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क्या अब कांग्रेस दुपेंद्र अमुले को करेगी निष्कासित--

---जिला पंचायत वार्ड क्रमांक 7 के सदस्य दुपेंद्र अमूले की कितनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने जिला पंचायत उपाध्यक्ष बनने के लिए पार्टी के द्वारा घोषित किए गए प्रत्याशी का विरोध कर फार्म भर दिया जिन्हे कुछ कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्यो का साथ मिला लेकिन दुपेंद्र अमुले चुनाव हार गए। दुपेंद उर्फ लकी अमूले के चुनाव हारने के बाद सबकी निगाहें जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना के ऊपर टिकी हुई है।                   नामांकन जमा करने वाले मोहन को निष्कासित किया गया तो फिर दुपेंद्र को क्यों नही---- जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना के ऊपर सबकी नजर इसलिए टिकी हुई है क्योंकि जब 2022 को जिला पंचायत सदस्य के चुनाव हुए थे तब वार्ड क्रमांक 5 से कांग्रेस ने अपना समर्थित प्रत्याशी तेज सिंह रघुवंशी को बनाया था तब पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन चंदेल ने भी नामांकन दाखिल कर दिया था जिसके बाद  तेज सिंह रघुवंशी और अर्जुन काकोडिया ने फौरन मोहन चंदेल को प्रदेश कांग्रेस कमेटी से 06 वर्षी के लिए निष्कासित करवा  दिया था। चूंकि जिला पंचायत में कांग्रेस के पास 11 सदस्य थे यदि दुपेंद्र उर्फ लकी अमूले पार्टी के साथ गद्दारी ना करते हुए पार्टी के द्वारा अधिकृत प्रत्याशी का समर्थन कर देते तो जिला पंचायत उपाध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध हो सकता था लेकिन राजनेतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते उन्होंने पार्टी की गाइडलाइन से हटकर निर्दलीय फॉर्म भरा जिन्हें कांग्रेस के कुछ अन्य समर्थित सदस्यों का भी साथ मिला । दुपेंद्र अमूलेको पार्टी से गद्दारी करने के लिए जिला पंचायत के किन-किन जिला पंचायत सदस्यों ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग किया इसका खुलासा तो आगामी अंकों में किया जाएगा लेकिन वर्तमान में सबकी नजर जिला कांग्रेस के ऊपर टिकी हुई है। देखना यह है कि जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना दुपेंद्र अमूले को 6 वर्षों के लिए निष्कासित कर पार्टी को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं या फिर दुपेंद्र अमूले को अभय दान देते है।                                        क्या अर्जुन काकोडिया करवा पाएंगे कारवाही---- बरघाट विधानसभा के कुरई क्षेत्र से राकेश सनोड़ीया को पार्टी ने अपना समर्थित प्रत्याशी घोषित किया था जो अर्जुन सिंह काकोडिया के करीबी है इसे संयोग ही कहा जाएगा की बरघाट विधानसभा के अंतर्गत आने वाले वार्ड क्रमांक 07 के सदस्य दुपेंद्र अमूले जिन्होंने पार्टी से गद्दारी कर  जिला पंचायत उपाध्यक्ष का चुनाव लड़ा वह भी पूर्व विधायक अर्जुन काकोडिया के करीबी है ।सूत्र बताते हैं कि अर्जुन सिंह का ने दुपेंद्र अमूले को काफी समझाया था लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते दुपेंद्र अमूले ने अर्जुन काकोडिया  की बात को भी नजर अंदाज कर दिया ।जबकि अर्जुन काकोडिया ने ही दुपेंद्र अमूले को जिला पंचायत सदस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था ।ऐसे में अब देखना यह है कि जिस जिस युवक  को उंगली पड़कर अर्जुन काकोडिया ने चलना सिखाया उस युवक के द्वारा पार्टी से गद्दारी किए जाने के बाद अर्जुन सिंह काकोडिया ने जिस तरह मोहन चंदेल को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था उसी तरह दुपेंद्र अमूले को तकपार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने में कितनी रुचि दिखाते है यह देखने वाली बात होगी।