जिन्होंने रामकथा कराया उनके आचरण से तो कहीं नहीं लगता कि उन्होंने भगवान श्रीराम के आचरण को स्वीकार किया हो: खुराना
पॉलिटेक्निक मैदान में आयोजित रामकथा कथा कम, प्रचार ज्यादा लग रही थी
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने अपने पिता की आज्ञा का सम्मान करते हुए अपने परिवार के लिए 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया। मेरा मानना है कि जिस व्यक्ति के भीतर भगवान राम का आचरण दिखाई देता हो वह रामकथा सुनने और कराने का अधिकारी होता है लेकिन जिन्होंने रामकथा कराया उनके आचरण से तो कहीं नहीं लगता कि उन्होंने भगवान श्रीराम के आचरण को स्वीकार किया हो। उक्ताशय की बात गत दिवस ब्रह्मलीन जगदगुरू स्वामी शंकराचार्य जी महाराज के जन्म शताब्दी समारोह में दिघौरी पहुंचे जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा।
सिवनी महाकौशल 20 सितं. 2023
कार्यक्रम में मौजूद मीडिया के लोगो ने श्री खुराना से पूछा कि हाल ही में सिवनी नगर में श्री रामकथा का आयोजन किया गया था जिसे आप किस रूप में देखते है तो श्री खुराना ने कहा की उक्त रामकथा कथा कम और प्रचार ज्यादा लग रही थी। ऐसा महसूस हो रहा था की श्री रामकथा व्यक्ति विशेष का कार्यक्रम बन गया है जहां से बार-बार उन्हें जिताने और मंत्री बनवाने की बात की जा रही थी। राजकुमार खुराना ने कहा कि भगवान राम ने जो जीवन में किया और और जो लोग उनके आचरण को जीवन में उतारते है उन्हे श्रीराम कथा सुनने और कराने का अधिकार है। जिन्होंने राम कथा कराया उनके चरित्र से कहीं भी श्री राम का आचरण नहीं दिखता। जब श्री ख्ुाराना से यह पूछा गया कि आप यह किस आधार पर कह रहे है तो उन्होंने कहा कि भगवान राम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए परिवार के लिए 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि श्री रामकथा के आयोजक का पारिवारिक विवाद किसी से छुपा नहीं है श्री खुराना ने यह भी कहा कि हो सकता है स्वामी भद्राचार्य महाराज जी से यह सब बाते छुपाई गई हो । जब मीडिया ने उनसे कहा की ऐसी चर्चा है कि श्री रामकथा का आयोजन करने वाले शराब के व्यवसाय से जुड़े हुए है तो उन्होंने कहा की यह बात सभी लोग जानते है कि आयोजक का व्यवसाय शराब सहित अन्य काम है लेकिन मुझे लगता है की आयोजक ने स्वामी भद्राचार्य महाराज जी को अपने बारे में जानकारी नहीं दिया यदि उन्हें जानकारी होती तो मुझे ऐसा लगता है की वह श्री रामकथा करने के लिए तैयार नहीं होते। श्री खुराना ने यह भी कहा कि रामकथा आयोजित कर व्यक्ति विशेष का प्रचार कराने का प्रयास किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि मंच से स्वामी रामभदा्राचार्य ने जगदगुरू स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज का आचरण कांग्रेसी बताया था, इस मामले में आपने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिया तब राजकुमार खुराना ने कहा कि मैं धर्म के मामले में बहुत अधिक जानकार नही हू। स्वामी रामभद्राचार्य विद्वान और धर्माचार्य है और उनके कई भक्त है जिनका मैं सम्मान करता हूं।
श्री खुराना ने कहा कि चूंकि जगदगुरू स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज एक ऐसे शंकराचार्य हुए है जिन्होंने देश की आजादी की लड़ाइ लड़ा था और जेल गये थे उस समय सिर्फ कांग्रेस ही थी जिसके बेनर तले आजादी की लड़ाई हुआ करती थी। महाराज श्री के संबंध में इस तरह का आरोप निंदनीय है उन्होंने कहा कि महाराजश्री के शिष्यों में सभी पार्टी के लोग शामिल है और महाराज श्री ने कभी भी सार्वजनिक मंच से पार्टी विशेष के लिए कोई प्रचार प्रसार नहीं किया।
गौरतलब है कि पॉलिटेक्निक मैदान में 09 सितम्बर से लेकर 18 सितम्बर तक स्वामी भद्राचार्य जी महाराज की श्री रामकथा का आयोजन किया गया था। आयोजन के दौरान उन्होंने सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन को जिताने की अपील करते हुए कहा था की मैं उन्हे कैबिनेट मंत्री बनवाऊंगा। उक्त कार्यक्रम उस समय ज्यादा विवादो में आ गया था जब सार्वजिनक मंच से जगत गुरु स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज के बारे में कहा था की वह आचरण से कांग्रेसी थे जिसके बाद गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने आयोजको को आड़े हाथों लिया और अब जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना ने बेबाकी से अपनी बात रखते हुए आयोजक की नियत में ही सवाल खड़ा कर दिया जिसका जवाब आज तक आयोजक के द्वारा देते हुए यह नहीं बताया गया कि जगत गुरु स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज के संबंध में कही गई बातों का वह समर्थन करते है या सार्वजिंक रूप से खंडन करते है।