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विधायक राकेश पाल सिंह की उम्मीदों में खरा नहीं उतरे देवीसिंह बघेल

भाजपा के वरिष्ठ नेता देवीसिंह बघेल को खुद की ना सही लेकिन विधायक राकेश पाल सिंह की राजनीति की चिंता करना चाहिए था जिन्होंने सुनीता बघेल के नाम का विरोध होने के बावजूद उन्हें अध्यक्ष का प्रत्याशी बनाया था। नगर परिषद अध्यक्ष का चुनाव तीन लोगों के बीच में हुआ जिसमें राकेश पाल सिंह की रणनीति के चलते सुनीता बघेल एक वोटो से जीत गई। राकेश पाल सिंह ने इस उम्मीद से सुनीता बघेल के पति देवी सिंह बघेल को विधायक प्रतिनिधि बनाया था कि 1 साल में वह नगर परिषद केवलारी में इतना काम कर देंगे कि विधानसभा चुनाव में उन्हें आसानी होगी लेकिन राकेश पाल सिंह के विश्वास में देवी सिंह बघेल खरा नहीं उतरे।
देवी सिंह बघेल की पत्नी श्रीमती सुनीता बघेल को जैसे ही नगर परिषद का अध्यक्ष बनाया गया वैसे ही देवी सिंह बघेल ने नगर परिषद में मनमर्जी चलाना शुरु कर दिया। बताया जाता है की देवीसिंह बघेल की मनमर्जी के कारण ही पूर्व में ना तो कोई सीएमओ केवलारी में काम करने तैयार हुआ और ना ही कोई तकनीकी अधिकारी काम कर पाया। केवलारी नगर परिषद के कुछ कामों के लिए टेंडर अवश्य पास हुए लेकिन ठेकेदारों ने भी परेशान होकर काम करने में आस्मर्थता जाता दिया। स्थिति यह हो गई कि वर्तमान में केवलारी नगर परिषद में कई काम अधूरे पड़े है और आधे से ज्यादा काम शुरू भी नहीं हुए। सूत्र बताते है कि श्रीमती सुनीता बघेल के अध्यक्ष बनते ही केवलारी नगर परिषद में परिवारवाद चलने लगा। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि जिन ठेकेदारों ने अलग-अलग कामों का ठेका लिया था उन ठेकेदारों के ऊपर यह दबाव डाला जाता था कि वह देवी सिंह ठाकुर के रिश्तेदारों से काम कराए। बताया जाता है कि देवीसिंह ठाकुर और उनकी धर्मपत्नी के द्वारा नगर परिषद केवलारी में मनमर्जी चलाई जा रही थी जिससे परेशान होकर कुछ ठेकेदारों ने काम करने से ही मना कर दिया। लगभग एक साल से परिषद के पार्षद अध्यक्ष और उनके पति की मनमर्जी झेल रहे थे लेकिन जब स्थिति बेकाबू होने लगी तब पार्षदों ने मोर्चा खोल लिया।
 छवि धूमिल करने के बाद इस्तीफा देने का औचित्य क्या
विधायक प्रतिनिधि देवीसिंह बघेल के ऊपर भ्रष्टाचार और नगर परिषद में मनमर्जी चलाने का आरोप लगाते हुए पार्षदों ने एसडीएम के नाम से ज्ञापन सौंपा जिसके बाद देवीसिंह बघेल ने इस्तीफे की पेशकश किया लेकिन अब उनके इस्तीफे से कुछ फर्क नही पडऩे वाला। एक साल में उन्होंने विधायक राकेश पाल की छवि में बट्टा लगा दिया। अब विधायक के सामने केवलारी नगर में अपनी छवि सुधारना बड़ी चुनौती होगी।