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वन माफियाओं को वासु कनौजिया का नही है डर हथियार लहराते हुए अधिकारियों के सामने फरार हुए थे सागौन तस्कर

उत्तर वन मंडल में पदस्थ डीएफओ वासु कनौजिया के रहते न केवल विभाग के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के हौसले बढ़े हुए हैं बल्कि वासु कनौजिया  के रहते उत्तर वन मंडल क्षेत्र में सागौन के तस्कर भी सक्रिय है जिन्हें पकड़ पाने में वासु कनौजिया और उनका पूरा विभाग पूरी तरह से निष्क्रीय है या यूं कहे की  है कि आप्रत्यक्ष रूप से सागौन के तस्करों को संरक्षण दिया जा रहा है। गतांक में दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने समाचार प्रकाशित करते हुए उल्लेख किया था की सितम्बर 2023 को उत्तर वन मंडल के अंतर्गत आने वाले छपारा वृत के पूर्व छपारा के जंगल से 11 नग सागौन काटकर तस्करी की गई थी जिसके ठूंठ मौके पर मौजूद थे। इस मामले में विभाग ने डिप्टी रेंजर संजय जायसवाल और बीट गार्ड निरंजन मर्सकोले की भूमिका सवालो के घेरे में  थी लेकिन विभाग ने सिर्फ निरंजन मर्सकोले को निलंबित करते हुए रस्म अदायगी कर लिया था। उक्त घटना के बाद डीएफओ वासु कनौजिया ने आरोपियों का पता लगाने का कोई प्रयास नहीं किया और ना ही संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों के विरुद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई किया जिसके चलते अधिकारियों के भी हौसले बढ़ गए और सागौन तस्करों के भी हौसले बढ़ गए जिसके  बाद 30-31 दिसंबर में एक और मामला सामने आया जिससे उत्तर वन मंडल पूरी तरह बेनकाब हो गया था।  

             यह था मामला------

 दिसंबर के महीने में नेशनल हाइवे 44 से लगे वन परिक्षेत्र छपारा की पश्चिम बीट के जंगल में कूप कटाई का सागौन कटा हुआ रखा हुआ था जिसे तस्कर ट्रक में लोड कर योजनाबद्ध  तरीके से ले जाने की तैयारी पर थे। वन विभाग के अधिकारियों को मुखबिर से सूचना मिली तब   वन विभाग की टीम ने दबिश दिया जिसे देखकर आरोपी हाथ में हथियार लेकर वहा से अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गये थे। ट्रक में लगभग  20 नग सागौन के ल_े लोड मिले जिसकी अनुमानित कीमत 1 लाख 81 हजार 735 रुपए बताई जा रही है। वन विभाग अमले ने अज्ञात तस्करों के विरूद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कर तलाशी प्रारंभ कर दिया। सूत्र बताते है कि इस मामले में वन विभाग ने गुपचुप तरीके से गिरफ्तार तो कर लिया गया लेकिन इस पूरे मामले की जानकारी मीडिया को उपलब्ध नही कराई गई। इसके पीछे क्या कारण है यह तो डीएफओ वासु कनौजिया और संबंधित अधिकारी जाने लेकिन जिस तरह वासु कनौजिया और उनके कार्यक्षेत्र में बेखौफ होकर जंगलों की कटाई हो रही है उससे तो यही लग रहा है कि वासु कनौजिया और उनके करीबी अधिकारियों का वन माफियाओं को डर है ही नही।