बालाघाट

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बी एस पी से चुनाव लडेंग़े कंकर मुंजारे,27 मार्च को भरेंगे नामांकन कांग्रेस प्रत्याशी सम्राट सिंह सरस्वार के लिए मुश्किल पैदा कर सकते है कंकर मुंजारे

1984 से लेकर वर्तमान तक लगातार लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लडऩे वाले कंकर मुंजारे 2024 का लोकसभा चुनाव बहुजन समाजवादी पार्टी से लड़ेंगे। बता दें कि कंकर मुंजारे कांग्रेस से चुनाव लडऩा चाहते थे बताया जाता है कि कांग्रेस के नेताओं ने भी उन्हें आश्वस्त किया हुआ था लेकिन अंतिम समय में कांग्रेस ने जिला पंचायत के अध्यक्ष सम्राट सिंह सरस्वार को प्रत्याशी बना दिया जिसके बाद कंकर मुंजारे ने बहुजन समाजवादी पार्टी का दामन थामा। बताया जाता है की 27 मार्च को कंकर मुंजारे के निवास स्थान से नामांकन रैली निकाली जाएगी। वैसे राजनैतिक जानकारों की मानें तो कंकर मुंजारे का लोकसभा चुनाव लडऩा कांग्रेस के लिए घातक साबित हो सकता है।
बी एस पी का अलग है वोट बैंक
कंकर मुंजारे या उनकी धर्मपत्नी जिस भी पार्टी से चुनाव लड़ी उनका अपना अलग वोट बैंक है। परिसीमन के बाद हुए लोक सभा चुनाव में 2009 में कंकर मुंजारे को 48 हजार 800 वोट मिले थे। 2014 के लोक सभा चुनाव में अनुभा मुंजारे को 99 हजार 392 वोट मिले थे। 2019 के चुनाव में कंकर मुंजारे को 85 हजार 177 वोट मिले थे। यानी की बालाघाट लोक सभा चुनाव में मुंजारे दंपत्ति का वोट बैंक 50 हजार से एक लाख तक है। इसी तरह बहुजन समाजवादी पार्टी का अपना अलग वोट बैंक है। 2009 के लोक सभा चुनाव में बी एस पी प्रत्याशी अजब लाल चौथे नंबर पर थे जिन्हें 35203 वोट मिले थे। 2014 के लोक सभा चुनाव में बी एस पी उम्मीदवार योगेश समरीते को 46345 वोट मिले थे जबकि कंकर मुंजारे ने 2014 का लोक सभा चुनाव में बी एस पी से लड़ा था जिन्हे 85177 वोट मिले थे। इस बार भाजपा ने जातिगत समीकरण के आधार पर डॉक्टर भारती पारधी को अपना उम्मीदवार बनाया है जबकि कांग्रेस ने सामान्य वर्ग के जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट सिंह सरस्वार को अपना प्रत्याशी बनाया है। वही एक बार फिर कंकर मुंजारे बहुजन समाजवादी पार्टी से चुनाव लडऩे का एलान कर चुके है जो 27 मार्च को नामांकन दाखिल करेंगे। 

कंकर मुंजारे और उनके साथियों को एम पी/एम एल ए कोर्ट ने सुनाई सजा

एम पी एम एल ए कोर्ट ने पूर्व सांसद /पूर्व विधायक कंकर मुंजारे सहित उनके कुछ साथियों को दो साल की सजा सुनाया। सूत्र बताते है की मामला जून 2020 का था।                        यह था मामला----बताया जाता है की 

25 जून 2020 को अजय लिल्हारे ने थाना लांजी, जिला-बालाघाट में शिकायत दर्ज  कराते  हुए बताया था कि शाम साढ़े पांच बजे वह खनिज विभाग की अनुमति से मशीन द्वारा ट्रेक्टरों के आने-जाने हेतु मार्ग का निर्माण करवा रहा था। उसी समय सफेद फारच्यूनर में पूर्व विधायक/सांसद कंकर मुंजारे और 04 अन्य लोग आए। पूर्व सांसद कंकर मुंजारे के साथ चार और लोग भी थे जिन्होंने  मुंह पर कपड़ा बांधा हुआ था। अजय उर्फ छोटू ने डंडे से अजय लिल्हारे पर हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। पीड़ित ने रिपोर्ट लिखाते हुए बताया था की आरोपियों ने गालियां देते हुए मशीन को बंद करवाया और फिर ठेकेदार राजेश पाठक से प्रत्येक माह बीस लाख रूपए की मांग करते हुए वहां से फरार हों गए। बताया जाता है की जब पीड़ित की पिटाई की जा रही थी तब वहां मौजूद  कुछ लोगों ने उसे बचाने का प्रयास किया तो उन्हें भी धमकी दी गई। लांजी थाना पुलिस ने पीड़ित की रिपोर्ट पर विभिन्न धाराओं के तहत  मामला दर्ज कर जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश किया था।प्रयास किया तो उन्हें भी धमकी दी गई। लांजी थाना पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश कि जिस पर सुनवाई करते हुए  पूर्व सांसद / विधायक कंकर मुंजारे को  दो साल की सजा से दंडित किया गया है। कोर्ट ने कंकर मुंजारे सहित चार अन्य लोगों को भी 02 वर्ष का कारावास और 500-500 रुपए के जुर्माने से दण्डित किया गया। बताया जाता है की  विशेष न्यायाधीश विश्वेश्वरी मिश्रा (एम.पी./एम.एल.ए.) कोर्ट जबलपुर ने सुनाई है। घटना बालाघाट के खैरलांजी में हुई थी। सुनाई गई। केस की विवेचना रामबाबू चौधरी द्वारा की गई। उप-संचालक (अभियोजन) विजय कुमार उईके के मार्गदर्शन में जिला लोक अभियोजन अधिकारी अजय कुमार जैन, अरूणप्रभा भारद्वाज, विशेष लोक अभियोजक एवं हेमलता दहल, विशेष लोक अभियोजक द्वारा मामले में पैरवी की गई।इन लोगो को सुनाई गई सजा---- बताया जाता है की  इस मामले पर एमपी/एमएलए कोर्ट ने पूर्व सांसद/विधायक कंकर मुंजारे, अजय उर्फ छोटू, इंदु लिल्हारे, सावनलाल पिछोडे, नंदकिशोर उर्फ नंदू ढेकवार को धारा 327 सहपठित 149 भादस में 02 वर्ष का सश्रम कारावास व 500-500 रूपए के अर्थदण्ड से दंडित किया है। गौरतलब है की कंकर मुंजारे वर्तमान में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी में है। उनकी धर्मपत्नी ने हाल ही में बालाघाट विधानसभा का चुनाव जीता है।

पूर्व सांसद बोधसिंह भगत थाम सकते है कांग्रेस का दामन

सिवनी महाकौशल। बालाघाट लोकसभा के साथ सांसद रहे एवं भाजपा में कई वर्षो तक अपनी सेवाएं दे चुके बोधसिंह भगत कांग्रेस का दामन थाम सकते है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भोपाल में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ एवं प्रदेश के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला की उपस्थिति में बोधसिंह भगत कांग्रेस में शामिल हो सकते है। बोधसिंह भगत के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा के बीच राजनीतिक गलियारो में यह भी सुगबुगाहट है कि यदि बोधसिंह भगत कांग्रेस में शामिल होते है तो उन्हें पार्टी कटंगी या वारासिवनी विधानसभा में पार्टी का प्रत्याशी बना सकती है। गौरतलब है कि बोधसिंह भगत जब सांसद थे और गौरीशंकर बिसेन प्रदेश के मंत्री थे तब दोनो के बीच की दूरी किसी से छुपी नहीं थी। 2019 के चुनाव में बोधसिंह भगत का विरोध करते हुए गौरीशंकर बिसेन ने बोधसिंह भगत की टिकिट कटवाकर ढालसिंह बिसेन को दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था तब बोधसिंह ने सांसद का चुनाव निर्दलीय लड़ा था। हमारे सूत्रो की माने तो विधानसभा चुनाव को देखते हुए बोधसिंह कांग्रेस का दामन थामेंगे और कांग्रेस की टिकिट से किसी एक विधानसभा का चुनाव भी लड़ सकते है।

स्थानीय चुनाव में भाजपा को हराने का काम करने वाले प्रदीप जायसवाल भाजपा में शामिल होने का ढूंढ रहे मौका

सिवनी महाकौशल। बालाघाट क्षेत्र के विधायक गौरीशंकर बिसेन को शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया है। गौरीशंकर बिसेन लगातार प्रदीप जायसवाल गुड्डा का विरोध करते रहे हैं इस बीच वारासिवनी क्षेत्र की राजनीति में चर्चा चल रही है कि 5 सितंबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बालाघाट पहुंच सकते हैं जिनके सामने प्रदीप जायसवाल भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं जिसके  बाद सबकी नजर गौरीशंकर बिसेन सहित भारतीय जनता पार्टी के अन्य नेताओं के ऊपर टिक गई है जो लगातार प्रदीप जायसवाल का विरोध कर रहे हैं। गौरीशंकर बिसेन तो सार्वजनिक मंच से यह कह चुके है कि उनके रहते वह प्रदीप जायसवाल की एंट्री नहीं होने देंगे। वहीं दूसरी तरफ प्रदीप जायसवाल यह कहते फिर रहे हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनके काम से प्रभावित है और वह चाहते हैं कि वारासिवनी विधानसभा से प्रदीप जायसवाल भाजपा की टिकट से चुनाव लड़े जबकि वारासिवनी क्षेत्र के वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ-साथ कई कार्यकर्ताओं का कहना है कि वह अंतिम समय तक प्रदीप जायसवाल का विरोध करेंगे उनका कहना है कि प्रदीप जायसवाल भाजपा में शामिल होते हैं वहां तक ठीक है लेकिन क्षेत्र से उन्हें टिकट नहीं मिलेगी और ना ही उन्हें टिकट लेने दिया जाएगा।
स्थानीय चुनाव में भाजपा को हराने का कोई मौका नहीं छोड़ते प्रदीप जयसवाल
स्थानीय भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब ज्योतिरादित्य सिंधिया विधायकों के साथ कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हुए थे तब प्रदीप जायसवाल ने भाजपा क्यों ज्वाइन नहीं किया तब उन्होंने भाजपा का समर्थन करते हुए अपने आपको यह बताने का प्रयास किया कि वह क्षेत्र के विकास के लिए भाजपा के साथ है लेकिन जब भी स्थानीय निकाय चुनाव होते हैं तो प्रदीप जायसवाल भारतीय जनता पार्टी के विरोध में मोर्चा खोल लेते हैं और भाजपा के प्रत्याशियों को हराने का पूरा काम करते हैं। नगरीय निकाय चुनाव से लेकर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रदीप जायसवाल ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ा था ऐसी स्थिति में प्रदीप जायसवाल भाजपा के प्रति ईमानदार हो ही नहीं सकते। क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारी का कहना है कि प्रदीप जायसवाल स्वार्थ के लिए राजनीति करते हैं। गौरतलब है कि प्रदीप जायसवाल और उनके पूरे परिवार को कांग्रेस ने बहुत कुछ दिया प्रदीप जायसवाल के पिता के समय से उनके परिवार को कांग्रेस टिकट देते रही यहां तक की प्रदीप जायसवाल को जिला कांग्रेस का अध्यक्ष तक बनवा दिया, निर्दलीय विधायक होने के बावजूद कांग्रेस की सरकार में प्रदीप जायसवाल को खनिज मंत्रालय दिया गया लेकिन जैसे ही कांग्रेस की सरकार गिरी वैसे ही प्रदीप जायसवाल के सुर बदल गए और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देते हुए खनिज निगम अध्यक्ष का पद हथिया लिया बावजूद इसके उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं का विरोध बंद नहीं किया और स्थानीय चुनाव में उन्होंने भाजपा को हराने के लिए हर संभव प्रयास किया ऐसे में यदि प्रदीप जायसवाल को भारतीय जनता पार्टी सदस्यता देती है और टिकट देने में विचार करती है तो उन कार्यकर्ताओं के साथ धोखा होगा जो बिना किसी स्वार्थ के पार्टी के साथ जुडक़र काम कर रहे हैं देखना यह है कि प्रदेश नेतृत्व और केंद्रीय नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी के निष्ठावान और ईमानदार कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करती है या फिर प्रदीप जायसवाल जैसे अवसरवादी नेता को मौका देती है।

याशिका ट्रांसपोर्ट न े 18 लाख 34 हजार का अन्य ट्रांसपोर्टरो को नहीं किया भुगतान

सिवनी महाकौशल। बालाघाट में छतरपुर जिले के याशिका रोड लाइंस को मप्र स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमि. ने चांवल ढुलाई का ठेका दिया हुआ था। बताया जाता है कि उक्त ट्रांसपोर्टर ने बालाघाट के लगभग 09 ट्रांसपोर्टरो को चांवल ढुलाई के काम में लगाया था लेकिन बाद में छतरपुर की याशिका रोड लाइंस के संचालक ने सभी ट्रांसपोर्टरो का लगभग 18 लाख 34 हजार 740 रू. का भुगतान नहीं किया जिसके बाद पीडि़त बालाघाट कोतवाली पहुंचे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बालाघाट पुलिस ने उक्त ट्रंासपोर्टर के विरूद्ध विभिन्न धाराओ के तहत मामला पंजीबद्ध कर लिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार याशिका रोडवेज ने मप्र स्टेट सिविल सप्लाई कार्पो. जिला कार्यालय बालाघाट से चांवल ढुलाई का ठेका लिया था। बताया जाता है कि उक्त ट्रांसपोर्ट के प्रो. नीरज कुमार चौरसिया निवासी छतरपुर के द्वारा बालाघाट के न्यू दिल्ली हरियाणा ट्रंासपोर्ट, सम्राट ट्रांसपोर्ट, हीरा रोडलाइंस, न्यू भाटिया ट्रांसपोर्ट, विजय रोड लाईस, न्यू सैयद रोडवेज, एमपी महाराष्ट ट्रांसपोर्ट,एसआर ट्रांसपोर्ट के साथ अनुबंध किया था। बताया जाता है कि शुरूआती समय में याशिका टं्रासपोर्ट के द्वारा चांवल ढुलाई का सही भुगतान किया गया लेकिन बाद में वह भुगतान करने में लेटलतीफी करने लगे जिसके बाद ट्रांसपोर्टरो ने काम बंद कर दिया था। बताया जाता है कि जब ट्रांसपोर्टरो ने काम बंद किया था तब याशिका ट्रांसपोर्ट के प्रोपाइटर नीरज चौरसिया ने 20 अगस्त को 26 लाख रू. का चैक दिया था। बताया जाता है कि बाद में ट्रांसपोर्टरो ने पुन: काम प्रारंभ कर दिया था। बताया जाता है कि याशिका ट्रांसपोर्ट ने काम कराने के बाद सभी ट्रांसपोर्टरो का लगभग 18 लाख 34 हजार 740 रू. रोक लिया।
चैक भी हुआ बाउंस
प्राप्त जानकारी के अनुसार याशिका ट्रांसपोर्ट के संचालक ने अन्य ट्रांसपोर्टरो को चैक दिया था लेकिन बाद में उक्त चैक बाउंस हो गया था चूंकि याशिका ट्रांसपोर्ट को नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा काम दिया गया था तो अन्य ट्रांसपोर्टरो को यह उम्मीद थी कि उक्त काम शासकीय है इसलिए ट्रांसपोर्टर उन्हें धोखा नहीं देगा लेकिन याशिका ट्रांसपोर्टर के संचालक ने लगभग 9 ट्रांसपोर्टरो को धोखा देते हुए 18 लाख से अधिक का भुगतान रोक लिया जिससे आहत होकर सभी ट्रांसपोर्टरो ने बालाघाट कोतवाली पुलिस को आवेदन दिया था जिसके बाद पुलिस ने उक्त आवेदन में जांच करते हुए याशिका ट्रांसपोर्टर के संचालक के विरूद्ध विभिन्न धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध कर जांच में ले लिया।

किसी सर्वे में सामने नहीं आ रहा प्रदीप गुड्डा का नाम

सिवनी महाकौशल। गत दिवस भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के 39 विधानसभा सीट से प्रत्याशी की घोषणा कर दिया जिसमें बालाघाट जिले की लांजी विधानसभा सीट से पार्टी ने आम आदमी पार्टी छोडक़र भाजपा में शामिल हुए राजकुमार कर्राहे को टिकिट दिया है जिसके बाद प्रदीप जायसवाल इस जुगाड़ में लग गये है कि किसी भी तरह उन्हें भारतीय जनता पार्टी में एंट्री मिल जाये और पार्टी उनके ऊपर दांव लगा सके। हालांकि अंदरखानो से आ रही खबरों की माने तो कांग्रेस पार्टी से गद्दारी करते हुए निर्दलीय चुनाव जीतने वाले प्रदीप जायसवाल का नाम किसी भी सर्वे में ना तो कांग्रेस की तरफ से सामने आ रहा है और ना ही भारतीय जनता पार्टी की तरफ से उनका नाम लिया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी से जिन लोगो के नाम लिये जा रहे हैं उनमें डॉ. योगेंद्र निर्मल, छगन हनवत, निरंजन बिसेन सहित राजेश पाठक का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। जबकि कांग्रेस से पूर्व नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष विवेक पटेल, गोकुलप्रसाद गौतम, रामकुमार नगपुरे सहित कुछ अन्य लोगों के नाम सामने आ रहे है। चूंकि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने पहले ही यह संकेत दे दिया है कि उनकी पार्टी में प्रदीप जायसवाल की एंट्री नहीं हो सकती जिसके बाद प्रदीप जायसवाल भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने के प्रयास में लगे हुए है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं ने भी यह संकेत दे दिया कि उनकी पार्टी में प्रदीप जायसवाल उर्फ गुड्डा जैसे नेताओं के लिए जगह नहीं है। वर्तमान में भाजपा ने 39 ऐसी विधानसभा  सीटो से टिकिट दिया है जहां भाजपा को लगता है कि मेहनत करें तो वहां पार्टी जीत सकती है। बताया जाता है कि वारासिवनी में पार्टी किसी चर्चित चेहरे को टिकिट देने की तैयारी कर रही है। सूत्र बताते हैं कि वारासिवनी में टिकिट वितरण को लेकर गौरीशंकर बिसेन की पसंद और नापसंद का भी ख्याल रखा जाएगा चूंकि वर्तमान में गौरीशंकर बिसेन ने प्रदीप जायसवाल के विरोध में मोर्चा खोला हुआ है और उन्हें हर तरह से जगह दिखाई जा रही है ऐसे में प्रदीप जायसवाल का कांग्रेस के साथ साथ भारतीय जनता पार्टी में भी रास्ता बंद होते नजर आ रहा है। यदि ऐसा होता है तो फिर प्रदीप जायसवाल के सामने राजनैतिक भविष्य को लेकर एक बड़ा प्रश्र लग सकता है। 

मौसम बिसेन के लिए भी खुला टिकिट का रास्ता

भारतीय जनता पार्टी में कहा जा रहा था कि भाजपा वंशवाद को बढ़ावा नहीं देगी और नेताओं के परिवार के लोगों को टिकट नहीं दिया जाएगा हालांकि लंबे समय से बालाघाट के विधायक एवं वरिष्ठ भाजपा नेता गौरीशंकर बिसेन अपनी पुत्री मौसम बिसेन के लिए टिकट की मांग कर रहे थे। पिछली बार लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने अपनी बेटी का नाम आगे बढ़ाया था तब यह कहते हुए उन्हें तवज्जो नहीं दी गई थी कि किसी भी नेता के परिवार के लोगों को टिकट नहीं दी जाएगी लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में मौसम बिसेन को टिकट दिए जाने का रास्ता खुलता  नजर आ रहा है । बताया जाता है की पहली सूची में भारतीय जनता पार्टी ने सबलगढ़ के पूर्व विधायक स्वर्गीय मेहरबान सिंह रावत की बहू सरला रावत को उम्मीदवार बनाया है वही जबलपुर जिले की बरगी विधानसभा सीट से पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह के बेटे नीरज सिंह ठाकुर को टिकट दिया गया है इसके अलावा छतरपुर जिले के महाराजपुर में पूर्व विधायक मानवेंद्र सिंह भंवर राजा के बेटे कामाख्या प्रताप सिंह को मैदान में  टिकिट दी गई है। गौरतलब है की गौरीशंकर बिसेन यह घोषणा कर चुके है की वह बालाघाट विधानसभा से चुनाव नही लड़ेंगे। सूत्र बताते है की गौरीशंकर बिसेन अपनी पुत्री मौसम बिसेन को चुनाव लडाना चाहते है। पहली सूची में तीन नेताओ के बच्चो को टिकिट मिलने से मौसम की दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है।

फोन पे के माध्यम से वसूली को लेकर भी चर्चित रहे है अनिमेष गढ़पाल

सिवनी महाकौशल। बालाघाट परिवहन विभाग में पदस्थ परिवहन अधिकारी अनिमेष गढ़पाल और प्राइवेट कर्मचारी संजय यादव के बीच क्या रिश्ता है यह दोनों से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। अनिमेष गढ़पाल  का कहना है कि विभाग के बाबू ने संजय यादव को अपने सहयोग के लिए रखा है लेकिन वह यह नहीं बता पा रहे कि बाबू संजय यादव को अपनी जेब का पैसा देते हैं या फिर दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्यालय से उसे भुगतान किया जाता है। बताया जाता है की संजय यादव अपना अधिकांश समय बालाघाट के परिवहन कार्यालय में बिताता है।
परिवहन अधिकारी अनिमेष गढ़पाल का कहना है कि संजय यादव को बाबू ने काम पर रखा है लेकिन वह यह नहीं बता पा रहा है कि परिवहन विभाग के किस बाबू ने संजय यादव को किस काम के लिए रखा है और जो काम संजय यादव करता है उसके एवज में परिवहन विभाग के द्वारा संजय यादव को किस मद से भुगतान किया जाता है। सूत्र बताते है की संजय यादव को परिवहन विभाग के किसी भी मद से भुगतान नहीं किया जाता बल्कि परिवहन अधिकारी का सेटअप संजय यादव बनाता है और संजय यादव के माध्यम से ही कई बड़े बड़े काम होते है। जिस दिन मीडिया ने संजय यादव को कार्यालय में काम करते रंगे हाथ पकड़ा था उस दिन संजय यादव की जेब में एक सूची थी जो उन लोगो की बताई जा रही है जिनसे संजय यादव के माध्यम से सेट अप जमाया जाता था।
पूर्व में भी वसूली को लेकर चर्चाओं में रहा परिवहन विभाग
अनिमेष गढ़पाल के रहते पहली बार परिवहन विभाग चर्चाओं में आया ऐसा नहीं है, पूर्व में भी आरटीओ विभाग वसूली को लेकर जमकर चर्चाओं में रहा। सूत्र बताते हैं कि बालाघाट का परिवहन विभाग सिवनी से जाने वाले डंपरो को रोककर उनसे हर महीने वसूली करता था जिसके लिए बकायदा एक प्राइवेट आदमी लगाया गया था। दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने 17 जुलाई 2021 को ‘बालाघाट आरटीओ के नाम से जमकर हो रही वसूली’ और 21 जुलाई 2021 को ‘आखिर बालाघाट के परिवहन अधिकारी अनिमेष गढ़पाल के नाम से कौन करवा रहा फोन पे’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। उस समय अनिमेष गढ़पाल का ध्यान भी इस और आकर्षित कराया गया था तो उन्होंने अपना बचाव करते हुए कहा था कि इस तरह मेरे द्वारा किसी प्रकार की कोई वसूली नहीं कराई जा रही लेकिन उन्होंने इस पूरे मामले की जांच भी नहीं कराया। सूत्र बताते हैं कि अनिमेष गढ़पाल हमेशा से अपने एक करीबी को साथ में रखते हैं जिनके माध्यम से वसूली का खेल चलता है यह बात उनके विभाग के कर्मचारियों के साथ-साथ आरटीओ के एजेंट भी जानते हैं। यदि अनिमेष गढ़पाल का संजय यादव के साथ कोई गठजोड़ नहीं है तो फिर वह संजय यादव की भूमिका की जांच क्यों नहीं कराते? वह थाने में आवेदन देते हुए यह जांच कराने की मांग क्यों नहीं करते कि आखिर संजय यादव आरटीओ कार्यालय में क्यों आता है और शासकीय फाइल को इधर से उधर करते हुए कम्प्यूटर में काम कैसे करता है? सवाल यह उठता है कि यदि अनिमेष गढ़पाल का संजय यादव के साथ कोई लेना देना नहीं है तो उन्हें जांच कराना चाहिए और यदि वह जांच कराने से कतरा रहे हैं तो फिर यह तय है कि अनिमेष गढ़पाल की स्वीकृति से ही संजय यादव आरटीओ कार्यालय में नियम विरुद्ध काम कर रहे हैं।

आरटीओ अनिमेश सही या संजय यादव?

सिवनी महाकौशल। बालाघाट के परिवहन विभाग में पदस्थ परिवहन अधिकारी अनिमेश गढ़पाल की भूमिका को लेकर इन दिनों जमकर चर्चाएं चल रही है। बताया जाता है कि आरटीओ में संजय यादव नामक एक प्राइवेट व्यक्ति बेखौफ होकर इधर से उधर घूमता है और सरकारी फाइलों को चेक करता है यहां तक कि कम्प्यूटर में भी वह काम करता है। गत दिवस मीडिया की टीम ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया जिसके बाद पूछताछ में उसने बताया कि वह जगला मंड़ई बैहर तहसील का रहने वाला है जो कभी कभार आरटीओ कार्यालय आ जाता है जब उससे पूछा गया कि क्या तुम यहां कर्मचारी हो तो उसने कहा कि मैं कोई कर्मचारी नहीं हूं इसके ठीक विपरीत परिवहन अधिकारी अनिमेश गढ़पाल से जब मीडिया के लोगों ने पूछा तो उन्होंने कहा कि कार्यालय के बाबू ने उसे अपने सहयोग के लिए रखा है। सवाल यह उठता है कि परिवहन अधिकारी अनिमेश गढ़पाल सही है या फिर संजय यादव क्योंकि संजय यादव का कहना है कि वह जब काम होता है तो आता है जबकि अनिमेश गढ़पाल का कहना है कि कार्यालय के बाबू ने उसे अपने सहयोग के लिए रखा है। वैसे सूत्र बताते हैं कि यदि संजय यादव और परिवहन अधिकारी अनिमेश गढ़पाल के फोन नंबरों की जांच कर ली जाए तो पता चल जाएगा कि दोनों के बीच कितनी बार बातें होती है और क्या-क्या बातें होती है। सूत्रों की मानें तो जब से अनिमेश गढ़पाल बालाघाट में पदस्थ हुए हैं तब से ही वसूली को लेकर उनके ऊपर कई तरह के आरोप लगते रहे हैं लेकिन किसी भी अधिकारी ने उनके ऊपर लगने वाले आरोपों की जांच नहीं किया जिसके चलते अनिमेश गढ़पाल के हौसले बढ़ते गए और वह प्राइवेट व्यक्तियों के माध्यम से अपना काम कराते रहे।
आखिर संजय यादव के जेब में कौन सी सूची रखी थी
बालाघाट के परिवहन विभाग में प्राइवेट व्यक्ति संजय यादव सरकारी फाइल को इधर से उधर कर रहा था और कम्प्यूटर में भी काम कर रहा था तब मीडिया के लोगों ने उसे पकड़ लिया। मीडिया के लोग बार-बार यह कह रहे थे कि तुम्हारी जेब में जो सूची रखी हुई है उसे बाहर करो, देखना है कि उस सूची में किन-किन लोगों के नाम है बार-बार पूछे जाने के बाद भी संजय यादव ने अपने जेब का कागज बाहर नहीं निकाला। प्रश्न यह उठता है कि आखिर संजय यादव की जेब में कौन सी सूची रखी थी उसमें किन लोगों के नाम थे और संजय यादव उक्त सूची लेकर कहां घूम रहा था अब जबकि इस पूरे मामले ने तूल पकड़ लिया है ऐसे में देखना यह है कि बालाघाट के जिला कलेक्टर परिवहन विभाग में चल रही मनमर्जी को लेकर जांच कराते हैं या नहीं?

बालाघाट आरटीओ में काम करने वाले संजय यादव को किसका है संरक्षण

सिवनी/ बालाघाट। बालाघाट का परिवहन विभाग हमेशा से सुर्खियों में रहा है लेकिन जब से बालाघाट परिवहन अधिकारी के पद पर अनिमेश गढपाले की पदस्थापना हुई है तब से ही बालाघाट का परिवहन विभाग और अधिक चर्चाओं में आ गया है। बताया जाता है की अनिमेश गढ़पाले के रहते कार्यालय में संजय यादव नामक युवक की तूती बोलती है।
सूत्र बताते है की यदि परिवहन विभाग में किसी का कोई महत्वपूर्ण काम है और वह काम नहीं हो रहा तो फिर संजय यादव से संपर्क किया जा सकता है जो चुटकियों में मुश्किल से मुश्किल काम करा देते हैं। जो लोग आरटीओ कार्यालय में काम कराने जाते हैं वह अक्सर संजय यादव को कार्यालय में कभी फाइल इधर से उधर करते देखते हैं तो कभी कम्प्यूटर में काम करते हुए। कुछ लोग तो संजय यादव को परिवहन विभाग का अधिकारी तक मानने लगे थे लेकिन पोल उस समय खुल गई जब मीडिया ने संजय यादव की सच्चाई को उजागर कर दिया।
बताया जाता है कि संजय यादव नामक युवक गत दिवस आरटीओ विभाग में महत्वपूर्ण फाईल इधर से उधर कर रहा था तब मीडिया की टीम मौके पर पहुंची तो मीडिया को देखकर संजय यादव इधर-उधर भागने लगा तब मीडिया के लोगों ने उसे पकड़ा और पूछा कि तुम यहां क्या कर रहे हो और किस पोस्ट में हो तो उसने कहा कि मैं यहां किसी पोस्ट में नहीं हूं मैं किसी काम से आया था जबकि सूत्र बताते हैं कि जब से अनिमेश गढ़पाले बालाघाट परिवहन विभाग में पदस्थ हुए हैं तब से संजय यादव का बालाघाट परिवहन कार्यालय में लगभग हर दिन आना जाना रहता है और वह अपना अधिकांश समय कार्यालय में ही गुजारता है। चर्चा तो यह भी है कि संजय यादव के पास कई ऐसे लोगों की सूची रखी हुई है जिनसे उगाही की जाती है। इस बात की जानकारी परिवहन अधिकारी अनिमेश गढ़पाले को भी है। विभाग में चर्चा है कि संजय यादव को परिवहन अधिकारी अनिमेश गढ़पाले का ही आर्शीवाद मिला है जिसके चलते परिवहन विभाग में संजय यादव बेखौफ होकर काम कर रहा है जिसके एवज में परिवहन विभाग उसे कोई वेतन नहीं देता लेकिन वह वेतन से अधिक कमा लेता है।

वाइल्ड चैलेट रिसोर्ट के संचालक अब्दुल कादर, जाहिद कादर और सेहर कादर ने रिसोर्ट बेचने के नाम से 51 लाख की किया धोखाधड़ी

बालाघाट/मंडला। मंडला जिले के बिछिया तहसील के अंतर्गत ग्राम मोचा में स्थित वाइल्ड चैलेट रिसोर्ट को बेचने के नाम से मुंबई के तीन लोगों ने बालाघाट निवासी डॉ रागिनी पारधी के साथ लगभग 51 लाख रू. की धोखाधड़ी किया जिसकी रिपोर्ट बालाघाट कोतवाली पुलिस ने दर्ज किया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डॉक्टर रागिनी पति छगेंद्र पारधी निवासी सर्किट हाउस गोंदिया रोड़ बालाघाट ने पुलिस को बताया था कि उन्हें लगभग 3 साल पहले पता चला था कि बिछिया में एक रिसोर्ट है जिसका नाम वाइल्ड चैलेट रिसोर्ट है जो बिक रहा है तब उन्होंने बेचने वालों की जानकारी जुटाना प्रारंभ किया तो पता चला कि नीलकंठ हरिनखेडे को यह जानकारी है तब उन्होंने नीलकंठ से इस संबंध में चर्चा किया तो उन्होंने बताया कि उक्त रिसोर्ट अब्दुल कादर, जाहिद कादर तथा सेहर कादर निवासी 12 सनफ्लावर अपार्टमेंट कार्टर रोड ओटर्स क्लब के सामने बांद्रा मुंबई महाराष्ट्र का है। बताया जाता है कि रागिनी पारधि ने अपने पति के साथ उक्त रिसोर्ट देखा जो उन्हें पसंद आ गया तब उन्होंने अब्दुल कादर से मोबाइल में बात किया तो उन्होंने बताया की उक्त रिसोर्ट इंडियन एडवेंचर ( कान्हा) के स्वामित्व का है जिसमे उनके अलावा उनके भाई जाहिद कादर और सेहर कादर पाटनर है।
सात करोड़ में सौदा हुआ था तय
बताया जाता है कि वह रिसोर्ट का सौदा लगभग 7 करोड रुपये में तय हुआ था जिसके बयाने के तौर पर डॉ. श्रीमती रागिनी श्रीवास्तव ने 11 लाख रुपया आरटीजीएस के माध्यम से भेजे थे बाकी रकम लिखा पढ़ी के दौरान दिए जाने की बात हुई थी बताया जाता है कि 24 अक्टूबर 2020 को अब्दुल कादर, जाहिद कादर और सेहर कादर बालाघाट रागिनी पारध्ी के घर आए थे और तीनों ने बताया था कि जिस रिसोर्ट का सौदा चल रहा है उसका कोई भी मामला किसी भी न्यायालय में विचाराधीन नहीं है उन्होंने रिसोर्ट के दस्तावेज भी दिखाया था तब एक एग्रीमेंट तैयार हुआ और 40 लाख रुपए पुन: आरटीजीएस के माध्यम से इंडियन एडवेंचर कान्हा के अकाउंट नंबर पर ट्रांसफर किए गए थे तब तीनो ने कहा था कि 6 महीने के भीतर रजिस्ट्री कर देंगे तब शेष राशि दे दी जाएगी। बताया जाता है कि 6 महीने बीत जाने के बाद जब डॉक्टर रागिनी ने तीनों से रजिस्ट्री करने को कहा तो उन्होंने कहा कि अभी दस्तावेज तैयार नहीं हुए हैं हमें 3 महीने का समय और दे दिया जाए तब डॉक्टर रागिनी ने उन्हें 3 महीने का समय और दे दिया लेकिन बाद में तीनों रजिस्ट्री कराने के लिए हीला हवाला करते रहे जिससे परेशान होकर डॉक्टर रागिनी ने बालाघाट कोतवाली में आवेदन दिया जिसकी जांच करने के बाद बालाघाट पुलिस ने तीनों भाइयों के विरुद्ध धारा 420 ,120 बी एवं 34 के तहत मामला पंजीबद्ध करते हुए जांच में ले लिया।

15 दिनों में ठेकेदार ने नहीं बनाई वैकल्पिक व्यवस्था तो होगा जनआंदोलन

बालाघाट महाकौशल। कहते हैं ना कि ‘सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का’ यह कहावट टेकाड़ी सर्राटी जलाशय लाइनिंग कार्य के ठेकेदार पर चरितार्थ हो
रही है, और क्षेत्र में लापरवाही बरती जा रही हैं। क्षेत्रीय किसानों में यह बात आम हो गई है कि ठेकेदार द्वारा मनमानी करते हुए गुणवत्ताहिन लाइनिंग का कार्य किया जा रहा हैं। हम बात कर रहे हैं बीते लंबे समय से क्षेत्रीय किसानों के द्वारा नहर लाइनिंग कार्य की मांग को लेकर अनेकों आंदोलन व धरना प्रदर्शन भी किया गया कई साल बीत जाने के बाद बमुश्किल किसानों की मेहनत रंग लाई और नहर लाइनिंग कार्य के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा करोड़ों रुपए स्वीकृत किये गये ताकि अंतिम छोर के किसानों के खेत तक सुलभता से पानी पहुंच सकें। लेकिन किसानों की मेहनत से स्वीकृत हुए करोड़ो रुपयें भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते नजर आ रहे है और वर्तमान परिदृश्य में ठेकेदार द्वारा किए जा रहे कार्य को देखकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें आसानी से देखी जा सकती हैं। क्षेत्रीय चिंतित व भयभीत सैकड़ों किसानों द्वारा 5 जुलाई को ग्राम बल्हारपुर में एकत्रित होकर जिला पंचायत सदस्य डूलेन्द्र ठाकरे, जिला कांग्रेस कमेटी महासचिव बालकृष्ण बिसेन बाला भैया, ग्राम पंचायत कामथी सरपंच साहेबलाल देशमुख, बल्हारपुर सरपंच सेवन काटेकर, स्थाई पटेल ओमप्रकाश शर्मा के साथ खमरिया व बकोड़ा माइनर का निरिक्षण किया गया।
निरीक्षण के दौरान सैकड़ों कृषकों व उपस्थित
जनप्रतिनिधियों ने पाया की लाइनिंग कार्य के ठेकेदार द्वारा जंगल से निकलने वाले अंग्रेजो के जमाने के नालों के पुलों कैनालों को तोड़ दिया गया हैं जिससे नहर का पानी आगे न जाकर अनावश्यक नाले में बह रहा हैं जिससे खरीफ की मुख्य फसल धान में सिचाई हेतु पर्याप्त पानी नहीं मिल पायेगा जिससे हजारों एकड़ खेती प्रभावित होने का अंदेशा बना हुआ है।
 डूलेन्द्र ठाकरे प्रेस से चर्चा में जिला पंचायत सदस्य डूलेन्द्र ठाकरे ने कहा की हमारे द्वारा आज किसानो के साथ लाइनिंग कार्य का निरीक्षण किया गया जिसमें बकोड़ा माईनर की 5 फाले बनना शेष हैं वह फाले नहीं बनी तो किसानों के खेत में पानी नहीं पहुंच पाएगा वहीं खमरिया माईनर की दो डीसी नाले की तोडक़र हटा दिया यह डीसी का निर्माण नहीं हुआ तो किसानों को खेती में पानी नहीं जा पाएगा। हमारा यही निवेदन है शासन से की अभी वैकल्पिक व्यवस्था संबंधित ठेकेदार के माध्यम से बनाई जायें और आने वाला समय में जिसका सामना हमारे कृषक भाइयों को करना है अभी 15 दिन का समय हैं, ठेकेदार से टेंपरेरी व्यवस्था कराई जाए नहीं तो हमारा समस्त किसान  जनआंदोलन करने बाध्य होगा। किसानों के लिए सरदर्द बनी नहर लाइनिंग कार्य आज लगभग 30 गावों के किसान एकत्रित होकर नहर लाइनिंग कार्य का निरीक्षण किया गया। किसानों के लिए बड़ा ही सर दर्द का विषय है जो ठेकेदार काम करा रहा है वह ठेकेदार का सबसे पहले लाइसेंस निरस्त कर देना चाहिए बड़ा ही घटिया निर्माण कार्य करा रहा हैं जिस स्थान में हम खड़े हैं उस स्थान से नहर का पानी नाले में जायेगा किसानों के खेत तक पानी नहीं पहुंच पायेगा। जबकि हमारे क्षेत्र का किसान सिर्फ और सिर्फ खेती पर निर्भर है किसानों के खेत तक पानी नहीं पहुंच पाएगा तो धान कैसे उगायेगा। इस संबंध में लापरवाह ठेकेदार के खिलाफ जिलाधीश महोदय के पास किसानों के साथ जाकर मांग की जाएगी कि तत्काल किसानहित में ठेकेदार द्वारा तोड़े गये डीसी पर पाईप लगाकर वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जाए ताकि आगामी खरीफ फसल में सिचाई हेतु किसानों को पर्याप्त पानी मिल सकें।

कमलनाथ कर रहे गुलाबी गैंग का उपयोग- निशी पशीने

बालाघाट महाकौशल। आयोग अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन के बच्चियों के साथ वायरल हुए आपत्तिजनक वीडियो के मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहां विगत दिनों छिंदवाड़ा से पहुंची गुलाबी गैंग कमांडर पूर्णिमा वर्मा ने इस मामले में बालाघाट पुलिस को आयोग अध्यक्ष के खिलाफ पॉस्को और छेड़छाड़ की धाराओं के तहत अपराध दर्ज करने की मांग करते हुए प्रेस से चर्चा में कोर्ट में रिट दायर करने की बात कही थी। वहीं इसी मामले को लेकर पूर्व कमांडर निशी पशीने ने कमांडर पूर्णिमा वर्मा पर हमला बोला है, उन्होंने कहा कि गुलाबी गैंग के व्हाट्सअप ग्रुप पर सबसे पहले नाबालिग लड़कियों की बिना पहचान छिपाये पूर्णिमा वर्मा ने वीडियो वायरल किया और अब वह इस मामले को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के ईशारे पर मीडिया के सामने आ रही है, जबकि जिले का ना केवल भाजपा बल्कि अन्य राजनीतिक दल के लोग भी मानते है कि आयोग अध्यक्ष का चरित्र ऐसा नहीं है और वह स्नेहवश बच्चों को फोटो खिंचवाने अपने साथ खड़ा करवा रहे है, लेकिन विधानसभा चुनाव से पूर्व हार के डर से नैतिकता को त्यागकर, आत्मीय लगाव के इस वीडियो को कांग्रेस विकृत मानसिकता के रूप में पेश कर रही है। उन्होंने कहा कि नगरपालिका चुनाव में आयोग अध्यक्ष की अगुवाही में कमलनाथ के क्षेत्र में हार से बौखलाये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, आयोग अध्यक्ष को बदनाम करने गुलाबी गैंग का उपयोग कर रहे है और उनके
हथियार के रूप में पूर्णिमा वर्मा सुनियोजित तरीके से इस मामले को उठाने में लगी है। गुलाबी गैंग पूर्व कमांडर निशी पशीने ने, कमांडर पूर्णिमा वर्मा के घर में पथराव को गलत ठहराते हुए कहा कि जंगल में मोर नाचा किसने देखा, स्वयं ही घर में पथराव करवाकर पूर्णिमा वर्मा आखिर क्या साबित करना चाहती है कि आयोग अध्यक्ष ने उनके घर पर पथराव करवाया है। पूर्व कमांडर निशी पशीने ने कमांडर पूर्णिमा वर्मा को चुनौती दी है कि वह मेरे साथ कोर्ट चले। यही नहीं बल्कि उन्होंने कहा कि नाबालिग लड़कियों की बिना पहचान छिपाये उनके बारे में घृणित दुष्प्रचार करने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जायेगी ।

बियर की बोतल फोड़कर गले पर किया प्रहार, अधिक खून बहने से युवक की मौत

थाना के वार्ड 8 में बालाघाट नर्सिंग होम के पीछे पैसे के लेनदेन को लेकर दो लोगों ने युवक की हत्‍या कर दी। 25 वर्षीय युवक पर बियर की बोतल फोड़कर जानलेवा हमला कर दिया। इसकी सूचना मिलने ही पुलिस पहुंची। शव बरामद कर मामले को विवेचना में लिया है।

ससुराल में कुछ दिनों से रह रहा था युवक

सागौन वन निवासी युवक अनुराग मिश्रा जो कि ट्रक चालक था। पिछले कुछ दिनों से बालाघाट नर्सिंग होम के पीछे अपने ससुराल में रहा था। शुक्रवार को 9:30 दो युवक आए और उससे पैसों को लेकर विवाद करने लगे विवाद बढ़ते ही बियर की बोतल फोड़कर अनुराग के गले पर मार दिया। अत्यधिक रक्त का बहाव होने से उसकी मौत हो गई। सूचना मिलने पर कोतवाली पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को बरामद किया है। मामले की तफ्तीश शुरू कर दी गई है।


कैबिनेट में बालाघाट में मेडिकल कालेज खोलने की स्वीकृति

के साथ जिले के विद्यार्थियों के लिए बुधवार को कैबिनेट से बड़ी और खुशखबरी आई है। जिले में लंबे समय से चल आ रही मेडिकल कालेज खोलने की मांग आखिरकार पूरी हो गई है। बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बालाघाट सहित छह जिलों में मेडिकल कालेज बनाने की मांग को हरी झंडी दे दी गई है। छह दिन पहले यानी 22 जून को बालाघाट में गौरव यात्रा के शुभारंभ मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंच से बालाघाट में सितंबर में मेडिकल कालेज का भूमि पूजन करने की घोषणा की थी, जो कैबिनेट का फैसला आने के बाद सच साबित हो रहा है।

मेडिकल महाविद्यालय में 100-100 सीट एमबीबीएस की रहेंगी


बालाघाट, खरगोन, धार, भिंड, टीकमगढ़ और सीधी में खुलने वाले मेडिकल महाविद्यालय में 100-100 सीट एमबीबीएस की रहेंगी। भाजपा की सरकार आने से पहले प्रदेश में कुल पांच मेडिकल कालेज हुआ करते थे। बता दें कि बालाघाट में मेडिकल कालेज खोलने काे लेकर अभी तक मुख्यमंत्री से लेकर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियाें द्वारा मंच से महज दावे और वादे किए जा रहे थे, लेकिन बुधवार को कैबिनेट ने इस पर फैसला लेते हुए बालाघाट को बड़ी सौगात मिली है।

विधायक गौरीशंकर बिसेन ने मेडिकल कालेज बनाने की बात कही थी


बता दें कि मार्च में विधायक गौरीशंकर बिसेन ने एक बैठक में शहर के भटेरा अथवा गोंगलई स्थित कृषि उपज मंडी के सामने रिक्त भूमि पर मेडिकल कालेज बनाने की बात कही थी। हालांकि, बालाघाट में मेडिकल कालेज कहां बनाया जाएगा, यह तय नहीं हो पाया है। विधायक बिसेन द्वारा कालेज के लिए भटेरा, गोंगलई और वारासिवनी रोड पर डोंगरिया में कालेज खोलने की बात कही थी।


जंगल में क्षत-विक्षत हालत में शव, नौ दिन से गायब था युवक

परसवाड़ा थाना अंतर्गत ग्राम खलौडी के जंगल की घटना।

पुलिस थाना परसवाड़ा अंतर्गत ग्राम खलौड़ी के जंगल में बुधवार को एक व्यक्ति का शव क्षतविक्षत हालत में मिलने से सनसनी फैल गई। पुलिस सूचना मिलते ही मौकास्थल पर पहुंची। शव पुराना होने से मृतक की पहचान करने में परेशानी हो रही थी।


इसके लिए बालाघाट से फारेंसिक टीम को बुलवाया गया। मृतक की पहचान ग्राम भादा परसवाड़ा निवासी बुधराम पिता मेहतर वाडिवा 58 वर्ष के रूप में कपड़ों के आधार पर उसके परिजनों द्वारा की गई। फारेंसिक टीम द्वारा बुधराम की मौत डी-हाइड्रेशन से होना बताया, क्योंकि जब वो गायब हुआ था उस समय भीषण गर्मी थी। इस दौरान शरीर में पानी की कमी के चलते उसकी मौत हो गई।

जानकारी के अनुसार बुधराम पिता मेहतर वाडिवा खेती किसानी का काम करता था और उसका मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने के चलते इधरउधर घूमते रहता था। 20 जून को ग्राम भादा से अपने भांजे के ग्राम गया था। वहां पर जाने के बाद बार-बार खेत तरफ जा रहा था और शोर मचाते हुए कह रहा था कि कोई मुझे मार डालेगा।

एक बार किसी तरह से उसे पकड़कर घर लाए थे, लेकिन दोपहर के समय फिर भाग गया। जिसके बाद से परिजनों ने तलाश किए पर कही पता नहीं चल पा रहा था। बुधवार को वन विभाग का बीटगार्ड जंगल में गश्त करने गया था। तभी उसने क्षतविक्षत हालत में शव देखा।जिसकी सूचना पुलिस के अलावा ग्रामीणों को दी।


इनका कहना


जंगल में क्षत विक्षत हालत में शव मिला। यह शव नौ दिन पुराना है। मृतक की पहचान कपड़ों के आधार पर ग्राम भादा निवासी के रूप में हुई है। शव का पंचनामा कार्रवाई करते हुए पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप मर्ग कायम किया गया है। मृतक का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था। बालाघाट से बुलवाई गई फारेंसिक टीम द्वारा डी-हाइड्रेशन से मौत की जानकारी दी है।