याशिका ट्रांसपोर्ट न े 18 लाख 34 हजार का अन्य ट्रांसपोर्टरो को नहीं किया भुगतान
सिवनी महाकौशल। बालाघाट में छतरपुर जिले के याशिका रोड लाइंस को मप्र स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमि. ने चांवल ढुलाई का ठेका दिया हुआ था। बताया जाता है कि उक्त ट्रांसपोर्टर ने बालाघाट के लगभग 09 ट्रांसपोर्टरो को चांवल ढुलाई के काम में लगाया था लेकिन बाद में छतरपुर की याशिका रोड लाइंस के संचालक ने सभी ट्रांसपोर्टरो का लगभग 18 लाख 34 हजार 740 रू. का भुगतान नहीं किया जिसके बाद पीडि़त बालाघाट कोतवाली पहुंचे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बालाघाट पुलिस ने उक्त ट्रंासपोर्टर के विरूद्ध विभिन्न धाराओ के तहत मामला पंजीबद्ध कर लिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार याशिका रोडवेज ने मप्र स्टेट सिविल सप्लाई कार्पो. जिला कार्यालय बालाघाट से चांवल ढुलाई का ठेका लिया था। बताया जाता है कि उक्त ट्रांसपोर्ट के प्रो. नीरज कुमार चौरसिया निवासी छतरपुर के द्वारा बालाघाट के न्यू दिल्ली हरियाणा ट्रंासपोर्ट, सम्राट ट्रांसपोर्ट, हीरा रोडलाइंस, न्यू भाटिया ट्रांसपोर्ट, विजय रोड लाईस, न्यू सैयद रोडवेज, एमपी महाराष्ट ट्रांसपोर्ट,एसआर ट्रांसपोर्ट के साथ अनुबंध किया था। बताया जाता है कि शुरूआती समय में याशिका टं्रासपोर्ट के द्वारा चांवल ढुलाई का सही भुगतान किया गया लेकिन बाद में वह भुगतान करने में लेटलतीफी करने लगे जिसके बाद ट्रांसपोर्टरो ने काम बंद कर दिया था। बताया जाता है कि जब ट्रांसपोर्टरो ने काम बंद किया था तब याशिका ट्रांसपोर्ट के प्रोपाइटर नीरज चौरसिया ने 20 अगस्त को 26 लाख रू. का चैक दिया था। बताया जाता है कि बाद में ट्रांसपोर्टरो ने पुन: काम प्रारंभ कर दिया था। बताया जाता है कि याशिका ट्रांसपोर्ट ने काम कराने के बाद सभी ट्रांसपोर्टरो का लगभग 18 लाख 34 हजार 740 रू. रोक लिया।
चैक भी हुआ बाउंस
प्राप्त जानकारी के अनुसार याशिका ट्रांसपोर्ट के संचालक ने अन्य ट्रांसपोर्टरो को चैक दिया था लेकिन बाद में उक्त चैक बाउंस हो गया था चूंकि याशिका ट्रांसपोर्ट को नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा काम दिया गया था तो अन्य ट्रांसपोर्टरो को यह उम्मीद थी कि उक्त काम शासकीय है इसलिए ट्रांसपोर्टर उन्हें धोखा नहीं देगा लेकिन याशिका ट्रांसपोर्टर के संचालक ने लगभग 9 ट्रांसपोर्टरो को धोखा देते हुए 18 लाख से अधिक का भुगतान रोक लिया जिससे आहत होकर सभी ट्रांसपोर्टरो ने बालाघाट कोतवाली पुलिस को आवेदन दिया था जिसके बाद पुलिस ने उक्त आवेदन में जांच करते हुए याशिका ट्रांसपोर्टर के संचालक के विरूद्ध विभिन्न धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध कर जांच में ले लिया।