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मासूम बच्च्े की मौत के जिम्मेदारी डॉ. जगदीश प्रसाद को क्यों नहीं हटा रहा विभाग

सिवनी महाकौशल। सिवनी जिले में कई ऐसे शासकीय चिकित्सक हैं जो हर महीने वेतन के रूप में मोटी-मोटी राशि लेते हैं और घर में भी प्रायवेट प्रेक्टिस करते हुए लाखो रू. कमाते है जिनमें से एक लखनादौन अस्पताल में पदस्थ बीएमओ डॉ. जगदीश प्रसाद हैं जिनकी लापरवाही के चलते लगभग 9 साल पहले एक साल के मासूम बच्चे की मौत हो गई थी। इस मामले में लखनादौन पुलिस ने तीन दिन पहले डॉ. जगदीश प्रसाद के विरूद्ध धारा 304 ए के तहत मामला पंजीबद्ध करते हुए जांच में ले लिया। हालांकि जानकार बताते हैं कि एफआईआर दर्ज होने के बाद डॉ. जगदीश प्रसाद की शायद ही गिरफ्तारी हो क्योंकि यह एक जमानती धारा है, यदि इसमे आरोपी दोषी पाये जाते हैं तो उन्हें 2 साल की कैद या अर्थदंड का प्रावधान है। चूंकि सूत्र बताते हैं कि इस पूरे मामले की विभागीय जांच भी की गई थी और विभागीय जांच में डॉ. जगदीश प्रसाद दोषी पाये गये थे जिसका जांच प्रतिवेदन  पुलिस को मिला था जिसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया ऐसे में डॉ. जगदीश प्रसाद को ना केवल बीएमओ के पद से हटाया जाना था बल्कि उन्हें निलंबित भी किया जाना चाहिए था लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं।
यह था मामला
उल्लेखनीय है कि 2014 को महेश झारिया के एक वर्षीय पुत्र खमलेश को हार्निया बीमारी के चलते डॉ. जगदीश प्रसाद के पास ले जाया गया था जिसने खमलेश झारिया का ऑपरेशन किया था लेकिन जब 3 महीने बाद भी वह ठीक नहीं हुआ तो परिजन पुन: उसे जगदीश प्रसाद के पास ले गये तब 18 अक्टूबर 2014 को जगदीश प्रसाद ने अपने निजी क्लीनिक में खमलेश झारिया का ऑपरेशन किया जबकि जिस जगह डॉ. जगदीश ने ऑपरेशन किया था वहां ना तो पर्याप्त ऑक्सीजन थी और ना ही जीवनरक्षक दवाईयां जिसके चलते खमलेश झारिया की मौत हो गई थी। इस मामले में तत्कालीन अनुविभागीय दंडाधिकारी लखनादौन ने जांच प्रारंभ करते हुए मृतक क पिता महेश झारिया, मृतक के नाना रम्मू झारिया एवं डॉ. संजय जैन के कथन लिये थे। वहीं इस मामले की विभागीय जांच भी की गईथी। बताया जाता है कि लखनादौन पुलिस को जब दस्तावेज मिले तो पुलिस ने जिला अभियोजन अधिकारी से अभिमत लिया और लापरवाह डॉक्टर जगदीश प्रसाद के विरूद्ध धारा 304 ए के तहत मामला पंजीबद्ध किया लेकिन अभी तक डॉक्टर के विरूद्ध विभाग ने बड़ी कार्यवाही नहीं किया।