कार्यपालन यंत्री अशोक कुमार डहेरिया को किसके संरक्षण में बना दिया गया मुख्य अभियंता बैनगंगा कछार
सिवनी एक ऐसा जिला है जो भ्रष्ट और विवादित अधिकारियों के लिए सबसे सुरक्षित जिला है । क्योंकि ऐसे अधिकारियों को मालूम है कि यहां के जनप्रतिनिधियों और नेताओं के द्वारा कितनी ही शिकायत क्यों नहीं कर ली जाए बावजूद इसके उनके विरुद्ध किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं होती । बताया जाता है कि कई ऐसे अधिकारी हैं जिन्हें सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि और नेताओं का भी डर नहीं है । ऐसे ही अधिकारियों में शामिल है जल संसाधन विभाग में पदस्थ अशोक कुमार डेहरिया जिनका मूल पद कार्यपालन यंत्री है लेकिन उच्च स्तरीय सांठ गांठ कर अशोक कुमार डेहरिया मुख्य अभियंता बेनगंगा कछार परियोजना जल संसाधन विभाग सिवनी के प्रभार लिए बैठे है। बताया जाता है कि अशोक कुमार डेहरिया के अधीन लगभग 9 जिले आते हैं जिसमें छिंदवाड़ा, बालाघाट, सिवनी, बैतूल, जबलपुर, डिंडौरी, कटनी, नरसिंहपुर व मंडला जिले का नाम शामिल है। सूत्र बताते है कि अशोक कुमार डेहरिया अपने आपको जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट का करीबी बताते नही थकते । उनकी शासन स्तर पर अच्छी पकड़ होने के कारण उन्हें कई मलाईदार कामों काअतिरिक्त प्रभार मिला हुआ है।
ठेकेदारों से रहती है सांठ गांठ अशोक कुमार डेहरिया 09 जिले के मालिक बनकर सिवनी में बैठे है। जल संसाधन विभाग एक ऐसा विभाग है जिसकी तरफ जनप्रतिनिधियों से लेकर जिला प्रशासन कम ध्यान देता है जिसका फायदा अशोक कुमार डेहरिया जैसे अधिकारी उठाते है। सूत्र बताते है कि विभाग के तहत होने वाले विभिन्न निर्माण काम करने वाले कुछ ठेकेदारो से उनके मधुर संबंध है जिसके कारण वह ठेकेदारों के ऊपर मेहरबान रहते है और इस मेहरबानी के चलते ठेकेदार भी अशोक कुमार डेहरिया जैसे अधिकारियों के ऊपर मेहरबान रहते है । विभागीय सूत्र बताते है कि अशोक कुमार डेहरिया फरवरी 2022 मे मुख्य अभियंता बेनगंगा कछार परियोजना सिवनी में पदस्थ हुए थे इसके अलावा इनके पास अन्य जिलों का भी अतिरिक्त प्रभार है जिसमें वह बैतूल जिले के कार्यपालन यंत्री का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे है वही जल संसाधन मंडल सिवनी के अधीक्षण यंत्री का अतिरिक्त प्रभार भी अशोक कुमार डेहरिया के पास बताया जा रहा है। इसके अलावा उन्हें रीवा जिले में मुख्य अभियंता का अतिरिक्त प्रभार भी दे दिया गया है । अशोक कुमार डेहरिया छिंदवाड़ा जिले में जल संसाधन विभाग में अधीक्षण यंत्री के प्रभार में भी थे । जानकार बताते हैं कि एक अधिकारी को बिना संरक्षण के इतने ज्यादा प्रभाव दिया ही नहीं जा सकता और यदि उन्हें प्रभार दिया गया है इसका मतलब साफ है कि ऐसे अधिकारी का भोपाल स्तर पर बेहद अच्छा सेटअप है और मंत्रालय के कई अधिकारी भी उनसे उपकृत होते हैं । वैसे सूत्र बताते हैं कि जब से अशोक कुमार डेहरिया विभिन्न जिलों में पदस्थ हुए है तब से उनके कार्यकाल के दौरान हुए निर्माण कार्यों की जांच जो जाए तो पता चल जाएगा कि उक्त निर्माण कार्य कितने गुणवत्ता युक्त हुए है और उनमें कितना भ्रष्टाचार हुआ है लेकिन सवाल यह उठता है कि जांच करेगा कौन?