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क्या कमलनाथ लल्लू बघेल से पूछेंगे, उनके बूथ से क्यों नहीं जीत पाती कांग्रेस

सिवनी महाकौशल। रविवार को हिमाचल प्रदेश के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रवक्ता कुलदीप राठौर रायशुमारी करने के लिए सिवनी पहुंचे थे जहां उनके सामने लगभग एक दर्जन लोगो ने दावेदारी पेश किया था वही सिवनी विधानसभा क्षेत्र के कई लोगों ने भी अपनी अपनी पसंद के दावेदारो के नाम बताये थे। इस बीच एक गु्रप में कुछ लोग कुलदीप राठौर से मिले और अपने पसंद के दो दावेदारो के नाम बताते हुए दावा किया कि सिर्फ यही दो लोग चुनाव जीत सकते हैं बाकी लोग निपटाओ समिति बना लेते हैं और कांग्रेस को हराते हैं। सूत्रों की माने तो गु्रप के लोगों ने जिन दो दावेदारो के नाम लिये थे उनमें से एक जिला कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री ब्रजेश उर्फ लल्लू बघेल बताये जाते हैं। गतांक में दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने समाचार प्रकाशित किया था कि जिन लोगों ने कांगे्रस को अपना बूथ तक नहीं जिता पाये वह भी दावेदारी कर रहे है। यदि पर्यवेक्षक कुलदीप सिंह राठौर उन दावेदारो के बूथ की समीक्षा करें तो पता चल जायेगा कि किन किन दावेदारो के बूथ से कांग्रेस को जीत मिलती है और किन दावेदारो के बूथ से कांग्रेस कभी जीती ही नहीं।
वैसे इस पूरे मामले को लेकर पर्यवेक्षक को शुरूआत जिला कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री एवं जिला पंचायत के उपाध्यक्ष ब्रजेश उर्फ लल्लू बघेल से करना चाहिए। पिछले तीन चुनाव के रिकार्ड देखा जाये तो लल्लू बघेल अपने ही गांव से कभी कांग्रेस को नहीं जिता पाये। लल्लू बघेल के रहते 2008 में लल्लू बघेल के ग्राम संगई में कांग्रेस की इतनी बदतर स्थिति थी कि कांग्रेस को सिर्फ 15 वोट मिले थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार 2008 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से श्रीमती नीता पटेरिया ने चुनाव लड़ा था जबकि कांगे्रस से प्रसन्नचंद मालू एवं निर्दलीय के रूप में दिनेश राय मुनमुन ने चुनाव लड़ा था तब भाजपा की श्रीमती नीता पटेरिया को 296 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के प्रसन्नचंद मालू को सिर्फ 15 वोट ही मिले थे वहीं निर्दलीय दिनेश राय मुनमुन को भी 15 वोट मिले थे।
राजकुमार खुराना को भी सम्मानजनक वोट नहीं दिला पाये थे लल्लू
पर्यवेक्षक कुलदीप राठौर को 2013 के विधानसभा चुनाव की समीक्षा भी करना चाहिए। राजकुमार खुराना ने जिस लल्लू बघेल को अपना प्रभारी महामंत्री बनाया है उनकी अपने ही गांव में पकड़ नहीं है। स्थिति यह है कि 2013 के विधानसभा चुनाव में लल्लू बघेल, राजकुमार खुराना को ही सम्मानजनक वोट नहीं दिला पाये थे। 2013 के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट को देखा जाये तो ग्राम संगई में कांग्रेस के प्रत्याशी तीसरे नंबर पर थे। 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी नरेश दिवाकर 301 वोट मिले थे जबकि निर्दलीय दिनेश राय मुनमुन को 182 व कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार खुराना को सिर्फ 128 वोट ही मिले थे।
2018 के चुनाव में मिले थे 222 वोट
पूर्व के दो चुनाव से भी लल्लू बघेल ने सबक नहीं लिया। उन्होंने संगई गांव से कांग्रेस को जिताने में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाई। 2018 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने दिनेश राय मुनमुन को टिकिट दिया था जिन्होंने संगई गांव से 454 वोट हासिल किया था जबकि कांग्रेस के मोहन चंदेल को सिर्फ 222 वोट ही मिले थे, इस तरह लल्लू बघेल के गांव से कांग्रेस लगभ 232 वोटो से हार गई थी। प्रश्र यह उठता है कि जो व्यक्ति अपने बूथ से कांग्रेस को नहीं जिता पाये उस नेता की दावेदारी करते हुए समर्थको के द्वारा यह कहा जाना कि सिर्फ दो ही लोग चुनाव जीत सकते है यह अंधभक्ति के अलावा कुछ नहीं। यदि कमलनाथ को सिवनी विधानसभा से चुनाव जीतना हो तो उन्हें बूथ स्तर के रिकार्डो की समीक्षा अवश्य करना चाहिए ताकि पता चल सके कि जिन लोगों ने दावेदारी किया है उनमें से कितने लोग है जो अपना बूथ जिता सकते हैं।