आर्थोपेडिक ऑपरेशन थियेटर से कैसे चोरी हो गए टूल किट-
चिकित्सीय व्यवसाय के साथ साथ जमीनों के कारोबार में रुचि लेने वाले सिविल सर्जन डॉक्टर विनोद नावकार इतने मासूम है की उन्हें यही नहीं मालूम की थाने में दिया जाने वाला आवेदन एफ आई आर नही होती। डॉक्टर विनोद नावकर जब से अस्पताल में सिविल सर्जन बने है तब से ही अस्पताल कई मामलों में सुर्खियां बटोर चुका है।ताजा मामला अस्पताल के आर्थोपेडिक ऑपरेशन थियेटर से हड्डी के ऑपरेशन में उपयोग आने वाले टूल किट चोरी से जुड़ा हुआ है। बताया जाता है लगभग 06 महीने पहले अस्पताल के आर्थोपेडिक ऑपरेशन थिएटर से एक टूलकिट चोरी हो गया था जिसकी जानकारी बकायदा डॉ विनोद गांवकर को थी जिन्होंने एक आवेदन देकर रस्म अदायगी कर लिया ।जब इस बात की जानकारी मीडिया को लगी तो मीडिया ने इस पूरे मामले को प्रमुखता से उजागर किया जिसके बाद डॉ विनोद नावकर का भोलापन सामने आया। डॉ विनोद नावकर का कहना है कि उन्हें नहीं मालूम था कि आवेदन अलग होता है और f.i.r. अलग होती है। चोरी की घटना के बाद उन्होंने कोतवाली में आवेदन दे दिया था जिसे उन्होंने f.i.r. समझ लिया। डॉ विनोद नावकर जो की जमीनों के कारोबार में भी जमकर रुचि लेते हैं उन्होंने दोबारा कभी कोतवाली पुलिस से यह जानने का प्रयास भी नहीं किया कि जिस आवेदन को उन्होंने f.i.r. समझ लिया था उस f.i.r. का क्या हुआ? डॉक्टर विनोद नावकर भी करते है हड्डी का ऑपरेशन------सिविल सर्जन डॉ विनोद नावकर वैसे तो आर्थोपेडिक नहीं है लेकिन वह अधिकांश ऑपरेशन हड्डियों के ही करते हैं। बताया जाता है कि सिवनी में लोग पहले उन्हें ही हड्डियों का डॉक्टर समझते थे।जबकि हकीकत यह है कि डॉ विनोद नावकर एक सर्जन है ना कि आर्थोपेडिक। वैसे जो टूलकिट आर्थोपेडिक ऑपरेशन थिएटर से चोरी हुई वह कितने काम की थी यह बात डॉक्टर विनोद नावकर से बेहतर कोई नहीं जानता। डॉक्टर विनोद नावकर ने क्यों दबा रखा था मामला-----अस्पताल के आर्थोपेडिक ऑपरेशन थिएटर से लगभग फरवरी के महीने में टूलकिट चोरी हुई थी 6 महीने तक डॉक्टर विनोद गांवकर ने इस पूरे मामले को दबा रहा था यदि इस मामले को लेकर मीडिया सकरी नहीं होती तो हो सकता है कि यह मामला ठंडे बस्ते में चले जाता और शासकीय संपत्ति का किसी को कोई पता तक नहीं चलता क्योंकि मीडिया ने इस मामले को गंभीरता से लिया और उजागर कर दिया ।ऐसे में अब देखना यह है कि डॉ विनोद ना होकर इस पूरे मामले की एफ आई आर दर्ज कराते हैं या नहीं देखने वाली बात तो यह भी होगी कि सिविल सर्जन होने के नाते डॉक्टर विनोद नावकर की भूमिका भी तय होती है या नहीं