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संत मिलन से बड़ा संसार मे कोई सुख नही: स्वामी नारायणानंद तीर्थ

सिवनी महाकौशल। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी महाराज का सिवनी जिले के  कोठीघाट देवरीटीका स्थित नारायण आश्रम के  प्रांगण में चल रहे चातुर्मास व्रत में उपस्थित भक्तों को  श्री राम कथा के  प्रसंग में सम्बोधित किया।
महाराजश्री ने कहा कि संत मिलन से बड़ा संसार मे कोई सुख नही। दरिद्रता  के समान दु:ख और सन्त मिलन के सामान सुख संसार में कोई दूसरा नहीं है..! धन-सम्पदा और अन्न-जल का अभाव ही दरिद्रता नहीं है..बल्कि..मानसिक संकीर्णता और निकृष्ट-विचार-दृष्टिकोण भी मानसिक दरिद्रता की श्रेणी में आते है। ऐसी मानसिक दरिद्रता से ऊपर उठाकर जो मानव..व्यष्टि से समष्टि की राह पकड़ता है..उसके उत्थान का मार्ग स्वत: ही प्रशस्त होने लगता है।
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी महाराज ने कहा कि संत-मिलन बड़े भाग्य से होता है। बड़े भाग पाईये सतसंगा..बिनहि प्रयास होई भाव भंगा। बिनु सत्संग विवेक न होई..राम कृपा बिनु सुलभ न सोई। भगवद-कृपा और सौभाग्य के बिना सत्संग सुलभ नहीं होता है और बिना सत्संग के मनुष्य का विवेक (चेतन-शक्ति) जाग्रत नहीं होती। इसीलिए संत-मिलन के सामान दूसरा सुख संसार में नहीं है। सन्तो  का संग भगवान की अतीव कृपा से प्राप्त होता है।
कथा के पूर्व महाराज श्री काश्री काशी धर्मपीठ परम्परा अनुसार  पादुका पूजन  मुंबई से आये  जे.एन. उपाध्याय ,राजेन्द्र दूबे, भिंड से शास्त्री ,व्रज विहारी त्रिपाठी, ज्ञानेंद्र दीक्षित कुन्नू लाल कैलाश राय एवं समिति के पदाधिकारियों द्वारा पूजन  सम्पन्न हुआ।