लोकसभा चुनाव में अर्जुन सिंह ककोडिय़ा की करीबी पार्षद संध्या ठाकुर और निधि जायसवाल की भूमिका सवालों के घेरे में
चुनाव जीतने के बाद भारती पारधी का स्वागत करते आई नजर
अर्जुन ङ्क्षसह ककोडिय़ा ने दोनों पार्षदों का निष्कासन कराया था रद्द
लोकसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं और अब समीक्षाओं का दौर शुरू हो गया बालाघाट लोकसभा से एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज कराया है भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी श्रीमती भारती 174512 वोटो से चुनाव जीती है बालाघाट लोकसभा में भारतीय पार्टी को 712660 वोट मिले जबकि कांग्रेस के सम्राट सिंह सरसवार को 5038148 वोट मिले। वैसे जब सम्राट सिंह सरस्वार को टिकिट मिली थी तब दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने 8 अपै्रल 2024 को ‘अब निष्कासित नेताओं के भरोसे कैसे जीतेगी कांग्रेस’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित करते हुए उल्लेख किया था कि सम्राट सिंह सरस्वार को जिताने अर्जुन सिंह ककोडिय़ा कांग्रेस से गद्दारी करने वाले अनिल सिंह ठाकुर और ऋषभ जायसवाल जैसे नेताओं के भरोसे है जो सम्राट सिंह सरस्वार के लिए घातक साबित हो सकते है। समाचार प्रकाशित करते हुए सम्राट सिंह सरस्वार को पहले ही सतर्क कर दिया गया था की वह बालाघाट लोक सभा चुनाव पार्टी से भीतघात करने वाले नेताओ के भरोसे नहीं जीत पाएंगे क्योंकि कई ऐसे नेता है जिन्होंने भाजपा को जिताने अपनी पार्टी से खुलकर गद्दारी किया था ऐसे भीतरघाती नेताओ में ज्यादातर बरघाट के पूर्व विधायक अर्जुन सिंह काकोडिया के करीबी थे। सम्राट सिंह सरस्वार बरघाट विधानसभा में सबसे ज्यादा अर्जुन सिंह काकोडिया के ऊपर भरोसा किया था और सूत्र बताते है की अर्जुन सिंह का के उन करीबी नेताओ ने ही अपनी आदत के मुताबिक सम्राट सिंह सरस्वार को हराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था।
संध्या अनिल सिंह ठाकुर और श्रीमती निधि ऋषभ जायसवाल की भूमिका संदिग्ध------
सिवनी जिले के लोग इस बात को अच्छी तरह से जानते है की अर्जुन सिंह काकोडिया के करीबियों में बरघाट के अनिल सिंह ठाकुर और ऋषभ जायसवाल का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। जिनकी धर्मपत्नी श्रीमती संध्या अनिल ठाकुर और श्रीमती निधि ऋषभ जायसवाल ने नगर परिषद बरघाट के अध्यक्ष चुनाव में रंजित वासनिक की धर्मपत्नी श्रीमती संगीता रंजीत वासनिक को अध्यक्ष बनने से रोकने के लिए भाजपा को वोट किया था। इस मामले में जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना ने उसी दिन दोनों पार्षद श्रीमती संध्या अनिल सिंह ठाकुर एवं श्रीमती निधि ऋषभ जायसवाल के अलावा अनिल सिंह ठाकुर एवं ऋषभ जायसवाल को पार्टी से 6 सालों के लिए निष्कासित कर दिया था निष्कासन के बावजूद उक्त नेताओं का अर्जुन सिंह काकोडिया से संपर्क बना हुआ था । जब लोकसभा चुनाव करीब आए और सम्राट सिंह सरस्वार के कार्यक्रम में पार्टी से निष्कासित नेताओ की चहल कदमी बढ़ी तो तब 08 अपै्रल को दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने समाचार प्रकाशित किया था। जिसके बाद अर्जुन सिंह काकोडिया बैकफुट में आ गए तो उन्होंने आनन फानन में 09 अप्रैल को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखते हुए बरघाट विधानसभा के लगभग 15 नेताओ को बहाल करने पत्र लिखा था जिसमे अर्जुन सिंह काकोडिया के धुर विरोधी रहे रंजित वासनिक, विनोद वासनिक,मोहन चंदेल जैसे नेताओं का नाम भी शामिल था। इनके अलावा अनिल सिंह ठाकुर,ऋषभ जायसवाल, श्रीमती संध्या अनिल सिंह ठाकुर,श्रीमती निधि ऋषभ जयसवाल, गोलू मालवीय का नाम भी शामिल था। अर्जुन सिंह काकोडिया ने जिस दिन पत्र लिखा उसी दिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने 09 अप्रैल 2024 को ही सभी नेताओ को बहाल कर दिया। बताया जाता है की उक्त नेताओं की बहाली के बाद अधिकांश नेताओं ने कांग्रेस का काम नही किया जबकि अनिल सिंह ठाकुर और ऋष्भ जायसवाल अर्जुन सिंह ककोडिय़ा के साथ लगातार सक्रिय रहे लेकिन उनकी पार्षद पत्नियों ने कांग्रेस के प्रति वफादारी नही दिखाया।
भारती पारधी के जीतने के बाद खुलकर किया स्वागत------
सम्राट सिंह सरस्वार को अर्जुन सिंह काकोडिया की करीबी श्रीमती संध्या अनिल सिंह ठाकुर एवं श्रीमती निधि ऋषभ जायसवाल की भूमिका को देखना है तो उन्हें इस तस्वीर को देख लेना चाहिए जिसमे वह भारती पारधी की जीत के बाद निकले उनके जुलूस का स्वागत करते नजर आ रही है। असल में 04 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आए। 05 जून को भारती पारधी की विजय रैली बरघाट और सिवनी में निकाली गई जिसके उनका स्वागत करने श्रीमती संध्या अनिल सिंह ठाकुर और श्रीमती निधि ऋषभ जायसवाल ने बकायदा एक पंडाल में उनका खुलकर स्वागत किया जो यह बताने के लिए काफी है की नगर परिषद चुनाव में पार्टी से गद्दारी करने वाली दोनो पार्षदों ने अर्जुन सिंह काकोडिया के प्रयासों से बहाल होने के बाद भी पार्टी के लिए ईमानदारी से काम नही किया क्योंकि यदि वह ईमानदारी से काम करती होती तो परिणाम के दूसरे ही दिन वह भारती पारधी का खुलकर स्वागत नही करती। सम्राट सिंह सरस्वार को अर्जुन सिंह से यह तो पूछ ही लेना चाहिए की उनके करीबी भारती पारधी के विजय जुलूस में क्या कर रही थी क्या इसमें अर्जुन सिंह काकोडिया की मौन स्वीकृति थी क्योंकि इन्हें बहाल कराने में अर्जुन सिंह काकोडिया की ही सहमती थी।