जो अपना बूथ तक नही जितवा सकते उन्होंने भी किया कांग्रेस से टिकट की दावेदारी
सिवनी महाकौशल। रविवार को हिमाचल प्रदेश के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रवक्ता कुलदीप सिंह राठौर का सिवनी आगमन हुआ जिन्होंने सिवनी विधानसभा में रायशुमारी किया। बताया जाता है कि कुलदीप सिंह राठौर को उन विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी गई है जहां से कांग्रेस लगातार हार रही है। बताया जाता है कि कुलदीप सिंह राठौर 20 विधानसभा के बाद सिवनी विधानसभा पहुंचे थे और उन्होंने रायशुमारी किया जिसमें कई लोग एक-एक कर उनसे मिले तो कुछ लोग सामूहिक रूप से मिले। सूत्रों की मानें तो रायशुमारी में भी कांग्रेस के भीतर जमकर गुटबाजी देखने को मिली। कुछ लोगों ने कुलदीप सिंह राठौर से अपने पसंदीदा प्रत्याशियों के नाम लेते हुए बाकी लोगों को निपटाओ समिति का सदस्य तक बता दिया जिसे सुनकर कुलदीप सिंह राठौर को यह तो समझ में आ ही गया होगा कि 1990 से लगातार हारने के बाद भी सिवनी में गुटबाजी कम नहीं हुई है।
10 लोगो के नाम आ रहे सामने
कुलदीप सिंह राठौर से प्रेसवार्ता के दौरान जब मीडिया ने पूछा की कितने लोगो ने दावेदारी किया है तो उन्होंने नाम तो नही बताया लेकिन यह अवश्य कहा की दावेदारी करने वालो की दो अंकों में संख्या है। सूत्र बताते है कि जिन लोगो ने दावेदारी किया है उनमें जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना, एआईसीसी के सदस्य राजा बघेल, युवा कांग्रेस के अध्यक्ष आनंद पंजवानी, अतुल मालू, मुबीन राजा,श्रीमती संयोगिता सक्सेना, ब्रजेश उर्फ लल्लू बघेल, घनश्याम सनोडिया, मोहन चंदेल, विजय चौरसिया सहित कुछ लोग शामिल बताये जा रहे हैं। वैसे यदि रायशुमारी करने आए कुलदीप राठौर दावेदारों से यह पूछ लेते कि पिछले दो दशकों में हुए चुनाव में किन-किन नेताओ के बूथ से कांग्रेस जीती है तो पता चल जाता की लगभग 10 दावेदारों में दो या तीन ही लोग बता पाते की उनके बूथ से कांग्रेस जीती है। बताया जाता है कि जिन नेताओं ने दावेदारी किया है उनमें से अधिकांश ऐसे लोग है जो कभी भी अपने वार्ड से कांग्रेस को नही जिता पाए। पर्यवेक्षक कुलदीप सिंह राठौर को ऐसे दावेदारों से यह आवश्यक कहना चाहिए कि जब वह अपने वार्ड से कांग्रेस को नहीं जीता पाए तो फिर स्वयं कैसे जीत पाएंगे तो पता चल जाएगा कि सिवनी में दावेदार की वास्तविक स्थिति क्या है?
सर्वे और रायशुमारी धरी की धरी रह जाती है
रायशुमारी के बाद दोपहर 2.00 बजे से कुलदीप सिंह राठौर ने प्रेस को संबोधित करते हुए अपनी बात रखा इस बीच दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस के संपादक ने कहा कि अभी तक सिवनी विधानसभा का इतिहास रहा है कि सर्वे और रायशुमारी के आधार पर टिकट देने के बजाय उच्च पदों पर बैठे नेता अपनी पसंद के लोगों के ऊपर दांव लगाते रहे हैं जिसके कारण सिवनी में कांग्रेस हारते रही है। महाकौशल एक्सप्रेस के संपादक ने कुलदीप सिंह राठौर को बताया कि 1993 में आशुतोष वर्मा को टिकट दी गई थी जो हार गए थे। आशुतोष वर्मा सुश्री विमला वर्मा जी के करीबी थे तो उन्हें हार के बाद दो बारा पुन: 1998 में टिकिट दी गई तब भी वह हार गए थे। 2003 में राजकुमार खुराना को टिकिट दी गई जो कमलनाथ के करीबी थे लेकिन वह भी चुनाव हार गए थे। 2008 में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी के करीबी प्रसन्न मालू को टिकिट दी गई वह भी हार गए थे। 2013 में पुन: कमलनाथ का करीबी होने के कारण राजकुमार खुराना को टिकिट दी गई तब भी वह हार गए थे जबकि उक्त चुनाव में भी रायशुमारी हुई थी लेकिन रायशुमारी में जो नाम सामने आते है उन्हे दरकिनार कर उच्च पदों पर बैठे नेता अपने करीबियों को टिकिट देते रहे है ऐसे में कांग्रेस कैसे जीतेगी तब कुलदीप राठौर ने कहा की आपने अच्छी जानकारी दिया है इस बार टिकिट पूरी पारदर्शिता के साथ जीतने वाले प्रत्याशी को ही दी जाएगी। देखना यह है कि पूर्व की तरह किसी नेता की पसंद को सिवनी विधानसभा की टिकिट दी जाती है या फिर वास्तविक सर्वे के आधार पर जो नाम सामने आते हैं उन्हें टिकिट दी जाती है