पीसीसीएफ जेएस चौहान बोले-तेजी से बढ़ते वन अपराध को रोकने करने होंगे कारगर प्रयास
पहले वन अपराधों को सामान्य समझा जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों में वन अपराधों के संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। वन्यजीवों की तस्करी विश्व के कौने-कौने तक हो रही है।बढ़ते वन अपराध की संख्या के कारण यह दुनिया में चौथे नंबर पर आ गया है।इसे रोकने के लिए समन्वय के साथ ठोस और कारगर प्रयास करने होंगे। इस आशय की बात मप्र के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) जेएस चौहान ने शुक्रवार शाम पेंच टाइगर रिजर्व के टुरिया स्थित एक रिसोर्ट में वन अपराधों को नियंत्रित करने आयोजित कार्यशाला के समापन सत्र के दौरान कही। कार्यशाला में सिवनी, छिंदवाड़ा, बालाघाट तीन जिलों के 60 से ज्यादा पुलिस व वन अधिकारियों से हिस्सा लिया। पुलिस उपनिरीक्षक, वन परिक्षेत्र अधिकारी और उससे उच्च पदों पर कार्यरत अधिकारियों ने दो दिवसीय प्रशिक्षण में हिस्सा लिया।
पीसीसीएफ (वन्यप्राणी) चौहान ने कहा कि कई बार वन अपराधों में बड़े-बड़े गिरोह व नामचीन लोगों के नाम सामने आते हैं। ऐसे में पुलिस प्रशासन व वन विभाग को समन्वय बनाकर वन अपराधों को रोकने प्रभावी कार्रवाई करनी होगी।इसके लिए वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम में आवश्यक संशोधन किए गए है।जरूरत है कि मैदानी अमला इसकी बारीकियों को विवेचना के दौरान अमल में लाकर प्रभावी कार्रवाई करें, ताकि अपराधी को बचने का कोई मौका नहीं मिल सके।एक्ट में संशोधन से आई प्रक्रिया के बदलाव को आप सभी समझकर सीखें और इसके अनुसार प्रभावी कार्रवाई की जाए।प्रशिक्षण का यही मुख्य उद्देश्य है।
एक्ट में किए गए महत्वपूर्ण संशोधन की तमाम बारीकियां समझाईंवन अपराधों की पैरवी करने वाले जबलपुर उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता के अलावा वाइल्ड लाइफ क्राइम ब्यूरो सहित वन अपराधों को रोकने में कारगर कई संस्थाओं के विशेषज्ञों द्वारा वन अधिकारियों को वन अपराधों को नियंत्रित करने एक्ट में किए गए महत्वपूर्ण संशोधन की तमाम बारीकियां समझाईं। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट में संशोधन की बारीकियां समझाने पेंच टाइगर रिजर्व के टुरिया में कार्यशाला गुरूवार को प्रारंभ की गई।पहले दिन वन अपराध को लेकर सभी ने अपनी-अपनी जानकारी साझा की।बताया कि किस तरह से वन अपराध रोका जा सकता है।वाइल्ड लाइफ क्राइम ब्यूरो के डा. प्रागतीश सिंह, हैदराबाद से आए विशेषज्ञ रितेश सरोठिया ने एक्ट में हुए संशोधन के बारे में बताया।साथ ही इसकी उपयोगिता को समझाया।इस दौरन डीएनए के सेंपल कैसे लिया जाए, यह भी विवेचकों काे बताया गया।