बीटगार्ड निरंजन मर्सकोले के ऊपर निलंबन की कार्यवाही कर विभाग ने कर दिया रस्म अदायगी
सिवनी महाकौशल। सिवनी जिले के उत्तर वन मंडल के अंतर्गत आने वाले वन वृत्त में फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार हो रहा है जिसकी तरह उत्तर वनमंडल की डीएफओ वासु कनोजिया का ध्यान नहीं जा रहा या यूं कहे कि वासु कनोजिया की मौन स्वीकृति से ही क्षेत्र में लापरवाही बरती जा रही है। उत्तर वन मंडल के अंतर्गत आने वाले छपारा वृत्त के पूर्व छपारा में स्थित जंगल से लगभग 11 नग सागौन के पेड़ काटकर तस्करो ने ले जा लिये इस मामले को दैनिक महाकौशल ने प्रमुखता से उजागर किया जिसके बाद उच्च अधिकारियों ने बीटगार्ड निरंजन मर्सकोले के ऊपर निलंबन की कार्यवाही कर रस्म अदायगी कर लिया जबकि सूत्र बताते हैं कि इस मामले में डिप्टी रेंजर संजय जायसवाल की भूमिका की विशेष जांच होना चाहिए जो छपारा रेंज में ही रहना पसंद करते है। वनविभाग जंगल की अवैध कटाई के मामले में कितना निष्क्रिय है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि छपारा पूर्व के जंगल से लगभग 10 लाख कीमत की सागौन की कटाई करने के बाद तस्करी का मामला उजागर हुए लगभग एक सप्ताह से अधिक का समय बीत चुका है बावजूद इसके वनविभाग अमला तस्करों का पता नहीं लगा पाया और ना ही इस मामले का कोई प्रकरण पंजीबद्ध कर पाया। इस पूरे मामले को लेकर वनविभाग के अधिकारी क्यों मौनधारण किये हुए है यह तो वे ही जाने लेकिन जिस तरह से छपारा क्षेत्र में अवैध रूप से जंगलो की कटाई करते हुए सागौन का परिवहन किया जा रहा है उससे तो यही लग रहा है कि संजय जायसवाल के रहते क्षेत्र में सागौन के तस्कर सक्रिय है जिनके ऊपर कार्यवाही करने से वनविभाग बच रहा है।
गौरतलब है कि संजय जायसवाल जब चमारी बीट में पदस्थ थे तब अवैध रूप से लकडिय़ों की कटाई के मामले में तत्कालीन डीएफओ गौरव चौधरी ने उन्हें सितंबर 2017 को निलंबिन कर दिया था जिसके बाद संजय जायसवाल को लूपलाइन में भेज दिया गया था लेकिन बाद में उन्होंने राजनीतिक पहुंच पकड़ के चलते बहाली के बाद अपनी पदस्थापना छपारा रेंज में करवा लिया था। चर्चा है कि जहां जहां संजय जायसवाल पदस्थ रहते हैं वहां वहां सागौन तस्कर सक्रिय हो जाते हैं और बेखौफ होकर सागौन की कटाई कर तस्करी का कारोबार करते है जिसे रोक पाने में वनविभाग अमला नाकाम ही रहता है। आश्चर्य तो इस बात का है कि उत्तर वनमंडल में पदस्थ डीएफओ भी कभी यह पता लगाने का प्रयास नहीं करते कि आखिर संजय जायसवाल के रहते उनके क्षेत्र में तस्कर क्यों सक्रिय रहते हैं?
गौरतलब है कि संजय जायसवाल जब चमारी बीट में पदस्थ थे तब अवैध रूप से लकडिय़ों की कटाई के मामले में तत्कालीन डीएफओ गौरव चौधरी ने उन्हें सितंबर 2017 को निलंबिन कर दिया था जिसके बाद संजय जायसवाल को लूपलाइन में भेज दिया गया था लेकिन बाद में उन्होंने राजनीतिक पहुंच पकड़ के चलते बहाली के बाद अपनी पदस्थापना छपारा रेंज में करवा लिया था। चर्चा है कि जहां जहां संजय जायसवाल पदस्थ रहते हैं वहां वहां सागौन तस्कर सक्रिय हो जाते हैं और बेखौफ होकर सागौन की कटाई कर तस्करी का कारोबार करते है जिसे रोक पाने में वनविभाग अमला नाकाम ही रहता है। आश्चर्य तो इस बात का है कि उत्तर वनमंडल में पदस्थ डीएफओ भी कभी यह पता लगाने का प्रयास नहीं करते कि आखिर संजय जायसवाल के रहते उनके क्षेत्र में तस्कर क्यों सक्रिय रहते हैं?
RELATED NEWS
World Econmy Changing and Affecting in 3rd ...
Oct 6, 2016
13
World Econmy Changing and Affecting in 3rd ...
Oct 6, 2016
13
World Econmy Changing and Affecting in 3rd ...
Oct 6, 2016
13
World Econmy Changing and Affecting in 3rd ...
Oct 6, 2016
13
World Econmy Changing and Affecting in 3rd ...
Oct 6, 2016
13
World Econmy Changing and Affecting in 3rd ...
Oct 6, 2016
13