की डिंडौरी जिले में पदस्थापना के दौरान अमर उईके के द्वारा 25.02.2019 से 21.01.2021 तक सहायक आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग डिंडोरी में लगभग  2 करोड़  59 लाख 97,577/- रुपये की राशि के गबन या दुरुपयोग के मामले में डिंडौरी पुलिस ने अमर उईके के विरुद्ध 21 फरवरी 2024 को आईपीसी की धारा 420, 409 और 34 के तहत मामला पंजीबद्ध किया था। तब से ही अमर हुई के फरार चल रहे हैं इस बीच डिंडौरी पुलिस ने अमर उईके की गिरफ्तारी के लिए इनाम भी घोषित किया है । बताया जाता है कि अमर उईके की तरफ से दूसरी बार अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। अमर उईके की तरफ से वरिष्ट अधिवक्ता  शेखर पांडे के साथ मनीष दत्त वरिष्ठ अधिवक्ता उपस्थित हुए जबकि शासन की तरफ से ए.एस पाठक  मौजूद रहे जहां अधिवक्ताओं ने अपने अपने तर्क दिए। बताया जाता है की अमर उइके के  विद्वान अधिवक्ताओं ने कहा  है कि आवेदक को मामले में झूठा फंसाया गया है। जांच की गई थी, जिसमें आरोपों में महज प्रक्रियात्मक खामियां बताई गई हैं, लेकिन पैसे की कोई हेराफेरी नहीं पाई गई है। इसकी शिकायत कलेक्टर और स्कूल के प्रिंसिपल से भी की गई लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अधिवक्ताओं ने यह भी कहा की  लोकायुक्त के दबाव में केवल वर्तमान आवेदक को ही आरोपी बनाया गया है और उसके खिलाफ ही आपराधिक कार्यवाही शुरू की गई है, ऐसा कोई दस्तावेज या अन्य दस्तावेज रिकार्ड पर उपलब्ध नहीं है या अन्य साक्ष्य रिकार्ड पर उपलब्ध नहीं है जिससे यह पता चले कि वर्तमान आवेदक ने किसी के साथ धोखाधड़ी की है, इसके तहत कोई अपराध नहीं है। उन्होंने यह भी कहा की उक्त मामले आवेदक कथित राशि जमा करने को तैयार है. । अधिवक्ताओं ने कहा की यह मामला जिला डिंडौरी का है जबकि अमर उईके सिवनी में पदस्थ है। इस बात की कोई संभावना नहीं है कि आवेदक किसी भी साक्ष्य या दस्तावेज़ के साथ छेड़छाड़ कर सकेगा। इसलिए, वर्तमान आवेदक के खिलाफ हिरासत में पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं है। दूसरी तरफ प्रतिवादी/राज्य के विद्वान सरकारी वकील ने आवेदक की दलीलों का कड़ा विरोध किया है और कहा है कि आवेदक एक राजपत्रित अधिकारी है। उनके खिलाफ रकम गबन की शिकायत दर्ज करायी गयी थी. उनके खिलाफ जांच की गई जिसमें पाया गया कि उन्होंने फर्जी तरीके से 2,59,97,577/- रूपये निकाल कर पैसे का गबन कर लिया है। उन्होंने अग्रिम जमानत का भारी विरोध किया जिसके बाद सुनवाई करते हुए न्यायाधीश  प्रमोद कुमार अग्रवाल ने अग्रिम जमानत खारिज कर दिया।