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आखिर कब से चल रहा था पोतलई के जंगल में जुआ

सिवनी महाकौशल। 7 अगस्त को कुरई पुलिस ने बादलपार पुलिस चौकी के अंतर्गत आने वाले पोतलइ के जंगल में जुआ फड़ में दबिश देते हुए लगभग 6340 रू. जप्त करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। कार्रवाई के तीन दिन बाद पोतलई के ही एक खेत में जुआ फड़ में दबिश से घबराकर गौरीशंकर सनोडिया भागा था जिसका शव खेत में मिला जिसके बाद परिजन हत्या किए जाने की आशंका जता रहे है। इस पूरे मामले में बादलपार पुलिस चौकी के प्रभारी प्रदीप शर्मा और उनके स्टाफ की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। सूत्र बताते है की पोतलइ के जंगल में पहले से ही जुआ फड़ चल रहा था जिसकी जानकारी बादलपार पुलिस को भी थी। कुरई पुलिस इस बात को अच्छी तरह से जानती थी की यदि वह जुआफड़ में रेड करने की जानकारी बादलपार पुलिस चौकी को देती है तो बात लीक हो जाएगी और जुआ खेलने वाले लोग सतर्क हो जाएंगे इसलिए कुरई पुलिस ने बादलपार पुलिस को जानकारी दिए बिना ही जुआफड़ में रेड मारते हुए 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था जिसकी रिपोर्ट भी बादलापार पुलिस चौकी के बजाए कुरई थाने में ही दर्ज कराई गई थी।                                        
क्या कुरई पुलिस ने उच्च अधिकारियों को दी थी जानकारी
पोतलइ के जंगल में जुआफड़ में पुलिस की दबिश के बाद घबराकर गौरीशंकर सनोडिया नामक व्यक्ति भागा था जिसकी 3 दिन बाद लाश मिली। इस मामले में बादलपार पुलिस चौकी के अलावा कुरई पुलिस की भूमिका को लेकर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। जानकारों की मानें तो यदि किसी थाना क्षेत्र की पुलिस अन्य थाना क्षेत्र में इस तरह की कार्रवाई करती है तो पहले उन्हें अपने उच्च अधिकारियों को अवगत कराना पड़ता है। प्रश्न यह उठता है कि क्या कुरई थाना प्रभारी मदन मरावी ने एसडीओपी, एडिशनल एसपी या फिर एसपी के संज्ञान में यह बात लाया था कि बादलपार पुलिस चौकी के अंतर्गत आने वाले पोतलइक् के जंगल में जुआ खेला जा रहा है और क्या उच्च अधिकारियों ने कुरई पुलिस को उक्त जुआ फड़ में दबिश देने की स्वीकृति प्रदान किया था और यदि ऐसा नहीं है तो फिर सवाल यह उठता है कि मदन मरावी को दूसरे थाना क्षेत्र में उच्च अधिकारियों की अनुमति के बिना रेड मारने की जरूरत क्यों आन पड़ी।