क्या पुराने कलेक्ट्रेट भवन को गिराने के लिए सांस्कृतिक मंत्रालय से ली गई थी अनुमति ?
पुर्नघनत्वीकरण योजना के तहत बेशकीमती जमीन बेचे जाने का मामला
सिवनी महाकौशल। सिवनी मुख्यालय में पुर्नघनत्वीकरण योजना के तहत 06 शासकीय भूखंडो पर नया निर्माण कार्य प्रारंभ किया जा चुका है जिसके लिए गत दिवस पुरातत्व बिल्डिंग माने जाने वाले कलेक्ट्रेट भवन को गिरा दिया गया। बताया जाता है कि कलेक्ट्रेट भवन के पास भवन को गिराकर नवीन कलेक्ट्रेट भवन एवं स्पोर्टस काम्पलेक्स भवन के निर्माण कार्य का ठेका मे. रायसिंग एंड कंपनी बालाघाट को 29.40 करोड़ की लागत से दिया गया है। उक्त भवन निर्माण के एवज में रायसिंग एंड कंपनी बालाघाट को पैसे ना देकर उन्हें बेशकीमती जमीन दी जा रही है। बताया जाता है कि सिवनी जिला मुख्यालय में स्थित 06 शासकीय भूखंडो जिसमें नया कलेक्ट्रेट भवन, 52 जीएडी आवास गृह, बस स्टैण्ड का विस्तारीकरण एवं बैनगंगा विस्तारीकरण निर्माण शामिल है जिसकी लागत लगभग 62.5 करोड़ रू. बताई जा रही है उक्त निर्माण कार्यो के एवज में निर्माण एजेंसियो को पांच जगह वाणिज्यिक जमीन दी जा रही है जो अरबो की संपत्ति बताई जा रही है जिसकी तरफ सिवनी जिले के किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं जा रहा या यूं कहे कि सिवनी के जनप्रतिनिधियों का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से उक्त निर्माण कार्यो से फायदा जुड़ा हुआ है।
सांस्कृतिक मंत्रालय की है महत्वपूर्ण भूमिका
महाकौशल एक्सप्रेस ने जब पुर्नघनत्वीकरण योजना के दस्तावेज खंगाला तो पता चला कि मध्यप्रदेश शासन नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्रालय के द्वारा 18.04.2022 को शासन के सभी विभागो, अध्यक्ष राजस्व मंडल समस्त विभाग अध्यक्ष, समस्त संभागीय आयुक्त, समस्त कलेक्टर एवं समस्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत मध्यप्रदेश को शहरी क्षेत्रो में स्थित शासकीय भवन/ परिसरो के लिए पुर्नघनत्वीकरण निति 2022 से संबंधित दिशा निर्देश जारी किये थे। जिसमें बिंदु क्र. 2 योजना का विस्तार के बिंदु क्र. 2.3 में उल्लेख किया गया था कि ऐतिहासिक पुरातात्विक महत्व के परिसरो का पुर्नघनत्वीकरण साधिकार समिति के पुर्नानुमति से ही किया जा सकेगा। कोई शासकीय भवन/परिसर ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व की है या नहीं, इस संबंध में मप्र शासन संस्कृति विभाग का निर्णय मान्य होगा। प्रश्र यह उठता है कि लगभग सवा सौ साल पहले जिस भवन को अंग्रेजो के शासनकाल में बनाया गया था उक्त भवन को बालाघाट की रायसिंग एंड कंपनी ने तोडऩे से पहले सांस्कृतिक विभाग से यह जानना चाहा था कि नहीं कि उक्त भवन ऐतिहासिक पुरातात्विक महत्व की है या नहीं।
जानकारों की माने तो इस तरह के पुरातात्विक भवनों को सहेजकर रखा जाता है। सिवनी जिले में कई ऐसे पुरातात्विक भवन है लेकिन सिवनी के जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता के चलते पुराने भवन को गिरा दिया गया और उससे निकले मटेरियल को फेंका जा रहा है।