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हाईकोर्ट ने भंग किया जिला वक्फ बोर्ड कमेटी

18 अगस्त 2023 को राज्य वक्फ बोर्ड ने बोरदई के सरपंच आसिफ जरदारी की अध्यक्षता में जिला वक्फ बोर्ड का गठन किया था जिसे उच्च न्यायालय ने भंग करते हुए राज्य शासन को कई महत्वपूर्ण आदेश दिए। हालांकि समाचार लिखे जाने तक उच्च न्यायालय के द्वारा पारित आदेश अधिकृत रूप से उपलब्ध नही हो पाया था। बोरदई के सरपंच आसिफ जरदारी की अध्यक्षता में गठित जिला वक्फ बोर्ड कमेटी मे उपाध्यक्ष शफीक पटेल झालोन, सचिव शहजाद  बेग बोरदई, कोषाध्यक्ष निसार खान गोरखपुर, एवे तीन सदस्य के रूप में अकील खान भगत सिंह वार्ड, हैदर शाह विश्वकर्मा बिल्डिंग कस्तूरबा वार्ड एवं मोहम्मद नूमान बोरदई को शामिल किया गया था। जिसे जिला वक्फ बोर्ड कमेटी के पूर्व अध्यक्ष शोएब राजा ने उच्च न्यायालय में चुनौती दिया था। उन्होने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अवगत कराया था कि वक्फ एक्ट 1995 संशोधन 2014 की धारा 18 (1)(2) में प्रदाय अधिकार के तहत जिला वक्फ कमेटी मध्यप्रदेश के गठन और उसकी जिम्मेदारी के लिए कुछ नियम बनाये गये हैं जिसमें उक्त नियम के तहत लगभग 7 ऐसे सदस्यो को शामिल करना होता है जो विभिन्न क्षेत्रों से आते हैं। नियम अनुसार किसी भी जिला वक्फ बोर्ड कमेटी में पार्षद/ जिला, जनपद सदस्य, स्थानीय संस्थाओ के चुने गये जनप्रतिनिधि का होना आवश्यक होता है जो आसिफ जरदारी है। इसके अलावा तहसील/ जिला अभिभाषक सदस्य यानि की किसी अधिवक्ता का होना आवश्यक होता है, इसके अलावा एक धार्मिक विद्वान, शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ा हुआ एक शिक्षाविद, शासकीय अधिकारी या कर्मचारी, शिया/बोहरा समुदाय का एक व्यक्ति एवं एक समाजसेवी का होना आवश्यक होता है। इस मामले में जस्टिस विवेक अग्रवाल ने  जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे सहित एमपी वक्फ बोर्ड भोपाल के सीईओ एवं अध्यक्ष सन्नवर पटेल, जिला कलेक्टर जिला वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष आसिफ जरदारी, जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे, जिला वक्फ बोर्ड के उपाध्यक्ष शफीक पटेल सहित 11 लोगों को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था। बताया जाता है कि गत दिवस इस मामले में उच्च न्यायालय में तर्क वितर्क हुए माननीय न्यायालय ने माना कि उक्त कमेटी का गठन वक्फ एक्ट 1995 संशोधन 2014 की धारा 18 (1)(2) के तहत नही हुआ जिसके कारण उक्त नियमों का पालन किया ही नही गया। सूत्रों की मानें तो उच्च न्यायालय ने कमेटी भंग करने के निर्देश दिए। उच्च न्यायालय के आदेश आने के बाद और स्पष्ट होगा कि इस संबंध में माननीय न्यायालय ने और क्या-क्या दिशा निर्देश दिए है। फिलहाल शोएब राजा की याचिका का निराकरण करते हुए माननीय न्यायालय ने सिवनी के वक्फ बोर्ड को भंग कर दिया है।