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इधर लाडली बहनों को दिये जा रहे 1 हजार, उधर जमकर वसूला जा रहा बिजली बिल

सिवनी महाकौशल। चुनावी वर्ष में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा खजाना खोलते हुए नई नई योजनाओं के माध्यम से लोगो तक राशि पहुंचाई जा रही है लेकिन वहीं दूसरी तरफ एक बड़ा तबका शिवराज सिंह चौहान से नाराज बताया जा रहा है। इन दिनों महिलाओं के खाते में एक हजार की राशि डालकर शिवराज सिंह चौहान ने लाडली बहना योजना के माध्यम से महिलाओं का विश्वास जीतने का प्रयास किया है। वही दूसरी तरफ प्रदेश के लोगों से बेतहाशा बिजली बिल वसूल कर सरकार का खजाना भरा जा रहा है जिसके चलते लोगों के भीतर जमकर आक्रोश देखने को मिल रहा है। प्रदेश में चर्चा चलने लगी है कि एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने आपको महिलाओं का भाई कहते हुए उनके खाते में 1 हजार रू. जमा कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ उन्हीं महिलाओं के परिजनों से बिजली बिल के नाम पर दो से तीन गुना राशि वसूल किया जा रहा हैं और जो लोग समय से बिजली बिल जमा नहीं करते उनका कनेक्शन काट दिया जाता है जिसके बाद लोग यही कह रहे हैं कि शिवराज सिंह चौहान बहनों को 1000 देकर लोगों से दो से तीन गुना राशि वसूल कर रहे हैं।
हर घर में आया बढ़ा हुआ बिजली बिल
जब से प्रदेश में लाडली बहना योजना शुरू हुई है और महिलाओं के खाते में एक-एक हजार रुपया ट्रांसफर हुआ है उसी महीने से लोगों के घरों में बढ़े हुए बिजली बिल आना शुरू हो गए जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की योजना को लेकर प्रश्न चिन्ह लगने लगा है। चर्चा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक तरफ तो लाडली बहना योजना लागू करते हुए महिलाओं का विश्वास जीतने का प्रयास किया है तो वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश विद्युत मंडल के माध्यम से उन्हीं घरों से पैसे की वसूली भी होने लगी है। भले ही शिवराज सिंह चौहान लाडली बहना योजना लागू करते हुए यह दम भर रहे हो कि उन्होंने महिलाओं की आंखों का आंसू पोंछने का प्रयास किया है लेकिन हकीकत यह है कि बढ़े हुए बिजली बिल ने पूरे घर के लोगों की आंखों में आंसू ला दिए हैं।
बिजली बिल में कई तरह का लिया जाता है टैक्स
मप्र बिजली विभाग के द्वारा उपभोक्ताओं को जो बिल दिया जाता है उसमें कई तरह का टैक्स जोड़ लिया जाता है। आज तक उन्हें पता नहीं चल सका कि उन्हें इतना टैक्स क्यों देना पड़ता है। बिजली विभाग के द्वारा ऊर्जा प्रभार,, नियत प्रभार, फ्यूल कास्ट समायोज (एफसीए), विद्युत शुल्क ड्यूटी, ऊर्जा विकास उपकर, मीटर किराया, सुरक्षा निधि जैसे मदो के पैसे जोड़े जाते है जिसका उपभोक्ताओं को पता चल ही नहीं पाता कि उक्त मदो में राशि क्यों और कैसे जोड़ी जाती है। यदि कोई विद्युत विभाग के अधिकारियों से सवाल भी करता है तो वह जवाब नहीं देते।