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सरपंच रहते राजेश्वरी उइके ने परिवार से शासकीय जमीन पर कराया था कब्जा

सिवनी महाकौशल। दल बदलने में माहिर राजेश्वरी उईके लखनादौन विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की टिकिट मांग रही है। श्रीमती राजेश्वरी उईके के कुछ समर्थक यह दंभ भर रहे है की पार्टी ने उन्हें संकेत भी दे दिए है जबकि हकीकत यह है की पार्टी के स्थानीय नेता इस बात को अच्छी तरह से जानते है कि यदि भाजपा राजेश्वरी उईके को टिकिट देती है तो पार्टी को घेरने के लिए कांग्रेस के पास कई मुद्दे हो जाएंगे जिसका जवाब दे पाना पार्टी के बड़े नेताओं के साथ-साथ स्थानीय नेताओं के लिए भी मुश्किल होगा।
सरपंच रहते परिजनों से करवा लिया था शासकीय जमीन में कब्जा
एक तरफ तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार शासकीय जमीनों में कब्जा करने वाले भूमाफियाओ के विरूद्ध मोर्चा खोला हुए है तो वहीं दूसरी तरफ लखनादौन विधानसभा से पूर्व सरपंच राजेश्वरी उइके टिकिट मांग रही है जिनका नाम भी शासकीय जमीन के कब्जे के मामले से जुड़ चुका है। प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत धूमा में जब श्रीमती राजेश्वरी उईके सरपंच थी तब उनके पुत्र प्रशांत पिता ओमप्रकाश के द्वारा शासकीय शिक्षक आवास को तुड़वाकर शासकीय भूमि में कब्जा किया गया था जिसकी गूंज न्यायालय तक गूंजी थी। बताया जाता है की ग्राम धूमा में ख. न 464 रकबा 0.19 हेक्टेयर मद आबादी में रकबा 61325 व 19325 क्षेत्रफल में शिक्षक आवास गृह बना हुआ था जो जर्जर अवस्था में पहुंच गया था बताया जाता है कि ग्राम पंचायत धूमा की सरपंच राजेश्वरी उइके के पुत्र ने अपनी मां के सरपंच होने का फायदा उठाते हुए उक्त शासकीय भवन को तुड़वाकर उसका अस्तित्व समाप्त कर लिया था और इसका मटेरियल मौके पर रख लिया था जिसकी शिकायत नायब तहसीलदार न्यायालय में की गई थी। बताया जाता है की 09 फरवरी 2016 को न्यायालय नायब तहसीलदार ने राजेश्वरी उईके के पुत्र प्रशांत उईके के उपर 2 हजार का अर्थदंड लगाते हुए  आदेश दिया था कि एक सप्ताह के भीतर उक्त शासकीय संपत्ति से कब्जा हटाते हुए अर्थदंड की राशि जमा करें और ऐसा नहीं किए जाने की स्थिति में बलपूर्वक उक्त कब्जा को हटाया जाएगा या सिविल कारागार की कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी। बताया जाता है कि न्यायालय तहसीलदार के द्वारा आदेश जारी होने के बावजूद राजेश्वरी ऊईके के पुत्र ने उक्त आदेश को नहीं माना था। बताया तो यह भी जाता है कि उक्त आदेश के विरुद्ध राजेश्वरी उइके के परिवार ने अपर न्यायालय में भी अपील किया था लेकिन हर न्यायालय से उनकी अपील खारिज हो गई थी। इस बीच राजेश्वरी उइके ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया जिसके कारण उनके ऊपर होने वाली कार्यवाही शिथिल पड़ गई। स्थानीय नेता इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि यदि राजेश्वरी उइके के बारे में पार्टी में विचार करेगी तो कांग्रेस यही सवाल उठायेगी कि चाल चरित्र और चेहरे की बात करने वाली पार्टी के पास बेदाग चेहरे नहीं है जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी दागदार चेहरो को प्रत्याशी बना रही है, ऐसे में देखना यह है कि भारतीय जनता पार्टी राजेश्वरी उइके जैसी विवादित नेत्री को लेकर कितनी गंभीर होती है।