जब भ्रष्टाचार नहीं हुआ तो फाइल दिखाने से क्यों बचती है नगर पालिका परिषद-, निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो उच्च न्यायालय में पार्टी बन सकती है जांच टीमसिवनी नगर पालिका परिषद में कांग्रेस की नगर सरकार को भरोसा है कि जब तक अध्यक्ष शफीक खान के ऊपर भाजपा विधायक दिनेश राय मुनमुन का संरक्षण है तब तक उनकी नगर सरकार को कुछ नहीं हो सकता। वैसे कांग्रेस की नगर सरकार का आत्मविश्वास देखते हुए ऐसा लगता है कि सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन ने उन्हें पूरी तरह आश्वस्त भी कर रखा है यही कारण है कि सिवनी नगर पालिका परिषद में जांच के लिए दो बार जांच टीम आई और दोनों ही बार सिवनी नगर पालिका परिषद ने उन्हें महत्वपूर्ण फाइल दिखाने से मना कर दिया। पहले डी आदित्य कुमार के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम का गठन किया गया था। जब टीम जांच करने सिवनी पहुंची थी तब सी एम ओ रामकुमार कुर्वेती सहित उप यंत्री संतोष तिवारी और अन्य कर्मचारियों ने जांच टीम को फाइल उपलब्ध नहीं कराई थी। तब उच्च अधिकारियों से शिकायत की गई थी। शिकायत के बाद भोपाल के अधिकारियों ने कई महत्वपूर्ण फाइल बुलवाया था तब सिवनी नगर पालिका के कर्मचारियों ने दो कार से भरकर फाइल भोपाल लेकर गए थे। हालांकि अपने वादे के मुताबिक भाजपा विधायक दिनेश राय मुनमुन डी आदित्य कुमार को जांच टीम से हटाने में सफल हो गए थे। बाद में 19 जुलाई को आर के कार्तिकेय उप सचिव नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने डी आदित्य कुमार के सेवा निवृत होने के बाद उनकी जगह अधिक्षण यंत्री राजीव गोस्वामी को जांच टीम का अध्यक्ष बनाते हुए 15 दिवस के। भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा। बताया जाता है कि गत दिवस भोपाल से राजीव गोस्वामी के नेतृत्व में एक जांच टीम सिवनी पहुंची थी। सूत्र बताते है कि सिवनी नगर पालिका परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी यह पता चल गया कि कांग्रेस की नगर सरकार के ऊपर भाजपा विधायक दिनेश राय मुनमुन का संरक्षण है जिसके चलते नगर पालिका के अधिकारियों और कर्मचारियों ने उन्हें कई महत्वपूर्ण फाइल उपलब्ध नहीं कराया। हालांकि इसे कांग्रेस की नगर सरकार का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि शिकायत कर्ताओं ने जांच टीम को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध करा दिए ।
गलत जांच रिपोर्ट सौंपेंगे तो उच्च न्यायालय में जांच टीम भी बन सकती है पार्टीकांग्रेस की नगर सरकार के द्वारा की गई वित्तीय अनियमितताएं और भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद 20 जून 2024 को डी आदित्य कुमार के नेतृत्व में जांच की गई थी। सूत्र बताते है कि उक्त टीम ने सिवनी नगर पालिका परिषद ने भारी भ्रष्टाचार माना है साथ ही नगर पालिका अध्यक्ष सहित कुछ अधिकारी और कर्मचारी भी दोषी पाए गए है। सूत्र बताते है कि डी आदित्य कुमार की जांच रिपोर्ट में अन्य सदस्यों ने भी हस्ताक्षर किए थे जो विभाग के आला अधिकारियों के पास मौजूद है। दूसरी जांच टीम का गठन 19 जुलाई 2024 को अधिक्षण यंत्री राजीव गोस्वामी के नेतृत्व में जांच टीम का गठन किया गया जो सिवनी पहुंची थी। सिवनी नगर पालिका के अधिकारियों और कर्मचारियों ने कई दस्तावेज छुपाए लेकिन शिकायत कर्ताओं ने उक्त दस्तावेज उपलब्ध करा दिए। ऐसे में राजीव गोस्वामी समझ गए होंगे कि यदि उन्होंने डी आदित्य कुमार की अध्यक्षता में बनाई गई जांच टीम के द्वारा तैयार की गई जांच रिपोर्ट के विपरीत रिपोर्ट बनाते हैं तो शिकायतकर्ता उच्च न्यायालय भी जा सकते है। वैसे हम बता दे कि डी आदित्य कुमार की जांच टीम में सुरेश डेहरिया, बी डी भूमरकर, एवं गजेन्द्र यादव सदस्य थे। जिनमे से अधिकांश लोगों ने डी आदित्य कुमार द्वारा तैयार की गई जांच रिपोर्ट में हस्ताक्षर किए थे। राजीव गोस्वामी के नेतृत्व में बनाई गई जांच टीम में भी यही अधिकारी है यदि इन्होंने डी आदित्य कुमार के द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के विपरीत रिपोर्ट में हस्ताक्षर किए तो भी यह सभी अधिकारी उच्च न्यायालय में पार्टी बन सकते है ऐसे में जांच टीम के अधिकारी शायद की किसी के दबाव में आए। और यदि वह दबाव में आते है तो कांग्रेस शासित सिवनी नगर पालिका परिषद की आंच उनके ऊपर भी आ सकती है।
19 जुलाई को कांग्रेस शासित नगर पालिका परिषद ने साधारण सम्मिलन की बैठक आयोजित किया था जिसमें लगभग 09 प्रस्ताव लाए गए और सभी प्रस्ताव पास भी हो गए। बैठक में जो प्रस्ताव पास हुए उनमें सबसे ज्यादा चर्चा प्रस्ताव क्रमांक 03 नगर पालिका स्वामित्य की दुकान, भवन, कोठा नगर पालिका की बिना अनुमति के निर्माण करने वाले लीज धारकों पर कार्यवाही बावत् विचार एवं निर्णय । व प्रस्ताव क्रमांक 04 आरक्षित वर्ग की दुकान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला, पिछड़ा वर्ग, कोटे की नगर पालिका स्वामित्व की दुकानों पर सामान्य वर्ग के नामांतरण की शिकायत मिलने पर कार्यवाही बावत् विचार एवं निर्णय जैसे प्रस्ताव भी शामिल थे। जो लगभग 15-16 पूर्व की परिषदों के द्वारा पास किया गया था। कांग्रेस की नगर सरकार बनने के लगभग दो साल बाद यह प्रस्ताव क्यों लाया गया और इन प्रस्तावों को पास कराने एड़ी चोटी का जोर क्यों लगाया यह एक बड़ा सवाल है जिसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा। असल में व्यापारियों ने कांग्रेस की नगर सरकार बनने के बाद पक्के निर्माण कार्य किए है ऐसा बिल्कुल नहीं है। कई वर्षो से व्यापारी नगर पालिका की विभिन्न दुकानों में काबिज है और निर्माण कार्य करते रहे है। वर्तमान में सिवनी नगर पालिका अध्यक्ष शफीक खान है जो पिछले 30 सालो से पार्षद रहे है। बताया जाता है कि शफीक खान 1994 से लेकर वर्तमान तक पार्षद है जो कांग्रेस पार्षदों के सहयोग से अध्यक्ष बने बैठे है। शफीक खान को बताना चाहिए कि वह पिछले 30 वर्षों से पार्षद है तब भाजपा की नगर सरकार के रहते लीज धारको ने नगर पालिका स्वामित्य की दुकान, भवन, कोठा नगर पालिका की बिना अनुमति के कैसे निर्माण कर लिया और विपक्ष के पार्षद रहते उन्होंने आपत्ति दर्ज क्यों नहीं कराई। प्रस्ताव क्रमांक 04 को लेकर भी नगर पालिका अध्यक्ष शफीक खान को यह स्पष्ट करना चाहिए कि 30 सालो से वह नगर पालिका परिषद में पार्षद है और उनके जैसे अनुभवी पार्षद के रहते आरक्षित वर्ग की दुकान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला, पिछड़ा वर्ग, कोटे की नगर पालिका स्वामित्व की दुकानों पर सामान्य वर्ग के नामांतरण कैसे हो गई। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए कोई आपत्ति क्यों नहीं लगाई। वर्तमान में नगर पालिका परिषद में कांग्रेस की नगर सरकार है ऐसे में शफीक खान को पुराने प्रस्ताव को उजगार करना चाहिए जिसमे आरक्षित दुकानों को सामान्य वर्ग के लोगो को दिए जाने नामांतरण करने का प्रस्ताव लाया गया यदि नगर पालिका अध्यक्ष शफीक खान वर्तमान में सक्षम है जो उन आदेशों को उजागर कराए जिस आदेश को तत्कालीन अधिकारियों ने जारी कराते हुए आरक्षित दुकानों को अनारक्षित वर्ग के लोगों के नाम नामांतरण कर दिया।
अधिकारियों के विरुद्ध क्यों नहीं कराई जा रही एफ आई आर दर्ज-----------सिवनी नगर पालिका परिषद की कई ऐसी दुकाने हैं जो एस टी ,एससी एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के नाम से आरक्षित थी जिन्हें सामान्य वर्ग के लोगों को दे दिया गया और बाकायदा नामांतरण भी कर दिया गया। कांग्रेस की नगर सरकार को चाहिए कि पहले ऐसे अधिकारियों को चिन्हित करें जिन्होंने आरक्षित वर्ग की दुकानों को अनारक्षित वर्ग के लोगों को आवंटित करते हुए नामांतरण कर दिया। प्रश्न यह उठता है कि उन अधिकारियों को किसने यह अधिकार दिया था कि वह आरक्षित वर्ग के लोगों की दुकानों को अनारक्षित वर्ग के लोगों को आवंटित करते हुए नामांतरण करें और यदि उन्होंने नामांतरण किया है तो सबसे पहले सिवनी नगर पालिका परिषद को ऐसे अधिकारियों को चिन्हित करते हुए उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करना चाहिए जिनके रहते इतना बड़ा कांड हुआ है लेकिन कांग्रेस शासित नगर पालिका ऐेसे अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही करने के लिए न तो प्रस्ताव ला रही है और न ही कोई कार्यवाही कर रही है।
लगभग 328 करोड़ की लगात से बनाए गए मेडिकल कॉलेज शुरू होने की उम्मीद जागी है। बताया जाता है कि 25 जुलाई 2024 को नेशनल मेडिकल कमीशन( एन एम सी) की बैठक डॉक्टर बी एन गंगाधर की अध्यक्षता में अपील समिति की एक बैठक आयोजित की गई थी। उक्त बैठक में डॉक्टर गंगाधर के अलावा प्रोफेसर दत्तेश्वर होटा,डॉक्टर एम के रमेश एन एम सी के सचिव एवं संयोजक एन एम सी प्रोफेसर बी निवास शामिल हुए थे। बताया जाता है कि सिवनी में मेडिकल कॉलेज शुरू किए जाने के लिए मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. परवेज अहमद सिद्दीकी सिवनी पहुंचे थे। अपील समिति ने एन एम सी अधिनियम 2019 की धारा 28 (5) के तहत अंडर ग्रेजुएट कोर्स के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेज प्रारंभ करने के लिए डीन डॉ. परवेज अहमद सिद्दीकी को सुना। डीन डॉ. परवेज अहमद सिद्दीकी ने अपना तर्क और दलील रखते हुए अपील समिति से मेडिकल कॉलेज प्रारंभ कराने का भरसक प्रयास किया। बताया जाता है कि इस दौरान परवेज अहमद सिद्दीकी ने अपील समिति के सामने कुछ दस्तावेज और रिकॉर्ड भी रखे इसके बाद अपील समिति ने दस्तावेज और रिकॉर्ड का सत्यापन किया। बताया जाता है कि नेशनल मेडिकल कमिश्न ने मेडिकल कॉलेज सिवनी में उपलब्ध सभी इनपुट को ध्यान में रखते हुए 50 सीटो के साथ एम बी बी एस कॉलेज प्रारंभ करने की अनुमति दी गई। हालांकि एन एम सी ने मेडिकल कॉलेज को शपथ पत्र देने के लिए भी कहा है।
फैकल्टी की कमी के कारण नहीं मिली थी अनुमति-------
याद दिला दे की 24 जून 2024 को नेशनल मेडिकल कमिशन की टीम सिवनी पहुंची थी और मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया था । उस समय टीम ने पाया था कि मेडिकल कॉलेज प्रारंभ करने के लिए पर्याप्त फैकल्टी नहीं है जिसके कारण इस वर्ष मेडिकल कॉलेज प्रारंभ करने में ग्रहण लग गया था। जिसके बाद डीन परवेज एहमद सिद्दीकी ने अपील समिति के सामने अपील किया और सिवनी में मेडिकल कॉलेज संचालन का रास्ता खुलवाया । बताया जाता है कि सिवनी मेडिकल कॉलेज में 35 से बढक़र 40 फैकल्टी हो चुकी है और उम्मीद की जा रही है कि राज्य शासन 60 से 70 फैकल्टी की व्यवस्था कर सकता है। फिलहाल नेशनल मेडिकल कमिश्न ने सिवनी में सिर्फ 50 सीट की अनुमति दिया है।
गत दिवस दोपहर के समय कांग्रेस आईटी एवं सोशल मीडिय़ा विभाग के जिला अध्यक्ष ऐश्वर्य सुमित मिश्रा के साथ बस स्टैंड से कुछ दूरी में स्थित मालू पेट्रोल पंप के सामने एक बाइक में सवार चार लोग आए जिनके हाथ में बेस बाल का बेट और चाकू थे। बताया जाता है कि युवकों ने सुमित मिश्रा की बाइक रुकवाया और उसके ऊपर ताबड़तोड़ हमला करने लगे। हालांकि कुछ देर के बाद पुलिस मौके पर पहुंची तब दो युवक गिरफ्तार हुए और दो लोग फरार हो गए। हादसे में कांग्रेस आई टी सेल के अध्यक्ष ऐश्वर्य सुमित मिश्रा का एक हाथ और एक पैर फ्रेक्चर हो गए जिसे अस्पताल ले जाया गया।
चाय की दुकान में मिला था एक युवक------
ऐश्वर्य सुमित मिश्रा की माने तो वह अपने साथी जय गुप्ता के साथ एम एल बी रोड में स्थित चाय दुकान में चाय पी रहा था जहां एक युवक पहले से मौजूद था। जिससे सुमित मिश्रा और जय गुप्ता की हैलो हाय भी हुई चाय पीकर सुमित और जय लौट रहे थे । तब एक बाइक में सवार होकर चार युवक मालू पेट्रोल पंप के सामने पहुंचे जिसमें वह युवक भी शामिल था जो सुमित मिश्रा को चाय दुकान में मिला था। सुमित मिश्रा की माने तो हमला करने वाले युवकों ने उससे कहा कि तू विधायक के खिलाफ लिखता है कहते हुए बेस बाल के बेट से हमला करने लगे। तब सुमित मिश्रा बीच बचाव भी करते रहा। बताया जाता है हमलावर युवक बेसबाल के बेट और अन्य हथियारो से लेस थे। बताया जाता है कि युवकों के द्वारा सुमित मिश्रा के पेट में चाकू मारने की कोशिश भी की गई थी । दिन दहाड़े युवकों के द्वारा मारपीट की जा रही थी तभी पुलिस कर्मी मुकेश विश्वकर्मा अपने साथी पुलिस कर्मियों के साथ वहॉ से गुजर रहे थे जिनकी नजर हमला करने वालो पर पड़ी,। बताया जाता है कि पुलिस वहां रुकी और दो हमलावरों को पकड़ लिया। हालांकि दो लोग फरार हो गए।
अस्पताल पहुंचे कांग्रेसी-------सुमित मिश्रा के ऊपर हुए हमले की जानकारी मिलने के बाद जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना, नगर कांग्रेस के अध्यक्ष इमरान पटेल संगठन मंत्री पंकज शर्मा सहित कई कांग्रेसी अस्पताल पहुंचे। राजकुमार खुराना ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से बात चीत किया। बताया जाता है कि सुमित मिश्रा के हाथ और पैर फ्रैक्चर हुए हैं जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया इस दौरान राजकुमार खुराना और कांग्रेस के कार्यकर्ता लगभग तीन से चार घंटे जिला अस्पताल में मौजूद रहे।
जीतू पटवारी ने जाना हाल चाल------कांग्रेस आईटी सेल के अध्यक्ष सुमित मिश्रा के ऊपर हुए हमले की जानकारी जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना ने प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी को दिया बताया जाता है कि राजकुमार खुराना से कॉन्फ्रेंस करते हुए जीतू पटवारी ने सुमित मिश्रा से फोन पर बात करते हुए उनका हाल-चाल जाना वही उन्होने इस मामले को गंभीरता से भी लिया है।
शफीक खान ,राजा बघेल नहीं पहुंचे अस्पताल-------मालू पेट्रोल पंप के सामने दिन दहाड़े कुछ युवकों ने सुमित मिश्रा के ऊपर हमला किया जिसके बाद सुमित मिश्रा के हाथ और पैर फैक्चर हो गए जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया तब पूरी की पूरी कांग्रेस अस्पताल में दिखाई दी लेकिन इस बीच नगर पालिका के अध्यक्ष शफीक खान और कांग्रेस से भीतर घात करने के मामले में 06 साल के लिए निष्कासित हो चुके राजा बघेल सुमित मिश्रा से मिलने नहीं पहुंचे जो चर्चा का विषय रहा। चूंकि शफीक खान अपने आपको सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन का करीबी बताते है जबकि राजा बघेल भी इन दिनों सार्वजनिक रूप से सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन को अपना मित्र बता रहे है ऐसे में दोनों का अस्पताल ना पहुंचना कोई आश्चर्यजनक घटना नहीं कही जा सकती।
सोशल मीडिया में सक्रिय रहते है सुमित------ उल्लेखनीय की सुमित मिश्रा कांग्रेस आईटी सेल एवं सोशल मीडिया के जिला अध्यक्ष हैं। सुमित मिश्रा आए दिन सत्ता और सरकार के साथ-साथ स्थानीय विधायक की नाकामियों को भी सोशल मीडिया के माध्यम से उजागर करते रहे हैं । इस दौरान उनके ऊपर युवकों के द्वारा यह कहते हुए हमला किया जाना कि तू विधायक के विरुद्ध खूब लिखता है मजबूत लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता। इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस ने भी इस हमले को सुनियोजित षडय़ंत्र मानते हुए निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग किया।
सिवनी नगर पालिका परिषदों के ऊपर भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों ने वित्तीय अनियमित्ताए और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए ज्ञापन सौंपा है। भाजपा पार्षदों से पहले भी कुछ लोगों ने सिवनी नगर पालिका परिषद के भ्रष्टाचार की जांच कराने शिकायत किया था जिसके बाद प्रदेश स्तर से सिवनी नगर पालिका परिषद के भ्रष्टाचार की जांच चल रही है लेकिन इसे आश्चर्य ही कहा जायेगा कि दो बार भाजपा के चुनाव चिन्ह से जीतने वाले दिनेश राय मुनमुन भाजपा में होने के बावजूद कांग्रेस की नगर सरकार के ऊपर मेहरबान नजर आ रहे है और वह भाजपा के पार्षदों को टारगेट कर रहे है ऐसा ही कुछ अशोक वार्ड के पार्षद विजय मिश्रा उर्फ गोलू पंडित के साथ हुआ जिनका दर्द सोशल मीडिया में छलगा। गत दिवस विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म में गोलू पंडित ने अपनी पीड़ा बयां करते हुए लिखा।
‘मैं भारतीय जनता पार्टी के विधायक दिनेश राय मुनमुन जो ब्राह्मण समाज के चुने हुए जनप्रतिनिधियों का घोर विरोधी है। नगर पालिका में सत्य बोलने एवं जनहित के मुद्दे उठाने पर मुझे राशि लान में आरएसएस के समर्पण कार्यक्रम पर मेरे बाजू में खड़े होकर मुझे इनडायरेक्ट धमकी दे रहे थे कि अब नगर पालिका में देखता हूं कि इसके वार्ड के काम कैसे होंगे और इसकी कैसे चलेगी और उसके पहले नगर पालिका में जाकर नगर पालिका अध्यक्ष शफीक खान जी के साथ बैठकर मेरे खिलाफ षड्यंत्र कर रहे थे की नगर पालिका के विशेष सम्मेलन की प्रोसीडिंग्स पर मेरे द्वारा दलसागर में बने दलपत शाह जी की मूर्ति को तोडऩे का झूठा आरोप लिखवाने के लिए नगर पालिका के कर्मचारियों को दबाव दे रहे थे। पोस्ट के साथ गोलू पंडित ने एक वीडियो भी अपलोड किया है जिसमें गोलू पंडित कहीं भी मूर्ति को तोड़े जाने का समर्थन नहीं कर रहे वह अधिकारियों से यह पूछते हुए सुनाई दे रहे हैं कि जब एनजीटी का स्टे था तो फिर मूर्ति कैसे स्थापित कर दी गई ।’
गौंड समाज महासभा ने दलसागर में स्थापित मूर्ति को स्वीकार करने से कर दिया था मना
वैसे दलसागर तालाब में सिवनी नगर पालिका परिषद ने गुपचुप तरीके से अपने सहयोगी विधायक दिनेश राय मुनमुन की मौजूदगी में राजा दलपत शाह की प्रतिमा स्थापित किया था जिसके बाद 03 जुलाई 2024 को गौंड समाज महासभा म.प्र. के एक प्रतिनिधी मंडल ने नगर पालिका के अध्यक्ष व सीएमओ के नाम सिवनी नगर पालिका परिषद में पदस्थ मुख्य नगर पालिका अधिकारी रामकुमार कुर्वेती को एक ज्ञापन सौंपा था तब कांग्रेस के प्रवक्ता व स्वास्थ्य समिति के सभापति राजिक अकील भी मौजूद थे। ज्ञापन सौंपते हुए गौंड समाज महासभा ने स्पष्ट कहा था कि दलसागर टापू पर स्थापित प्रतिमा महाराजा दलपत शाह की प्रतिमा से मेल नही खाती। प्रतिमा स्थापना से पहले समस्त आदिवासी संगठनों के मुख्य पदाधिकारियों से विचार विमर्श कर जो प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया गया था उसके ठीक विपरीत प्रतिमा स्थापित कर दी गई जिसको आदिवासी समाज कतई स्वीकार नही कर सकता। ज्ञापन सौंपते हुए यह भी मांग किया गया था कि उक्त प्रतिमा को तत्काल हटाकर आदिवासी समाज द्वारा निर्णय लिए गए राजा दलपत शाह की दूसरी मूर्ति स्थापित की जाए। प्रश्र यह उठता है कि जब आदिवासी समाज ने ही दलसागर की टापू में स्थापित प्रतिमा को स्वीकार करने से मना कर दिया तो फिर इस प्रतिमा को लेकर घटिया राजनीति क्यों की जा रही है।
18 अगस्त 2023 को राज्य वक्फ बोर्ड ने बोरदई के सरपंच आसिफ जरदारी की अध्यक्षता में जिला वक्फ बोर्ड का गठन किया था जिसे उच्च न्यायालय ने भंग करते हुए राज्य शासन को कई महत्वपूर्ण आदेश दिए। हालांकि समाचार लिखे जाने तक उच्च न्यायालय के द्वारा पारित आदेश अधिकृत रूप से उपलब्ध नही हो पाया था। बोरदई के सरपंच आसिफ जरदारी की अध्यक्षता में गठित जिला वक्फ बोर्ड कमेटी मे उपाध्यक्ष शफीक पटेल झालोन, सचिव शहजाद बेग बोरदई, कोषाध्यक्ष निसार खान गोरखपुर, एवे तीन सदस्य के रूप में अकील खान भगत सिंह वार्ड, हैदर शाह विश्वकर्मा बिल्डिंग कस्तूरबा वार्ड एवं मोहम्मद नूमान बोरदई को शामिल किया गया था। जिसे जिला वक्फ बोर्ड कमेटी के पूर्व अध्यक्ष शोएब राजा ने उच्च न्यायालय में चुनौती दिया था। उन्होने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अवगत कराया था कि वक्फ एक्ट 1995 संशोधन 2014 की धारा 18 (1)(2) में प्रदाय अधिकार के तहत जिला वक्फ कमेटी मध्यप्रदेश के गठन और उसकी जिम्मेदारी के लिए कुछ नियम बनाये गये हैं जिसमें उक्त नियम के तहत लगभग 7 ऐसे सदस्यो को शामिल करना होता है जो विभिन्न क्षेत्रों से आते हैं। नियम अनुसार किसी भी जिला वक्फ बोर्ड कमेटी में पार्षद/ जिला, जनपद सदस्य, स्थानीय संस्थाओ के चुने गये जनप्रतिनिधि का होना आवश्यक होता है जो आसिफ जरदारी है। इसके अलावा तहसील/ जिला अभिभाषक सदस्य यानि की किसी अधिवक्ता का होना आवश्यक होता है, इसके अलावा एक धार्मिक विद्वान, शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ा हुआ एक शिक्षाविद, शासकीय अधिकारी या कर्मचारी, शिया/बोहरा समुदाय का एक व्यक्ति एवं एक समाजसेवी का होना आवश्यक होता है। इस मामले में जस्टिस विवेक अग्रवाल ने जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे सहित एमपी वक्फ बोर्ड भोपाल के सीईओ एवं अध्यक्ष सन्नवर पटेल, जिला कलेक्टर जिला वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष आसिफ जरदारी, जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे, जिला वक्फ बोर्ड के उपाध्यक्ष शफीक पटेल सहित 11 लोगों को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था। बताया जाता है कि गत दिवस इस मामले में उच्च न्यायालय में तर्क वितर्क हुए माननीय न्यायालय ने माना कि उक्त कमेटी का गठन वक्फ एक्ट 1995 संशोधन 2014 की धारा 18 (1)(2) के तहत नही हुआ जिसके कारण उक्त नियमों का पालन किया ही नही गया। सूत्रों की मानें तो उच्च न्यायालय ने कमेटी भंग करने के निर्देश दिए। उच्च न्यायालय के आदेश आने के बाद और स्पष्ट होगा कि इस संबंध में माननीय न्यायालय ने और क्या-क्या दिशा निर्देश दिए है। फिलहाल शोएब राजा की याचिका का निराकरण करते हुए माननीय न्यायालय ने सिवनी के वक्फ बोर्ड को भंग कर दिया है।
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सीवनी विधान सभा से भले ही कांग्रेस की पृष्ठ भूमि से 18 मई 2018 को भाजपा में शामिल होने वाले दिनेश राय मुनमुन भाजपा के सिम्बोल से दूसरी बार चुनाव जीते हो लेकिन उनका कांग्रेस के प्रति प्रेम कम नहीं हुआ। वही कुछ ऐसे कांग्रेसी भी है जिनका दिनेश राय मुनमुन से करीबिया जग जाहिर है जिनमे से एक सिवनी नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष शफीक खान शामिल है। विधायक और अध्यक्ष की जुगल बंदी से ही सिवनी की पहचान दल सागर तालाब में 01 करोड़ 17 लाख खर्च होने के बाद वह जंगल बन गया। शफीक खान की अध्यक्षता वाली सिवनी नगर पालिका परिषद विधायक व टोल नाका ठेकेदार दिनेश राय मुनमुन के ऊपर इतनी मेहरबान रही कि अधूरे काम के एवज में ठेकेदार को लगभग 01 करोड़ 17 लाख का भुगतान कर दिया ।
विधायक की महत्वकांक्षी योजनाओं में शामिल था दल सागर तालाब-------मुख्यमंत्री के द्वारा विशेष अनुदान एवं झील व तालाबों के रख रखाव व शुद्धिकरण योजना के लिए शासन ने दल सागर तालाब के लिए लगभग 01 करोड़ 56 लाख 73 हजार रुपिया स्वीकृत किया था। चूंकि यह योजना सिवनी विधायक और टोल नाका ठेकेदार दिनेश राय मुनमुन के लिए अतिमहत्वाकांक्षी योजना थी जो तालाब में ओवर फूट ब्रिज के साथ साथ राजा दलपत शाह की मूर्ति स्थापित कराने के साथ साथ फाउनटेन लाइट एंड साउंड सिस्टम लगाना चाहते थे । बताया जाता है कि सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन को उपकृत करने के लिए कांग्रेस शासित सिवनी नगर पालिक परिषद ने 36 प्रतिशत अधिक दर से उक्त काम का ठेका विधायक दिनेश राय मुनमुन के करीबी मित्र राहुल जैन को 01 करोड़ 88 लाख में स्वीकृत करते हुए ठेकेदार राहुल जैन को 12/05/2023 को कार्यादेश जारी कर 06 महीने के भीतर काम पूर्ण करने के निर्देश दिए। बताया जाता है कि सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन के मित्र ठेकेदार राहुल जैन के ऊपर पूरी नगर पालिका परिषद मेहरबान हो गई। कांग्रेस और भाजपा पार्षद इस कार्य में एकजुट नजर आए क्योंकि भाजपा के विधायक दिनेश राय मुनमुन और कांग्रेस के शफीक खान दोनों ही एकजुट थे। एन जी टी ने लगाई रोक------सिवनी विधायक एवं टोल नाका ठेकेदार दिनेश राय मुनमुन को उपकृत करने के लिए सिवनी नगर पालिका के तकनीकी अधिकारी संतोष तिवारी और सी एम ओ रामकुमार कुर्वेती ने भी एन जी टी से अनुमति लिए बिना विधायक के मित्र राहुल जैन को कार्यादेश दे दिया और उन्होंने निर्माण कार्य प्रारंभ भी कर दिया। तब सिवनी के युवा अधिवक्ता नवेंदु मिश्रा ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( एन जी टी) में याचिका दायर किया जिसे गंभीरता से लेते हुए एन जी टी ने 20 अक्टूबर 2023 को दल सागर में चल रहे निर्माण कार्य में रोक लगा दिया और 04 करोड़ 80 लाख का जुर्माना भी लगाया। हाल ही में एन जी टी ने एक महीने के भीतर दल सागर तालाब में बने पिल्लहरों को एक महीने के भीतर तोडऩे के निर्देश दिए । आधा अधूरा निर्माण कार्य के एवज में कर दिया 01 करोड़ 17 लाख का भुगतान----- जब भी कोई उपलब्धि मिलती है तो जनप्रतिनिधि उक्त काम का श्रेय लेने का कोई मौका नहीं छोड़ते लेकिन जब कोई काम बिगड़ जाता है तो उसकी नैतिक जिम्मेदारी कोई लेने तैयार नहीं होता। सिवनी के दल सागर तालाब में ओवर ब्रिज निर्माण और फाउनटेन लाइट एंड साउंड सिस्टम लगाए जाने की योजना का विधायक दिनेश राय मुनमुन और कांग्रेस शासित नगर पालिका परिषद दोनों ही श्रेय ले रहे थे। अब जबकि एन जी टी ने तालाब के भीतर बने पिल्लहरों को तोडऩे के निर्देश दिए है ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि इसकी नैतिक जिम्मेदारी कौन लेगा। क्या जिस तरह भाजपा के मुनमुन राय और कांग्रेस के शफीक खान ने दोस्ती निभाते हुए उक्त काम में फर्जीवाड़ा किया है क्या उसी तरह दोनों इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेंगे या अपनी आदत के मुताबिक इसका ठीकरा भी अधिकारियों के ऊपर फोड़ेंगे। उल्लेखनीय है कि मई 2023 में उक्त काम स्वीकृत हुआ था और सिवनी नगर पालिका परिषद ने सितंबर 2023 तक लगभग 5 महीने के भीतर 1 करोड़ 17 लाख का भुगतान कर दिया जिसमें एनजीटी ने रोक लगा दिया है।
प्रदेश सरकार के द्वारा जल संवर्धन को लेकर अभियान चलाया गया। सिवनी जिले में भी नए बांध और तालाब बनाए जा रहे हैं इतना ही नहीं पुराने जल स्रोतों को संवारने के लिए सरकार के द्वारा कई काम किए जा रहे हैं । ऐसे दौर में छपारा का एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है जो जिम्मेदार अधिकारियों की पोल खोल रहा है। बताया जाता है कि छपारा नगर के ललमटिया इलाके में तत्कालीन पंचायत मंत्री रहते हुए स्वर्गीय हरवंश सिंह के द्वारा मोती नाला में एक डेम बनाया गया था। उक्त डेम से एक नहर छपारा के बीज निगम की भूमि के सिंचित करने के लिए बनाई गई थी। कई वर्षों तक इस नहर से बीज निगम की कई हेक्टर भूमि सिंचित भी की जाती थी। कुछ समय बाद अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण यह डेम बदहाल हो गया. जिसकी तरफ कभी किसी ने ध्यान नहीं दिया स्थानीय लोगों ने जब इस संबंध में जानकारी दिया तब दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस की टीम को मौके पर पहुंची तो देखा डेम जिस स्थान में बना है वहां का विहंगम दृश्य नजर आता है लेकिन अब वह अधिकारीयो और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता की भेंट चढ़ गया है। इतना ही नहीं इस डेम तक जाने के लिए जल संसाधन विभाग के द्वारा मार्ग भी बनाया गया था. और सिंचाई के लिए नहर भी बनाई गई थी। उक्त डैम के नजदीक एक कांग्रेस नेता का खेत भी है जिसने उस नहर को पूरी तरह मिटा दिया । यहां तक कि डैम तक जाने के रास्ते पर भी अतिक्रमण कर लिया है।
अपने पिता की विरासत को ही नहीं बचा पा रहे रजनीश---- विधायक बनने के बाद से ही ठाकुर रजनीश सिंह का सबसे ज्यादा ध्यान रेत खदान की तरफ है । उन्होंने विज्ञप्ति जारी करते हुए यह भी कहा था कि मैं विधायक हूं और मैं अपनी आंख बंद नहीं कर सकता । लेकिन ठाकुर रजनीश हरवंश सिंह की आंख अपने पिता ठाकुर हरवंश से के द्वारा ललमटिया क्षेत्र में बनाए गए डैम की तरफ क्यों नहीं खुलती जो अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ चुका है। प्रश्न यह है कि डेम के रस्ते में जिस कांग्रेसी नेता ने कब्जा किया है कही वह नेता ठाकुर रजनीश सिंह का करीबी तो नहीं है। क्योंकि ठाकुर रजनीश सिंह हर उस जगह हाथ नहीं डालते जहां उनके समर्थक जुड़े हुए हो भले ही वह नियम विरुद्ध काम करते हो।
सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन दूसरी बार भाजपा के सिम्बोल में चुनाव तो जीत गए लेकिन ऐसा लगता है कि जब से प्रदेश में मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार बनी उसके बाद से उन्होंने विपक्ष की भूमिका निभाना शुरू कर दिया। मोहन यादव की सरकार बनने के बाद जिस तरह दिनेश राय मुनमुन ने अपनी सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों को घेरना शुरू किया उससे यही लगता है कि शिवराज सिंह चौहान के समर्थक दिनेश राय मुनमुन को मोहन यादव का नेतृत्व रास नहीं आ रहा जिसके कारण वह भाजपा में होने के बावजूद कांग्रेस विधायक की तरह विपक्ष की भूमिका निभा रहे है। वैसे दिनेश राय मुनमुन की तरह ही उनके समर्थक पार्षद भी नगर पालिका परिषद सिवनी में भाजपा की नगर सरकार के समय हुए कामों की फाइल खुलवाने में तुले हुए ताकि कांग्रेस की नगर सरकार को भाजपा को घेरने का मुद्दा मिल सके।
साधारण सम्मिलन में मुनमुन समर्थक भाजपा पार्षदों ने प्रस्ताव पास कराने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका ------
19 जुलाई को सिवनी नगर पालिका परिषद में साधारण सम्मिलन की बैठक रखी गई थी। बताया जाता है कि उक्त बैठक में 09 प्रस्ताव लाए गए थे। सूत्र बताते है कि कांग्रेस की नगर सरकार ने बड़ी ही चालाकी से कुछ ऐसे प्रस्ताव लाए गए थे जो भाजपाइयों को घेरने के लिए था। बताया जाता है कि बैठक से पूर्व जिला भाजपा अध्यक्ष आलोक दुबे ने भाजपा पार्षदों की एक बैठक आयोजित किया था जिसमें भाजपा के पार्षदों के साथ साथ पूर्व अध्यक्ष नरेश दिवाकर,प्रेम तिवारी, महामंत्री अजय डागोरिया , संजू मिश्रा सहित कुछ और भाजपाई शामिल हुए थे। सूत्र बताते है कि बैठक में कुछ प्रस्ताव को पास करने की सहमति बनी थी लेकिन प्रस्ताव क्रमांक 3 नगर पालिका स्वामित्य की दुकान, भवन, कोठा नगर पालिका की बिना अनुमति के निर्माण करने वाले लीज धारकों पर कार्यवाही बावत् विचार एवं निर्णय । प्रस्ताव क्रमांक 04 आरक्षित वर्ग की दुकान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला, पिछड़ा वर्ग, कोटे की नगर पालिका स्वामित्व की दुकानों पर सामान्य वर्ग के नामांतरण की शिकायत मिलने पर कार्यवाही बावत् विचार एवं निर्णय । एवं प्रस्ताव क्रमांक 05 रानी दुर्गावती वार्ड गंज क्षेत्र में लीज भूमि का वर्ष 2019-20 में त्रुटि वश की गई लीज किराया वृद्धि में सुधार किए जाने सहित कुछ और बिंदुओं को आगामी बैठक के लिए बढ़ाए जाने का निर्णय हुआ था।
पार्टी के निर्देशों को दरकिनार कर राजू यादव और बाबा पांडे ने प्रस्ताव पास कराने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका------
सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन के समर्थक पार्षद राजू यादव व जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष अजय बाबा पांडे ने साधारण सम्मिलन में लाए गए प्रस्तावों को पास कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सूत्र बताते है कि जब बैठक शुरू हुई तब भाजपा पार्षद राजू यादव और अजय बाबा पांडे ने भाजपा संगठन की बैठक में तय हुए निर्णय के विपरीत काम करते हुए सारे प्रस्ताव पास करा दिए जो भाजपा संगठन में चर्चा का विषय है कि मुनमुन समर्थक उक्त पार्षद संगठन के साथ है या कांग्रेस के साथ। इस पूरे मामले में अब सबकी नजर जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे के ऊपर टिकी हुई जिनकी उपस्थिति में साफ निर्देश दिए गए थे कि कौन-कौन से प्रस्ताव अगली बैठक के लिए बढ़ाना है। संगठन की गाईड लाईन को दरकिनार कर पार्षद राजू यादव और अजय बाबा पांडे ने विधायक दिनेश राय मुनमुन की मंशा के अनुसार कांग्रेस के द्वारा लाए गए प्रस्ताव को पास करवा दिया। ऐसे में अध्यक्ष आलोक दुबे पार्टी के आदेशों की अवहेलना करने वाले आदेशों के विरूद्ध कोई कार्यवाही करेंगे या नही इसके ऊपर सबकी निगाहें टिकी हुई है।
अखिलेश खेड़ीकर का पत्ता काटकर बाबा पांडे को बना दिया नगर पालिका में विधायक प्रतिनिधि-------
सिवनी नगर पालिका परिषद में अजय बाबा पांडे किस हैसियत से पहुंचे और उन्होंने प्रस्ताव पर चर्चा किस अधिकार से किया जब इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि वर्तमान में विपक्ष की भूमिका निभा रहे सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन ने अजय बाबा पांडे को सिवनी नगर पालिका परिषद का विधायक प्रतिनिधि बनाया । जबकि लंबे समय तक सिवनी नगर पालिका परिषद में मुनमुन राय ने अखिलेश खेड़ीकर को अपना प्रतिनिधि बनाया था। प्रश्न यह उठता है कि जब अखिलेश खेड़ीकर विधायक प्रतिनिधि रह चुके है तो फिर दिनेश राय मुनमुन ने अजय बाबा पांडे को विधायक प्रतिनिधि क्यों बनाया? जबकि जिन बिन्दुओं को पास कराने की जिम्मेदारी अजय बाबा पांडे को सौंपी गई थी उक्त बिंदु अखिलेश खेड़ीकर भी पास करा सकते थे। इस मामले में जानकर बताते है कि सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन इस बात को अच्छी तरह से जानते है कि अखिलेश खेड़ीकर की पृष्ठभूमि भाजपाई है और वह अपनी पार्टी के द्वारा तय की गई गाइड लाइन के विरोध में नहीं जाएंगे जबकि अजय बाबा पांडे की राजनीतिक पृष्ठ भूमि विधायक दिनेश राय मुनमुन की तरह ही कांग्रेसी रही है जो विधायक के कट्टर समर्थक हैं और विधायक जैसा चाहेंगे वैसा ही वह करेंगे इसलिए मुनमुन राय ने अखिलेश खेड़ीकर के बजाए बाबा पांडे को तवज्जो देते हुए उन्हें विधायक प्रतिनिधि बनाया जिन्होंने भाजपा के ही पार्षद राजू यादव के साथ मिलकर कांग्रेस को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया ।
सांसद ने पवार समाज के पंकज बिसेन को तो विधायक ने कलार समाज के अखिलेश को हटाया
इसे संयोग ही कहा जायेगा कि बालाघाट की सांसद श्रीमति भारती पारधी ने सिवनी नगर पालिका परिषद में सांसद प्रतिनिधी के रूप में कपिल पांडे को नियुक्त किया है जबकि कपिल पांडे से पहले सांसद प्रतिनिधी पंकज बिसेन हुआ करते थे चूंकि सांसद भारती पारधी और पंकज बिसेन दोनों ही पवार समाज के है और सांसद ने सबसे पहले अपने ही पवार समाज के युवा को हटाकर कपिल पांडे को अपना प्रतिनिधी बनाया। ठीक इसी तरह सिवनी नगर पालिका परिषद में कलार समाज के युवा अखिलेश खेड़ीकर को दिनेश राय मुनमुन ने विधायक प्रतिनिधी बनाया था जिन्होने अचानक अखिलेश खेड़ीकर को हटाकर अजय बाबा पांडे को विधायक प्रतिनिधी बनाया दिया। यहा गौर करने वाली बात यह है कि सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन भी कलार है। इसे संयोग ही कहा जायेगा कि सांसद और विधायक जो प्रतिनिधी बनाये है दोनों ही ब्राम्हण समाज से है।
-राजनीति में कब कौन किसके साथ हो जाए यह पता ही नहीं चलता? प्रदेश में कमलनाथ का अपना एक अलग नाम है और एक अपना आभा मंडल है लेकिन अब जो लोग कमलनाथ के साथ स्वार्थ के लिए जुड़े थे उन्होंने धीरे धीरे उनसे दूरियां बनाना शुरू कर दिया। दीपक सक्सेना, कमलेश शाह, विक्रम आहाके जैसे नेताओं का ताजा उदाहरण है। हालांकि कमलनाथ के कुछ बेहद ही विश्वास पात्र लोग भी है जो आज भी कमलनाथ को अपना नेता मानते है जिनमे से एक सिवनी जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना शामिल है लेकिन अब राजकुमार खुराना के कुछ करीबी उनसे दूरियां बनाते हुए पार्टी के साथ भीतर घात करने वाले लोगो से करीबिया बढ़ाने लगे है जिसकी सुगबुगाहट अब जिला कांग्रेस में भी चलने लगी है। असल में जिला कांग्रेस अध्यक्ष राजकुमार खुराना के करीबियों में राजिक अकील का नाम लिया जाता है जिन्होंने राजकुमार खुराना के नाम से ही राजनीति शुरू किया और उनकी पहचान श्री खुराना के कट्टर समर्थकों के रूप में रही लेकिन वर्तमान में राजिक अकील की करीबिया राजा बघेल से बढ़ते नजर आ रही है जिन्हे कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष रहते कांग्रेस ने पार्टी के साथ भीतर घात करने के मामले में 06 सालो के लिए निष्कासित कर दिया था। जब राजा बघेल को निष्कासित किया गया था उसके बाद 13 दिसंबर 2023 को राजा बघेल के समर्थकों ने जिला कांग्रेस कार्यालय के सामने जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना का पुतला जलाते हुए उनके विरुद्ध नारेबाजी किया था जिसके बाद राजा बघेल के करीबियों को भी 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था। राजा बघेल के समर्थकों के द्वारा राजकुमार खुराना का पुतला दहन करने से श्री खुराना के कई समर्थक आज भी नाराज बताए जा रहे है हालांकि बाद में राजा बघेल ने प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष जीतू पटवारी एवं नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के साथ मिलकर अपना निष्कासन को रद्द कर लिया था जिसके बाद से ही राजिक अकील राजा बघेल से प्रभावित हो गए । चर्चा है कि राजिक अकील इस बात को समझ गए है कि वर्तमान में राजा बघेल का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और उमंग सिंघार सहित प्रदेश प्रभारी कुंवर जितेंद्र सिंह से अच्छा सेटअप है जिसके चलते हो सकता है भविष्य में जिला कांग्रेस की कमान राजा बघेल या उनके किसी समर्थक के हाथ में आ जाए जिसके चलते उन्होंने पप्पू खुराना से दूरियां और राजा बघेल से करीबिया बढ़ाना शुरू कर दिया ताकि उनका राजनीतिक भविष्य सुरक्षित हो सके। वैसे राजा बघेल और राजिक अकील के करीबी होने के कई सारे उदाहण भी सामने आए।
जबलपुर रोड में एक साथ अधिकारी का करते रहे इंतजार-----
सिवनी नगर पालिका परिषद में वित्तीय अनियमित्ता एवं भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद प्रदेश से चार सदस्यीय टीम का गठन किया गया । सूत्र बताते हैं कि जब टीम के अध्यक्ष डी आदित्य कुमार सिवनी आ रहे थे तब राजा बघेल और राजिक अकील जबलपुर रोड में स्थित जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना के पेट्रोल पंप के पास अधिकारी का इंतजार कर रहे थे और काफी देर तक इंतजार करते रहे । बताया जाता है कि उस समय राजकुमार खुराना सिवनी जिले से बाहर थे यदि राजकुमार खुराना अपने पेट्रोल पंप में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज खंगाले तो उन्हें पता चल जाएगा कि राजा बघेल और राजिक अकील कितनी देर तक उनके पेट्रोल पंप के आसपास घूमते रहे। चर्चा तो यह भी है कि जब पेट्रोल पंप के कर्मचारियों ने उन्हें खड़ा देखा तो उनके लिए बकायदा कुर्सी पहुचाई गई।
कॉफी हाउस में चलते रही मीटिंग-------
राजिक अकील और राजा बघेल की सिवनी के इंडियन कॉफी हाउस में भी बैठक होती है और काफी देर तक मीटिंग चलती रहती है। सूत्र बताते हैं कि कुछ दिन पहले भी राजा बघेल और राजिक अकील इंडियन कॉफी हाउस में बैठकर राजनीतिक चर्चा करते रहे। यदि इंडियन कॉफी हाऊस के सीसीटीव्ही कैमरे के फुटेज भी खंगाले जाए तो राजा बघेल और राजिक अकील की करीबिया सामने आ जायेंगी।
उमंग सिंगार को राजिक से मिलाने ले गए राजा------
कांग्रेस से भीतर घात करने के मामले में 6 साल के लिए निष्कासित हुए राजा बघेल की राजिक अकील से कितनी करीबिया बढ़ गई में इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है राजिक के जन्म दिवस के आसपास नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का सिवनी आगमन हुआ था तब वह राजा बघेल के निवास स्थान पर पहुंचे थे जहां से राजा बघेल ने उन्हें राजिक अकील से मिलाने सिवनी नगर पालिका परिषद ले गए। जहां उमंग सिंघार ने राजिक अकील को जन्मदिन की बधाई दिया बाद में राजिक अकील उमंग सिंघार ,राजा बघेल सहित कुछ लोग जिला कांग्रेस कार्यालय पहुंचे जो यह बताने के लिए काफी है कि अब राजिक अकील राजकुमार खुराना के नहीं रहे अब वह राजा के हो गए है। सूत्र बताते है कि यह एहसास राजकुमार खुराना के कुछ करीबियों को भी हो चला है।
अध्यक्ष की जानकारी के बिना जारी कर देते है विज्ञप्ति------
जिला कांग्रेस के प्रवक्ता राजिक अकील जब से राजा बघेल के संपर्क में आए है तब से उन्होंने विज्ञप्ति जारी करने की जानकारी अपने अध्यक्ष राजकुमार खुराना को देना बंद कर दिया जिसके कारण कांग्रेस की किरकिरी होने लगी है। हाल ही में राजिक अकील के द्वारा एक विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा गया था कि शासकीय कार्यक्रमों में प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा रहा । कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में नगर पालिका अध्यक्ष शफीक खान को मुख्य अतिथि ना बनाकर प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया है उन्होंने जिला कलेक्टर से ऐसे दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग भी किया था। विज्ञप्ति जारी होने के बावजूद नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष शफीक खान कार्यक्रम में पहुंच गए जिससे पूरी कांग्रेस की किरकिरी हुई। इस पूरे मामले को दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने भी प्रमुखता से उठाया था । सूत्र बताते हैं कि इस पूरे मामले को लेकर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना ने जिला कांग्रेस कार्यालय में एक बैठक का भी आयोजन किया गया जहां पता चला की राजिक अकील ने जो विज्ञप्ति जारी किया था वह जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना के संज्ञान में नहीं था इसके बाद उन्होंने जमकर नाराजगी जताया । सूत्र तो यह भी बताते हैं कि जिला कांग्रेस कार्यालय में कांग्रेस के पार्षदों की आयोजित बैठक में स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गए है कि सिवनी नगर पालिका परिषद के किसी भी मामले की विज्ञप्ति जिला कांग्रेस की अधिकृत मेल आईडी से जारी नहीं की जाएगी बल्कि नगर पालिका परिषद में किसी पार्षद से ही विज्ञप्ति जारी कराई जाएगी जो यह बताने के लिए काफी है कि राजिक अकील के द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति से कांग्रेस की जमकर किरकिरी हुई और जिला कांग्रेस के अध्यक्ष आहत है । वैसे इस पूरे मामले को लेकर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना अपने सूचना तंत्र को मजबूत करें तो उन्हें पता चल जाएगा कि राजिक अकील कल तक उनके खेमे के नेता कहलाया करते थे लेकिन अब राजा बघेल के करीबी हो गए हैं।
सिवनी एक ऐसा जिला है जो भ्रष्ट और विवादित अधिकारियों के लिए सबसे सुरक्षित जिला है । क्योंकि ऐसे अधिकारियों को मालूम है कि यहां के जनप्रतिनिधियों और नेताओं के द्वारा कितनी ही शिकायत क्यों नहीं कर ली जाए बावजूद इसके उनके विरुद्ध किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं होती । बताया जाता है कि कई ऐसे अधिकारी हैं जिन्हें सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि और नेताओं का भी डर नहीं है । ऐसे ही अधिकारियों में शामिल है जल संसाधन विभाग में पदस्थ अशोक कुमार डेहरिया जिनका मूल पद कार्यपालन यंत्री है लेकिन उच्च स्तरीय सांठ गांठ कर अशोक कुमार डेहरिया मुख्य अभियंता बेनगंगा कछार परियोजना जल संसाधन विभाग सिवनी के प्रभार लिए बैठे है। बताया जाता है कि अशोक कुमार डेहरिया के अधीन लगभग 9 जिले आते हैं जिसमें छिंदवाड़ा, बालाघाट, सिवनी, बैतूल, जबलपुर, डिंडौरी, कटनी, नरसिंहपुर व मंडला जिले का नाम शामिल है। सूत्र बताते है कि अशोक कुमार डेहरिया अपने आपको जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट का करीबी बताते नही थकते । उनकी शासन स्तर पर अच्छी पकड़ होने के कारण उन्हें कई मलाईदार कामों काअतिरिक्त प्रभार मिला हुआ है।
ठेकेदारों से रहती है सांठ गांठ अशोक कुमार डेहरिया 09 जिले के मालिक बनकर सिवनी में बैठे है। जल संसाधन विभाग एक ऐसा विभाग है जिसकी तरफ जनप्रतिनिधियों से लेकर जिला प्रशासन कम ध्यान देता है जिसका फायदा अशोक कुमार डेहरिया जैसे अधिकारी उठाते है। सूत्र बताते है कि विभाग के तहत होने वाले विभिन्न निर्माण काम करने वाले कुछ ठेकेदारो से उनके मधुर संबंध है जिसके कारण वह ठेकेदारों के ऊपर मेहरबान रहते है और इस मेहरबानी के चलते ठेकेदार भी अशोक कुमार डेहरिया जैसे अधिकारियों के ऊपर मेहरबान रहते है । विभागीय सूत्र बताते है कि अशोक कुमार डेहरिया फरवरी 2022 मे मुख्य अभियंता बेनगंगा कछार परियोजना सिवनी में पदस्थ हुए थे इसके अलावा इनके पास अन्य जिलों का भी अतिरिक्त प्रभार है जिसमें वह बैतूल जिले के कार्यपालन यंत्री का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे है वही जल संसाधन मंडल सिवनी के अधीक्षण यंत्री का अतिरिक्त प्रभार भी अशोक कुमार डेहरिया के पास बताया जा रहा है। इसके अलावा उन्हें रीवा जिले में मुख्य अभियंता का अतिरिक्त प्रभार भी दे दिया गया है । अशोक कुमार डेहरिया छिंदवाड़ा जिले में जल संसाधन विभाग में अधीक्षण यंत्री के प्रभार में भी थे । जानकार बताते हैं कि एक अधिकारी को बिना संरक्षण के इतने ज्यादा प्रभाव दिया ही नहीं जा सकता और यदि उन्हें प्रभार दिया गया है इसका मतलब साफ है कि ऐसे अधिकारी का भोपाल स्तर पर बेहद अच्छा सेटअप है और मंत्रालय के कई अधिकारी भी उनसे उपकृत होते हैं । वैसे सूत्र बताते हैं कि जब से अशोक कुमार डेहरिया विभिन्न जिलों में पदस्थ हुए है तब से उनके कार्यकाल के दौरान हुए निर्माण कार्यों की जांच जो जाए तो पता चल जाएगा कि उक्त निर्माण कार्य कितने गुणवत्ता युक्त हुए है और उनमें कितना भ्रष्टाचार हुआ है लेकिन सवाल यह उठता है कि जांच करेगा कौन?
सिवनी में पदस्थ रहे सहायक आयुक्त अमर उईके की दूसरी बार अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई। बताया जाता है की डिंडौरी जिले में पदस्थापना के दौरान अमर उईके के द्वारा 25.02.2019 से 21.01.2021 तक सहायक आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग डिंडोरी में लगभग 2 करोड़ 59 लाख 97,577/- रुपये की राशि के गबन या दुरुपयोग के मामले में डिंडौरी पुलिस ने अमर उईके के विरुद्ध 21 फरवरी 2024 को आईपीसी की धारा 420, 409 और 34 के तहत मामला पंजीबद्ध किया था। तब से ही अमर हुई के फरार चल रहे हैं इस बीच डिंडौरी पुलिस ने अमर उईके की गिरफ्तारी के लिए इनाम भी घोषित किया है । बताया जाता है कि अमर उईके की तरफ से दूसरी बार अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। अमर उईके की तरफ से वरिष्ट अधिवक्ता शेखर पांडे के साथ मनीष दत्त वरिष्ठ अधिवक्ता उपस्थित हुए जबकि शासन की तरफ से ए.एस पाठक मौजूद रहे जहां अधिवक्ताओं ने अपने अपने तर्क दिए। बताया जाता है की अमर उइके के विद्वान अधिवक्ताओं ने कहा है कि आवेदक को मामले में झूठा फंसाया गया है। जांच की गई थी, जिसमें आरोपों में महज प्रक्रियात्मक खामियां बताई गई हैं, लेकिन पैसे की कोई हेराफेरी नहीं पाई गई है। इसकी शिकायत कलेक्टर और स्कूल के प्रिंसिपल से भी की गई लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अधिवक्ताओं ने यह भी कहा की लोकायुक्त के दबाव में केवल वर्तमान आवेदक को ही आरोपी बनाया गया है और उसके खिलाफ ही आपराधिक कार्यवाही शुरू की गई है, ऐसा कोई दस्तावेज या अन्य दस्तावेज रिकार्ड पर उपलब्ध नहीं है या अन्य साक्ष्य रिकार्ड पर उपलब्ध नहीं है जिससे यह पता चले कि वर्तमान आवेदक ने किसी के साथ धोखाधड़ी की है, इसके तहत कोई अपराध नहीं है। उन्होंने यह भी कहा की उक्त मामले आवेदक कथित राशि जमा करने को तैयार है. । अधिवक्ताओं ने कहा की यह मामला जिला डिंडौरी का है जबकि अमर उईके सिवनी में पदस्थ है। इस बात की कोई संभावना नहीं है कि आवेदक किसी भी साक्ष्य या दस्तावेज़ के साथ छेड़छाड़ कर सकेगा। इसलिए, वर्तमान आवेदक के खिलाफ हिरासत में पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं है। दूसरी तरफ प्रतिवादी/राज्य के विद्वान सरकारी वकील ने आवेदक की दलीलों का कड़ा विरोध किया है और कहा है कि आवेदक एक राजपत्रित अधिकारी है। उनके खिलाफ रकम गबन की शिकायत दर्ज करायी गयी थी. उनके खिलाफ जांच की गई जिसमें पाया गया कि उन्होंने फर्जी तरीके से 2,59,97,577/- रूपये निकाल कर पैसे का गबन कर लिया है। उन्होंने अग्रिम जमानत का भारी विरोध किया जिसके बाद सुनवाई करते हुए न्यायाधीश प्रमोद कुमार अग्रवाल ने अग्रिम जमानत खारिज कर दिया।
सिवनी में कांग्रेस की नगर सरकार के रहते भ्रष्टाचार की शिकायत कुछ लोगों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री व नगरीय प्रशासन मंत्री से किया था जिसके बाद उक्त शिकायत की जांच के लिए डी आदित्य कुमार के नेतृत्व में एक जांच टीम का गठन किया जो तीन दिनों से सिवनी नगर पालिका परिषद में डंटी हुई है। जांच टीम के आने के बाद परेशान होकर सिवनी के मुख्य नगर पालिका अधिकारी रामकुमार कुर्वेती ने एक इश्तहार जारी करते हुए यह उल्लेख किया था कि जिन लोगों ने शिकायत किया है शिकायत पत्र में उनके सिर्फ नाम है उनका पता और फोन नंबर नहीं है इसलिए इश्तहार जारी होने के बाद वह नगर पालिका परिषद में आकर दस्तावेज उपलब्ध कराए। जो कांग्रेस की नगर सरकार के लिए सरदर्द बन गया । सी एम ओ के द्वारा सूचना इश्तहार जारी कराने के बाद अब नगर पालिका परिषद में ही बहस छिड़ गई की सी एम ओ नगर सरकार को बचाना चाहते है या फसाना। क्योंकि इश्तहार जारी होने के बाद भाजपा कार्यालय में भाजपा पार्षदों की एक बैठक आयोजित की गई जिसमें निर्णय लिया गया की सभी पार्षद जांच अधिकारियों के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को ज्ञापन सौंपेंगे। बताया जाता है की सोमवार को भाजपा के पार्षद नगर पालिका परिषद पहुंचे और जांच दल को मुख्यमंत्री के नाम से ज्ञापन सौंपते हुए सिवनी नगर पालिका में शफीक खान के अध्यक्ष रहते हुए भ्रष्टाचार की जांच कराने की मांग किया। भाजपा पार्षदों ने उन्ही बिंदुओं की जांच कराने की मांग किया जिन बिंदुओं की जांच के लिए कुछ लोगो ने मुख्यमंत्री से शिकायत किया था और सीएमओ ने इश्तहार जारी कर शिकायतकर्ताओं को दस्तावेजों के साथ नगर पालिका बुलाया था। भाजपा पार्षदों ने मांग किया है की वर्तमान नगरपालिका के अध्यक्ष शफीक खान के द्वारा अपने कार्यकाल में कई भ्रष्टाचार किए है ।
इन बिंदुओं की जांच की उठाई मांग
भाजपा पार्षदों ने ज्ञापन में कहा की नगर पालिका परिषद सिवनी के द्वारा जेम पोर्टल में खरीदी के नाम पर भारी भ्रष्टाचार किया गया है इसकी उच्च स्तरीय जांच की जाये। हाईमास्क लाइट की खरीदी और उनके लगने के स्थानों में भी भ्रष्टाचार हुआ है । डीजल की खपत और खरीदी में भी भ्रष्टाचार हुआ है जिसकी जांच की जाए साथ ही ,लागबुक एवं नगर पालिका परिषद के वाहनों की भी जांच की जाये। अवैध कॉलोनी में कॉलोनाइजरों से साठगाठ कर सडक़, पानी, नाली, बिजली, मुरम सहित विकास कार्य किये जा रहे हैं जिसमें मोटी रकम अध्यक्ष ले रहे है इसकी संपूर्ण जांच की जाये। नगरपालिका अध्यक्ष शफीक खान जो कि पिछड़ा वर्ग कोटा से अध्यक्ष चुने गये हैं वे पिंजारा न होकर सामान्य मुस्लिम वर्ग से आते है इनकी शिकायत पूर्व में भी हुई है जिसकी प्रदेश स्तरीय जांच की जाये। इसके अलावा मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत तय मानकों के अनुसार निर्माण नहीं किया गया और कुछ स्थानों में आधा अधूरा निर्माण हुआ है जिसकी पूर्ण जांच किए जाने के साथ-साथ शास्त्री वार्ड में पार्षद की शिकायत के बाद भी अध्यक्ष ने ठेकेदार से साठगाठ कर ठेकेदार को भुगतान कर दिया जिसकी जांच की जाये। ग्रीष्म काल में जलावर्धन योजना से जलापूर्ति नही हुई जिस पर सभी पार्षदों ने धरना भी दिया किन्तु अध्यक्ष ने अपील के बाद भी इनका भुगतान किया इसकी भी जांच की जाये। नगरपालिका अध्यक्ष के द्वारा ई. टेण्डर प्रकिया से बचने के लिए छोटे-छोटे टेबल टेंडर निकाले गये हैं जो कि प्रमुख रुप से स्वयं के परिवार के लोगों को देकर उपकृत किया गया इसकी जांच की जाये। रहवासी अनुमति के नाम पर बुधवारी, शुकवारी, बारापत्थर, भैरोगंज सहित पूरे नगर में व्यवसाय की अनुमति अध्यक्ष की अनुमति से दी जा रही है इसकी पूर्ण जांच हो। नगर के बच्चों का कब्रस्तान में जो ठेका से काम किया गया है उसमें भी भ्रष्टाचार हुआ है इन सभी बिंदुओं की जांच किए जाने की मांग भाजपा के पार्षदों ने उठाया है। इन पार्षदों ने उठाई मांगभाजपा के जिन पार्षदों ने कांग्रेस की नगर सरकार के रहते हुए भ्रष्टाचार की जांच की मांग उठाया है उनमें ज्ञानचंद सनोडिया (पार्षद) नेता प्रतिपक्ष अपील समिति सदस्य श्रीमती डॉली अमित डागोर, उपाध्यक्ष नगरपालिका सिवनी, श्रीमती रामकुमारी बरमैया पार्षद महामाया वार्ड, श्रीमती मालती पाण्डे पार्षद अकबर वार्ड , श्रीमती राजश्री संदेश बास्सा पार्षद शास्त्री वार्ड , संजय भलावी पार्षद कबीर वार्ड, कु साक्षी डागोरिया पार्षद टैगोर वार्ड,श्रीमती अनुसुइया पटवा पार्षद महावीर वार्ड, श्रीमती प्रभा दुब पार्षद सुभाष वार्ड , विजय मिश्रा पार्षद अशोक वार्ड , राजेश राजू यादव पार्षद विवेकानंद वार्ड , श्रीमती गोवंदी सैयाम पार्षद रानी दुर्गावती वार्ड, श्रीमती जीतू तरुण श्रीवास पार्षद कस्तूरबा वार्ड, रविशंकर भांगरे पार्षद पृथ्वीराज चौहान वार्ड शामिल है। भाजपा पार्षदों ने ज्ञापन की प्रति कैलाश विजयवर्गीय, नगरीय प्रशासन मंत्री, म.प्र शासन भोपाल, सांसद बालाघाट सिवनी लोकसभा, विधायक सिवनी विधानसभा,जिलाध्यक्ष भाजपा जिला सिवनी,जिला कलेक्टर जिला सिवनी ,अध्यक्ष, जांच समीति, म.प्र. शासन भोपाल, मुख्य नगरपालिका अधिकारी नगरपालिका परिषद सिवनी को भी दिया गया है। ऐसे में अब सिवनी नगर पालिका परिषद के सीएमओ सहित परिषद की मुश्किलें बढ़ती नजर आने लगी है क्योंकि शिकायतकर्ताओं ने जिन बिंदुओं की जांच के लिए आवेदन दिया था लगभग उन्हें बिंदुओं की जांच के लिए भाजपा के पार्षदों ने लिखकर दिया है ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि क्या सीएमओ राम कुमार कुर्वेती भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों से भी दस्तावेज मांगेगे।
धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो,गौमाता की जय हो, गौ माता की हत्या बंद हो यह नारे अक्सर सनातन धर्म की किसी आरती के बाद सनातन धर्मी लोग आस्था के समुन्दर में डूबकर गगन चुंभी नारे लगाते है...... जब सनातन धर्म की आस्था में गौवंश की हत्या से चोट पहुंचती है तो आक्रोश लाजमी है क्योंकि कोई भी धर्म अपनी आस्था के साथ इस तरह का कृत्य पसंद नही करता। देश में सनातन धर्म की आस्था गाय से जुड़ी है इसलिए आरती के बाद गौ माता की जय के नारे लगाए जाते है। देश में सांप्रदायिक सदभाव और एकता के कुछ दुश्मन गाय को ही अपना हथियार बनाकर एक माहौल तैयार कर लोगो के बीच दुश्मनी और खाई पैदा करने का कोई मौका नहीं छोड़ते जिससे सभी को सावधान रहने की आवश्यकता है। हाल ही में सिवनी जिले में जिस तरह गौवंश की हत्या हुई वह एक ऐसी घटना है जिसने लोगो की आस्था को झकझोर दिया है। इस घटना के बाद सरकार को गंभीर कदम उठाने पड़ेंगे वर्ना इंसानियत के दुश्मन यूं ही लोगो की आस्था के ऊपर हथियार चलाते रहेंगे। देश में 10 साल से भाजपा की सरकार है। मध्यप्रदेश में लगभग 20 साल से भाजपा की बहुमत वाली सरकार है। यदि सरकार चाह ले तो सनातन धर्म के लोगो को एक बड़ा तोहफा देते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करते हुए गौ माता का दर्जा दिलाकर लोगो की आस्था को और भी अधिक गहरी बनाई जा सकती है ताकि घर घर में गौ माता की देखरेख और पूजा होते रहे। गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने के मांग कई वर्षो से की जा रही है । जिस तरह से गौवंश को लेकर आए दिन लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बन रही है उसे देखते हुए सरकार को गौवंश अधिनियम और पशुक्रूरता अधिनियम में व्यापक फेर बदल करना होगा। वर्तमान में गौवंश अधिनियम और पशुक्रूरता अधिनियम में सजा का जो प्रावधान है वह नाकाफी है। जिस तरह वन्य प्रणाली अधिनियम में सख्ती बरती गई है जिसमे तोता पालने से लेकर कछुआ और केकड़ा का शिकार करने में सख्त सजा का प्रावधान है ऐसा ही गौवंश की हत्या के मामले में सख्त सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए। एक तरफ इंडियन वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत मोर या किसी भी पक्षी को मारने पर 7 साल की सजा का प्रावधान है लेकिन ऐसा गौवंश की हत्या के मामले में नहीं है जिसके कारण कुछ वहशी लोगो के हौसले बढ़े हुए है और वह इस तरह की वारदात को अंजाम दे रहे है। देखा जाता है की जब गाय दूध देना छोड़ देती है और बैल कमजोर होकर कृषि कार्य के लायक नही बचते तो लोग उन गाय और बैल को या तो बेच देते है या फिर उन्हे आवारा सडक़ो पर छोड़ देते है। सरकार को ऐसा कानून बनाना चाहिए की जो भी ऐसे गौवंश को बेचता है या आवारा सडक़ो में छोड़ देता है ऐसे लोगो को भी चिन्हित करते हुए उनके विरुद्ध एफ आई आर कर उन्हे जेल भेजा जाए ताकि लोगो के भीतर कानून का डर समा सके और लोग गौवंश को बेचने के बजाए उनकी सेवा कर सके। यदि सरकार के द्वारा ऐसे स्वागत योग्य कदम उठाए जाते है तो सनातन धर्म की भावनाओ की रक्षा भी होगी और गौवंश की हत्या करने वाले दरिंदो को जेल भी होगी। इसलिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इस संवेदनशील मुद्दे पर सद्भावना पूर्ण विचार करते हुए सबसे पहले गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया जाना चाहिए। और जब तक केंद्र सरकार यह कदम नहीं उठाती तब तक मध्यप्रदेश की सरकार गाय को सबसे पहले राज्य पशु का दर्जा देकर प्रदेश वासियों को एक बड़ा तोहफा दे सकती है तब प्रदेश में ‘धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो,गौमाता की जय हो, गौ माता की हत्या बंद हो’ जैसी भावनाएं साकार होगी।
शमीम खान
संपादक
दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस सिवनी।
20 जून को धनौरा में स्थित विवादित जमीन के सीमांकन के दौरान केवलारी तहसील के अंतर्गत आने वाली ग्राम कीमाची के निवासी संतोष साहू के साथ जमकर मारपीट की गई थी जिसके बाद संतोष साहू धनौरा थाना पहुंचा और उसने रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया कि वह सीमांकन के दौरान मौके पर मौजूद था तभी उसके मामा का पुत्र भजनलाल साहू ने उससे कहा कि इस जमीन में हमारा भी हिस्सा है तुमने जमीन क्यों बेच दिया कहते हुए कहा कि इसे मारो तो वहा उपस्थित सोहन साहू व पंकज साहू ने उसे राड व लाठी से पीटकर घायल कर दिया। संतोष साहू ने यह भी बताया कि घटना के समय मौके पर सतीश राय, अखिलेश राय भी मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि सतीश राय और अखिलेश राय ने ही उक्त विवादित जमीन को खरीदा है और उनका परिवार विवादित जमीन खरीदने के मामले में चर्चित भी रहा है। मई 2024 को सतीश राय और उसके पिता शिवप्रसाद राय के विरूद्ध कूटरचित दस्तावेज बनाकर एक जमीन खरीदने के मामले में धनौरा थाने में ही धारा 419, 420, 466, 467, 468, 471, 120 बी के तहत मामला पंजीबद्ध किया था तब पिता पु लंबे समय तक फरार थे और बाद में उन्हें जेल जाना पड़ा था। विवादित जमीन खरीदने के मामले में शिवप्रसाद राय और उनके पुत्र अखिलेश राय व सतीश राय हमेशा से सक्रिय रहते है।
संतोष साहू के ऊपर कूटरचित मुख्तियारनामा बनाकर जमीन बेचने का है आरोपबताया जाता है कि संतोष साहू पिता आमसिंह साहू ने धनौरा थाने में जिस भजनलाल साहू और उसके पिता के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कराया उसी भजनलाल ने राजस्व विभाग से पहले ही शिकायत करते हुए बताया था कि किस तरह उसकी बुआ श्रीमति पुष्पा पति आमसिंह ने अपने पुत्र संतोष साहू के नाम से 19/09/2022 को एक मुख्तियारनामा बनाते हुए धनौरा पटवारी हलका नंबर 17/धनौरा रा.नि.मं. व तहसील धनौरा जिला सिवनी में स्थित भूमि खसरा नंबर 21/1/5 रकबा 0.40 हे. को फर्जी मुख्तियारनामा के आधार पर 08 दिसंबर 2023 को अखिलेश राय के परिजनों को बेच दिया था। बताया जाता है कि इस मामले की सुनवाई व्यवहार न्यायालय लखनादौन में चल रही है बावजूद इसके राजस्व विभाग अमले ने उक्त विवादित जमीन का सीमांकन कराने पटवारी और आर.आई. को भेजा था सूत्रों की मानें तो विवादित जमीन के सीमांकन से पहले क्षेत्र के पटवारी ने नियमों का ध्यान रखे बिना भू-माफियाओं को फायदा पहुंचाने का प्रयास किया था। सूत्रों की मानें तो संतोष साहू ने जो रिपोर्ट लिखाया है उसमें भी उन्होने पुलिस को गलत जानकारी दिया है यदि पुलिस इस पूरे मामले की जांच करें तो उन्हें सबसे पहले संतोष साहू के उस मुख्तियारनामा की भी जांच करना चाहिए जिसके आधार पर संतोष साहू ने बेशकीमती जमीन धनौरा क्षेत्र के विवादित भू-माफियाओं को बेचा है।
सिवनी जिले के धूमा,धनौरा,पलारी, क्षेत्र में लगभग 60 गौवंश की अलग अलग जगह हत्या किए जाने के बाद जिले सहित आस पास क्षेत्र में जमकर आक्रोश पनप रहा है। सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन ने तो इस घटनाक्रम के पीछे पुलिस प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हुए दोषी अधिकारियों और पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कारवाही करने की मांग तक कर दिया। हालांकि सत्ता पक्ष के विधायक के द्वारा मांग किए तीन दिन बीत गए बावजूद इसके ना तो किसी आरक्षक के विरुद्ध कारवाही हुई और ना ही थाना प्रभारियों के विरुद्ध। वैसे सिवनी जिला हमेशा से गौवंश तस्करी को लेकर चर्चित और विवादित रहा है। जिले में आने वाले हर एस पी इस बात को अच्छी तरह से जानता है की जिले में विवाद का सबसे बड़ा कारण गौवंश तस्करी और गौ मांस है बावजूद इसके वह इस मामले में सक्रिय नहीं रहते। याद दिला दे की लगभग एक साल पहले भी जिले के अरी थाना क्षेत्र के खेत में कुछ गौवंश के अवशेष मिले थे यदि पुलिस उस समय सख्त कारवाही करते हुए आरोपियों को कड़ी सजा दिलाते हुए उनके मकान ध्वस्त कर देती तो शायद 60 से अधिक गौवंश की निर्ममता से हत्या नही होती। प्राप्त जानकारी के अनुसार अरी के वार्ड नंबर 12 के पंच उत्तम बोपचे ने पुलिस को बताया था की 04 जुलाई 2023 को दिन में लगभग साढ़े बारह बजे वह अपने साथी सतीश बोपचे के साथ वार्ड न. 17 अमरई टोला रामदयाल राउत के घर गया था । तब खेत जाने वाला कच्चा रास्ता पर बदबू आ रही थी तब उन्होंने देखा तो रास्ते से लगी झाडिय़ों में लगभग 07 गौवंश के कटे हुए सिर पड़े थे। इसके अलावा गोवर्धन साहू के खेत में स्थित कुआ के पानी में कुछ गौवंश के अवशेष भी तैरते अवस्था में मिले। अरी मे मलिक पटेल के खाली प्लाट में मोबाइल टवर के पास भी गौवंश के चार पैर कटी अवस्था में पडे मिले थे । तब अरी पुलिस ने अज्ञात आरोपी के विरुद्ध अरी थाने में अप.क्र. 00/23 धारा धारा 4,9 गौवंश प्रतिशेध अधि, 11 (ठ) पशुओ के प्रति क्रूरता, 429 भादवि के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया। लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की गई। घटना घटे लगभग एक साल होने को आए लेकिन अब तक पुलिस यह नही बता पाई की उक्त घटना के आरोपी गिरफ्तार हुए अथवा नहीं और यदि गिरफ्तार हुए तो वह कौन थे ? क्या उनके घरों में बुलडोजर चला यदि नही चला तो क्यों इन सवालों का जवाब पुलिस विभाग के आला अधिकारियों के अलावा कोई नहीं दे सकता।
घटना के समय दयाराम शरणागत ही क्यों रहते है थाना प्रभारी---+---- इसे संयोग ही कहा जाएगा की लगभग एक साल पहले अरी क्षेत्र के खेत में लगभग 10 गौवंश के अवशेष मिले थे तब अरी थाना प्रभारी उप निरीक्षक दयाराम शरणागत थे। उस समय इतनी बड़ी घटना घटने के बावजूद एस पी राकेश कुमार सिंह ने ना तो आरक्षको को लाइन अटैच किया और ना ही थाना प्रभारी दयाराम शरणागत के ऊपर कोई कारवाही किया। बाद में एस पी राकेश कुमार सिंह ने उप निरीक्षक दयाराम शरणागत को धनौरा थाने की कमान सौप दिया जिनके जाने के बाद 19 जनवरी को उनके थाना क्षेत्र में कई गौवंश मृत हालत में मिले। घटना के चार दिन बीत गए बावजूद इसके पुलिस के आला अधिकारी दोषी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कोई कारवाही नही कर पाई।अरी की घटना से सबक लेते तो नही घटती इतनी बड़ी घटना पुलिस हमेशा से सूचना तंत्र के ऊपर निर्भर रहती है। अरी में पुलिस का सूचना तंत्र कमजोर था जिसके कारण वहां लगभग 10 गौवंश के अवशेष मिले थे तब भी पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध कोई सख्त कारवाही नही किया। एस पी इस बात को अच्छी तरह से जानते थे की उप निरीक्षक दयाराम शरणागत का सूचना तंत्र कमजोर है बावजूद उन्हे धनौरा पदस्थ कर दिया जिनके रहते धनौरा क्षेत्र में दर्जनों गौवंश के शव मिले जो उनकी निष्क्रीय कार्यप्रणाली का प्रमाण है।अरी में घटी घटना को जनप्रतिनिधियों ने भी गंभीरता से नहीं लिया था लगभग 1 साल पहले अरी थाना क्षेत्र में घटी घटना को लेकर जिले के जनप्रतिनिधियों ने कोई सक्रियता नहीं दिखाई थी और ना ही उसे गंभीरता से लिया था। उस समय किसी भी जनप्रतिनिधि ने एस पी से यह पूछने की जहमत नहीं उठाया था कि उक्त घटना के आरोपियों को गिरफ्तार किया गया या नहीं और उनके घरों को ध्वस्त किया गया या नहीं ? किसी भी जनप्रतिनिधि ने यह नहीं पूछा था कि जिन पुलिस अधिकारियों के रहते इतनी बड़ी घटना घटी वह अभी तक थाने में कैसे बने हुए हैं ? यदि एक साल पहले जिले के प्रतिनिधि अरी की घटना को लेकर चिंतित हो जाते तो वर्तमान में 60 से ज्यादा गोवंश की निर्मम हत्या नही होती।
इन दिनों केवलारी विधानसभा के विधायक ठाकुर रजनीश सिंह रेत प्रेम के मामले में सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहे हैं। दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस के द्वारा लगातार समाचार प्रकाशित करते हुए उल्लेख किया गया की 2023 में जैसे ही ठाकुर रजनीश हरवंश सिंह चुनाव जीते तो उन्हें केवलारी विधानसभा क्षेत्र में रेत की खदान दिखाई दी। इसके अलावा उन्हें क्षेत्र के लोगों की दूसरी समस्याएं दिखाई नहीं दिया ।विधायक बनने के बाद ठाकुर रजनीश हरवंश सिंह ने खनिज अधिकारी से लेकर कमिश्नर तक उगली क्षेत्र में अवैध रेत उत्खनन और परिवहन किए जाने को लेकर पत्र व्यवहार किया इसके अलावा उन्होंने विधानसभा में भी अवैध रेत का मामला उठाया था। अब रजनीश सिंह अपनी सफाई देते फिर रहे है। उनका कहना है की उगली क्षेत्र में संचालित रेत खदान में कई फुट गहरी रेत खोद दी गई जिसके कारण किसानों की दोनो तरफ के जमीन बहाव में चले गई जिससे किसान परेशान है। ठाकुर रजनीश सिंह अपनी सफाई में यह भी कहते फिर रहे है की रेत से भरे डंफर के कारण जंगली जानवर गांव की तरफ जा रहे है। वैसे यहां प्रश्न यही है की ठाकुर रजनीश सिंह को 2023 में विधायक बनने के बाद ही यह सब कुछ क्यों दिखाई दे रहा है। 2013 में भी उगली क्षेत्र में रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन होता था। ठाकुर रजनीश सिंह के करीबी भी अवैध रेत उत्खनन और परिवहन का कारोबार करते है जिसके कारण उनके एक करीबी सरपंच के ऊपर रेत का अवैध उत्खन के लिए लगभग 47 लाख का जुर्माना भी लगाया है उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तब उन्हे रेत का अवैध कारोबार दिखाई क्यों नही दिया।
किन किसानों के खेत में हुआ बहाव---------ठाकुर रजनीश सिंह अपनी सफाई में कहते फिर रहे की रेत के अवैध उत्खन से किसानों की दोनो तरफ की जमीन बहाव में चले गई ऐसे में ठाकुर रजनीश सिंह को यह अवश्य बताना चाहिए की किन किसानों की जमीन बहाव में चले गई। जिन किसानों की जमीन बहाव में गई उन्होंने शासन प्रशासन से मुआवजे की मांग किया अथवा नहीं यदि किया था तो कब किया था। जिन किसानों की जमीन बहाव में चले गई वह किसान सामने क्यों नही आ रहे है। ठा. रजनीश सिंह ने विधानसभा में अवैध रेत का मामला उठाया था तब उन्होने किसानों की जमीन का मामला क्यों नही उठाया।
कही रेत रेत ठेकेदारों के ऊपर दबाव की राजनीति तो नहीवैसे 2023 में विधायक बनने के बाद जिस तरह से ठा. रजनीश सिंह रेत के मामले में सक्रिय नजर आ रहे है उसके बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है कि ठा. रजनीश सिंह के भीतर अचानक रेत प्रेम नही जागा बल्कि पहले ठा. रजनीश हरवंश सिंह रेत ठेकेदारों के संपर्क में थे बाद में अचानक से उन्होने रेत का राग अलापना शुरू कर दिया ऐसे में उनकी इस सक्रियता को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है।
सिवनी महाकौशल। कोतवाली सिवनी में लोक निर्माण विभाग में पदस्थ सहायक ग्रेड 3 अनिल दुबे के विरुद्ध धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया। बताया जाता है की गत दिवस कार्यालय कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) संभाग क्रमांक 1, सिवनी आर. के. हनुमने ने कोतवाली को पत्र लिखते हुए अवगत कराया था की अनिल कुमार दुबे सहायक ग्रेड 3 वर्तमान निवास शासकीय निवास एच 1 लोक निर्माण विभाग कॉलोनी शासकीय नौकरी पाने के लिए शैक्षणिक योग्यता में हायर सेकेण्डरी की फर्जी मार्कशीट एवं फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए सरकारी नौकरी प्राप्त कर लिया था। बताया जाता है की अनिल दुबे के द्वारा फर्जी अंक सूची लगाकर नौकरी प्राप्त किए जाने की शिकायत विभाग के अधिकारियों से की गई थी तब अनिल दुबे को 28/03/2024 एवं पत्र क्र. 744/2024 दिनांक 06/05/2024 को मूल अंकसूची एवं दस्तावेज प्रदाय करने के लिए विभाग ने पत्र लिखा था। बताया जाता है की अनिल दुबे ने अंकसूची की सत्यापित छायाप्रति एवं मूल अंकसूची की छायाप्रति मय अन्य दस्तावेजों दिए। विभाग ने दस्तावेजों का अवलोकन किया तो पाया कि सहायक ग्रेड 3 अनिल कुमार दुबे के द्वारा शासकीय नौकरी प्राप्त करने के लिये नकली एवं कूटरचित दस्तावेजों का उपयोग किया है। बताया जाता है की लोक निर्माण विभाग से मिले पत्र के आधार पर कोतवाली पुलिस ने अनिल कुमार दुबे, सहायक ग्रेड 3 कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी लोक निर्माण विभाग (भ / स) अनुविभाग क्रमांक के विरुद्ध धारा 420 के तहत मामला पंजीबद्ध करते हुए जांच में ले लिया।
सिवनी जिले में कई ऐसे थाना क्षेत्र है जहां की पुलिस की निष्क्रियता के चलते अपराधियों के हौसले बुलंद है। बताया जाता है की कुछ जगह पुलिस की निष्क्रियता के चलते पुलिस की छवि भी धूमिल हो रही है ऐसा ही कुछ पलारी थाना क्षेत्र में भी हो रहा है जहां की पुलिस एक विवाहिता की मौत के लिए जिम्मेदार उसके ससुर और नंद को गिरफ्तार करने में नाकाम है जबकि उक्त दोनों कोई आदतन अपराधी नहीं है। बावजूद इसके एफ आई आर के दस दिन बीत जाने के बाद भी गिरफ्तारी ना होना पलारी पुलिस की निष्क्रियता दर्शाता है। उल्लेखनीय है की पलारी पुलिस चौकी क्षेत्र की 33 वर्षीय महिला वर्षा राय ने 08 मई को सास राधा बाई राय, ससुर कृष्णगोपाल राय और नन्द संगीता राय की प्रताडऩा से तंग आकर फिनायल पी लिया था जिसकी नागपुर में 12 मई को इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इस मामले में 29 मई को पलारी पुलिस ने आरोपी सास राधा बाई राय, ससुर कृष्णगोपाल राय और नन्द संगीता राय के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करते हुए दूसरे दिन सास राधा राय को गिरफ्तार कर लिया था जबकि मृतिका का ससुर कृष्ण गोपाल राय और उसकी नंद संगीता राय तभी से फरार है। सूत्र बताते है की मृतिका की सास बीमार थी जिसके चलते उसकी गिरफ्तारी के बाद माननीय न्यायलय ने उसे जमानत दे दिया जिसके बाद मृतिका की नंद संगीता राय की भी जमानत लगाई गई थी लेकिन उसे जमानत नही मिल पाई।
थाना प्रभारी को नही लगता फोन
पलारी पुलिस चौकी प्रभारी के पद पर राजेश शर्मा पदस्थ हैं इस संबंध में जानकारी के लिए उनके दो शासकीय नंबर पर लगभग एक दर्जन बार फोन लगाया गया लेकिन उन्हें फोन लगा ही नहीं जिससे यह पता नहीं चल सका की आखिर पलारी पुलिस नंद और ससुर को क्यों गिरफ्तार नही कर पाई। वैसे वर्षा राय की मौत के लिए जिस तरह से उसकी नंद संगीता राय और ससुर कृष्णगोपाल राय पिछले 10 दिनों से फरार चल रहे हैं उसके बाद क्षेत्र में चर्चा चल रही है कि जब एक महिला और एक पुरुष पुलिस गिरफ्त से बाहर हो सकते हैं तो यदि क्षेत्र के आदतन अपराधी कोई बड़ी घटना कारित कर दें तो पुलिस उन्हें कई महीनो तक ढूंढ ही नहीं पाएगी। प्रश्न यह होता है कि क्या पलारी पुलिस वर्षा राय की मौत के लिए जिम्मेदार उसके ससुर और नंद को जमानत के लिए पूरा मौका दे रही है और यदि ऐसा नहीं है तो फिर पुलिस सक्रियता दिखाते हुए 10 दिन से फरार चल रहे ससुर और नंद को क्यों गिरफ्तार नही कर पा रही।
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मुख्यमंत्री ने नदी, तालाब,बावड़ी,कुआ के जल संरक्षण और पुनर्जीवन का अभियान छेड़ रखा है, घंसौर में सौ साल पहले से 16 एकड़ का हुआ करता था तालाब --------
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशानुसार जल गंगा संवर्धन अभियान में प्रदेश में जल स्त्रोतों तथा नदी, तालाबों, कुओं, बावडिय़ों तथा अन्य जल स्त्रोतो के जल संरक्षण एवं पुनर्जीवन के लिये 16 जून तक विशेष अभियान संचालित किया जा रहा है। गत दिवस पंचायत एवं ग्रामीण विकास व श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने जल स्रोतों के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए चलाये जा रहे जल-गंगा संवर्धन अभियान में कहा था की हम अपने पुरखों के अनुभव और उनके दूरदर्शी विचारों पर गौर करें। गंगा दशहरा के पहले किसान बंधु मेढ़ बंधान एवं खेती किसानी के लिये जो आवश्यक तैयारियां करना है वो पहले कर लेते हैं। क्योंकि उन्हें मालूम है कि बरसात आयेगी, तब हम कुछ नहीं कर पायेगें। यह हमारे पुरखों- बुजुर्गों की सोच थी। हमें भी अपनी भावी पीढ़ी के बारे में सोचना होगा। वैसे यदि मोहन यादव की सरकार जल स्त्रोतों तथा नदी, तालाबों, कुओं, बावडिय़ों तथा अन्य जल स्त्रोतो के जल संरक्षण एवं पुनर्जीवन के लिये गंभीर है तो उन्हे एक अभियान चलाते हुए यह पता लगाना चाहिए कि किसी ने परंपरागत जल स्रोतों में कब्जा तो नही कर लिया। सूत्र बताते है की प्रदेश में कई ऐसे जिले है जहां कुछ दबंग लोगो ने तालाब , बावड़ीयो, कुंआ का अस्तित्व ही समाप्त कर स्वयं फायदा उठाने लगे है।
सिवनी जिले में भी तालाबों में कर लिया गया कब्जा-----
यदि सिवनी के कलेक्टर क्षितिज सिंघल को मुख्यमंत्री मोहन यादव के सपनों को साकार करना है तो उन्हें यह जांच करना चाहिए कि सिवनी जिले में कहां-कहां तालाबों का अस्तित्व समाप्त कर उसमें कब्जा किया गया है। सूत्र बताते है की कुछ ऐसी जगह है जहां कई वर्षो पूर्व तालाब हुआ करता था लेकिन कुछ लोगो ने अपनी दबंगई दिखाते हुए तालाब का अस्तित्व समाप्त कर उसमें कब्जा कर लिया है और वहां प्लॉट बेचने की पहल की जा रही है।
घंसौर मुख्यालय में भी गुम हो गया है सैकड़ो वर्ष पुराना तालाब -----
सूत्र बताते है की आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र घंसौर मुख्यालय में 100 साल पहले से लगभग 16 एकड़ ज़मीन में एक बड़ा तालाब बना हुआ था जहां से गांव के लोग पानी का उपयोग किया करते थे। 16 एकड़ में तालाब होने के कारण आस-पास क्षेत्र में भी पानी का स्तर बने रहता था लेकिन बाद में धीरे धीरे तालाब का अस्तित्व समाप्त होते गया। वर्तमान में स्थिति यह हो गई की लोग यह भूल गए की घंसौर में कभी तालाब भी हुआ करता था। 16 एकड़ तालाब का अचानक गायब हो जाने के कारण आज घंसौर के लोग पानी के लिए तरस रहे है। ग्राम पंचायत ग्रामीणों को पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं करा पा रही। यदि कलेक्टर क्षितिज सिंघल इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राजस्व अधिकारियों से सौ साल के रिकॉर्ड की जांच कराए तो उन्हे पता चल जाएगा की घंसौर के किस हिस्से में 16 एकड़ का तालाब था और वर्तमान में उक्त तालाब की जमीन पर किसका कब्जा हो गया। यदि कलेक्टर घंसौर में गुम हो चुके 16 एकड़ तालाब को ढूंढ कर उसे अस्तित्व में लाते हैं तो संभवत यह पूरे प्रदेश का पहला मामला होगा जब किसी अधिकारी ने गुम तालाब को ढूंढकर अस्तित्व में लाया। देखना यह है कि जिले के कलेक्टर मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार यह पुण्य काम कब तक करते हैं।
चुनाव जीतने के बाद भारती पारधी का स्वागत करते आई नजर
अर्जुन ङ्क्षसह ककोडिय़ा ने दोनों पार्षदों का निष्कासन कराया था रद्द
लोकसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं और अब समीक्षाओं का दौर शुरू हो गया बालाघाट लोकसभा से एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज कराया है भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी श्रीमती भारती 174512 वोटो से चुनाव जीती है बालाघाट लोकसभा में भारतीय पार्टी को 712660 वोट मिले जबकि कांग्रेस के सम्राट सिंह सरसवार को 5038148 वोट मिले। वैसे जब सम्राट सिंह सरस्वार को टिकिट मिली थी तब दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने 8 अपै्रल 2024 को ‘अब निष्कासित नेताओं के भरोसे कैसे जीतेगी कांग्रेस’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित करते हुए उल्लेख किया था कि सम्राट सिंह सरस्वार को जिताने अर्जुन सिंह ककोडिय़ा कांग्रेस से गद्दारी करने वाले अनिल सिंह ठाकुर और ऋषभ जायसवाल जैसे नेताओं के भरोसे है जो सम्राट सिंह सरस्वार के लिए घातक साबित हो सकते है। समाचार प्रकाशित करते हुए सम्राट सिंह सरस्वार को पहले ही सतर्क कर दिया गया था की वह बालाघाट लोक सभा चुनाव पार्टी से भीतघात करने वाले नेताओ के भरोसे नहीं जीत पाएंगे क्योंकि कई ऐसे नेता है जिन्होंने भाजपा को जिताने अपनी पार्टी से खुलकर गद्दारी किया था ऐसे भीतरघाती नेताओ में ज्यादातर बरघाट के पूर्व विधायक अर्जुन सिंह काकोडिया के करीबी थे। सम्राट सिंह सरस्वार बरघाट विधानसभा में सबसे ज्यादा अर्जुन सिंह काकोडिया के ऊपर भरोसा किया था और सूत्र बताते है की अर्जुन सिंह का के उन करीबी नेताओ ने ही अपनी आदत के मुताबिक सम्राट सिंह सरस्वार को हराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था।
संध्या अनिल सिंह ठाकुर और श्रीमती निधि ऋषभ जायसवाल की भूमिका संदिग्ध------
सिवनी जिले के लोग इस बात को अच्छी तरह से जानते है की अर्जुन सिंह काकोडिया के करीबियों में बरघाट के अनिल सिंह ठाकुर और ऋषभ जायसवाल का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। जिनकी धर्मपत्नी श्रीमती संध्या अनिल ठाकुर और श्रीमती निधि ऋषभ जायसवाल ने नगर परिषद बरघाट के अध्यक्ष चुनाव में रंजित वासनिक की धर्मपत्नी श्रीमती संगीता रंजीत वासनिक को अध्यक्ष बनने से रोकने के लिए भाजपा को वोट किया था। इस मामले में जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना ने उसी दिन दोनों पार्षद श्रीमती संध्या अनिल सिंह ठाकुर एवं श्रीमती निधि ऋषभ जायसवाल के अलावा अनिल सिंह ठाकुर एवं ऋषभ जायसवाल को पार्टी से 6 सालों के लिए निष्कासित कर दिया था निष्कासन के बावजूद उक्त नेताओं का अर्जुन सिंह काकोडिया से संपर्क बना हुआ था । जब लोकसभा चुनाव करीब आए और सम्राट सिंह सरस्वार के कार्यक्रम में पार्टी से निष्कासित नेताओ की चहल कदमी बढ़ी तो तब 08 अपै्रल को दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने समाचार प्रकाशित किया था। जिसके बाद अर्जुन सिंह काकोडिया बैकफुट में आ गए तो उन्होंने आनन फानन में 09 अप्रैल को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखते हुए बरघाट विधानसभा के लगभग 15 नेताओ को बहाल करने पत्र लिखा था जिसमे अर्जुन सिंह काकोडिया के धुर विरोधी रहे रंजित वासनिक, विनोद वासनिक,मोहन चंदेल जैसे नेताओं का नाम भी शामिल था। इनके अलावा अनिल सिंह ठाकुर,ऋषभ जायसवाल, श्रीमती संध्या अनिल सिंह ठाकुर,श्रीमती निधि ऋषभ जयसवाल, गोलू मालवीय का नाम भी शामिल था। अर्जुन सिंह काकोडिया ने जिस दिन पत्र लिखा उसी दिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने 09 अप्रैल 2024 को ही सभी नेताओ को बहाल कर दिया। बताया जाता है की उक्त नेताओं की बहाली के बाद अधिकांश नेताओं ने कांग्रेस का काम नही किया जबकि अनिल सिंह ठाकुर और ऋष्भ जायसवाल अर्जुन सिंह ककोडिय़ा के साथ लगातार सक्रिय रहे लेकिन उनकी पार्षद पत्नियों ने कांग्रेस के प्रति वफादारी नही दिखाया।
भारती पारधी के जीतने के बाद खुलकर किया स्वागत------
सम्राट सिंह सरस्वार को अर्जुन सिंह काकोडिया की करीबी श्रीमती संध्या अनिल सिंह ठाकुर एवं श्रीमती निधि ऋषभ जायसवाल की भूमिका को देखना है तो उन्हें इस तस्वीर को देख लेना चाहिए जिसमे वह भारती पारधी की जीत के बाद निकले उनके जुलूस का स्वागत करते नजर आ रही है। असल में 04 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आए। 05 जून को भारती पारधी की विजय रैली बरघाट और सिवनी में निकाली गई जिसके उनका स्वागत करने श्रीमती संध्या अनिल सिंह ठाकुर और श्रीमती निधि ऋषभ जायसवाल ने बकायदा एक पंडाल में उनका खुलकर स्वागत किया जो यह बताने के लिए काफी है की नगर परिषद चुनाव में पार्टी से गद्दारी करने वाली दोनो पार्षदों ने अर्जुन सिंह काकोडिया के प्रयासों से बहाल होने के बाद भी पार्टी के लिए ईमानदारी से काम नही किया क्योंकि यदि वह ईमानदारी से काम करती होती तो परिणाम के दूसरे ही दिन वह भारती पारधी का खुलकर स्वागत नही करती। सम्राट सिंह सरस्वार को अर्जुन सिंह से यह तो पूछ ही लेना चाहिए की उनके करीबी भारती पारधी के विजय जुलूस में क्या कर रही थी क्या इसमें अर्जुन सिंह काकोडिया की मौन स्वीकृति थी क्योंकि इन्हें बहाल कराने में अर्जुन सिंह काकोडिया की ही सहमती थी।
उत्तर वन मंडल में पदस्थ डीएफओ वासु कनौजिया के रहते न केवल विभाग के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के हौसले बढ़े हुए हैं बल्कि वासु कनौजिया के रहते उत्तर वन मंडल क्षेत्र में सागौन के तस्कर भी सक्रिय है जिन्हें पकड़ पाने में वासु कनौजिया और उनका पूरा विभाग पूरी तरह से निष्क्रीय है या यूं कहे की है कि आप्रत्यक्ष रूप से सागौन के तस्करों को संरक्षण दिया जा रहा है। गतांक में दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने समाचार प्रकाशित करते हुए उल्लेख किया था की सितम्बर 2023 को उत्तर वन मंडल के अंतर्गत आने वाले छपारा वृत के पूर्व छपारा के जंगल से 11 नग सागौन काटकर तस्करी की गई थी जिसके ठूंठ मौके पर मौजूद थे। इस मामले में विभाग ने डिप्टी रेंजर संजय जायसवाल और बीट गार्ड निरंजन मर्सकोले की भूमिका सवालो के घेरे में थी लेकिन विभाग ने सिर्फ निरंजन मर्सकोले को निलंबित करते हुए रस्म अदायगी कर लिया था। उक्त घटना के बाद डीएफओ वासु कनौजिया ने आरोपियों का पता लगाने का कोई प्रयास नहीं किया और ना ही संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों के विरुद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई किया जिसके चलते अधिकारियों के भी हौसले बढ़ गए और सागौन तस्करों के भी हौसले बढ़ गए जिसके बाद 30-31 दिसंबर में एक और मामला सामने आया जिससे उत्तर वन मंडल पूरी तरह बेनकाब हो गया था।
यह था मामला------
दिसंबर के महीने में नेशनल हाइवे 44 से लगे वन परिक्षेत्र छपारा की पश्चिम बीट के जंगल में कूप कटाई का सागौन कटा हुआ रखा हुआ था जिसे तस्कर ट्रक में लोड कर योजनाबद्ध तरीके से ले जाने की तैयारी पर थे। वन विभाग के अधिकारियों को मुखबिर से सूचना मिली तब वन विभाग की टीम ने दबिश दिया जिसे देखकर आरोपी हाथ में हथियार लेकर वहा से अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गये थे। ट्रक में लगभग 20 नग सागौन के ल_े लोड मिले जिसकी अनुमानित कीमत 1 लाख 81 हजार 735 रुपए बताई जा रही है। वन विभाग अमले ने अज्ञात तस्करों के विरूद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कर तलाशी प्रारंभ कर दिया। सूत्र बताते है कि इस मामले में वन विभाग ने गुपचुप तरीके से गिरफ्तार तो कर लिया गया लेकिन इस पूरे मामले की जानकारी मीडिया को उपलब्ध नही कराई गई। इसके पीछे क्या कारण है यह तो डीएफओ वासु कनौजिया और संबंधित अधिकारी जाने लेकिन जिस तरह वासु कनौजिया और उनके कार्यक्षेत्र में बेखौफ होकर जंगलों की कटाई हो रही है उससे तो यही लग रहा है कि वासु कनौजिया और उनके करीबी अधिकारियों का वन माफियाओं को डर है ही नही।
सिवनी और बरघाट विधानसभा ने आधे से ज्यादा बढ़ाया जीत का अंतर
लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीट में भाजपा ने जीतकर कांग्रेस का सफाया कर दिया। हालांकि इस बार हुए चुनाव में जीत हार का अंतर कम रहा। बालाघाट लोकसभा सीट भी ऐसी ही लोकसभा सीट रही जहां जीत हार का अंतर पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में कम रहा।
67554 वोटो की कम रही लीड
लोक सभा चुनाव में मोदी मैजिक के चलते कई नए चेहरे को टिकिट दी गई जिसमे बालाघाट लोकसभा भी शामिल है जहां से बालाघाट नगर पालिका परिषद की पार्षद श्रीमती भारती को भाजपा ने टिकट दिया था लेकिन भारती पारधी ने पिछले चुनाव की जीत के आंकड़े बढ़ा नही सकी। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर ढाल सिंह बिसेन 242066 वोटो से जीते थे लेकिन इस बार जीत का अंतर 67554 कम वोटो का रहा। इस बार भाजपा प्रत्याशी श्रीमती भारती पारधी 174512 वोटो से ही जीत पाई।
आधे से ज्यादा वोटो से सिवनी और बरघाट विधानसभा से जीती भारती पारधी
भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव में सिवनी और बरघाट विधानसभा भाजपा के लिए संजीवनी साबित होती है हालांकि चुनाव जीतने के बाद सांसद सिवनी और बरघाट को नजर अंदाज कर देते है इसका सबसे बड़ा कारण यही है की जीतने वाले सांसद इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि भले ही वह सिवनी एवं बरघाट में कोई विकास कार्य नहीं करेंगे बावजूद उसके सिवनी एवं बरघाट के लोग भाजपा को जिताने दिल खोलकर वोट देते हैं। भारती पारधी को 1 लाख 74 हजार 512 वोटो से जीत मिली जिसमे सिवनी विधानसभा से भारती पारधी को 118587 वोट मिले जबकि कांग्रेस के सम्राट सिंह सरस्वार को 59885 वोट मिले इस तरह भारती पारधी सिवनी से 58702 वोट से जीती । बरघाट विधानसभा में भारती पारधी को 1 लाख 28 हजार 69 वोट मिले जबकि कांग्रेस के सम्राट सिंह सरस्वार को 72472 वोट मिले इस तरह बरघाट से भाजपा 30397 वोटो से जीती। सिवनी व बरघाट से भाजपा 89099 वोटो से जीती है।
पिछले चुनाव की तुलना में कम वोटो से जीती भारती पारधी ------
2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते डॉक्टर ढाल सिंह बिसेन जैसे निष्क्रिय नेता को बालाघाट लोकसभा क्षेत्र की जनता ने लगभग 2 लाख 42 हजार वोटो से जीत दिलाया था जिसमें सिवनी एवं बरघाट विधानसभा का बहुत बड़ा योगदान था। 2019 के लोकसभा चुनाव में डॉक्टर ढाल सिंह बिसेन को सिवनी विधानसभा से 1 लाख 24 हजार 350 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस प्रत्याशी मधु भगत को 59276 वोट मिले थे इस तरह सिवनी विधानसभा से डॉक्टर ढाल सिंह बिसेन 65 हजार 74 वोट से जीते थे जबकि इस चुनाव में भारती पारधी 58702 वोटो से जीती । इसी तरह बरघाट विधानसभा से 2019 के लोकसभा चुनाव में डॉक्टर ढाल सिंह बिसेन को 108529 वोट मिले थे जबकि मधु भगत को 65792 वोट मिले थे इस तरह डॉक्टर ढाल सिंह बिसेन को बरघाट विधानसभा से 42737 वोटो से जीत मिली जबकि इस चुनाव में भारती पारधी को 30397 वोटो से ही जीत मिली। अन्य विधानसभा से भी कम हुआ जीत का अंतरबालाघाट लोकसभा में 08 विधानसभा आती है जिसमे से 06 विधानसभा बालाघाट जिले की है जबकि 02 विधानसभा सिवनी जिले की है । समाचार लिखे जाने तक प्राप्त आंकड़ों की माने तो बालाघाट जिले की 06 विधानसभा से भारती पारधी को लगभग 68 हजार वोटो से जीत मिली। प्राप्त जानकारी के अनुसार भारती पारधी को बालाघाट से 15428 वोटो से जीत मिली,लांजी से 13935,परसवाड़ा से 16389,वारासिवनी से 20439, कटंगी से 14871, और बैहर से 3340 वोटो से जीत मिली हालांकि यह अधिकृत आंकड़े नही है। कुल मिलाकर मोदी मैजिक में भारती पारधी जीत तो गई लेकिन उनकी जीत का अंतर पिछले चुनाव की तुलना में काम रहा जिसकी समीक्षा होना आवश्यक है।
02 फरवरी 2024 को कार्यवाहक निरीक्षक अनिल पटेल का जब आदेगांव से घंसौर स्थानांतरण हुआ था तब सबसे ज्यादा मायूस आदेगांव क्षेत्र के सटोरिए और जुआरी थे जबकि सबसे ज्यादा खुश घंसौर क्षेत्र के जुआरी और सटोरिए थे। अनिल पटेल जब से घंसौर थाने में पदस्थ हुए है तब से ही जुआ फड़ चलाने वाले लोगो के साथ साथ घसीटा शिवहरे जैसे सट्टा किंग को उन्होंने अपना विशेष स्नेह पात्र बना लिया। यही कारण है की अनिल पटेल ने कभी ना तो घसीटा शिवहरे के गुर्गों को पकडऩे की कोशिश किया और ना ही घसीटा उर्फ ठाकुर प्रसाद शिवहरे पिता गिरधारी शिवहरे को आरोपी बनाया। बताया जाता है की लगभग एक सप्ताह पहले टी आई अनिल पटेल अवकाश पर गए थे तब घंसौर एस डी ओ पी नम्रता सोंधिया ने सक्रियता दिखाई। बताया जाता है की 20 मई को घंसौर पुलिस ने कमानिया गेट घंसौर में सट्टा पट्टी लिखते संदीप बर्मन पिता गिरधारी बर्मन को गिरफ्तार किया और उससे पूछताछ किया तो पता चला की संदीप बर्मन घंसौर क्षेत्र के सट्टा किंग घसीटा उर्फ ठाकुर प्रसाद शिवहरे पिता गिरधारी शिवहरे के लिए सट्टा लिखता है जिसका खाई बाज घसीटा शिवहरे है तब पुलिस ने संदीप के विरुद्ध सट्टा एक्ट के तहत कारवाही किया जबकि सट्टा किंग घसीटा शिवहरे को भी आरोपी बनाया गया। सूत्र बताते है एस डी ओ पी के निर्देशन में घसीटा के विरुद्ध की गई कारवाही से टी आई अनिल पटेल को जमकर झटका लगा। घसीटा को सट्टा के खाईबाज के मामले में आरोपी बनाया गया लेकिन एक सप्ताह से ज्यादा समय गुजर गया अभी तक घसीटा शिवहरे को गिरफ्तार नही किया गया। यदि टी आई अनिल पटेल घंसौर क्षेत्र के सट्टा किंग घसीटा उर्फ ठाकुर प्रसाद शिवहरे जैसे अपराधियों के ऊपर मेहरबान नही है तो फिर अवकाश से वापिस आने के बाद उन्होने घसीटा की गिरफ्तारी के लिए कोई प्रयास क्यों नही किया?
इधर विनय नाथन के ऊपर किसका है संरक्षणआदिवासी बाहुल्य क्षेत्र घंसौर क्षेत्र को कुछ अपराधिक किस्म के लोगों ने अपना ठिकाना बना लिया है जिनके ऊपर घंसौर क्षेत्र के दबंग और राजनैतिक लोगों का संरक्षण है जिसके चलते घंसौर क्षेत्र में जुआ सटटा और अवैध शराब का कारोबार चरम पर पहुंच गया है। सूत्र बताते है कि घंसौर में विनय नाथ पिता जगन्नाथ नाथन नामक युवक भी काफी चर्चित है जिसका नाम घंसौर थाने में गुंडा बदमाश की सूची में शामिल है। घंसौर के टी आई अनिल पटेल ने कभी यह जानने का प्रयास नही किया कि गुंडा बदमाश की लिस्ट में शामिल विनय नाथ पिता जगन्नाथ नाथन कहा का मूल निवासी है और वह घंसौर में रहकर क्या काम करता है? सूत्र बताते है कि विनय नाथन के ऊपर भी क्षेत्र के कुछ दबंग लोगों का संरक्षण है। जिसके चलते उसके विरूद्ध किसी प्रकार की न तो जांच होती है और न ही उसके विरूद्ध कोई कार्यवाही हो पा रही है। बताया जाता है कि क्षेत्र में खुलेआम जुआ और सट्टा का कारोबार चल रहा है जिसे रोकने में टी आई पूरी तरह से नाकाम है।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि उनकी सरकार हर गरीब को घर देने के लिए दृढ़ संकल्पित है लेकिन हकीकत यह है कि आज भी कई गरीब झोपड़ी में अपना जीवन यापन कर रहे हैं । जिन्हे कोई मूलभूत सुविधा नहीं मिल रही ऐसा ही एक परिवार अंकित मिश्रा का है जो टपरा मोहल्ले में एक टूटी फूटी झोपड़ी में रहता है जिसके मुखिया अंकित मिश्रा की एक युवक ने चाकू से हत्या कर दिया जबकि उसकी पत्नी गंभीर घायल है। बताया जाता है की अंकित मिश्रा का परिवार समस वाडा का रहने वाला है जो लगभग 7 साल पहले से सिवनी में एक झोपड़ी बनाकर रह रहा है। अंकित मिश्रा अपने परिवार के साथ मड़ई मेले में फुटपाथ में खिलोने बेचने का कार्य कर जीवन यापन करता है। 23 मई को हथठेले में धक्का लगने की बात पर राकेश उर्फ पप्पू उर्फ मद्दी यादव ने अंकित मिश्रा के ऊपर चाकू से हमला कर दिया। जब पति को बचाने अंजना मिश्रा बीच बचाव करने पहुंची तो आरोपी ने उसे भी चाकू मार दिया जिन्हे जबलपुर रेफर किया गया था। बताया जाता है की अंकित के दो बच्चे है जिसमे एक 13 साल की पुत्री और 11 साल का पुत्र है। पिता की मौत के बाद दोनो मासूम बच्चे पिता के शव के लिए भटकते रहे लेकिन मानवीयता खो चुके सिस्टम के कारण अंकित का शव तीन दिन बाद मिला जिसका अंतिम संस्कार 28 मई को हुआ। यदि कोई मासूम बच्चों का घर जाकर देखे तो उन्हे पता चल जाएगा की आज भी कुछ लोग मजबूरी में जानवरों से भी बदत्तर जिंदगी जीने के लिए मजबूर है जिनकी कही कोई सुनवाई नहीं होती। चूंकि मासूम बच्चों के मुखिया की मौत हो चुकी है ऐसे में उनके परिवार का भरण पोषण कैसे होगा यह एक बड़ा सवाल है।
ब्राह्मण समाज पहुंचा पीडि़परिवार से मिलने----- चाकू से अंकित मिश्रा की मौत हो जाने के बाद उनका परिवार दयनीय स्थिति में है इस बात की जानकारी जब ब्राह्मण समाज को मिली तो ब्राह्मण समाज का एक प्रतिनिधिमंडल पीडि़त परिवार से मिलने पहुंचा और उन्हें कुछ आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराया । वैसे यदि पीडि़त परिवार को लेकर इसी तरह की मदद मिलते रही तो कुछ हद तक पीडि़त परिवार को राहत अवश्य मिलेगी। इस पूरे मामले में सिवनी नगर पालिका परिषद को भी मानवीयता के आधार पर उक्त परिवार का राशन कार्ड बनवाकर उन्हे नि:शुल्क अनाज उपलब्ध कराने के साथ साथ पाई एम आवास योजना का लाभ दिलाना चाहिए ताकि गरीब परिवार को दो समय का भोजन और रहने के लिए छत मिल सके।
---यदि आज के दौर में भी गुंडा टैक्स वसूल करने के लिए धमकी दी जा रही है और खुलेआम गुंडागर्दी दिखाई जा रही है तो समझ जाए की कानून व्यवस्था पटरी से नीचे उतर गई है। ताजा मामला घंसौर थाना क्षेत्र का है जहां के कुछ युवक गुंडा टैक्स वसूलने के लिए खुलेआम गुंडागर्दी करने लगे है जिनके ऊपर कारवाही करने से घंसौर टी आई अनिल पटेल को परहेज है। बताया जाता है की गत दिवस घंसौर क्षेत्र के कुछ दबंग लोगो ने देर रात जय जिनेन्द्र पेट्रोल पंप में जाकर जमकर हंगामा मचाया और हफ्ता देने के लिए दबाव बनाया जिसकी रिपोर्ट घंसौर थाने में दर्ज कराई गई। घटना के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार घंसौर में जय जिनेन्द्र पेट्रोल पंप के संचालक मयंक गोलहानी ने पुलिस को बताया की बीती रात्रि लगभग साढ़े बारह बजे वह पेट्रोल टेंकर खाली करा रहा था ।तभी समरजीत सोलंकी पिता रणवीर सिंह सोलंकी, सुभम यादव ,यश तिवारी, मोहित सोनी उनके पेट्रोल पम्प पहुंचे । यश तिवारी ने पेट्रोल पंप से 1263/-रूपये का पेट्रोल भरवायाऔर कर्मचारी संजय सोनी से कहने लगा की मैं पैसे नहीं दूंगा तब कर्मचारी संजय सोनी ने बोला की पैसे क्यो नही देते तो समरजीत सोलंकी ने उसे गाली देना शुरू कर दिया। समरजीत सिंह पेट्रोल पम्प संचालक मयंक गोलहानी के पास आया और उससे कहा की मुझे पांच हजार रुपिया हफ्ता वसुली चाहिये । इसी बीच गुंडागर्दी दिखाते हुए शुभम यादव, मोहित सोनी ने मयंक के साथ धक्का मुक्की करने लगे। समरजीत सोलंकी ने मयंक का कालर पकड लिया और गालियाँ देते हुये कहने लगा की यदि हफ्ता वसुली नही दोगे तो तुम्हारे पेट्रोल पंप, वेयर हाऊस में आग लगा दूंगा ,तुम्हे गोली मार दूंगा। समरजीत सिंह ने यह भी धमकी दिया की यदि तु मेरी शिकायत थाना मे करता है तो मै तुझे पेट्रोल पंप आना भुलवा दूंगा । बाद में मयंक ने हंड्रेड डायल को बुलवाया जिसके बाद उन्होंने फिर 100 डायल वाहन को 1263 रूपये दिए। बाद में मयंक घंसौर थाना पहुंचा। बताया जाता है की जब से घंसौर थाने में अनिल पटेल टी आई के पद पर पदस्थ हुए है तब से घंसौर क्षेत्र में गुंडागर्दी चरम पर पहुंच गई है। स्थिति यह हो गई है कि समरजीत सिंह सोलंकी जैसे युवकों की गुंडागर्दी बढ़ गई है जो अब हफ्ता वसूली नहीं मिलने पर पेट्रोल पम्प, वेयर हाउस में आग लगाने तक की धमकी देने लगे हैं। फिलहाल घंसौर पुलिस ने घंसौर के गुंडों के विरुद्ध धारा 294,323,506,384, 190 ,34 के तहत मामला पंजीबद्ध किया। देखना यह है की पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करती है या उनके ऊपर मेहरबानी दिखाती है। फिलहाल घंसौर क्षेत्र में कानून व्यवस्था पटरी से नीचे उतर गई है।
- डूंडा सिवनी थाने में एफ आई आर दर्ज-------बालाघाट जिले के एक युवक ने गोंडवाना आदिवासी मैरिज ग्रुप से पहले युवती के परिजनों से संपर्क बढ़ाया और शादी व नौकरी का झांसा देकर परिजनों से 27 लाख की ठगी कर लिया जिसकी रिपोर्ट डूंडा सिवनी थाने में दर्ज कराई गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार डूंडा सिवनी थाना क्षेत्र के चंद्र प्रभा नगर निवासी एक युवती अपनी बहन के साथ डूंडा सिवनी थाना पहुंची और पुलिस को जानकारी देते हुए बताया की उसने बी.एस.सी. फाईनल एवं जी.एन.एम. तक पढ़ाई किया है। युवती ने बताया की परिजन मेरी शादी के लिये रिश्ते देख रहे है तो वह सोशल मीडिया फेसबुक पर गोंडवाना आदिवासी मैरिज ग्रुप से जुड़ गई अपना बायोडाटा डाल दिय जिसके बाद शादी से संबंधित बात करने के लिये एक व्यक्ति ने मेरे पास फोन किया जिसने अपना नाम सूरज तेकाम निवासी उकवा जिला बालाघाट का होना बताया। युवक ने बताया की वह एवं व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर में नौकरी करता है। 25 अक्टूबर 2023 को दोपहर 11.30 बजे सूरज तेकाम युवती के परिवार वालों से मिलने के लिये उसके घर घर टैगोर वार्ड पहुंचा तब सूरज तेकाम ने युवती की मां से बोला कि आपकी छोटी बेटी को व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर में कम्प्यूटर आपरेटर की नौकरी लगवा दूँगा जिसके लिए - (दस लाख रुपये उच्च अधिकारियों को देना पड़ेगा। युवक की बातो पर विश्वास करते हुए युवती की मां ने उससे कहा की मेरे बड़े दामाद विजेन्द्र सिंह उईके एवं भतीजा सागर मरकाम की भी नौकरी लगावा दो ।तब सूरज तेकाम ने कहा कि प्रत्येक के दस-दस लाख रुपये देना पड़ेगा तब युवती की मां सूरज तेकाम के झासे आ गई । महिला ने अपनी पुत्री के नाम पर दस लाख रुपये , दामांद के नाम पर 05 लाख रुपये एवं मामा के लड़के सागर के नाम पर 5 लाख रुपये कुल बीस लाख रुपये ऑन लाइन सूरज के मित्र प्रकाश बड़पात्रे के मो.नं. पर एवं स्वयं के मोबाईल नम्बर पर आनलाईन डलवाया । बोलेरो फाइनेंस के नाम से भी लिए पैसे----------- पीड़ित युवती ने पुलिस को बताया की सूरज नामक युवक ने उसकी मां को भरोसे में बुलेरो महेन्द्रा कंपनी सिवनी से फायनेंस करवाने के लिए ढाई लाख रूपये लिया और बोला कि मेराजबलपुर में प्लाट है जिसे बेचने के बाद पैसा दे दूंगा ।
प्लॉट खरीदने के नाम से भी लिया पैसा ------ बताया जाता है की सूरज ने युवती की मां को अपनी बातो पर इतना फंसा लिया था की युवती की मां उसकी हर बात मानने लगी थी जिसका युवक पूराफायदा उठाता था। बताया जाता है की एक दिन युवक ने युवती की मां से कहा की बिरसा बालाघाट में 1500 वर्गफिट का एक प्लॉट है जिसे मैं 5,69,000/- में ले रहा हूं जिसकी रजिस्ट्री आपकी पुत्री के नाम करूंगा रजिस्ट्री के लिए आप मुझे 5 लाख रूपये दे दीजिए तब युवती की मां ने उसे 05 लाख रूपये दे दिये। लेकिन सूरजलाल तेकाम ने प्लाट की रजिस्ट्री स्वंय के नाम कराया। बाद में पैसे के लिए झुलाते रहा युवक------ युवती की मां ने युवक की बातो पर भरोसा करते हुए लगभग 27 लाख रुपिया दे दिया लेकिन युवक ने ना तो नौकरी लगवाया और ना ही पैसे वापिस किए तब युवती के परिजनों ने उससे पैसे मांगना शुरू किया तो पहले वह आज देता हूं कल देता हूं कहते रहा फिर उसने फोन उठाना बंद कर दिया। युवक ने कही और कर लिया विवाह------- बताया जाता है की पीड़ित युवती ने पुलिस को बताया की जब उन्होंने युवक के बारे में पता लगाया तो पता चला की सूरजलाल तेकाम निवासी लीलामेटा तह. परसवाडा जिला बालाघाट का रहने वाला है और उसने 03 मई 2024 को ग्राम पीसाझोडी तह. घोडाडोंगरी जिला बैतूल की रहने वाली एक युवती से शादी कर लिया है। तब युवती के परिजन समझ गए की वह ठगी का शिकार हो गए तब युवती थाना पहुंची। बताया जाता है की युवती की मां आदिवासी हास्टल अधीक्षिका के पद से रिटायर्ड हुई है जिसके रिटायर्टमेंट का पैसा और उसकी बहन के जेवर गिरवी रखकर सूरजलाल तेकाम को लगभग 70 लाख ऑन लाइन दिए थे। पुलिस ने मामला पंजीबद्ध कर जांच में ले लिया।
आखिरकार हैदराबाद की व्ही.एन.एस. रियालिटी प्रायवेट लिमिटेड हैदराबाद की कंपनी को न्यायालय नायब तहसीलदार घंसौर वृत्त कहानी के नायब तहसीलदार अरूण दुबे ने नोटिस जारी करते हुए 10 दिनों के भीतर जवाब मांगा है। असल में दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने गतांक में समाचार प्रकाशित करते हुए उल्लेख किया था कि 12 वर्ष पहले व्ही एन एस रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद ने लगभग 350 एकड़ जमीन थर्मल पावर प्लांट प्रोजेक्ट लगाने के उद्देश्य से क्रय की गई थी। तब कंपनी की तरफ से भू अर्जन अधिनियम 1994 की धारा 41 के अनुसार जनरल मैनेजर कोडुरू साबा शिवाराव पिता व्यंकटरमैया निवासी नेताजी रिंग रोड़ हैदराबाद आंध्रप्रदेश तथा राज्यपाल म.प्र. की ओर से तत्कालीन कलेक्टर अजीत कुमार के द्वारा 19 अक्टूबर 2011 को अनुबंध संपादित किया गया था जिसका प्रकाशन म.प्र. असाधारण राजपत्र दिनांक 11/11/2011 को प्रकाशित किया गया था उक्त पॉवर प्लांट के लिए जिन किसानों की जमीन कंपनी ने क्रय किया था उन किसानों को यह आश्वस्त किया गया था कि भूमिधारक के परिवार से कम से कम एक सदस्य को योग्यता अनुसार कार्य पर लगाया जायेगा। लेकिन कंपनी ने थर्मल पॉवर का प्रोजेक्ट शुरू किया ही नही बाद में उक्त कंपनी ने हैदराबाद की ही अन्य कंपनियों को जमीन बेच दिया जिसका सीमांकन किया जा रहा है। बताया जाता है कि किसानों ने भी एसडीएम व नायब तहसीलदार से शिकायत किया था। नायब तहसीलदार अरूण दुबे ने नोटिस जारी करते हुए कहा है कि जनवरी 2024 में किसानों की उक्त भूमि कंपनी के द्वारा अन्य कंपनियों को बेच दी गई जिसकी जानकारी संबंधित किसानों को नही दी गई। इस मामले में नायब तहसीलदार ने कंपनी को नोटिस जारी करते हुए 15 मई तक न्यायालय में उपस्थित होकर अपना जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है। उल्लेखनीय है कि हैदराबाद की व्ही एन एस रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने 350 एकड़ जमीन खरीदा था जिसे उन्होने हैदराबाद की ही लगभग 05 कंपनियों को जनवरी 2024 में थर्मल पॉवर प्लांट के नाम से खरीदी गई जमीन बेच दिया और उसकी रजिस्ट्री भी हो गई। जिन कंपनीयों को हैदराबाद की व्ही एन एस रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने जमीन बेची है उनमेें हैदराबाद की ही व्ही.एम.एस. रियेलिटी प्रायवेट लिमिटेड हैदराबाद आंधप्रदेश, जिसके प्रतिनिधी निवारा चक्रवर्ती कोडुरू पिता कोडुरू सत्य नारायण निवासी जुपल्ली होम्स तेलंगाना, एन.एस. (नॉर्थ 24 परगनास) रियेलिटी प्रायवेट लिमिटेड के अधिकृत प्रतिनिधी अनंत नारायण वेणुगोपालन पोलियाची पिता वेणुगोपालन अनंत नारायण निवासी मल्लपुर कपरा रंगारेडी आंधप्रदेश, खलघाट रियेलिटी प्रायवेट लिमिटेड जिसके अधिकृत प्रतिनिधी पंचकुला व्यकंट श्री निवासी पिता स्व. श्री पंचगुलाल व्यंकट चंद्रशेखर निवासी आर्मी पब्लिक स्कूल के सामने हैदराबाद, बी.एस.एल. एग्रो फार्मस एण्ड प्रॉपर्टी प्रायवेट लिमिटेड अधिकृत प्रतिनिधी जी.ब्रम्हानंद राव निवासी तीसरा माला बंजारा हिला खैराताबाद हैदराबाद को बेच दिया जिसका सीमांकन किया जा रहा है जिसे दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने प्रमुखता से प्रकाशित किया जिसके बाद नायब तहसीलदार अरूण दुबे ने कंपनी को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।
सिवनी जिले में जगह-जगह भू-माफियाओं का मकडज़ाल फैला हुआ है। भू-माफियाओं की नजर शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्र की जमीनों में भी रहती है। आश्चर्य इस बात का है कि कई ऐसे भू-माफिया है जो फर्जीवाड़ा करने में अपने परिवार की इज्जत को भी दांव में लगा देते है। इन दिनों धनौरा में विवादित डॉ. तुषारकांत विश्वास की पैरवी करने वाले धनौरा के अखिलेश राय चर्चाओं में है। सूत्र बताते है कि अखिलेश राय और क्षेत्र के विवादित डॉ. तुषारकांत के बेहद ही मधुर संबंध है मधुर संबंध के पीछे कोई व्यवसायिक कारण है या कुछ और कारण यह तो जांच का विषय है लेकिन हम बता दें कि अखिलेश राय का परिवार धनौरा क्षेत्र की विवादित जमीन खरीदने के मामले में सुर्खियां बटोरते रहा है और कूट रचित दस्तावेज बनाकर बेशकीमती जमीन में कब्जा करने का हर संभव प्रयास करता है। बताया जाता है कि मई 2024 को अखिलेश राय के पिता शिव प्रसाद राय एवं उनके भाई सतीश राय के विरूद्ध पुलिस ने धारा 419, 420, 466, 467, 468, 471, 120 बी के तहत मामला पंजीबद्ध किया था जिसके बाद अखिलेश राय के पिता शिवप्रसाद पिता दीपचंद राय एवं भाई सतीश पिता शिवप्रसाद राय लंबे समय तक फरार रहे थे। बाद में उन्हें जेल की हवा खाना पड़ा था।
तामसिंह बिसेन ने दर्ज कराई थी रिपोर्ट-----उल्लेखनीय है कि मई 2023 को बरेली निवासी निवासी तामसिंह पिता पूरन सिंह बिसेन उम्र 67 साल ने धनौरा पुलिस को आवेदन देते हुए बताया कि धनौरा निवासी शिव प्रसाद पिता दीपचंद राय उम्र 68 साल ने अपने पुत्र सतीश पिता शिव प्रसाद राय 48 साल के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश के कुछ लोगों को साथ में लेकर फर्जीवाड़ा करते हुए कूटरचित दस्तावेज बनाया और उनकी जमीन की रजिस्ट्री करते हुए उसमें कब्जा करने का प्रयास किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार तानसिंह पिता पूरन सिंह बिसेन की ग्राम बरेला में खसरा नंबर 296 ,313 रकबा क्रमश 2.75 ,4.43 तथा ग्राम बरेली के लेखसिंह डेहरिया निवासी घटेरी की भूमि खसरा नंबर 318 रकबा 1.14 हेक्टे कुल रकबा 08.30 हेक्टे है जिसमे कई वर्षों से वह भूमिस्वामी एव आधिपत्यधारी है जिसमें नामांतरण के लिए पिता-पुत्र ने एक मुख्तारनामा तैयार कर भोपाल में रजिस्ट्री कराया था जिसका पता उन्होंने 208 राजहंस होटल आईएसबीटी भोपाल लिखाया था जिसके बाद धनौरा पुलिस ने पिता पुत्र के विरूद्ध गंभीर धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध किया था जिसके बाद पिता पुत्र कई महीनों तक फरार रहे और बाद में फिर उनकी गिरफ्तारी हुई थी।
हिन्दी भाषी राज्यों में कम वोटिंग से भाजपा चिंतित, कम वोटिंग से सत्ता पक्ष को होते रहा है नुकसान
सिवनी महाकौशल 27 अपै्रल 2024
लोकसभा चुनाव में दूसरे चरण में भी वोटिंग का पहले फेज जैसा हाल रहा जिसके कारण विभिन्न राजनेतिक दलों के साथ साथ चुनाव आयोग भी चिंतित है क्योंकि हर साल चुनाव आयोग प्रयास करता है की अधिक से अधिक मतदान हो जिसके लिए कई जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जाते है। वैसे दो चरणों में जिस तरह मतदान कम हुआ उसके बाद अब राजनीतिक मामलों के जानकार समीक्षा में जुट गए है वही एन डी ए और इंडिया गठबंधन भी समीक्षा करने में जुटे हुए है।
जानकारो की माने तो लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में भी मतदान प्रतिशत कम होने से कम मार्जिन वाली सीटों पर इसका सीधा असर पड़ सकता है। 2019 में लगभग 75 सीटों पर नजदीकी मुकाबला था. ऐसे में परिणाम किसी भी तरफ झुक सकता है। दूसरे चरण में शुक्रवार को 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 88 सीटों पर मतदान हुए। दूसरे चरण के चुनाव में भी मतदाताओं के भीतर ज्यादा उत्साह नहीं दिखाई दिया। दूसरे चरण का वोटिंग ट्रेंड पहले चरण के चुनाव से भी खराब रहा. दूसरे चरण में लगभग 63.00 प्रतिशत मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि 2019 में इन्हीं सीटों पर 70 फीसदी से ज्यादा लोगों ने बढ़-चढक़र वोट किया था जिसका फायदा सत्ता में काबिज भाजपा को मिला था। लेकिन दो चरणों में कम होते इस वोटिंग प्रतिशत ने सभी राजनीतिक दलों का गणित बिगाड़ दिया है। याद दिला दे की पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोट डाले गए थे. पिछले चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुए थे। यही हाल दूसरे चरण में भी रहा. किसी भी राज्य में मतदान का आंकड़ा 80 फीसदी को पार नहीं कर सका जो चिंता का विषय हो सकता है।
वैसे यदि आंकड़ों की बात करें तो सबसे ज्यादा त्रिपुरा में 78.6 प्रतिशत और सबसे कम उत्तर प्रदेश में 54.8 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. वहीं मणिपुर में 77.2 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 73.1 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 71.8 प्रतिशत, असम में 70.8, जम्मू और कश्मीर में 71.6, केरल में 65.3, कर्नाटक में 67.3, राजस्थान में 63.9, मध्य प्रदेश में 56.8, महाराष्ट्र में 54.3 और बिहार में 54.9 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट किया।
वोटिंग प्रतिशत कम होने के कारण बदलते रही है सरकारें
वैसे पिछले कुछ चुनाव के रिकॉर्ड को देखे तो पिछले लगभग 12 में से 5 चुनावों में वोटिंग प्रतिशत कम हुए हैं और इनमें से चार बार सरकार बदली है। जानकर बताते है की 1980 के चुनाव में मतदान प्रतिशत कम हुआ तब जनता पार्टी को हटाकर कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। वहीं 1989 में मत प्रतिशत गिरने से कांग्रेस की सरकार चले गई थी और केंद्र में बीपी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी थी। 1991 में भी मतदान में गिरावट के बाद केंद्र में कांग्रेस की वापसी हुई थी। हालांकि 1999 में वोटिंग प्रतिशत में गिरावट के बाद भी सत्ता नहीं बदली। वहीं 2004 में एक बार फिर मतदान में गिरावट का फायदा विपक्षी दलों को मिला था और कांग्रेस की सरकार बनी। 2009 में भी कांग्रेस की ही सरकार बनी थी।1977 से लेकर अब तक हुए 12 चुनावों में मतदान प्रतिशत 55 प्रतिशत से लेकर 67 प्रतिशत के आसपास ही रहा है. साल 2019 के चुनाव में देश में सबसे अधिक मतदान 2019 में हुआ था जब 67.4 प्रतिशत वोट पड़े थे. 12 में से 7 चुनावों में मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी देखने को मिली. इन चुनावों के परिणाम पर नजर देने के बाद पता चलता है कि 7 में से 4 बार सरकार बदली. वहीं 3 चुनावों में सरकार नहीं बदली अर्थात सत्ताधारी दल को वोट परसेंट के बढऩे का फायदा भी हो सकता है और नुकसान भी हो सकता है. साल 1984, 2009 और 2019 के चुनावों में वोट परसेंट के बढऩे का लाभ सत्ताधारी दल को हुआ और उसकी बड़ी बहुमत के साथ वापसी हुई। 4 चुनाव ऐसे रहे हैं जब मतदान में बढ़ोतरी हुई और केंद्र की सरकार बदल गयी. साल 1977, 1996, 1998 और 2014 के चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ ही सत्ता में भी परिवर्तन देखने को मिला.
60 प्रतिशत से अधिक मतदान होने पर किसे मिली जीत?
पिछले 12 चुनावों के रिकॉर्ड को देखे तो 1977, 1984,1989, 1998,1999,2014 और 2019 के चुनावों में 60 प्रतिशत से अधिक वोट पड़े हैं. इन चुनावों के परिणाम को अगर देखें तो 1977,1989, 1998 और 2014 के चुनावों में सत्ता में परिवर्तन देखने को मिली थी। वहीं तीन चुनाव 1989,1999 और 2019 के चुनावों में 60 प्रतिशत से अधिक वोटिंग के बाद भी सत्ताधारी दलों की वापसी हुई थी।
कम मतदान प्रतिशत वाले चुनावों का हाल
पूर्व के रिकॉर्ड को देखे तो जिन चुनावों में 60 प्रतिशत से कम वोट पड़े उन चुनावों के परिणाम चौकाने वाले रहे। आंकड़े बताते है की 1980 के चुनाव में 56.9 प्रतिशत वोट पड़े थे और केंद्र में सत्ता परिवर्तन हो गया था। तब जनता पार्टी की सरकार हार गयी थी और कांग्रेस की वापसी हो गयी थी। 1991 के चुनाव में 55.9 प्रतिशत वोट पड़े थे और केंद्र में एक बार फिर कांग्रेस की वापसी हो गयी थी।1996 के चुनाव में 57.9 प्रतिशत वोट पड़े थे तब खंडित जनादेश मिलने के बाद संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी थी. 2004 और 2009 के चुनावों में भी कम वोट परसेंट रहे थे इन चुनावों में कांग्रेस की सरकार बनी थी। जबकि 2014 और 2019 में भाजपा की सरकार बनी। इस बार दो चरणों के चुनाव में फिलहाल मतदान प्रतिशत कम ही है जिसका किसे फायदा मिलेगा और किसे नुकसानी होगी यह तो आने वाला समय बताएगा। लेकिन फिलहाल कम मतदान होने से राजनेतिक दलों के अलावा चुनाव आयोग चिंतित नजर आ रहा है।
वोटिंग कम होने से हिन्दी राज्यों में बढ़ी चिंता
दोनो चरणों में हिंदी भाषी राज्यों में मतदाताओ ने वोटिंग को लेकर ज्यादा रुचि नहीं दिखाया। पूर्व के चुनाव 2014 और 2019 में हिंदी भाषी क्षेत्र में अच्छी-खासी तादाद में लोगों ने वोट किया था लेकिन इस बार मतदाताओं में वो जोश देखने को नहीं मिला। यूपी में दोनों चरणों में वोटिंग कम हुई जबकि उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 80 लोकसभा की सीटें हैं, लेकिन वहां के वोटरों में चुनाव को लेकर उत्साह नहीं दिख रहा है. पहले चरण में जहां 57 प्रतिशत वोट पड़े, वहीं दूसरे चरण में महज 54.8 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वही बिहार में भी इस बार मतदाता वोट को लेकर काफी नीरस दिख रहे हैं. पहले चरण में जहां 48 फीसदी लोगों ने वोट किया, वहीं दूसरे चरण में 54.9 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी मतदाताओं ने नही दिखाई रुचि. लोक सभा चुनाव में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मतदाताओं ने भी बहुत अधिक रुचि नहीं दिखाई। दूसरे चरण में भी दोनों प्रदेशों में कम मतदान हुआ । हिंदी भाषी क्षेत्रों में कम मतदान होने से सबसे ज्यादा चिंतित भाजपा होगी क्योंकि भाजपा को सबसे ज्यादा बढ़त हिंदी भाषी क्षेत्रों से ही मिलती है। बताया जाता है की दूसरे चरण के लिए मतदान होने से पहले ही देश के गृह मंत्री अमित शाह ने मतदान प्रतिशत बढ़ाने मुख्यमंत्री मोहन यादव सहित चुनाव के प्रभारी महेंद्र सिंह सह प्रभारी सतीश सिंह के साथ रणनीति बनाया था। चूंकि मध्यप्रदेश में दो चरणों के 12 लोकसभा सीट में मतदान हुआ है और सभी सीटों में मतदान प्रतिशत कम रहा जिसके लिए क्यूअब भाजपा तीसरे और चौथे चरण में 17 लोकसभा सीटों में मतदान बढ़ाने को लेकर विशेष प्रयास करेगी ताकि कम मतदान से पार्टी को कोई नुकसान ना हो।
गोरखपुर के स्कूल का सिर्फ 9.38 प्रतिशत रहा परीक्षा परिणामशासकीय स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों को शासन हर महीने वेतन के रूप में मोटी-मोटी रकम देता है लेकिन अधिकांश स्कूल के शिक्षक बच्चों को पढ़ाने में रूचि लेते ही नही जिसके कारण 10 वीं और 12 वीं बोर्ड की परीक्षाओं में अधिकांश स्कूलों का परिणाम खराब हो जाता है। इस बार सिवनी में हाई स्कूल की परीक्षा में लगभग 56.81 प्रतिशत परीक्षा परिणाम रहा। सिवनी जिले के 39 ऐसे स्कूल है जहा का परीक्षा परिणाम 9.38 प्रतिशत से लेकर 35 प्रतिशत रहा। ऐसे स्कूल के प्राचार्यो को जिला शिक्षा अधिकारी एस.एस. कुमरे ने कारण बताओं नोटिस जारी किया है।
गोरखपुर का रहा सबसे कम परीक्षा परिणाम
सिवनी जिले के जिन 39 स्कूलों के प्राचार्यो को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया उनमें विकासखण्ड घंसौर के अंतर्गत आने वाले शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गोरखुपर के प्राचार्य भी शामिल है जिनके स्कूल का परीक्षा परिणाम सिर्फ 9.38 प्रतिशत ही रहा। इसके अलावा शासकीय हाई स्कूल बगदरी घंसौर का 16.67 प्रतिशत, शासकीय हाई स्कूल बरेला का 22.54 प्रतिशत, शासकीय उ.मा. विद्यालय मेहता घंसौर का 25.88 प्रतिशत एवं शास.उन्नयन हाई स्कूल सारसडोल घंसौर का 33.33 प्रतिशत परीक्षा परिणाम रहा।
लखनादौन विकासखण्ड के 10 स्कूल रहे फिसड्डी
लखनादौन विकासखण्ड परीक्षा परिणाम देने के मामले में फिसड्डी रहा स्थिति यह हो गई कि शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय लखनादौन का ही परीक्षा परिणाम 21.43 प्रतिशत रहा। इसके अलावा शासकीय उन्नयन हाई स्कूल संगईमाल का 21.05 प्रतिशत, शासकीय हाई स्कूल सनाईडोंगरी का 22 प्रतिशत, शासकीय हाई स्कूल जुगरई का 23.53 प्रतिशत, शासकीय हाई स्कूल भिलमा का 26.32 प्रतिशत, शासकीय उन्नयन हाई स्कूल बंजारी का 27.27 प्रतिशत, शासकीय हाई स्कूल सिरमंगनी का 28.95 प्रतिशत, शासकीय हाई स्कूल बगलई का 32.35 प्रतिशत एवं शासकीय उ.मा. विद्यालय घूरवाड़ा का 34.02 प्रतिशत परीक्षा परिणाम रहा।
केवलारी क्षेत्र के 06 स्कूलों के प्राचार्यो को जारी हुआ नोटिस
केवलारी विकासखण्ड के भी लगभग 06 ऐसे स्कूल रहे जिनका परीक्षा परिणाम बेहद ही खराब रहा जिसमें शासकीय हाई स्कूल चिरचिरा का 23.08 प्रतिशत, शासकीय उन्नयन हाई स्कूल अर्जुनझिर का 23.08 प्रतिशत, शास.उ.मा. विद्यालय सरेखा का 31.82 प्रतिशत, शासकीय हाई स्कूल गंगाटोला का 33.33 प्रतिशत, शासकीय हाई स्कूल बोथिया का 33.33 प्रतिशत, शासकीय हाई स्कूल बगलई का 33.94 प्रतिशत एवं शासकीय उ.मा. विद्यालय छींदा का 34.52 प्रतिशत परीक्षा परिणाम रहा।
धनौरा के 04 स्कूल पिछड़े
धनौरा विकासखण्ड में शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धनौरा के प्राचार्य ने अन्य स्कूलों की तुलना में बेहद ही खराब प्रदर्शन किया। उक्त स्कूल का परीक्षा परिणाम 30.95 प्रतिशत रहा। जब उत्कृष्ट विद्यालय की यह स्थिति है तो अन्य विद्यालयों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। धनौरा के ही शासकीय उ.मा. विद्यालय बगहाई का 19.15 प्रतिशत, शासकीय हाई स्कूल ग्वारी का 25 प्रतिशत, शासकीय उ.मा. विद्यालय मुर्गहाई का 32.84 प्रतिशत परीक्षा परिणाम रहा।
बरघाट क्षेत्र के 03 स्कूल के प्राचार्य को नोटिस हुआ जारी
बरघाट विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले शासकीय उ.मा. विद्यालय बुढ़ैनाकलां का परीक्षा परिणाम 26.26 प्रतिशत रहा। इसके अलावा शासकीय कन्या उ.मा. विद्यालय बरघाट का 32.14 प्रतिशत एवं शासकीय उन्नयन हाई स्कूल कांचना बरघाट का 34.48 प्रतिशत परीक्षा परिणाम रहा।छपारा विकासखण्ड के दो स्कूल के प्राचार्य को जारी हुआ नोटिसछपारा विकासखण्ड के सिर्फ दो ऐसे स्कूल है जहां 35 प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम रहा जिनमें से एक शासकीय उ.मा. विद्यालय लकवाह जिसका 28.95 प्रतिशत एवं शास.उ.मा. विद्यालय केकड़ा जिसका परीक्षा परिणाम 30.61 प्रतिशत रहा।सिवनी विकासखण्ड के 08 स्कूलों के प्राचार्यो को मिला नोटिससिवनी विकासखण्ड के अंतर्गत 08 स्कूलों के प्राचार्यो को खराब परीक्षा परिणाम देेने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी एस.एस. कुमरे ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है जिसमें शासकीय उच्चतर माध्यमि विद्यालय कान्हीवाड़ा का परीक्षा परिणाम 23.26 प्रतिशत, शासकीय उ.मा. विद्यालय बखारी 26.21 प्रतिशत, शासकीय हाई स्कूल खैरी 26.67 प्रतिशत, शास. हाई स्कूल आमाकोला 27.95 प्रतिशत, शास. हाई स्कूल बींझावाड़ा 28.99 प्रतिशत, शास.उ.मा. विद्यालय हथनापुर 31.34 प्रतिशत, शास. नेताजी सुभाषचंद्र बोस उ.मा. विद्यालय 31.86 प्रतिशत, शास. हाई स्कूल जाम का 35 प्रतिशत रहा।04 हायर सेकेण्डरी स्कूल के प्राचार्यो को भी नोटिस हुआ जारीजिला शिक्षा अधिकारी ने सिवनी जिले के 04 हायर सेकेण्डरी स्कूल के प्राचार्यो को भी नोटिस जारी किया जिसमें लखनादौन विकासखण्ड के शास.उ.मा. विद्यालय खखरिया के प्राचार्य जिनके स्कूल का परीक्षा परिणाम 12.24 प्रतिशत, धनौरा विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले शासकीय उ.मा. विद्यालय बगहाई का परीक्षा परिणाम 13.79 प्रतिशत, शास.कन्या.उ.मा. विद्यालय धनौरा का 16.76 प्रतिशत एवं घंसौर विकासखण्ड के शास.उ.मा. विद्यालय गोरखपुर का 31.03 प्रतिशत परीक्षा परिणाम रहा जहां के प्राचार्यो को जिला शिक्षा अधिकारी ने कारण बताओं नोटिस जारी किया है।
सडक़ के बीचों बीच खड़े वाहनों के ऊपर नहीं होती कारवाही
ऐसा लगता है कि सिवनी में यातायात महकमें में पदस्थ अधिकारी और कर्मचारियों की ड्यूटी गांव से आने वाले सीधे-साधे लोगों या शहर के मध्यम वर्गीय या गरीब लोगो की बाइक पकड़ कर कार्रवाई करना तक ही सीमित रहती है। धनाढ्य और पैसे वाले लोगों के सामने सिवनी के यातायात महकमें के अधिकारियों की ड्यूटी लगभग समाप्त हो जाती है या यूं कहीं की धनाढ्य लोगों के सामने सिवनी का यातायात महकमा घुटने टेक देता है जैसा कि शुक्रवारी क्षेत्र में होता है। कहने को तो शुक्रवारी में एस डी ओ पी कार्यालय है लेकिन सिवनी एस डी ओ पी का ध्यान भी शुक्रवारी की बिगड़ी यातायात व्यवथा की तरफ नही जाता। यदि आप गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार से है और आपने सिवनी के विभिन्न क्षेत्रों में अपना वाहन खड़ा किया है तो यातायात महकमे की नजर आप पर पड़ जाएगी और आपके वाहन में हेमर लगा दिया जाएगा और चालानी कारवाही कर दी जाएगी। लेकिन यदि आप धनाढ्य और पैसे वाले है तो फिर आप शुक्रवारी जैसे अति व्यततम क्षेत्र में सडक़ के बीचों बीच अपनी कार पार्क कर सकते है क्योंकि यातायात महकमे की ड्यूटी शुक्रवारी में आकर खत्म हो जाती है और यातायात महकमें के अधिकारियों को सडक़ के बीचो-बीच खड़ी कार दिखाई नहीं देती। यातायात महकमा शुक्रवारी में कार खड़ी करने वाले लोगो के ऊपर कारवाही क्यों नही करता यह सवाल जिले के एस पी को यातायात प्रभारी से अवश्य पूछना चाहिए। यह सवाल तो सिवनी एस डी ओ पी से भी पूछना चाहिए की उनके कार्यालय के सामने लोग बेखौफ होकर अपनी कार सडक़ के बीचों बीच लगाकर चले जाते है जिसके कारण लगभग हर दिन जाम की स्थिति बनती है बावजूद इसके एस डी ओ पी भी कोई कारवाही क्यों नही कराते। आखिर धनाढ्य लोगो के ऊपर मेहरबानी का राज क्या है ?
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को बड़ा झटका लगा सिवनी विधानसभा के प्रत्याशी रहे युवा कांग्रेस के अध्यक्ष आनंद पंजवानी ,नगर पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष व नगर कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष व जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष संतोष नानू पंजवानी एवं केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के करीबी रामाकांत राजू राय को प्रदेश भाजपा कार्यालय भोपाल में मुख्यमंत्री मोहन यादव,प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष व्ही डी शर्मा ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को एक बड़ा झटका माना जा रहा है। अभी तक प्रदेश के कई नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था लेकिन सिवनी जिले का कोई बड़ा चेहरा भाजपा में नहीं आया था। विधानसभा चुनाव में लगभग एक लाख वोट हासिल करने वाले आनंद पंजवानी का पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस को जबरदस्त नुकसान होगा। 31 मार्च को कई और लोग थाम सकते है भाजपा का दामन-----31 मार्च को प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का घंसौर आगमन होना है जो लोकसभा प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते के पक्ष में आम सभा को संबोधित करेंगे। कयास लगाए जा रहे हैं कि आनंद पंजवानी के भाजपा में आने के बाद उनके सैकड़ो समर्थक 31 मार्च को घंसौर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान भाजपा की सदस्यता ले सकते हैं जिसमें सिवनी विधानसभा के अलावा केवलारी और बरघाट विधानसभा के कई लोग के नाम शामिल बताए जा रहे हैं। आनंद पंजवानी,नानू पंजवानी और रामाकांत राय को भाजपा की सदस्यता दिलाने में फग्गन सिंह कुलस्ते की महत्वपूर्ण भूमिका रही।प्रदेश भाजपा कार्यालय में सदस्यता लिए जाने के दौरान जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे,महामंत्री अजय डागोरिया भी मौजूद थे।आनंद पंजवानी के द्वारा कांग्रेस से इस्तीफा दिए जाने की घोषणा के बाद सोशल मीडिया में उनके कई समर्थकों ने भी कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा की घोषणा कर दिया ।आनंद पंजवानी के द्वारा अचानक से कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामने से जिला कांग्रेस भी सकते में है। राजा बघेल की कांग्रेस में वापसी से कई लोग है आहत------ विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से गद्दारी करने के मामले में राजा बघेल को 06 वर्षो के लिए निष्कासित कर दिया था। 26 मार्च को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने राजा बघेल को सीधी लोकसभा का प्रभारी बना दिया जिसके बाद से कांग्रेस के कई निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्ता अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे है। आनंद पंजवानी और नानू पंजवानी के द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद कांग्रेस के कई और लोग इस्तीफा देने का मन बना चुके है।
-----लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को बड़ा झटका लगा सिवनी विधानसभा के प्रत्याशी रहे युवा कांग्रेस के अध्यक्ष आनंद पंजवानी ,नगर पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष व नगर कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष व जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष संतोष नानू पंजवानी एवं केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के करीबी रामाकांत राजू राय को प्रदेश भाजपा कार्यालय भोपाल में मुख्यमंत्री मोहन यादव,प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष व्ही डी शर्मा ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को एक बड़ा झटका माना जा रहा है। अभी तक प्रदेश के कई नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था लेकिन सिवनी जिले का कोई बड़ा चेहरा भाजपा में नहीं आया था। विधानसभा चुनाव में लगभग एक लाख वोट हासिल करने वाले आनंद पंजवानी का पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस को जबरदस्त नुकसान होगा। 31 मार्च को कई और लोग थाम सकते है भाजपा का दामन-----31 मार्च को प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का घंसौर आगमन होना है जो लोकसभा प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते के पक्ष में आम सभा को संबोधित करेंगे। कयास लगाए जा रहे हैं कि आनंद पंजवानी के भाजपा में आने के बाद उनके सैकड़ो समर्थक 31 मार्च को घंसौर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान भाजपा की सदस्यता ले सकते हैं जिसमें सिवनी विधानसभा के अलावा केवलारी और बरघाट विधानसभा के कई लोग के नाम शामिल बताए जा रहे हैं। आनंद पंजवानी,नानू पंजवानी और रामाकांत राय को भाजपा की सदस्यता दिलाने में फग्गन सिंह कुलस्ते की महत्वपूर्ण भूमिका रही।प्रदेश भाजपा कार्यालय में सदस्यता लिए जाने के दौरान जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे,महामंत्री अजय डागोरिया भी मौजूद थे।आनंद पंजवानी के द्वारा कांग्रेस से इस्तीफा दिए जाने की घोषणा के बाद सोशल मीडिया में उनके कई समर्थकों ने भी कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा की घोषणा कर दिया ।आनंद पंजवानी के द्वारा अचानक से कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामने से जिला कांग्रेस भी सकते में है। राजा बघेल की कांग्रेस में वापसी से कई लोग है आहत------ विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से गद्दारी करने के मामले में राजा बघेल को 06 वर्षो के लिए निष्कासित कर दिया था। 26 मार्च को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने राजा बघेल को सीधी लोकसभा का प्रभारी बना दिया जिसके बाद से कांग्रेस के कई निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्ता अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे है। आनंद पंजवानी और नानू पंजवानी के द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद कांग्रेस के कई और लोग इस्तीफा देने का मन बना चुके है।
-----लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को बड़ा झटका लगा सिवनी विधानसभा के प्रत्याशी रहे युवा कांग्रेस के अध्यक्ष आनंद पंजवानी ,नगर पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष व नगर कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष व जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष संतोष नानू पंजवानी एवं केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के करीबी रामाकांत राजू राय को प्रदेश भाजपा कार्यालय भोपाल में मुख्यमंत्री मोहन यादव,प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष व्ही डी शर्मा ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को एक बड़ा झटका माना जा रहा है। अभी तक प्रदेश के कई नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था लेकिन सिवनी जिले का कोई बड़ा चेहरा भाजपा में नहीं आया था। विधानसभा चुनाव में लगभग एक लाख वोट हासिल करने वाले आनंद पंजवानी का पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस को जबरदस्त नुकसान होगा। 31 मार्च को कई और लोग थाम सकते है भाजपा का दामन-----31 मार्च को प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का घंसौर आगमन होना है जो लोकसभा प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते के पक्ष में आम सभा को संबोधित करेंगे। कयास लगाए जा रहे हैं कि आनंद पंजवानी के भाजपा में आने के बाद उनके सैकड़ो समर्थक 31 मार्च को घंसौर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान भाजपा की सदस्यता ले सकते हैं जिसमें सिवनी विधानसभा के अलावा केवलारी और बरघाट विधानसभा के कई लोग के नाम शामिल बताए जा रहे हैं। आनंद पंजवानी,नानू पंजवानी और रामाकांत राय को भाजपा की सदस्यता दिलाने में फग्गन सिंह कुलस्ते की महत्वपूर्ण भूमिका रही।प्रदेश भाजपा कार्यालय में सदस्यता लिए जाने के दौरान जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे,महामंत्री अजय डागोरिया भी मौजूद थे।आनंद पंजवानी के द्वारा कांग्रेस से इस्तीफा दिए जाने की घोषणा के बाद सोशल मीडिया में उनके कई समर्थकों ने भी कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा की घोषणा कर दिया ।आनंद पंजवानी के द्वारा अचानक से कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामने से जिला कांग्रेस भी सकते में है। राजा बघेल की कांग्रेस में वापसी से कई लोग है आहत------ विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से गद्दारी करने के मामले में राजा बघेल को 06 वर्षो के लिए निष्कासित कर दिया था। 26 मार्च को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने राजा बघेल को सीधी लोकसभा का प्रभारी बना दिया जिसके बाद से कांग्रेस के कई निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्ता अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे है। आनंद पंजवानी और नानू पंजवानी के द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद कांग्रेस के कई और लोग इस्तीफा देने का मन बना चुके है।
बालाघाट लोक सभा के कांग्रेस प्रत्याशी सम्राट सिंह सरस्वार के पास अभी भी मौका है की वह लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दे क्योंकि उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पार्टी से गद्दारी करने के मामले में 06 सालो के लिए निष्कासित राजा बघेल को सीधी लोक सभा का प्रभारी बनाकर दोस्ती का फर्ज पूरा कर लिया। कांग्रेस से गद्दारी करने वाले राजा बघेल को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी के निर्देश पर सीधी लोकसभा का प्रभारी बनाया गया है तथा सुश्री उमा धुर्वे को सह प्रभारी नियुक्त किया है।राजीव सिंह) उपाध्यक्ष संगठन प्रभारी के द्वारा जारी पत्र में राजा बघेल से कहा गया है की वह अपने प्रभार के क्षेत्र में शीघ्र ही पहुंचकर लोकसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए जिला कांग्रेस अध्यक्ष से व्यक्तिगत सम्पर्क एवं समन्वय स्थापित करते हुए मण्डलम, सेक्टर, बूथ स्तर पर बैठके आयोजित कर अधिकृत कांग्रेस प्रत्याशी को विजयी बनाने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें । उक्त पत्र जारी होने के बाद अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है की जीतू पटवारी के कार्यकाल में जो नेता पार्टी से जितनी बड़ी गद्दारी करेगा जीतू पटवारी उन्हे उतनी बड़ी जिम्मेदारी देंगे जैसी जिम्मेदारी उन्होंने राजा बघेल जैसे निष्कासित नेता को दिया । अब लोग यह चर्चा करने लगे है की कांग्रेस में जिन नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी लेना है तो वह लोकसभा चुनाव में सम्राट सिंह सरस्वार को हराने भीतरघात करते हुए गद्दारी करने लगे तो उनकी किस्मत खुल सकती है ऐसे में सम्राट सिंह सरस्वार सतर्क हो जाए और चुनाव लड़ने के विषय में पुनर्विचार करे वर्ना कांग्रेसियों के हाथ ही उन्हे हार मिलेगी । वैसे राजा बघेल की कांग्रेस में बहाली को लेकर यह भी चर्चा है की विधानसभा की तरह ही लोकसभा में भी राजा बघेल अपनी आदत के मुताबिक निपटाओ समिति के जरिए सक्रिय होंगे। ऐसी स्थिति में सम्राट सिंह सरस्वार को सिर्फ और सिर्फ नुकसान ही होगा जिसकी भरपाई वह भविष्य में शायद ही कभी कर पाए।
--- बालाघाट लोक सभा के कांग्रेस प्रत्याशी सम्राट सिंह सरस्वार के पास अभी भी मौका है की वह लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दे क्योंकि उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पार्टी से गद्दारी करने के मामले में 06 सालो के लिए निष्कासित राजा बघेल को सीधी लोक सभा का प्रभारी बनाकर दोस्ती का फर्ज पूरा कर लिया। कांग्रेस से गद्दारी करने वाले राजा बघेल को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी के निर्देश पर सीधी लोकसभा का प्रभारी बनाया गया है तथा सुश्री उमा धुर्वे को सह प्रभारी नियुक्त किया है।राजीव सिंह) उपाध्यक्ष संगठन प्रभारी के द्वारा जारी पत्र में राजा बघेल से कहा गया है की वह अपने प्रभार के क्षेत्र में शीघ्र ही पहुंचकर लोकसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए जिला कांग्रेस अध्यक्ष से व्यक्तिगत सम्पर्क एवं समन्वय स्थापित करते हुए मण्डलम, सेक्टर, बूथ स्तर पर बैठके आयोजित कर अधिकृत कांग्रेस प्रत्याशी को विजयी बनाने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें । उक्त पत्र जारी होने के बाद अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है की जीतू पटवारी के कार्यकाल में जो नेता पार्टी से जितनी बड़ी गद्दारी करेगा जीतू पटवारी उन्हे उतनी बड़ी जिम्मेदारी देंगे जैसी जिम्मेदारी उन्होंने राजा बघेल जैसे निष्कासित नेता को दिया । अब लोग यह चर्चा करने लगे है की कांग्रेस में जिन नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी लेना है तो वह लोकसभा चुनाव में सम्राट सिंह सरस्वार को हराने भीतरघात करते हुए गद्दारी करने लगे तो उनकी किस्मत खुल सकती है ऐसे में सम्राट सिंह सरस्वार सतर्क हो जाए और चुनाव लड़ने के विषय में पुनर्विचार करे वर्ना कांग्रेसियों के हाथ ही उन्हे हार मिलेगी । वैसे राजा बघेल की कांग्रेस में बहाली को लेकर यह भी चर्चा है की विधानसभा की तरह ही लोकसभा में भी राजा बघेल अपनी आदत के मुताबिक निपटाओ समिति के जरिए सक्रिय होंगे। ऐसी स्थिति में सम्राट सिंह सरस्वार को सिर्फ और सिर्फ नुकसान ही होगा जिसकी भरपाई वह भविष्य में शायद ही कभी कर पाए।
बालाघाट लोक सभा के कांग्रेस प्रत्याशी सम्राट सिंह सरस्वार के पास अभी भी मौका है की वह लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दे क्योंकि उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पार्टी से गद्दारी करने के मामले में 06 सालो के लिए निष्कासित राजा बघेल को सीधी लोक सभा का प्रभारी बनाकर दोस्ती का फर्ज पूरा कर लिया। कांग्रेस से गद्दारी करने वाले राजा बघेल को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी के निर्देश पर सीधी लोकसभा का प्रभारी बनाया गया है तथा सुश्री उमा धुर्वे को सह प्रभारी नियुक्त किया है।राजीव सिंह) उपाध्यक्ष संगठन प्रभारी के द्वारा जारी पत्र में राजा बघेल से कहा गया है की वह अपने प्रभार के क्षेत्र में शीघ्र ही पहुंचकर लोकसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए जिला कांग्रेस अध्यक्ष से व्यक्तिगत सम्पर्क एवं समन्वय स्थापित करते हुए मण्डलम, सेक्टर, बूथ स्तर पर बैठके आयोजित कर अधिकृत कांग्रेस प्रत्याशी को विजयी बनाने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें । उक्त पत्र जारी होने के बाद अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है की जीतू पटवारी के कार्यकाल में जो नेता पार्टी से जितनी बड़ी गद्दारी करेगा जीतू पटवारी उन्हे उतनी बड़ी जिम्मेदारी देंगे जैसी जिम्मेदारी उन्होंने राजा बघेल जैसे निष्कासित नेता को दिया । अब लोग यह चर्चा करने लगे है की कांग्रेस में जिन नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी लेना है तो वह लोकसभा चुनाव में सम्राट सिंह सरस्वार को हराने भीतरघात करते हुए गद्दारी करने लगे तो उनकी किस्मत खुल सकती है ऐसे में सम्राट सिंह सरस्वार सतर्क हो जाए और चुनाव लड़ने के विषय में पुनर्विचार करे वर्ना कांग्रेसियों के हाथ ही उन्हे हार मिलेगी । वैसे राजा बघेल की कांग्रेस में बहाली को लेकर यह भी चर्चा है की विधानसभा की तरह ही लोकसभा में भी राजा बघेल अपनी आदत के मुताबिक निपटाओ समिति के जरिए सक्रिय होंगे। ऐसी स्थिति में सम्राट सिंह सरस्वार को सिर्फ और सिर्फ नुकसान ही होगा जिसकी भरपाई वह भविष्य में शायद ही कभी कर पाए।
बालाघाट लोक सभा के कांग्रेस प्रत्याशी सम्राट सिंह सरस्वार के पास अभी भी मौका है की वह लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दे क्योंकि उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पार्टी से गद्दारी करने के मामले में 06 सालो के लिए निष्कासित राजा बघेल को सीधी लोक सभा का प्रभारी बनाकर दोस्ती का फर्ज पूरा कर लिया। कांग्रेस से गद्दारी करने वाले राजा बघेल को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी के निर्देश पर सीधी लोकसभा का प्रभारी बनाया गया है तथा सुश्री उमा धुर्वे को सह प्रभारी नियुक्त किया है।राजीव सिंह) उपाध्यक्ष संगठन प्रभारी के द्वारा जारी पत्र में राजा बघेल से कहा गया है की वह अपने प्रभार के क्षेत्र में शीघ्र ही पहुंचकर लोकसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए जिला कांग्रेस अध्यक्ष से व्यक्तिगत सम्पर्क एवं समन्वय स्थापित करते हुए मण्डलम, सेक्टर, बूथ स्तर पर बैठके आयोजित कर अधिकृत कांग्रेस प्रत्याशी को विजयी बनाने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें । उक्त पत्र जारी होने के बाद अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है की जीतू पटवारी के कार्यकाल में जो नेता पार्टी से जितनी बड़ी गद्दारी करेगा जीतू पटवारी उन्हे उतनी बड़ी जिम्मेदारी देंगे जैसी जिम्मेदारी उन्होंने राजा बघेल जैसे निष्कासित नेता को दिया । अब लोग यह चर्चा करने लगे है की कांग्रेस में जिन नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी लेना है तो वह लोकसभा चुनाव में सम्राट सिंह सरस्वार को हराने भीतरघात करते हुए गद्दारी करने लगे तो उनकी किस्मत खुल सकती है ऐसे में सम्राट सिंह सरस्वार सतर्क हो जाए और चुनाव लड़ने के विषय में पुनर्विचार करे वर्ना कांग्रेसियों के हाथ ही उन्हे हार मिलेगी । वैसे राजा बघेल की कांग्रेस में बहाली को लेकर यह भी चर्चा है की विधानसभा की तरह ही लोकसभा में भी राजा बघेल अपनी आदत के मुताबिक निपटाओ समिति के जरिए सक्रिय होंगे। ऐसी स्थिति में सम्राट सिंह सरस्वार को सिर्फ और सिर्फ नुकसान ही होगा जिसकी भरपाई वह भविष्य में शायद ही कभी कर पाए।
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राजीव सिंह) उपाध्यक्ष संगठन प्रभारी के द्वारा जारी पत्र में राजा बघेल से कहा गया है की वह अपने प्रभार के क्षेत्र में शीघ्र ही पहुंचकर लोकसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए जिला कांग्रेस अध्यक्ष से व्यक्तिगत सम्पर्क एवं समन्वय स्थापित करते हुए मण्डलम, सेक्टर, बूथ स्तर पर बैठके आयोजित कर अधिकृत कांग्रेस प्रत्याशी को विजयी बनाने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें । उक्त पत्र जारी होने के बाद अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है की जीतू पटवारी के कार्यकाल में जो नेता पार्टी से जितनी बड़ी गद्दारी करेगा जीतू पटवारी उन्हे उतनी बड़ी जिम्मेदारी देंगे जैसी जिम्मेदारी उन्होंने राजा बघेल जैसे निष्कासित नेता को दिया । अब लोग यह चर्चा करने लगे है की कांग्रेस में जिन नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी लेना है तो वह लोकसभा चुनाव में सम्राट सिंह सरस्वार को हराने भीतरघात करते हुए गद्दारी करने लगे तो उनकी किस्मत खुल सकती है ऐसे में सम्राट सिंह सरस्वार सतर्क हो जाए और चुनाव लड़ने के विषय में पुनर्विचार करे वर्ना कांग्रेसियों के हाथ ही उन्हे हार मिलेगी । वैसे राजा बघेल की कांग्रेस में बहाली को लेकर यह भी चर्चा है की विधानसभा की तरह ही लोकसभा में भी राजा बघेल अपनी आदत के मुताबिक निपटाओ समिति के जरिए सक्रिय होंगे। ऐसी स्थिति में सम्राट सिंह सरस्वार को सिर्फ और सिर्फ नुकसान ही होगा जिसकी भरपाई वह भविष्य में शायद ही कभी कर पाए।
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राजीव सिंह) उपाध्यक्ष संगठन प्रभारी के द्वारा जारी पत्र में राजा बघेल से कहा गया है की वह अपने प्रभार के क्षेत्र में शीघ्र ही पहुंचकर लोकसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए जिला कांग्रेस अध्यक्ष से व्यक्तिगत सम्पर्क एवं समन्वय स्थापित करते हुए मण्डलम, सेक्टर, बूथ स्तर पर बैठके आयोजित कर अधिकृत कांग्रेस प्रत्याशी को विजयी बनाने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें । उक्त पत्र जारी होने के बाद अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है की जीतू पटवारी के कार्यकाल में जो नेता पार्टी से जितनी बड़ी गद्दारी करेगा जीतू पटवारी उन्हे उतनी बड़ी जिम्मेदारी देंगे जैसी जिम्मेदारी उन्होंने राजा बघेल जैसे निष्कासित नेता को दिया । अब लोग यह चर्चा करने लगे है की कांग्रेस में जिन नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी लेना है तो वह लोकसभा चुनाव में सम्राट सिंह सरस्वार को हराने भीतरघात करते हुए गद्दारी करने लगे तो उनकी किस्मत खुल सकती है ऐसे में सम्राट सिंह सरस्वार सतर्क हो जाए और चुनाव लड़ने के विषय में पुनर्विचार करे वर्ना कांग्रेसियों के हाथ ही उन्हे हार मिलेगी । वैसे राजा बघेल की कांग्रेस में बहाली को लेकर यह भी चर्चा है की विधानसभा की तरह ही लोकसभा में भी राजा बघेल अपनी आदत के मुताबिक निपटाओ समिति के जरिए सक्रिय होंगे। ऐसी स्थिति में सम्राट सिंह सरस्वार को सिर्फ और सिर्फ नुकसान ही होगा जिसकी भरपाई वह भविष्य में शायद ही कभी कर पाए।
सिवनी महाकौशल । सिवनी में 30 सितंबर 2022 को सहायक आयुक्त के पद पर अमर उईके को पदस्थ किया गया था ।अपनी पदस्थापना के बाद से ही अमर उईके शशिकांत सिंह, वीरेंद्र बोरकर, राकेश दुबे जैसे कई अधिकारियों के ऊपर मेहरबान रहे और उन्हे अपना विश्वास पात्र बना लिया था। बताया जाता है कि सहायक आयुक्त अमर सिंह के रहते उक्त सभी अधिकारियों की विभाग में तूती बोला करती थी ।अमर उईके की उच्च स्तरीय सांठगांठ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब अमर उईके के विरूद्ध डिंडौरी में धारा 420, 409 के तहत एफआईआर दर्ज हुई तब वह फरार हो गए। जनजातीय कार्य में विभाग का काम सुचारू रूप से से चल सके इसके लिए विभाग के कुछ कर्मचारियों ने जिले के आला अधिकारियों को गुमराह कर अमर सिंह के करीबी शशिकांत सिंह को प्रभारी एसी बनाये जाने की नोट शीट चलवा दिया और शशिकांत सिंह सहायक आयुक्त भी बन गए जबकि नियमानुसार वह सहायक आयुक्त नही बन सकते थे ।उनकी मूल पदस्थापना धोबीसर्रा हाई स्कूल प्राचार्य के पद पर है लेकिन अमर उईके की मेहरबानी से उन्हें एडी का प्रभार दे दिया गया था। बताया जाता है कि नियमानुसार सहायक आयुक्त का प्रभार प्रथम श्रेणी के अधिकारियों को देना होता है लेकिन अमर उईके के कुछ चहेते बाबूओं ने शशिकांत सिंह को प्रभार दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाया। बताया जाता है कि जब यह मामला जिला कलेक्टर के संज्ञान में आया तो उन्होने शशिकांत सिंह को हटाकर एस. आर. मरावी को प्रभारी एसी बना दिया जिससे उन बाबूओ को झटका लगा जिन्होंने शशिकांत सिंह को प्रभारी सहायक आयुक्त बनवाने में नियमो को अनदेखा कर नोट शीट चलाया था।देखना यह है कि जिला कलेक्टर उन बाबूओं की भूमिका की जांच करते है या नही जिन्होने नियम विरूद्ध तरीके से शशिकांत सिंह को प्रभारी सहायक आयुक्त बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था।
भोपाल। केंद्रीय निवार्चन आयुक्त ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दी है। चुनाव की घोषणा के साथ ही देश के साथ-साथ प्रदेश में भी आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। देश में कुल सात चरणों में मतदान होगा। मप्र में पहले चरण के साथ ही मतदान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। इसके लिए 20 मार्च को अधिसूचना जारी होगी और 30 मार्च तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होगा। प्रदेश में कुल चार चरणों में मतदान होगा।म.प्र. में 19 अपै्रल को पहले चरण का मतदान होगा जिसमें महाकौशल क्षेत्र की जबलपुर, मंडला, बालाघाट, छिंदवाड़ा लोकसभा के साथ-साथ सीधी एवं शहडोल लोकसभा में चुनाव होंगे।वही दूसरा चरण 26 अप्रैल को चुनाव होंगे जिसमें 07 लोकसभा सीट टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा, होशंगाबाद एवं बैतूल लोकसभा के चुनाव होंगे। 07 मई को 08 लोकसभा जिसमें मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल एवं राजगढ़ में चुनाव होंगे वही 13 मई को चौथे चरण का चुनाव होगा जिसमें 08 लोकसभा देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगौन एवं खंडवा लोकसभा की सीट शामिल है। पहले चरण के लिए 20 मार्च को अधिसूचना जारी होगी जिसके बाद नामांकन फार्म भरे जायेंगे वही 30 मार्च तक नामांकन फार्म वापिस लिए जायेंगे।
प्रदेश में पांच करोड़ 64 लाख से ज्यादा मतदाता
प्रदेश में इस बार पांच करोड़ 64 लाख 15 हजार 310 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में देखें तो प्रदेश में लगभग 50 लाख मतदाता बढ़े हैं। पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव के वक्त प्रदेश में 5 करोड़ 60 लाख मतदाता थे।
भाजपा ने सभी सीटों पर प्रत्याशी घोषित, कांग्रेस पिछड़ीलोकसभा चुनाव के ऐलान से पहले भाजपा ने सभी 29 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। पार्टी ने 15 सीटों पर पिछली बार विजयी रहे प्रत्याशियों को फिर मौका दिया है, वहीं 14 सीटों पर नए चेहरे उतारे हैं। वहीं कांग्रेस अब तक सिर्फ 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार तय कर पाई है। उसने तीन विधायकों को भी लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा है। भिंड से फूल सिंह बरैया, सतना से सिद्धार्थ कुशवाहा और मंडला से ओमकार सिंह मरकाम चुनाव लड़ेंगे। एक सीट कांग्रेस ने सहयोगी दल सपा के लिए छोड़ी है। यानी 18 सीटों पर उसे अपने उम्मीदवार घोषित करना बाकी है। बताया जाता है की कांग्रेस की केंद्रीय सी ई सी ने 18 मार्च तक एक एक नाम मांगे है।
हाई कोर्ट से अमर उईके के अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत की याचिका लिया वापिस
डिंडोरी जिले में सहायक आयुक्त के पद पर पदस्थ रहते हुए भारी भरकम भ्रष्टाचार करने वाले अमर एक के विरुद्ध 21 फरवरी को डिंडोरी के सिटी कोतवाली थाने में 409 ,420 के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया था तब से ही अमर ऊईके फरार चल रहे हैं जिन्हें डिंडोरी पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई । अमर उईके की अग्रिम जमानत याचिका न्यायालय सत्र न्यायाधीश डिंडौरी ने 27 फरवरी को खारिज कर दिया था जिसके बाद अमर उईके ने 02 मार्च को उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत की याचिका दायर किया था जिसके सुनवाई 11 मार्च को होना था उच्च न्यायालय में जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल के समक्ष अग्रिम जमानत की याचिका की सुनवाई के दौरान अमर उईके के अधिवक्ता ने अचानक अग्रिम जमानत याचिका वापिस ले लिया जिसके बाद उच्च न्यायालय में इस प्रकरण को खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय से याचिका खारिज होने के बाद अब सबकी नजर डिंडौरी पुलिस के ऊपर टिकी हुई है जानकारों की मानें तो पुलिस ऐसे मामले में अक्सर फरार आरोपियों के विरूद्ध ईनाम घोषित करती है ऐसे में देखना यह है कि इस पूरे मामले में पुलिस फरार चल रहे अमर उईके के ऊपर ईनाम घोषित करती है या नही।
जिस नेता को 52 साल की राजनीति में एक भी बार चुनाव जीतने का मौका नहीं मिला उसने कांग्रेस को अलविदा कहते हुए आज भाजपा का दामन थाम लिया। सुरेश पचौरी के अलावा प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष और धार के पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, पिछली विधानसभा में इंदौर से कांग्रेस के विधायक रहे संजय शुक्ला, पूर्व विधायक विशाल पटेल, अर्जुन पलिया, सतपाल पलिया और कैलाश मिश्रा ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। वैसे भाजपा का कुनबा तो बढ़ गया लेकिन सुरेश पचौरी को लेकर चर्चा चल रही है की जिस नेता को जनता ने कभी स्वीकार नहीं किया उसे भाजपा में लाकर पार्टी कौन सा फायदा उठाएगी। जो लोग सुरेश पचौरी की राजनीति को जानते है उनकी माने तो सुरेश पचौरी सन 1972 में कांग्रेस में आए थे। तब से लेकर अब तक उनके 52 साल के राजनैतिक जीवन में वे एक भी चुनाव नहीं जीत सके। हालांकि कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा सांसद से लेकर केंद्र में मंत्री तक बनाया। इतना ही नहीं वह कांग्रेस संगठन में भी कई पदों पर रहे। मध्यप्रदेश में उनकी स्वीकार्यता नही थी फिर भी उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया सुरेश पचौरी सन 1984 में युवक कांग्रेस के अध्यक्ष बने। वे सन 1984 में ही राज्यसभा के लिए भी चुन लिए गए। इसके बाद पचौरी सन 1990, सन 1996 और सन 2002 में भी राज्यसभा सांसद बने। राज्यसभा के सांसद के रूप में 6—6 साल का 4 बार का कार्यकाल पूरा किया। इस प्रकार राजनैतिक जीवन के पूरे 24 साल उन्होंने राज्यसभा में गुजारे।इतना ही नहीं, सुरेश पचौरी कई बार केंद्र की कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे। केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने रक्षा विभाग का अहम दायित्व भी संभाला। वह 2004 से 2008 तक केंद्र में रक्षा के अलावा कार्मिक, सार्वजनिक शिकायत और पेंशन, संसदीय मामलों के भी मंत्री रहे।उमा भारती से 01 लाख से अधिक वोटो से हारे थे चुनाव---- सुरेश पचौरी भले ही कांग्रेस के बड़े नेता थे लेकिन आम मतदाताओं के बीच वह कभी लोकप्रिय नहीं रहे।पहली बार सुरेश पचौरी सन 1999 में भोपाल लोकसभा सीट से बीजेपी की साध्वी उमा भारती के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे थे। इस चुनाव में वे 1.6 लाख वोट से हार गए थे। दूसरी बार उन्होंने 2013 में विधानसभा के लिए भाग्य आजमाया। वे भोजपुर विधानसभा सीट से खड़े हुए लेकिन इस चुनाव में भी वे बीजेपी के प्रत्याशी सुरेंद्र पटवा से हार गए थे। आम मतदाताओं ने सुरेश पचौरी को नकारा है। उन्हे ऐसा नेता कहा जाता है जिन्होंने अपनी ऐसी छवि नहीं बनाया जो दमदार नेता की छवि हो ऐसे सुरेश पचौरी का भाजपा में जाना भाजपा को क्या फायदा पहुंचाएगा यह तो पार्टी के रणनीतिकार जाने लेकिन सुरेश पचौरी के भाजपा में जाने से पार्टी के कुनबे में वृद्धि अवश्य हुई है।
---- भारतीय जनता पार्टी किसी भी चुनाव को हल्के में नहीं लेती। यही कारण है कि छोटे से छोटा चुनाव हो या बड़े से बड़ा चुनाव हो भारतीय जनता पार्टी फूंक फूंक कर कदम रखती है। एक तरफ इंडिया गठबंधन शीट शेयरिंग के मामले में उलझी हुई है वही दूसरी तरफ विधान सभा चुनाव की तरह भाजपा ने प्रत्याशियों की घोषणा करना प्रारंभ कर दिया। शनिवार को भाजपा ने प्रदेश की 195 लोक सभा सीट से प्रत्याशियों की अधिकृत घोषणा किया जिसमे मध्य प्रदेश की 29 लोक सभा में 24 लोकसभा सीट में प्रत्याशियों की अधिकृत घोषणा कर दी गई । भाजपा ने जिन 05 सीटों को होल्ड किया है उनमें छिंदवाड़ा, इंदौर, उज्जैन, बालाघाट और धार शामिल है। वैसे बालाघाट लोक सभा को होल्ड क्यों किया गया यह तो पार्टी का नेतृत्व जाने लेकिन अंदर खाने से आ रही खबरों की माने तो मौजूदा सांसद डॉक्टर ढाल सिंह बिसेन एक बार फिर टिकिट पाने प्रयास कर रहे है। हालांकि सर्वे में डॉक्टर ढाल सिंह बिसेन कमजोर प्रत्याशी बताए जा रहे है । सूत्र तो यह भी बताते है की 2019 के लोक सभा चुनाव में डॉक्टर ढाल सिंह बिसेन को टिकिट दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गौरीशंकर बिसेन को चुनाव जीतने के बाद ढाल सिंह बिसेन ने दरकिनार कर दिया था। कई बार सार्वजनिक मंच से गौरीशंकर बिसेन ने ढाल सिंह बिसेन को चुनौती भी दिया। सांसद ढाल सिंह बिसेन के द्वारा ग्राम पंचायतों को वितरित किए गए टेंकरो और यात्री प्रतीक्षालय की गुणवत्ता को लेकर भी उन्होंने कई बार सवाल भी उठाए थे अंदर खानों से आ रही खबरों की माने तो इस बार बालाघाट की राजनीति 2019 की तरह फंस गई है। 2019 में गौरीशंकर बिसेन अपनी पुत्री मौसम बिसेन को टिकिट दिलाना चाहते थे । उनका तत्कालीन सांसद बोध सिंह भगत से भी जमकर विवाद रहा। 2019 में गौरीशंकर बिसेन यह नहीं चाहते थे की बोध सिंह भगत को टिकिट मिले जिसके लिए उन्होंने डॉक्टर ढाल सिंह बिसेन की पैरवी किया था और उन्हें टिकट दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था। इस बार गौरीशंकर बिसेन यह नहीं चाहते की ढाल सिंह बिसेन को टिकिट मिले । वैसे ढाल सिंह बिसेन की निष्क्रीय कार्यप्रणाली के साथ साथ उनकी अधिक उम्र भी उनके लिए परेशानी का कारण बन सकती है। भाजपा के पैनल में जो नाम बताए जा रहे है उनमें गौरीशंकर बिसेन, वैभव पवार और रमेश भटेरे शामिल है जिनमे से गौरीशंकर बिसेन की बढ़ती उम्र भी उनके लिए परेशानी का कारण होगा ऐसे में बालाघाट से किसी नए चेहरे को मौका दिया जा सकता है । वैसे बालाघाट लोक सभा की सीट होल्ड होने से डॉक्टर ढाल सिंह बिसेन के समर्थको के भीतर भी बैचेनी देखी जा सकती है।
--- सिवनी में पदस्थ सहायक आयुक्त अमर उईके के विरुद्ध -डिडौरी सिटी कोतवाली पुलिस ने 21 फरवरी को 420,409, के तहत मामला पंजीबद्ध किया जिसके बाद से अमर उईके फरार है। बताया जाता है की अमर उईके ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से न्यायालय सत्र न्यायधीश डिंडोरी के समक्ष अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी जिसे माननीय न्यायलय ने खारिज कर दिया। बताया जाता है की अमर उईके के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि डिंडोरी में पदस्थापना के दौरान उसे सुनवाई का मौका दिए बिना जांच टीम के द्वारा संदेहास्पद प्रतिवेदन के आधार पर झूठा प्रकरण पंजीबद्ध किया । उसकी समाज में मान प्रतिष्ठा है यदि उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा जाता है तो उसके साथ बड़ी हकतलफी होगी। वही दूसरी और जमानत का विरोध करते हुए लोक अभियोजक ने तर्क देते हुए कहा की अमर उइके के विरुद्ध दस्तावेज है और कई तर्क दिए गए। सुनवाई के बाद डिंडोरी के सत्र न्यायधीश नीना आशापुरे ने उनकी अग्रिम जमानत खारिज कर दिया। उल्लेखनीय है की आदिवासी विकास विभाग सहायक आयुक्त संतोष शुक्ला की शिकायत पर तत्कालीन सहायक आयुक्त अमर सिंह उईके के खिलाफ शासकीय राशि का गबन और कंप्यूटर ऑपरेटर भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी की शिकायत पर आईपीसी की धारा 420,409 34 के तहत अपराध दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है। अमर उईके के रहते ट्राइवल राज्य छात्र वृति योजना के एक करोड़ 9 लाख 70 हजार 888 रुपए, एस टी छात्रवृति योजना के 11 लाख 26 हजार, एस टी पोस्ट मैट्रिक छात्र वृति योजना के 7 लाख 52 हजार 872 रुपए, एस टी छात्र वृति योजना के 64 लाख 13 हजार 992, रेडक्रॉस मद के 18 लाख 15 हजार,363 रुपए, खेल मद के 42 लाख 88 हजार 862 रुपए, स्काउट एवं गाइड मद के 5 लाख 79 हजार 600 रुपए, कुल 2 करोड़ 59 लाख, 97 हजार, 577 रुपए का भुगतान गलत तरीके से किया गया है। अमर उईके की अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद अब वह उच्च न्यायलय से अग्रिम जमानत कराने का प्रयास कर रहे है। वही दूसरी तरफ देखना यह है की डिंडोरी पुलिस फरार चल रहे अमर उईके को कब तक गिरफ्तार करती है।
सिवनी नगर पालिका के द्वारा 29 फरवरी को अनान फानन में प्रेसीडेन्ट कौंसिल की बैठक आयोजित की गई है। उक्त बैठक का पहला एजेंडा अमृत 2-0 ट्रांच- 1 के अंतर्गत सिवनी शहर की जलापूर्ति व्यवस्था के सवर्द्धन का कार्य (लागत राशि - 4509,07 लाख रूपये) हेतु ठेकेदार मेसर्स बैंको कन्सट्रेक्सन प्रायवेट लिमिटेड कम्पनी ग्वालियर म.प्र. की प्राप्त न्यूनतम निविदा दर 1888 प्रतिशत अधिक एस.ओ आर (लागत राशि- 536038 लाख रूपये) की वित्तीय स्वीकृति के संबंध में विचार एवम निर्णय रखा गया है। समाचार लिखे जाने तक पी आई यू के कुछ सदस्यो तक बैठक का पत्र तक नहीं पहुंचा था। बताया जाता है की बैठक में उक्त महत्वपूर्ण मुद्दे को लाया जा रहा है जब इस बात की जानकारी विवेकानंद वार्ड के पार्षद राजेश राजू यादव को मिली तो उन्होंने नगर पालिका के सी एम ओ रामकुमार कुरेवती को पत्र लिखते हुए कहा की प्रेसीडेन्ट कासिल की बैठक दिनांक 29/02/2024 में
प्रस्ताव क्रमांक 01 में उल्लेखित अमृत 20 ट्रांच- 1 के अंतर्गत सिवनी शहर की जलापूर्ति व्यवस्था केसवर्द्धन का कार्य (लागत राशि 450907 लाख रूपये) हेतु ठेकेदार मेसर्स बैंको कन्सट्रक्सन प्रायवेटलिमिटेड कम्पनी ग्वालियर म.प्र की प्राप्त न्यूनतम निविदा दर 18.88 प्रतिशत अधिक एस.ओ.आर (लागत राशि- 5360.38 लाख रूपये) की वित्तीय स्वीकृति के लिए रखा गया है उक्त प्रस्ताव को यदि पारित किया जाता है तो नगर पालिका एवं मध्य प्रदेश शासन को आर्थिक क्षत्ति उठानी पड़ेगी।
राजू यादव ने निवेदन किया है कि उक्त प्रस्ताव को दिनाक 29/02/2024 को होने वाली प्रेसीडेन्ट कासिल की बैठक में पारित ना किया जाये । क्या करेंगे पी आई यू के सदस्य--- वैसे इस पूरे मामले में सबकी नजर पी आई सी के सदस्यो के ऊपर टिकी हुई है। सूत्र बताते है की ग्वालियर की कम्पनी ने उक्त काम के लिए 18.88 प्रतिशत अधिक दर पर भरा है जबकि अन्य जिलों में इससे कम दर पर काम स्वीकृत हुए है। बताया जाता है की अधिक दर से काम इसलिए स्वीकृत कराए जाने की तैयारी चल रही है क्योंकि उक्त योजना में कमीशन का खेल हो सके ऐसे में देखना यह है की पी आई सी के सदस्य उक्त प्रस्ताव को गिराते है अथवा नहीं। उल्लेखनीय है की दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने पूर्व में ही खुलासा किया था की अब नगर पालिका परिषद के द्वारा नई नल जल आवर्धन में भ्रष्टाचार करने की तैयारी में है और नगर पालिका परिषद के अधिकारी पी आई सी की बैठक में गुप चुप तरीके से प्रस्ताव लाकर पास कराने का प्रयास भी कर सकते है देखना यह है की पी आई सी के सदस्य अधिकारियों की कठपुतली बनते है या अपने विवेक से निर्णय लेते है।
- सिवनी नगर पालिका के द्वारा 29 फरवरी को अनान फानन में प्रेसीडेन्ट कौंसिल की बैठक आयोजित की गई है। उक्त बैठक का पहला एजेंडा अमृत 2-0 ट्रांच- 1 के अंतर्गत सिवनी शहर की जलापूर्ति व्यवस्था के सवर्द्धन का कार्य (लागत राशि - 4509,07 लाख रूपये) हेतु ठेकेदार मेसर्स बैंको कन्सट्रेक्सन प्रायवेट लिमिटेड कम्पनी ग्वालियर म.प्र. की प्राप्त न्यूनतम निविदा दर 1888 प्रतिशत अधिक एस.ओ आर (लागत राशि- 536038 लाख रूपये) की वित्तीय स्वीकृति के संबंध में विचार एवम निर्णय रखा गया है। समाचार लिखे जाने तक पी आई यू के कुछ सदस्यो तक बैठक का पत्र तक नहीं पहुंचा था। बताया जाता है की बैठक में उक्त महत्वपूर्ण मुद्दे को लाया जा रहा है जब इस बात की जानकारी विवेकानंद वार्ड के पार्षद राजेश राजू यादव को मिली तो उन्होंने नगर पालिका के सी एम ओ रामकुमार कुरेवती को पत्र लिखते हुए कहा की प्रेसीडेन्ट कासिल की बैठक दिनांक 29/02/2024 मेंप्रस्ताव क्रमांक 01 में उल्लेखित अमृत 20 ट्रांच- 1 के अंतर्गत सिवनी शहर की जलापूर्ति व्यवस्था केसवर्द्धन का कार्य (लागत राशि 450907 लाख रूपये) हेतु ठेकेदार मेसर्स बैंको कन्सट्रक्सन प्रायवेटलिमिटेड कम्पनी ग्वालियर म.प्र की प्राप्त न्यूनतम निविदा दर 18.88 प्रतिशत अधिक एस.ओ.आर (लागत राशि- 5360.38 लाख रूपये) की वित्तीय स्वीकृति के लिए रखा गया है उक्त प्रस्ताव को यदि पारित किया जाता है तो नगर पालिका एवं मध्य प्रदेश शासन को आर्थिक क्षत्ति उठानी पड़ेगी।
राजू यादव ने निवेदन किया है कि उक्त प्रस्ताव को दिनाक 29/02/2024 को होने वाली प्रेसीडेन्ट कासिल की बैठक में पारित ना किया जाये । क्या करेंगे पी आई यू के सदस्य--- वैसे इस पूरे मामले में सबकी नजर पी आई सी के सदस्यो के ऊपर टिकी हुई है। सूत्र बताते है की ग्वालियर की कम्पनी ने उक्त काम के लिए 18.88 प्रतिशत अधिक दर पर भरा है जबकि अन्य जिलों में इससे कम दर पर काम स्वीकृत हुए है। बताया जाता है की अधिक दर से काम इसलिए स्वीकृत कराए जाने की तैयारी चल रही है क्योंकि उक्त योजना में कमीशन का खेल हो सके ऐसे में देखना यह है की पी आई सी के सदस्य उक्त प्रस्ताव को गिराते है अथवा नहीं। उल्लेखनीय है की दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने पूर्व में ही खुलासा किया था की अब नगर पालिका परिषद के द्वारा नई नल जल आवर्धन में भ्रष्टाचार करने की तैयारी में है और नगर पालिका परिषद के अधिकारी पी आई सी की बैठक में गुप चुप तरीके से प्रस्ताव लाकर पास कराने का प्रयास भी कर सकते है देखना यह है की पी आई सी के सदस्य अधिकारियों की कठपुतली बनते है या अपने विवेक से निर्णय लेते है।
इन दिनों कुछ ऐसे लोग है जो कानून को अपनी जेब में रखकर खुले आम गुंडागर्दी कर दहशत फैलाने का काम कर रहे हैं । ऐसा ही कुछ अरी ग्राम पंचायत में देखने को मिला जहां दिन दहाड़े ग्राम पंचायत के उपसरपंच राजेंद्र बिसेन ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर वर्तमान सरपंच दिलीप यादव और उनके परिवार के ऊपर प्राण घातक हमला करते हुए घायल कर दिया जिसकी रिपोर्ट अरी थाने में दर्ज कराई गई। बताया जाता है कि ग्राम पंचायत अरी में दिलीप यादव सरपंच है। वही राजेंद्र बिसेन उप सरपंच है। श्रीमति संध्या यादव ने पुलिस को बताया की सोमवार की दोपहर के समय उप सरपंच राजेंद्र यादव अपने साथी राजेंद्र बिसेन जो पूर्व उप सरपंच श्रीमती सीमा चौहान के पति है उन्हे व सुशील चौहान जो पूर्व सरपंच सीमा चौहान के पुत्र है अपने साथी प्रहलाद भोरगढ़े को लेकर सरपंच दिलीप यादव के घर पहुंचे और अतिक्रमण का नाप करने उनके घर आए तब दिलीप यादव ने कहा कि पहले सभी के मकान का नाप होगा तब उनके मकान का नाप होगा इसी बात को लेकर उप सरपंच राजेंद्र बिसेन ने अपने साथियों के साथ मिलकर गुंडागर्दी दिखाना शुरू कर दिया और बेखौफ होकर हाथ में लठ लेकर दिलीप यादव के साथ मारपीट करना शुरू कर दिया तभी वहां दिलीप यादव की पुत्रियां व पुत्र बीच बचाव करने पहुंचे तो उन्होंने उनके साथ भी मारपीट कर दिया बताया जाता है कि उप सरपंच ने अपने साथियों के साथ मिलकर दिलीप यादव की पत्नि संध्या यादव के साथ भी मारपीट कर घायल कर दिया। इस हादसे में दिलीप यादव का हाथ भी फ्रैक्चर हो गया हालांकि अरी पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध मामूली धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध किया जिससे उनके हौसले बढ़े हुए है।
अतिक्रमण के लिए नपाई करने क्यों पहुंचा उप सरपंच----
ग्राम पंचायत अरी के उप सरपंच राजेंद्र बिसेन पूर्व सरपंच के पति और पुत्र के साथ अतिक्रमण हटाने के लिए सरपंच के घर क्यों गए यह बड़ा सवाल है। जानकारो की माने तो उपसरपंच को ऐसा कोई अधिकार तो नहीं कि वह ग्राम पंचायत की तरफ से नपाई करने जाए यदि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जानी थी तो वह ग्राम पंचायत की तरफ से की जानी थी जिसमें सचिव, रोजगार सहायक सहित ग्राम पंचायत के कर्मचारियों को जाना था । लेकिन राजेंद्र बिसेन का सरपंच के घर जाना और हाथ में लठ्ठ लेकर गुंडागर्दी दिखाना इस बात की और संकेत है कि कहीं ना कहीं उप सरपंच राजेंद्र बिसेन पुराने किसी विवाद के कारण ही सरपंच के घर गए थे। इस पूरे मामले में पूर्व सरपंच सीमा चौहान के पति राजेंद्र चौहान और उनके पुत्र सुशील चौहान की भूमिका भी संदिग्ध है क्योंकि प्रश्न यही है की अतिक्रमण हटाने सीमांकन कराने पूर्व सरपंच के पति और पुत्र क्यों रुचि ले रहे थे। यदि इस पूरे मामले की जांच निष्पक्षता से की जाये तो उप सरपंच राजेन्द्र बिसेन एवं पूर्व सरपंच के पति और पुत्र की भूमिका का खुलासा हो सकता है।
---जिला पंचायत उपाध्यक्ष के चुनाव में पार्टी के द्वारा अधिकृत प्रत्याशी राकेश सनोड़ीया के विरुद्ध नामांकन दाखिल कर पार्टी के साथ गद्दारी करने वाले जिला पंचायत सदस्य दीपेंद्र अमूले को आखिरकार जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजकुमार खुराना ने 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया ।जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता राजिक अकील ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि हाल में ही सम्पन्न हुये जिला पंचायत के उपाध्यक्ष चुनाव में कांग्रेस पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी राकेश सनोडिया के विरूद्ध दुपेन्द्र लकी अमूले द्वारा पार्टी के निर्देशो की अवहेलना करते हुये चुनाव लड़ा। जिला कांग्रेस अनुशासन समिति द्वारा उनके इस कृत्य को पार्टी विरोधी गतिविधि मानकर उन्हें 6 वर्षो के लिए कांग्रेस पार्टी से निष्कासित किया गया। अन्य सदस्यों के खिलाफ भी अनुशासन समिति ने कारण बताओं नोटिस जारी किया है, समिति द्वारा छानबीन के बाद उनके विरूद्ध पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की कार्यवाही की जा सकती है। जिला कांग्रेस के द्वारा निष्कासन की कार्रवाई के बाद आप दुपेंद्र अमूले का साथ देते हुए पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने वाले अन्य जिला पंचायत सदस्यों के ऊपर भी निष्कासन की बात गिर सकती है उल्लेखनीय है कि 12 जनवरी को जिला पंचायत उपाध्यक्ष का चुनाव हुआ था जिला पंचायत के 19 वार्ड में से कांग्रेस के पास 11 जिला पंचायत सदस्य है जबकि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पास पांच और भाजपा के पास तीन सदस्य है। यदि दुपेंद्र अमूले पार्टी के साथ गद्दारी नहीं करते तो कांग्रेस अपना निर्विरोध उपाध्यक्ष बना लेती। चुनाव में कांग्रेस के द्वारा घोषित प्रत्याशी राकेश सनोड़ीया को 10 वोट मिले थे जबकि दुपेंद् अमूले को 09 वोट मिले थे जो भाजपा समर्थित सदस्यो और कांग्रेस समर्थित कुछ सदस्यो के सहारे चुनाव लड़े थे।
--जिला पंचायत उपाध्यक्ष के चुनाव में पार्टी के द्वारा अधिकृत प्रत्याशी राकेश सनोदिया के विरुद्ध नामांकन दाखिल कर पार्टी के साथ गद्दारी करने वाले जिला पंचायत सदस्य दीपेंद्र अमूले को आखिरकार जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजकुमार खुराना ने 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता राजीव अखिल में प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि हाल में ही सम्पन्न हुये जिला पंचायत के उपाध्यक्ष चुनाव में कांग्रेस पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी राकेश सनोडिया के विरूद्ध दुपेन्द्र लकी अमूले द्वारा पार्टी के निर्देशो की अवहेलना करते हुये चुनाव लड़ा। जिला कांग्रेस अनुशासन समिति द्वारा उनके इस कृत्य को पार्टी विरोधी गतिविधि मानकर उन्हें 6 वर्षो के लिए कांग्रेस पार्टी से निष्कासित किया गया। अन्य सदस्यों के खिलाफ भी अनुशासन समिति ने कारण बताओं नोटिस जारी किया है, समिति द्वारा छानबीन के बाद उनके विरूद्ध पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की कार्यवाही की जा सकती है। जिला कांग्रेस के द्वारा निष्कासन की कार्रवाई के बाद आप दुपेंद्र अमूले का साथ देते हुए पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने वाले अन्य जिला पंचायत सदस्यों के ऊपर भी निष्कासन की बात गिर सकती है उल्लेखनीय है कि 12 जनवरी को जिला पंचायत उपाध्यक्ष का चुनाव हुआ था जिला पंचायत के 19 वार्ड में से कांग्रेस के पास 11 जिला पंचायत सदस्य है जबकि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पास पांच और भाजपा के पास तीन सदस्य है। यदि दुपेंद्र अमूले पार्टी के साथ गद्दारी नहीं करते तो कांग्रेस अपना निर्विरोध उपाध्यक्ष बना लेती। चुनाव में कांग्रेस के द्वारा घोषित प्रत्याशी राकेश सनोड़ीया को 10 वोट मिले थे जबकि दुपेंद् अमूले को 09 वोट मिले थे जो भाजपा समर्थित सदस्यो और कांग्रेस समर्थित कुछ सदस्यो के सहारे चुनाव लड़े थे।
-----जिला पंचायत उपाध्यक्ष के चुनाव में पार्टी के द्वारा अधिकृत प्रत्याशी राकेश सनोदिया के विरुद्ध नामांकन दाखिल कर पार्टी के साथ गद्दारी करने वाले जिला पंचायत सदस्य दीपेंद्र अमूले को आखिरकार जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजकुमार खुराना ने 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता राजीव अखिल में प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि हाल में ही सम्पन्न हुये जिला पंचायत के उपाध्यक्ष चुनाव में कांग्रेस पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी राकेश सनोडिया के विरूद्ध दुपेन्द्र लकी अमूले द्वारा पार्टी के निर्देशो की अवहेलना करते हुये चुनाव लड़ा। जिला कांग्रेस अनुशासन समिति द्वारा उनके इस कृत्य को पार्टी विरोधी गतिविधि मानकर उन्हें 6 वर्षो के लिए कांग्रेस पार्टी से निष्कासित किया गया। अन्य सदस्यों के खिलाफ भी अनुशासन समिति ने कारण बताओं नोटिस जारी किया है, समिति द्वारा छानबीन के बाद उनके विरूद्ध पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की कार्यवाही की जा सकती है। जिला कांग्रेस के द्वारा निष्कासन की कार्रवाई के बाद आप दुपेंद्र अमूले का साथ देते हुए पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने वाले अन्य जिला पंचायत सदस्यों के ऊपर भी निष्कासन की बात गिर सकती है उल्लेखनीय है कि 12 जनवरी को जिला पंचायत उपाध्यक्ष का चुनाव हुआ था जिला पंचायत के 19 वार्ड में से कांग्रेस के पास 11 जिला पंचायत सदस्य है जबकि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पास पांच और भाजपा के पास तीन सदस्य है। यदि दुपेंद्र अमूले पार्टी के साथ गद्दारी नहीं करते तो कांग्रेस अपना निर्विरोध उपाध्यक्ष बना लेती। चुनाव में कांग्रेस के द्वारा घोषित प्रत्याशी राकेश सनोड़ीया को 10 वोट मिले थे जबकि दुपेंद् अमूले को 09 वोट मिले थे जो भाजपा समर्थित सदस्यो और कांग्रेस समर्थित कुछ सदस्यो के सहारे चुनाव लड़े थे।
---जिला पंचायत वार्ड क्रमांक 7 के सदस्य दुपेंद्र अमूले की कितनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने जिला पंचायत उपाध्यक्ष बनने के लिए पार्टी के द्वारा घोषित किए गए प्रत्याशी का विरोध कर फार्म भर दिया जिन्हे कुछ कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्यो का साथ मिला लेकिन दुपेंद्र अमुले चुनाव हार गए। दुपेंद उर्फ लकी अमूले के चुनाव हारने के बाद सबकी निगाहें जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना के ऊपर टिकी हुई है। नामांकन जमा करने वाले मोहन को निष्कासित किया गया तो फिर दुपेंद्र को क्यों नही---- जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना के ऊपर सबकी नजर इसलिए टिकी हुई है क्योंकि जब 2022 को जिला पंचायत सदस्य के चुनाव हुए थे तब वार्ड क्रमांक 5 से कांग्रेस ने अपना समर्थित प्रत्याशी तेज सिंह रघुवंशी को बनाया था तब पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन चंदेल ने भी नामांकन दाखिल कर दिया था जिसके बाद तेज सिंह रघुवंशी और अर्जुन काकोडिया ने फौरन मोहन चंदेल को प्रदेश कांग्रेस कमेटी से 06 वर्षी के लिए निष्कासित करवा दिया था। चूंकि जिला पंचायत में कांग्रेस के पास 11 सदस्य थे यदि दुपेंद्र उर्फ लकी अमूले पार्टी के साथ गद्दारी ना करते हुए पार्टी के द्वारा अधिकृत प्रत्याशी का समर्थन कर देते तो जिला पंचायत उपाध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध हो सकता था लेकिन राजनेतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते उन्होंने पार्टी की गाइडलाइन से हटकर निर्दलीय फॉर्म भरा जिन्हें कांग्रेस के कुछ अन्य समर्थित सदस्यों का भी साथ मिला । दुपेंद्र अमूलेको पार्टी से गद्दारी करने के लिए जिला पंचायत के किन-किन जिला पंचायत सदस्यों ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग किया इसका खुलासा तो आगामी अंकों में किया जाएगा लेकिन वर्तमान में सबकी नजर जिला कांग्रेस के ऊपर टिकी हुई है। देखना यह है कि जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना दुपेंद्र अमूले को 6 वर्षों के लिए निष्कासित कर पार्टी को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं या फिर दुपेंद्र अमूले को अभय दान देते है। क्या अर्जुन काकोडिया करवा पाएंगे कारवाही---- बरघाट विधानसभा के कुरई क्षेत्र से राकेश सनोड़ीया को पार्टी ने अपना समर्थित प्रत्याशी घोषित किया था जो अर्जुन सिंह काकोडिया के करीबी है इसे संयोग ही कहा जाएगा की बरघाट विधानसभा के अंतर्गत आने वाले वार्ड क्रमांक 07 के सदस्य दुपेंद्र अमूले जिन्होंने पार्टी से गद्दारी कर जिला पंचायत उपाध्यक्ष का चुनाव लड़ा वह भी पूर्व विधायक अर्जुन काकोडिया के करीबी है ।सूत्र बताते हैं कि अर्जुन सिंह का ने दुपेंद्र अमूले को काफी समझाया था लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते दुपेंद्र अमूले ने अर्जुन काकोडिया की बात को भी नजर अंदाज कर दिया ।जबकि अर्जुन काकोडिया ने ही दुपेंद्र अमूले को जिला पंचायत सदस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था ।ऐसे में अब देखना यह है कि जिस जिस युवक को उंगली पड़कर अर्जुन काकोडिया ने चलना सिखाया उस युवक के द्वारा पार्टी से गद्दारी किए जाने के बाद अर्जुन सिंह काकोडिया ने जिस तरह मोहन चंदेल को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था उसी तरह दुपेंद्र अमूले को तकपार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने में कितनी रुचि दिखाते है यह देखने वाली बात होगी।
12 फरवरी को जिला पंचायत उपाध्यक्ष के चुनाव होना है जिसके लिए कांग्रेस ने दो सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया था जिसने कांग्रेस समर्थित सदस्यो की बैठक आयोजित किया। बताया जाता है की उक्त कमेटी रविवार को जिला कांग्रेस अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपेगी जिसके बाद कांग्रेस का प्रत्याशी तय होगा। वही दूसरी तरफ केंद्र और राज्य में सत्ता का सुख भोग रही भाजपा पूरी तरह से मौन धारण किए हुए है जिसके बाद सवाल उठ रहा है की क्या जिला पंचायत उपाध्यक्ष के चुनाव में भाजपा कांग्रेस के सामने हथियार डाल रही है। वैसे वर्तमान में कांग्रेस के पास बहुमत है। जिला पंचायत में 19 वार्ड है जिनमे से 11 सदस्य कांग्रेस के है जबकि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के 05 और भाजपा के पास तीन सदस्य है। 2022 में हुए उपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा ने उपाध्यक्ष पद पर गोंडवाना की श्रीमती ललिता रावेन शाह को समर्थन दिया था तब कांग्रेस समर्थित लल्लू बघेल को उपाध्यक्ष चुनाव में 14 वोट मिले थे और गोंडवाना और भाजपा के संयुक्त प्रत्याशी ललिता रावेन शाह को सिर्फ 05 वोट मिले थे। यदि वर्तमान में भाजपा अपना प्रत्याशी खड़ा नही करती है तो भाजपा बैकफुट में चले जाएगी और भाजपा के सामने कई तरह के प्रश्न चिन्ह लगने लगेंगे। चूंकि भाजपा के पास श्रीमती रीना वरकड़े,श्रीमती रजनी ठाकुर और श्रीमति मालती डेहरिया सदस्य है। जबकि वर्तमान में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पूरी तरह से बिखरी हुई है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिला अध्यक्ष गया प्रसाद सहित कई नेताओं को पार्टी ने 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया ऐसे में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पांच सदस्यों को सहज कर रखना असंभव है ।यदि भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकार आदिवासी चेहरे के रूप में श्रीमती रीना वरकड़े के ऊपर दांव लगाते है तो संभव है गोंडवाना के कुछ सदस्य साथ आ जाए। वही कांग्रेस के कुछ सदस्य भी टूट सकते है लेकिन वर्तमान में भाजपा पूरी तरह निष्क्रिय नजर आ रही है ऐसे में फिलहाल तो भाजपा के सामने सबसे बड़ा प्रश्न यही है की क्या वाकई जिला पंचायत उपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा पूरी तरह से हथियार डाल रही है या फिर भाजपा के भीतर कुछ खिचड़ी पक रही है। भाजपा समर्थित सदस्य वोटिंग में भाग लेंगे या नही-----यदि भारतीय जनता पार्टी अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं करती है तो फिर संभव है कांग्रेस का निर्विरोध उपाध्यक्ष चुन लिया जाएगा । यदि सम्मिलन में भाजपा समर्थित सदस्य मौजूद रहते है और भाजपा कोई प्रत्याशी खड़ा नही करती है ऐसे में कांग्रेस का निर्विरोध अध्यक्ष चुना जाता है तो इससे पार्टी की किरकिरी होगी ऐसे में संभव है भाजपा समर्थित प्रत्याशी चुनावी प्रक्रिया के दौरान सदन से बाहर रहे। हालांकि अभी तक भाजपा ने अपने सदस्यो के लिए कोई निर्देश जारी नही किया है।
विधानसभा में लखनादौन क्षेत्र की समस्या उठाने से योगेन्द्र बाबा को क्यों है परहेज
लखनादौन विधानसभा चुनाव में योगेंद्र बाबा बिना मेहनत किए हुए तीसरी बार चुनाव जीत गए। लखनादौन विधानसभा के भोले भाले मतदाताओं ने तीसरी बार भी योगेंद्र बाबा को इस विश्वास से जिताया की दो बार ना सही तीसरी बार में तो योगेंद्र बाबा क्षेत्र के लोगों के बारे में सोचेंगे और उनकी आवाज विधानसभा में बुलंद करेंगे। कई समस्याओं से जूझ रहे लखनादौन विधानसभा के मतदाताओं की योगेंद्र बाबा को कोई फिक्र है ही नहीं वह सिवनी जिले और लखनादौन विधानसभा से जुड़े मुद्दे उठाने के बजाय विधानसभा में दूसरे जिले के मुद्दे उठाने में ज्यादा रुचि दिखाते हैं इसके पीछे क्या कारण है यह तो योगेंद्र बाबा जानें। बताया जाता है कि इन दिनों विधानसभा सत्र चल रहा है लखनादौन के विधायक योगेंद्र बाबा ने लखनादौन सिवनी छोडक़र राजगढ़ जिले का मुद्दा उठाया उन्होंने विधानसभा में खेल युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग से पूछकर यह जानने का प्रयास किया कि ‘क्या खेल एवं युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासकीय कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति मर्यादित तलेनी सारंगपुर, जिला-राजगढ़ में नियुक्त प्रशासक द्वारा समिति के संचालक मण्डल के निर्वाचन हेतु कब-कब प्रस्ताव, कार्यालय उपायुक्त, सहकारिता, जिला-राजगढ़ को प्रेषित किये गये है? (ख) समिति के संचालक मंडल का निर्वाचन म.प्र. सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 के नियमानुसार प्रशासक द्वारा समिति के संचालक मण्डल का निर्वाचन नहीं कराने के लिये दोषी है तो क्या इनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावेगी? (ग) शासकीय कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति मर्यादित तलेनी सारंगपुर, जिला-राजगढ़ के अधीनस्थ पंजीकृत गृह निर्माण संस्था के बायलॉज एवं पंजीयन प्रमाण-पत्र की प्रति उपलब्ध कराई जावेगी? शासकीय कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति मर्यादित तलेनी सारंगपुर, जिला-राजगढ में। (घ) प्रशासक नियुक्त करते समय कौन-कौन संचालक कार्यरत थे अंतिम संचालक मण्डल निर्वाचन आमसभा की प्रति तथा अंतिम पारित अंकेक्षण (अंकेक्षण टीप, प्रपत्र 1 से 16 तथा उसके साथ संलग्न सदस्यता सूची, प्लाट आवंटन सूची, आय-व्यय, लाभ-हानि एवं स्थिति विवरण पत्रक) की प्रतियां उपलब्ध कराएं।’
योगेंद्र बाबा के प्रश्न का जवाब देते हुए खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग ने जानकारी दिया की (क) संस्था मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 1960 की धारा 69 के अंतर्गत परिसमापन में है, परिसमापित सहकारी संस्था के निर्वाचन कराए जाने का प्रावधान नहीं है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) पंजीयन की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ठ के प्रपत्र-01 एवं उपविधि की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ठ के प्रपत्र-02 अनुसार है। (घ) उपायुक्त, सहकारिता जिला राजगढ़ कार्यालय भवन एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किये जाने एवं वर्षा के कारण निर्वाचन संबंधी पुराने अभिलेख नष्ट प्राय होने से जानकारी दी जाना संभव नहीं है तथा संस्था के अंतिम अंकेक्षण वर्ष 2017-18 की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-03 अनुसार है। वैसे लखनादौन और घंसौर क्षेत्र के लोगों को योगेंद्र बाबा से यह आवश्यक पूछना चाहिए कि उन्हें तीसरी बार विधानसभा में राजगढ़ जिले से संबंधित प्रश्न पूछने के लिए विधानसभा में भेजा गया है या फिर लखनादौन घंसौर क्षेत्र से संबंधित प्रश्न उठाने के लिए भेजा गया है। वैसे यदि योगेंद्र बाबा सिवनी जिले से संबंधित भी प्रश्न लगाते तो कोई बात नहीं थी लेकिन उन्होंने राजगढ़ जिले से संबंधित प्रश्न लगाकर यह तो प्रमाणित कर ही दिया कि वह भले ही विधायक लखनादौन विधानसभा के हो लेकिन उन्हें फिक़्र अन्य जिलों की रहती है।
तहसीलदार न्यायालय ने लगाई रोक----- लोकतांत्रिक देश में किसी भी न्यायालय का आदेश सर्वोपरि होता है लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपने आप को न्यायालय से बड़ा समझने लगते हैं जो न्यायालय के आदेश को दरकिनार कर मनमर्जी चलते हैं ऐसा ही कुछ बरघाट थाना क्षेत्र में रहने वाले मान सिंह पिता दत्तू गड़ेवाल वाल के द्वारा किया जा रहा था। प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम नगर बरघाट के पटवारी हल्का नम्बर 50 रा ०नि०म व तहसील बरघाट में खसरा नं 311रकबा 0:02 हेक्टेयर भूमि वशीउर्रहरहमान पिता रहमान खान निवासी वार्ड क्रमांक 3 बरघाट के अधिपत्य की भूमि है। इस भूमि को लेकर माननीय उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में द्वितीय अपील क/1444/2015 में दिनांक 10/03/2021 को पारित आदेश में उक्त विवादित भूमि के संबंध में उभयपक्षों को यथास्थिति बनाए जाने का उल्लेख था। बताया जाता है की उच्च न्यायालय के यथा स्थिति आदेश के बावजूद मानसिंह पिता दत्तू जाति गढ़ेवाल निवासी सब्जी मंडी बाजार बरघाट तहसील बरघाट द्वारा मनमर्जी चलाते हुए आदेश का उल्लंघन उक्त मकान में जबरन अवैध कब्जा करते हुए अतिक्रमण किया और दबंगई दिखाते हुए उक्त उक्त भूमिका को तोड़ते हुए खुर्द-बुर्द करने का प्रयास किया जाने लगा तब आवेदक वशीउर्रह ने न्यायालय तहसीलदार के यहां अपील करते हुए ध्यान आकर्षित कराया कि माननीय उच्च न्यायालय ने उक्त भूमि में यथा स्थिति के आदेश दिए हैं। बताया जाता है की इस मामले में
हल्का पटवारी को जांच के लिए भेजा जिन्होंने अपने जांच प्रतिवेदन में बताया कि ग्राम बरघाट के अभिलेख में रहमान खीं पिता जब्बार खॉ जाति मुसलमान के नाम भूमि स्वाभी एक पर खसरा नं0 311 रकबा 0.02 हे० दर्ज है। स्थल जाच में पाया गया, कि खसरा नं0 311 एवं 295/1 में संयुक्त रुप से मकान बना है। मकान की लम्बाई 48 फीट है, जिसकी लंबाई पीछे से 17 फीट पर छत का नाम 2 कमरे में खुला पाया गया। शेष यथावत है। बताया जाता है की इस प्रकरण में सुनवाई करते हुए बरघाट तहसीलदार ने प्रकरण में प्रस्तुत दस्तावेजों एवं हल्का पटवारी के प्रतिवेदन के आधार माननीय उच् चायालय के द्वितीय अपील कमांक/1444/2015 में दिनांक 10/03/2021 पारित यथास्थिति आदेशानुसार उभयक्ष यथास्थिति बनाये रखने आदेश पारित किया और आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू कराने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया।
--- धनौरा जनपद के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत जामुनपानी के सचिव छोटे खान के ऊपर प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत मकान का लाभ दिलाने के नाम पर दो हजार रुपिया मांगने का आरोप लगा। बताया जाता है की जामुन पानी ग्राम पंचायत के ग्राम सुकतरा निवासी कालू राम भलावी पिता पिल्लू भलावी ने तहसीलदार को आवेदन देते हुए बताया की वह अपने परिवार के साथ कच्चे मकान में रहता है। पिछले लंबे समय से वह ग्राम पंचायत जामुन पानी ग्राम पंचायत के सचिव छोटे खान से प्रधान मंत्री आवास योजना का लाभ दिलाए जाने आग्रह करते रहा।पीड़ित ने तहसीलदार को दिए आवेदन में बताया की बाद में सचिव छोटे खान के द्वारा चढ़ोत्री के रूप में 2 हजार की मांग कर रहा है। चूंकि आवेदक गरीब परिवार का है जो दो हजार देने में सक्षम नहीं है। बताया जाता है की पिछले चार साल से कालूराम मकान के लिए परेशान है जिसकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही। बताया जाता है की कालू राम ने कई बार आवेदन निवेदन भी किया लेकिन कभी किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया।
लगभग साढ़े छ साल पहले कान्हीवाडा थाना अंतर्गत दो पक्षों में जमकर विवाद हुआ था जिसके बाद ग्राम पंचायत के सरपंच अशोक पटले और उसके भाई ज्ञानी पटले की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई थी। इस मामले में अतिरिक्त विशेष सत्र न्यायाधीश, जिला सिवनी ने आज 30.01.2024 दोहरे हत्या कांड के को आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाया। उक्ताशाय की जानकारी देते हुए प्रदीप कुमार भौरे मीडिया सेल प्रभारी ने बताया की जिन आरोपियों को सजा सुनाई गई उनमें।(1) महानंद पटले पिता रामदयाल पटले, उम्र 27 वर्ष, (2) आनंद पटले पिता रामदयाल पटले, उम्र 30 वर्ष, (3) लोकेश टेमरे पिता ज्वालसिंह टेमरे, उम्र 33 वर्ष, (4) रितेश ठाकुर पिता रूपसिंह ठाकुर, उम्र 19 वर्ष, (5) कपिल पिता विसराम रांहगडाले, उम्र 19 वर्ष, (6) गोविंद पिता प्रभूदयाल पटले, उम्र 23 वर्ष, (7) निलेश पिता रामफल भगत, उम्र 20 वर्ष, (8) नंदकिशोर भगत पिता धनीराम, उम्र 23 वर्ष, (9) संजू उर्फ संजय बोपचे पिता मुन्नालाल बोपचे, उम्र 22 वर्ष, (10) शिवशंकर उर्फ मोनू पटले पिता प्रभुदयाल, उम्र 27 वर्ष, (11) दशरथ पिता सुखराम राहंगडाले, उम्र 32 वर्ष, (12) गिरीश पटले पिता जनार्दन, उम्र 20 वर्ष, (13) कृष्ण कुमार पिता जनार्दन पटले, 21 वर्ष, (14) मनीष बोपचे पिता मुन्नालाल बोपचे, उम्र 20 वर्ष, (15) राहुल पटले पिता रिखिराम पटले, उम्र 19 वर्ष, (16) दिनेश पिता रामरस भगत सभी निवासी ग्राम मेहरा पिपरिया, थाना कान्हीवाडा शामिल है जिन्हे अशोक पटले एवं ज्ञानी पटले के हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया हैं । वही सबूत छुपाने तथा आरोपियो को हथियार मुहैय्या करने के जुर्म में आरोपी विनोद पंचेश्वर को 3 वर्ष की सजा। यह था मामला----- लगभग साढ़े छ साल पहले 20 अगस्त .2017 को शाम करीब 5:30 बजे अशोक पटले पिता भोलाप्रसाद, उम्र 44 वर्ष, उसका भाई ज्ञानी उर्फ ज्ञानसिंह पटले, उम्र 38 वर्ष अपने दोस्तो के साथ बस स्टेण्ड, मेहरा पिपरिया में चाय पीते हुए बातचीत कर रहे थें, तभी आरोपी महानंद पटले अपने साथियों को लेकर वहॉ पहुंचा और कट्टे से हवा में फायर करते हुए अपने साथियों के साथ मिलकर अशोक और उसके भाई ज्ञानी पर तलवार और लोहे की राड से हमला कर दिया । जब बीच बचाव करने राकेश कटरे और फूलसिंह पटले गये तो उनके साथ भी आरोपियों ने तलवार व राड से मारपीट की, जिससे सभी को गंभीर चोट आयी। गंभीर हालात में अशोक और ज्ञानी को अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गयी थी। थाना कान्हीवाडा में घटना की रिपोर्ट मृतकगण के पिता भोलाप्रसाद पटले ने दर्ज करायी थी, जिसके बाद पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध अपराध क्रमांक 176/2017, धारा 147, 148, 149, 307, 294 भा.द.वि. एवं धारा 25, 27 आर्म्स एक्ट के तहत् दर्ज की गई थी एवं आहत अशोक और ज्ञानी की मृत्यु हो जाने के कारण धारा 302 भा.द.वि. का ईजाफा किया गया था। शासन की ओर से कोर्ट में सबूत ओर गवाहों को लोक अभियोजक चंद्रशेखर ठाकुर के द्वारा प्रस्तुत किया गया था,कोर्ट ने लोक अभियोजक के तर्कों से सहमत होते हुए 16 आरोपियो को धारा 307 में 10 वर्ष, तथा धारा 302 भादवि मे आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है, तथा एक आरोपी को 25 आर्म्स एक्ट के अपराध में 3 वर्ष की सजा से दंडित किया है।
सिवनी में इन दिनों राजनीति चरम पर है। 19 जनवरी के बाद सिवनी में रेत और विधायक दिनेश राय मुनमुन को लेकर जमकर राजनीति हो रही है। 19 जनवरी को सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन बरघाट विधानसभा के खैर घाट रेत खदान पहुंचे थे । रेत खदान में सांसद प्रतिनिधि संजू मिश्रा की पोकलेन मशीन चल रही थी तब विधायक ने एक वीडियो बनाकर वायरल किया था। वीडियो वायरल के बाद संजू मिश्रा के ऑपरेटर मोनू इनवाती के नाम से एस पी से शिकायत करते हुए बताया गया था कि दिनेश राय मुनमुन और अजय बाबा पांडे खदान पहुंचे थे और ऑपरेटर के साथ गाली गलौज कर मारपीट की गई थी जिसे दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस में प्रमुखता से प्रकाशित भी किया था। गुरुवार की दोपहर संजू मिश्रा ने एस पी को पुनः आवेदन दिया और एक वीडियो जारी कर बताया की उसके ऑपरेटर मोनू इनवाती के ऊपर दिनेश राय मुनमुन दबाव बना रहे हैं ।उसके घर अनिल राय अपने एक साथी के साथ पहुंचे और उसके पिता को अपने साथ ले जा लिए ।संजू मिश्रा ने वीडियो जारी कर यह भी कहा था कि उसके पास खदान से ऑपरेटर का फोन आया था जिसने उसे बताया कि ग्राम पंचायत सिहोरा के सरपंच रामकुमार यादव कुछ साथियों के साथ घाट पहुंचे और उसे ले जाने का प्रयास कर रहे है। संजू मिश्रा के द्वारा एस पी को आवेदन देने के चंद घंटे के बाद ऑपरेटर मोनू इनवाती अपने परिजनों और रामकुमार यादव जिसका जिक्र संजू मिश्रा ने किया था वह एस पी के पास पहुंचे और अपना बयान दर्ज कराया। बाद में मोनू इनवाती का वीडियो भी वायरल किया गया । मोनू इनवाती ने विधायक दिनेश राय मुनमुन और अजय बाबा पांडे के बारे में कहा की उसके साथ किसी तरह की गाली गलौच और मारपीट नही की गई। मोनू इनवाती ने अपने बयान में कहा कि सांसद प्रतिनिधि संजू मिश्रा ने टाईप किये गये कागज पर मुझ से हस्ताक्षर कराए थे। मोनू इनवाती ने अपने बयान मे बताया कि दूसरे दिन पेपर मे छपने के बाद घर वालों ने मुझसे पूछा कि तेरे साथ मारपीट की घटना हुई है क्या? मैने कहा नही ऐसा कुछ नही हुआ। परिवार वालों ने कहा कि तेरे बारे मारपीट की खबर छपी है और तूने पुलिस मे शिकायत किया है। तो फिर परिवार वाले मुझसे मिलने आए। और मुझे लेकर एसपी साहब के पास ले गए। फिर मैंने एसपी साहब को बताया कि मेरे साथ किसी भी प्रकार की मारपीट या गाली-गलौज की कोई घटना नही हुई। तों एसपी साहब ने कहा कि तुमने शिकायत क्यों किया। तो मैन कहा कि संजू भैया ने मुझसे लिखे कागज पर साईन कराए थे मुझे नही पता था कि उसमें किसी की शिकायत है। इस पूरे मामले में सही कौन है और गलत कौन है इसकी जांच नहीं हो पाई लेकिन प्रश्न यह उठता है कि यदि मोनू इनवाती सही बोल रहा है तो फिर उसने दोपहर के समय संजू मिश्रा को फोन लगाकर यह क्यों बताया की ग्राम पंचायत सिहोरा के सरपंच रामकुमार यादव कुछ लोगो के साथ खैर घाट उसे लेने आए है। चूंकि मोनू इनवाती का जो वीडियो वायरल हुआ उसमे भी रामकुमार यादव नजर आ रहा है।प्रश्न यह उठ रहा है की मशीन ऑपरेटर के ऊपर विधायक दिनेश राय मुनमुन का दबाव है या संजू मिश्रा का दबाव था? इस मामले में रामकुमार यादव की भूमिका की भी जांच होना चाहिए जिसका जिक्र संजू मिश्रा की शिकायत में भी है।
आखिरकार धनौरा थाना प्रभारी ईश्वरी पटले को एक सब्जी दुकानदार को दबंगई दिखाना महंगा पड़ गया। दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने ईश्वरी पटले की दबंगई से संबंधित खबर प्रकाशित करते हुए बताया था की कुछ दिन पहले धनौरा बस स्टैंड से अतिक्रमण हटाने को लेकर अधिकारियों के साथ थाना प्रभारी ईश्वरी पटले बस स्टैंड पहुंचे थे और ठिलिया में दुकान लगाने वाले लोगों के साथ दबंगई दिखाते हुए उन्हें हटाने के निर्देश दे रहे थे। तब एक सब्जी की दुकान लगाकर अपनी आजीविका चलाने वाले युवक ने कहा कि साहब मैं कहां दुकान लगाऊंगा मुझे कहीं जगह दिला दीजिए। तब उसे गाली बकते हुए ईश्वरी पटले यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि मेरे घर के सामने जाकर दुकान लगा ले। सार्वजनिक जगह में ईश्वरी पटले के द्वारा सब्जी बेचकर अपनी आजीविका चलाने वाले दुकानदार के साथ गाली गलौच करने के मामले में एसपी ने गंभीरता से लिया और उन्हें निलंबित कर दिया। गतांक में दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने समाचार प्रकाशित करते हुए उल्लेख किया ताकि जब से डॉक्टर मोहन यादव मुख्यमंत्री बने हैं तब से दुर्व्यवहार करने के मामले में शाजापुर के कलेक्टर को हटाया गया था वह गत दिवस देवास जिले की सोनकक्ष की तहसीलदार अंजली गुप्ता को भी ग्रामीणों के साथ दुर्व्यवहार करने के मामले में हटा दिया गया था ।लेकिन ईश्वरी पटले के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।इस मामले को महाकौशल एक्सप्रेस ने प्रमुखता से उजागर किया जिसके बाद एस पी राकेश कुमार सिंह ने गंभीरता से लिया और ईश्वरी पटले को निलंबित करते हुए साफ संकेत दे दिया कि जिले में भी पुलिस अधिकारियों के द्वारा आम लोगों के साथ दुर्व्यव्यवहार किया जाना बर्दास्त नहीं किया जाएगा।
केबिनेट की बैठक में लिए गये फैसले
सिवनी महाकौशल। सिवनी में बना मेडीकल कॉलेज इसी सत्र में शुरू होने जा रहा है बताया जाता है कि म.प्र. मंत्रीमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया है गत दिवस बैठक के बाद राज्य के उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने केबिनेट की बैठक के फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि इसी सत्र से 05 नये मेडीकल कॉलेज शुरू करने का निर्णय लिया गया है जिसमें सिवनी, श्योपुर, नीमच, मंदसौर एवं सिंगरौली के मेडीकल कॉलेज शामिल है बताया जाता है कि उक्त मेडीकल कॉलेज में शिक्षण स्टॉफ के पदों को भरने के लिए आवश्यक संशोधन लाया गया है बताया जाता है कि प्रोफेसर के 24, असिस्टेंट प्राफेसर के 70 से 75 के बीच सीधी भर्ती की जायेगी। उल्लेखनीय है कि कंडीपार में लगभग 36 एकड़ जमीन पर लगभग 3 सौ करोड़ की लागत से मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। निर्माण एजेंसी के द्वारा मेडीकल कॉलेज का अधिकांश हिस्सा पूर्ण कर दिया गया है उम्मीद की जा रही थी मेडीकल कॉलेज 2023 में ही प्रारंभ कर दिया जायेगा लेकिन तैयारियां पूर्ण नही हुई थी डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद केबिनेट की बैठक में लिर्णय लिये जाने के बाद अब मेडीकल कॉलेज खुलने का रास्ता साफ हो गया है।
संजय जैन की भूमिका की क्यों नही हो रही जांच
सिवनी जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पटरी से नीचे उतर गयी है जिसकी तरफ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जयपाल सिंह ठाकुर का ध्यान नही जाता 10 जनवरी को लखनादौन के अस्पताल में गर्भवती महिला विनीता राजपूत ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया था और चंद घंटे बाद उसकी मौत हो गई थी इस मामले में मृतिका के परिजनों ने अस्पताल में पदस्थ डॉ. श्रीमति वीथी जैन और उनके पति डॉ. संजय जैन के ऊपर लापरवाही का आरोप लगाया था घटना के बाद अब तक इस मामले की जांच अस्पताल प्रबंधन नही कर पाया दूसरी तरफ प्रायवेट अस्पताल के संचालक डॉ. संजय जैन ने मृतिका के पति रानू राजपूत सहित अन्य लोगों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराकर यह प्रमाणित कर दिया कि घटना के समय वह अस्पताल के ओटी में मौजूद थे जहां गर्भवती महिला का ऑपरेशन किया गया था डॉक्टर संजय जैन ने एफआईआर दर्ज कराते हुए पुलिस को बताया था कि विनीता राजपूत को डिलीवरी के लिए शासकीय अस्पताल लखनादौन में भर्ती कराया गया था जहां उनकी पत्नी डॉक्टर वी थी जैन शासकीय डॉक्टर है जिन्होंने उन्हें फोन करके बताया था कि मरीज विनीता राजपूत को श्वास नली में डालने वाले ट्यूब की आवश्यकता है यदि आपके पास उपलब्ध हो तो उक्त ट्यूब भिजवा दीजिए या स्वयं आ जाइए । तब डॉक्टर संजय जैन ट्यूब लेकर अस्पताल पहुंचा और ऑपरेशन थिएटर में चले गया। डॉक्टर संजय जैन ने पुलिस को बताया कि उसने डॉक्टर बी एस सोलंकी के साथ मिलकर मरीज के स्वांस नाली में ट्यूब डाला था। शाम 5 बजे महिला की मौत हो गई जिसके बाद जब वह ऑपरेशन कक्ष के सामने वाले कमरे में पहुंचा तो मृतिका का पति रानू राजपूत अपने दो-तीन अन्य लोगों के साथ एक राय होकर आया और उसे गंदी-गंदी गाली देने लगा तब डॉक्टर ने गाली देने से मना किया तो उन्होंने डॉक्टर की पिटाई कर दिया जिसके बाद पुलिस ने मृतिका के पति सहित अन्य लोगों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किया। वैसे उक्त एफआईआर के आधार पर ही सीएमएचओ डॉ. ठाकुर को लखनादौन अस्पताल के बीएमओ से यह अवश्य पूछना चाहिए कि एक प्रायवेट डॉक्टर को सरकारी अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में चल रहे ऑपरेशन के दौरान किसकी अनुमति से ट्यूब लगाने भेजा गया क्या सिविल अस्पताल में ऑपरेशन के समय लगने वाली सामग्री नही रहती क्या डॉ. वीथी जैन ने अस्पताल प्रबंधन को यह बताया कि उन्हें एंडोट्रेकियल ट्यूब (श्वास नली में डालने वाली ट्यूब की आवश्यकता है), क्या डॉ. श्रीमति वीथी जैन ने अपने पति को एंडोट्रेकियल ट्यूब लाने की अनुमति लिया था और यदि ऐसा नही है तो फिर मृतिका के परिजन जब डॉ. वीथी जैन और उनके पति के ऊपर लापरवाही का आरोप लगा रहे है तो इसकी जांच करने से स्वास्थ विभाग के आला अधिकारी क्यों परहेज कर रहे है।
03 दिन पहले डिलेवरी के बाद महिला की हुई थी मौत
तीन दिन पहले 10 जनवरी को लखनादौन के अस्पताल में विनीता राजपूत पति रानू राजपूत को प्रसव पीड़ा होने के चलते भर्ती कराया गया था जहां डॉक्टर वी थी जैन ने ऑपरेशन किया था। बताया जाता है कि स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के बाद शाम के समय महिला की मौत हो गई थी जिसके बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया था । महिला के परिजनों का आरोप था की डॉक्टर वी थी जैन के पति डॉक्टर संजय जैन को सिविल हॉस्पिटल बुलाकर ऑपरेशन कराया गया । इस मामले में अधिकारियों की समझाईश के बाद परिजन मान गए थे और उन्होंने पोस्टमार्टम कराने के बाद महिला का अंतिम संस्कार कर दिया था। घटना के दो दिन बाद डॉक्टर बी थी जैन के पति डॉक्टर संजय जैन जो की सेवा सदन अस्पताल लखनादौन के संचालक है उन्होंने मृतिका के पति सहित दो-तीन लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराया। डॉक्टर संजय जैन ने पुलिस को बताया कि विनीता राजपूत को डिलीवरी के लिए शासकीय अस्पताल लखनादौन में भर्ती कराया गया था जहां उनकी पत्नी डॉक्टर वी थी जैन शासकीय डॉक्टर है जिन्होंने उन्हें फोन करके बताया था कि मरीज विनीता राजपूत को श्वास नली में डालने वाले ट्यूब की आवश्यकता है यदि आपके पास उपलब्ध हो तो उक्त ट्यूब भिजवा दीजिए या स्वयं आ जाइए । तब डॉक्टर संजय जैन ट्यूब लेकर अस्पताल पहुंचा और ऑपरेशन थिएटर में चले गया। डॉक्टर संजय जैन ने पुलिस को बताया कि उसने डॉक्टर बी एस सोलंकी के साथ मिलकर मरीज के स्वांस नाली में ट्यूब डाला । बाद में महिला की मौत हो गई थी । जब वह ऑपरेशन कक्ष के सामने वाले कमरे में पहुंचा तो मृतिका का पति रानू राजपूत अपने दो-तीन अन्य लोगों के साथ एक राय होकर आया और उसे गंदी-गंदी गाली देने लगा तब डॉक्टर ने गाली देने से मना किया तो उन्होंने डॉक्टर की पिटाई कर दिया जिसके बाद पुलिस ने मृतिका के पति सहित अन्य लोगों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किया।
डॉक्टर सहलाम ने भी दर्ज कराई एफ आई आर
डिलेवरी के बाद विनीता राजपूत नामक महिला की मौत हो जाने के बाद परिजनों ने हंगामा करते हुए दोषी डॉक्टरों के विरुद्ध कारवाही करने की मांग किया था। मृतिका के परिजनों की मांग का क्या हुआ यह तो पता नही लेकिन मृतिका के परिजनों के विरुद्ध एफ आई आर अवश्य हो गई। डॉक्टर संजय जैन के अलावा लखनादौन के अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर अशोक सहलाम पिता जी पी सहलाम ने लखनादौन थाना में आवेदन देते हुए एफआई आर दर्ज कराते हुए बताया कि 10 जनवरी को विनीता राजपूत की सीजर ऑपरेशन से प्रसव के दौरान मृत्यु हो गई थी जिसके बाद उसके परिजनों के द्वारा अस्पताल में आक्रोश में आकर शासकीय संपत्ति की तोडफ़ोड़ कर दी गई जिसके बाद पुलिस ने अज्ञात के विरुद्ध धारा 294 ,427 ताहि लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 की धारा 2/3 के तहत अज्ञात के विरुद्ध मामला पंजीबद किया। याने कि मृतिका के परिजनों की रिपोर्ट पर कोई कार्यवाही तो नही हुई लेकिन दो डॉक्टरों ने आवेदन दिया और एफआईदर्ज कराकर यह प्रमाणित कर दिया कि उनकी वजनदारी अभी कम नही हुई है।
नगर पालिका के अधिकारियों के विरूद्ध किया सख्त टिप्पणी
नेशनल ग्रीन ट्रीयूबनल भोपाल ने दलसागर तालाब में बनाये जा रहे लगभग 01 करोड़ 88 लाख की लागत से बनाये जा रहे फुट ओवर ब्रिज के निर्माण को गंभीरता से लेते हुए नगर पालिका के अधिकारियों के विरूद्ध सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह आश्चर्य की बात है जिन अधिकारियों को कानून के शासन को बनाये रखने की जिम्मेदारी दी गई है वह अप्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नियमों का उल्लंघन कर रहे है और नोटिफिकेशन का उल्लंघन कर रहे है। असल में सिवनी नगर पालिका परिषद के द्वारा 01 करोड़ 56 लाख 73 हजार की लागत से फुट ब्रिज निर्माण का टेंडर निकाला गया था जिसे लखनादौन के ठेकेदार राहुल जैन को 36 प्रतिशत अधिक की दर से लगभग 1 करोड़ 88 लाख में ठेका स्वीकृत करते हुए 12 मई 2023 को कार्यादेश जारी किया गया नगर पालिका परिषद ने यह भी ध्यान नही रखा कि उक्त निर्माण कार्य में एनजीटी के नियमों का पालन हो रहा है या नही।
पिछले लगभग 8 महीने से नगर पालिका द्वारा दल सागर तालाब में फुटओवर ब्रिज का निर्माण कराया जा रहा है, निर्माण के दौरान ठेकेदार द्वारा दल सागर तालाब की आर्द्र भूमि पर सडक़ निर्माण किया गया एवं स्थाई निर्माण कराया जा रहा है, साथ में कई पेड़ काटे गए हैं। जो दलसागर को अपूरणीय पर्यावरणीय क्षति पहुंचा रहे हैं। भूमिगत जल स्रोत के रूप में दलसागर भूमिगत जल के संग्रहण में एक अहम भूमिका निभाता है जिससे शहर का अधिकाश भाग लाभान्वित होता है। फुट ओवर ब्रिज निर्माण के लिए नगर पालिका द्वारा बेतरतीब तरीके से पूरा का पूरा दलसागर तालाब सुखा दिया गया। टापू में निर्माण के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों का उपयोग किया गया जिससे टापू जैसी छोटी मिट्टी की इकाई को काफी क्षति पहुंची है। इन सभी को दृष्टिगत रखते हुए अधिवक्ता नवेंदु मिश्रा द्वारा नगर पालिका के विरुद्ध एनजीटी में एक याचिका दायर किया था जिसमें उन्होने फुटओवर ब्रिज निर्माण को आर्द्र भूमि नियम 2017 का उल्लंघन बताया था। याचिका में यह भी बताया गया है की दल सागर 2019 से आर्द्र भूमि के रूप में राज्य आर्द्र भूमि अधिकरण में 1202 नंबर पर रजिस्टर्ड है। जिसके अंतर्गत यह आर्द्र भूमि नियम 2017 के अंतर्गत आता है। जिसके बाद एनजीटी ने 20 अक्टूबर 2023 एक टीम का गठन करते हुए 06 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था बताया जाता है कि जांच टीम ने दलसागार तालाब में चल रहे निर्माण कार्यो का निरीक्षण किया और रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए अवगत कराया कि दलसागर झील एक मानव निर्मित झील है जिसका क्षेत्रफल 18 हेक्टेयर है साथ ही यह भी बताया कि उक्त द्वीप को मुख्य शहर से जोडऩे और आगंतुकों की सुविधा के लिए गौंड राजा दलपत शाह की एक मूर्ति स्थापित करने की योजना नगर पालिका परिषद सिवनी ने बनाई जिसमें एक ओवरब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है जांच के दौरान कुल आद्र भूमि क्षेत्र का लगभग 30 प्रतिशत भाग पानी से भरा पाया गया साथ ही द्वीप पर स्थापित की जाने वाली प्रतिमा के निर्माण के लिए एक सीमेंट कांक्रीट बेश तैयार पाया गया बताया जाता है कि टीम ने पाया कि उक्त निर्माण कार्य में पर्यावरणीय नियमों का गंभीर उल्लंघन करते हुए पंपों, नालों/ड्रेनिज सिस्टम को वेटलेण्ड की ओर मोड दिया गया जिससे पानी की गुणवत्ता दूषित हो रही है जिसके बाद माननीय श्रीमान न्यायमूर्ति शिवकुमार सिंह, न्यायिक सदस्य माननीय डॉ. ए. सेंथिल वेल ने स्थगत आदेश जारी कर दिया जिसके बाद अब सिवनी नगर पालिका परिषद में ओवरब्रिज निर्माण कार्य खटाई में पड़ गया वही इस निर्माण कार्य के बाद सिवनी नगर पालिका परिषद के सीएमओ रामकुमार कर्वेती एवं तकनीकि अधिकारियों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई।
सिवनी महाकौशल। सिवनी नगर पालिका परिषद के द्वारा नल जल आवर्धन योजना का काम करने वाली मेसर्स लक्ष्मी सिविल इंजीनियर कंपनी को 01 करोड़ 66 लाख रुपया देने की तैयारी की जा रही है । दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस के द्वारा इस मामले को प्रमुखता से उजागर किया जा रहा है जिसके बाद सिवनी नगर पालिका परिषद के ऐसे पार्षदों ने भुगतान रोकने के लिए आपत्ति लगाना शुरू कर दिया जो कमीशन के खेल में शामिल नहीं है । पूर्व में भारतीय जनता पार्टी के अकबर वार्ड पार्षद श्रीमती मालती पांडे के द्वारा आपत्ति लगाई गई थी उसके बाद मेजर ध्यानचंद वार्ड के पार्षद हाजी सोहेल पाशा के द्वारा आपत्ति लगाई गई थी और अब भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं अशोक वार्ड के पार्षद विजय गोलू पंडित के द्वारा नगरीय निकाय मंत्रालय सहित जिला कलेक्टर एवं अन्य अधिकारियों को पत्र लिखते हुए बिना जांच किए भुगतान किए जाने पर आपत्ति लगाया है । गोलू पंडित ने जनप्रतिनिधियों सहित अधिकारियों को दिए आवेदन में उल्लेख किया है कि नगर पालिका परिषद सिवनी के द्वारा नवीन जल आवर्धन योजना में किए गए वित्तीय अनियमित की जांच के लिए परिषद के द्वारा सर्वसम्मति से समिति का गठन किया गया था जांच समिति के सदस्यों ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी से नल जल आवर्धन योजना से संबंधित दस्तावेज मांगे थे,नक्शे की प्रति सहित कई एहम दस्तावेज मांगे गए थे लेकिन एक साल बाद भी सी एम ओ रामकुमार कर्वेती ने कोई दस्तावेज उपलब्ध नही कराया। गोलू पंडित ने पत्र में कहा है की उक्त योजना मे लगभग 48 करोड़ की था जिसमे ठेकेदार ने लगभग 62 करोड़ 55 लाख में लिया और डी पी आर के अनुरूप काम नही किया। पार्षदों की जांच टीम ने भी कई कमियां पाया जिससे सी एम ओ को भी एक साल पहले पत्र लिखकर अवगत कराया जा चुका है बावजूद इसके संबंधित फर्म का भुगतान रोकने के बजाए मई में 01 करोड़ 92 लाख का भुगतान कर दिया गया और अब नगर पालिका प्रशासन 01 करोड़ 66 लाख का भुगतान करने की तैयारी में है। गोलू पंडित ने मांग किया है की कंपनी के द्वारा भर्ती गई अनियमितताओं की पहले जांच किया जाए और उसके बाद ही भुगतान किया जाए।
बादलपार क्षेत्र के लोग पहले शिकायत करते है और फिर रेत का करने लगते है अवैध कारोबार
बादलापार पुलिस चौकी के अंतर्गत आने वाले जोगीवाडा,चक्की खमरिया, सागर सहित आस पास के कई लोग रेत के अवैध कारोबार से जुड़े हुए है। बताया जाता है की हाल ही में सागर निवासी रिंकू पाल पिता गुरुप्रसाद पाल का एक बिना नंबर वाले ट्रेक्टर को खनिज विभाग की टीम ने रेत का अवैध परिवहन करते हुए जप्त कर बादलपार पुलिस चौकी प्रांगण में खड़ा करवा लिया था। इस कारवाही की अधिक चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि 13 दिसंबर को रिंकू पाल सहित देवीशंकर पाल,नरेश पाल ,जगदीश पाल ,चमक, अरविंदुबे,नारायण ,प्रीतम नामक व्यक्तियों ने कलेक्टर एस पी को आवेदन देते हुए उन्हें अवगत कराया था की उनके क्षेत्र से रेत का अवैध उत्खनन करते हुए अवैध परिवहन कराया जा रहा है और शिकायत करने के बाद शिकायतकर्ता रिंकू पाल का ट्रेक्टर ही रेत का अवैध परिवहन करते पकड़ा गया जिसके बाद शिकायतकर्ता की पोल खुल गई। सूत्र बताते है पहले भी क्षेत्र के कुछ लोग इस तरह के कारनामों को अंजाम दे चुके है जो पहले शिकायत करते है और फिर दबाव बनाकर रेत का अवैध कारोबार करते है। दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने जब पड़ताल किया तो पता चला की पूर्व में भी उक्त क्षेत्र के लोगो के वाहन रेत का अवैध परिवहन करते हुए जप्त हो चुके है। बताया जाता है की 06 अप्रैल 2022 को बादलपार पुलिस चौकी के स्टाफ ने बादलपार खुर्द में गाड़ादान रास्ते में ट्रेक्टर क्रमांक एम पी 22 ए ए 7510 पकड़ा था जिसमे प्रवीण पाल पिता जगदीश पाल निवासी जोगीवाडा सवार था जिसने पुलिस को देखते ही हाइड्रोलिक से रेत नीचे गिरा दिया था । बताया जाता है की उक्त ट्रेक्टर में पेंच नदी संगम घाट से बिना रॉयल्टी के रेत लाई जा रही थी तब पुलिस ने ड्राइवर प्रवीण पाल और मालिक जगदीश पाल के विरुद्ध धारा 379,414,109 भादिव एवम म. प्र. रेत नियम 2019 का नियम 20(2) के तहत मामला पंजीबद्ध किया था। सूत्रों की माने तो लंबे समय से रिंकू पाल, प्रवीण पाल, जगदीश पाल जैसे लोग रेत का अवैध कारोबार करते रहे हैं और झूठी शिकायत कर दबाव बनाने का काम करते रहे है। सूत्रों की माने तो इन दिनों बादल पार पुलिस चौकी प्रभारी प्रदीप शर्मा भी क्षेत्र में रेत का अवैध कारोबार करने वाले लोगो के ऊपर मेहरबान नजर आ रहे है तभी तो खनिज विभाग अमला सिवनी से जाकर रेत से भरे वाहन पकड़ रहा है लेकिन थाना प्रभारी कोई कारवाही नही कर रहे जो आश्चर्यजनक है।
गत दिवस छपारा पुलिस ने तीन महीने से बंधक बनाये गये मजदूरों को मुक्त कराते हुए उनके परिजनों से मिलाया। बताया जाता है कि सिवनी के छपारा थाना क्षेत्र के रायगढ़ निवासी संदेश पन्द्रराम ने छपारा थाना में शिकायत किया था कि उसके माता पिता व बहन सहित कमकापुर के करीब 10 लोग मजदूरी करने के लिए ग्राम लोवड़ी थाना मलहारपेठ जिला सतारा पुणे गये हुए है जिन्हें ठेकेदार ने तीन महीने से बंधक बनाकर रखा है जो मजदूरों की मजबूरी का फायदा उठाकर सुबह 4 बजे से लेकर रात के 12 बजे तक प्रताडि़त करता है मामले को गंभीरता से लेते हुए थाना प्रभारी सौरभ पटेल ने जिला पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह के निर्देश में एक टीम का गठन किया जिसमें सहायक उप निरीक्षक नियाज खान, प्रधान आरक्षक देवीसिंह को मजदूरों के साथ ग्राम लोवड़ी थाना मलहारपेठ पहुंचाया जहां छपारा पुलिस ने स्थानीय पुलिस प्रशासन की मदद से लगभग 10 मजदूरों को मुक्त कराया। पुलिस ने जिन मजदूरों को मुक्त कराया उनमें दुखमान पिता फत्तू सिंह, पप्पू पिता हीरामन यादव, ओमप्रकाश पिता सीजकुमार, श्रीमति सुकरती बाई पति सुमेरा, सक्कू बाई पति अकबर कुमरे, रामकुमर पिता झनक सिंह, कल्लू बाई पति अनीस कुमरे, ग्यारसी पति पप्पू यादव, छाया पिता दुखमान, गंगा दुलारी पिता दुखमान शामिल है।
बताया जा रहा है इनमें अधिकांश मजदूर आदिवासी हैं जिन्हें एक ठेकेदार के द्वारा मनसर काम में ले जाने को बोलकर रात और रात तीन समान बदलकर उन्हें महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक गांव लोवडी ले जाकर छोड़ दिया गया था।
हिट एंड रन कानून का विरोध के बीच मंगलवार को शाजापुर के कलेक्टर किशोर कान्याल का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था जिसमे वह एक ड्राइवर को उसकी औकात का एहसास कराते नजर आ रहे थे। सूत्र बताते है की इस मामले की सी एम डॉक्टर मोहन यादव ने गंभीरता से लिया है। कयास लगाए जा रहे है की कलेक्टर किशोर सान्याल को हटाया जा सकता है जिसके संकेत मुख्यमंत्री ने दे दिया है। उल्लेखनीय है की बस-ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल के दौरान मंगलवार को शाजापुर में एक बैठक में कलेक्टर और ड्राइवर्स के बीच गहमा-गहमी हो गई थी। कलेक्टर ने बैठक में मौजूद एक ड्राइवर से कहा था कि समझ क्या रखा है? क्या करोगे तुम, तुम्हारी औकात क्या है?
सूत्र बताते है की जब यह मामला
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के संज्ञान में आया तो उन्होंने बुधवार सुबह किशोर कान्याल की भाषा पर नाराजगी जताया।उन्होंने कहा की मनुष्यता के नाते ऐसी भाषा हमारी सरकार में बर्दाश्त नहीं है। मैं खुद मजदूर परिवार का बेटा हूं। अधिकारी भाषा और व्यवहार का ध्यान रखें। जो अधिकारी ऐसी भाषा बोलते हैं, उन्हें मैदान में रहने का अधिकार नहीं है। कयास लगाए जा रहे है की इस पूरे मामले में शाजापुर के कलेक्टर को हटाया भी जा सकता है।
03 जनवरी को प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव जबलपुर पहुंचने वाले है। मुख्यमंत्री के आगमन के दौरान हड़ताल कर रहे चालक परिचालकों के कारण जबलपुर प्रशासन के सामने कई बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही है। बताया जाता है की मुख्यमंत्री गेरिसन ग्राउंड में विशाल जनसभा को संबोधित करने वाले है। लेकिन मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में भीड़ कैसे आएगी यह बड़ा सवाल इसलिए है क्योंकि हिट एंड रन कानून के विरोध में पूरे प्रदेश भर में बस,ट्रक सहित अन्य वाहनों के पहिए थमे हुए है। अमूमन ऐसा होता रहा है की मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के लिए प्रशासन बस की व्यवस्था करता है । जबलपुर प्रशासन भी इस प्रयास में जुटा है की किसी तरह उन्हें बस की सुविधा मिल जाए इसके लिए पुलिस प्रशासनिक अधिकारी बस चालकों से मुलाकात करने आईएसबीटी बस स्टैंड पहुंचे भी थे लेकिन बात नहीं बन पाई ।बताया जाता है की अधिकारी इस प्रयास में थे की 3 जनवरी को सीएम आ रहें है, इसलिए बस चलाई जाए लेकिन बस चालक तैयार नहीं हुए। इधर उच्च न्यायलय ने हड़ताल को लेकर किया सुनवाई--प्रदेश में ड्राइवरों की चल रही हड़ताल को लेकर उच्च न्यायलय में सुनवाई हुई। बताया जाता है की हाईकोर्ट ने दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि हड़ताल को तुरंत खत्म करवाया जाए और परिवहन बहाल करवाए। बताया जाता है की नागरिक उपभोक्ता मंच और अखिलेश त्रिपाठी की और से दायर याचिका पर सुनवाई में राज्य सरकार की और से महाधिवक्ता ने अंडरटेकिंग रिपोर्ट पेश किया और बताया कि आज शाम तक इस मामले में सरकार निर्णय ले रही है। देखना यह है की हिट एंड रन मामले में ड्राइवर क्या कदम उठाते है वही दूसरी और सरकार का अगला कदम क्या होता है।
वन विभाग ने हाइवे से जप्त किया सागौन से भरा ट्रक
सिवनी जिले में सागौन तस्करो के इतने हौसले बढ़े हुए है कि वह धारदार हथियार लेकर तस्करी करते है और यदि कोई उन्हें रोकने का प्रयास करता है तो वह हथियार लहराते हुए भाग जाते है ऐसा ही कुछ नेशनल हाइवे 44 से लगे घोघरी गांव के जंगल में हुआ जहा छपारा वन विभाग की टीम ने सागौन तस्करी के मामले में एक ट्रक को पकड़ा तब वहा मौजूद तस्कर हाथ में हथियार लहराकर वन विभाग के अधिकारियों को चकमा देकर अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गये। घटना के संबंध में मिली जानकारी के अुनसार वन परिक्षेत्र छपारा की पश्चिम बीट के जंगल में कूप कटाई का सागौन कटा हुआ रखा हुआ था जिसे तस्कर ट्रक में लोड कर योजना बाद तरीके से ले जाने की तैयारी पर थे. मुखबिर की सूचना पर वन विभाग की टीम ने दबिश दिया बताया जाता है कि वन विभाग की टीम को देखकर आरोपी हाथ में हथियार लेकर वहा से अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गये। ट्रक में लगभग 20 नग सागौन के ल_े लोड मिले जिसकी अनुमानित कीमत 1 लाख 81 हजार 735 रुपए बताई जा रही है। वन विभाग अमले ने अज्ञात तस्करों के विरूद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कर तलाशी प्रारंभ कर दिया बताया जाता है कि इस कार्यवाही में वन रक्षक निरंजन मर्सकोले की मुखबिरी के कारण ही सफलता मिली। चर्चा है कि यदि वन विभाग अमला आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता पाता है तो कई चेहरे बेनकाब हो सकते है वन विभाग की इस कार्यवाही में सहायक परिक्षेत्र अधिकारी संजय जयसवाल, वनपाल चंद्र विनय सिंह, शकीरा अब्बास खान, वनरक्षक निरंजन मर्सकोले, वनरक्षक कृष्ण कुमार, वनपाल संतोष विश्वकर्मा, वनरक्षक बसंत धुर्वे, स्थाई कर्मचारी ओमशंकर यादव, सुरक्षा श्रमिक अमरचंद भलावी, सुरक्षा श्रमिक रिमलाल उइके सुरक्षा श्रमिक मौजूद रहे जिनकी कड़ी मशक्कत से सागौन तस्करी के मामले में ट्रक जप्त किया गया है गौरतलब है कि लगभग 04 दिन पहले बरघाट परिक्षेत्र की पखारा बीट से भी अवैध कटाई करने वाली एक गैंग को वन विभाग अमला पकड़ चुका है तब वन विभाग ने एक आयशर ट्रक, एक बोलेरो वाहन एवं एक आॢटका सहित कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
ट्रक में लिखा है सूर्यवंशी ब्रदर्स
बताया जाता है कि वन विभाग अमले ने जिस ट्रक को सागौन के साथ जप्त किया उसमें सूर्यवंशी ब्रदर्स लिखा हुआ है जिसका मालिका बरघाट निवासी बताया जा रहा है। जिसके आधार पर पुलिस जांच कर रही है कि आखिर उक्त ट्रक में कौन-कौन शामिल था।
लगभग 02 लाख की हुई लूट
केवलारी में बीती रात्रि पांच लुटेरे एक शिक्षक के घर घुसे और बच्चे व महिला के ऊपर हथियार अड़ाकर लूट की वारदात को अंजाम दिया। घटना के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार केवलारी में गायत्री मंदिर के पास दीपक डहरिया नामक शिक्षक अपने परिवार के साथ रहता है। बताया जाता है कि बीती रात्रि शिक्षक अपने परिवार के साथ घर में सो रहा था तभी पीछे दरवाजे से पांच नकाबपोश लुटेरे घर के भीतर घुसे और शिक्षक के बच्चे के ऊपर पिस्टल अड़ा दिया वही शिक्षक की पत्नी के ऊपर भी धारदार हथियार अड़ा दिया गया जिसके बाद लुटेरों ने लूट की वारदात को अंजाम दिया। बताया जाता है कि लुटेरे लगभग 24 से 25 हजार रुपया नगद सहित सोना चांदी के जेवर ले उड़े। घटना के संबंध में बताया जाता है कि लुटेरों ने घर की एक-एक अलमारी की तलाशी लिया और जो जेवर मिले लूट लिया। बताया जाता है कि काफी देर तक लुटेरे लूट की वारदात को अंजाम देते रहे और बाद में वह फरार हो गए। घटना की जानकारी मिलने के बाद केवलारी पुलिस मौके पर पहुंची वही सिवनी एसपी भी मौके पर पहुंचे। इस मामले में केवलारी टी आई किशोर बावनकर ने बताया कि मामला पंजीबद्ध करते हुए हर पहलू की जांच की जा रही है।
----05 जनवरी के बाद चुनाव आयोग की अनुमति के बिना नहीं हो सकेंगे तबादले-----लोकसभा चुनाव को देखते हुए चुनाव आयोग द्वारा 6 जनवरी से 8 फरवरी तक मतदाता सूची का संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम रखा गया है। बताया जाता है की मध्यप्रदेश में 05 जनवरी से पहले ही ट्रांसफर हो सकेंगे। सूत्र बताते है की मध्यप्रदेश की डॉक्टर मोहन सरकार 05 जनवरी से पहले कई जिले के कलेक्टर , एस पी सहित अन्य अधिकारियों के तबादले करेगी।बताया जाता है की चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर 30 जून को एक ही जिले में तीन साल का कार्यकाल पूरा करने वाले अफसरों के तबादले के आदेश भी दिए हैं। जिनमे कलेक्टर, एसपी, आईजी, संभागायुक्त, अपर कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, उप पुलिस अधीक्षक, नगर पुलिस अधीक्षक, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस और नगर निरीक्षक शामिल हैं।आयोग ने कहा है कि चुनाव से सीधा संबंध रखने वाले अधिकारियों में से अगर कोई अफसर प्रमोशन के बाद भी 30 जून 2024 की स्थिति में जिले में तीन साल पूरे करता है तो उसे भी हटाया जाए। 31 जनवरी 2024 तक इसकी जानकारी आयोग को दी जाए।
विभाग बंटवारे के बाद होगी बड़ी प्रशासनिक सर्जरी-----मध्यप्रदेश में 25 दिसंबर को 28 मंत्रियों ने शपथ ले लिया लेकिन समाचार लिखे जाने तक लगभग 05 दिन बाद तक विभागो का बंटवारा नहीं हुआ। सूत्र बताते है की विभागो का बंटवारा होते ही प्रदेश 05 जनवरी से पहले बड़ी प्रशासनिक सर्जरी होगी। हालांकि मुख्यमंत्री बनने के बाद सी एम डॉक्टर मोहन यादव ने सीएम ने उप सचिव व प्रमुख सचिव को बदल दिया है।वही अब सचिवालय से कई और अफसरों को हटाएं जाने की तैयारी चल रही है । इसके साथ ही कई कलेक्टरों की लिस्ट भी तैयार है।सूत्रों की माने तो तबादले को लेकर सीएम सचिवालय ने सामान्य प्रशासन विभाग से आईएएस अफसरों की पोस्टिंग की जानकारी मांगी।जानकारी में मैदानी अफसर, नगर मंडल, विंध्याचल, सतपुड़ा और मंत्रालय के साथ-साथ लूप लाइन में पड़े अफसरों के नाम शामिल।
बताया जाता है की जिन कलेक्टर के तबादले होने की चर्चा है उनमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर,उज्जैन, विदिशा,बैतूल,राजगढ़,बालाघाट, सिवनी सागर,नर्मदापुरम, शहडोल, सतना, खंडवा, सिंगरौली कटनी, सीधी, नरसिंहपुर, देवास सहित 2 दर्जन से ज्यादा कलेक्टर और आधा दर्जन संभाग आयुक्त की होने जा रही बदली। कलेक्टर के अलावा लगभग दो दर्जन से ज्यादा सीईओ जिला पंचायत, 8 निगम आयुक्त, दो दर्जन से ज्यादा निगम मंडल के एमडी दर्जन भर विभाग आयुक्त के साथ ही साथ 50 से ज्यादा सचिव, प्रमुख सचिव, अपर मुख्य सचिव और अन्य स्थानों पर पदस्थ अधिकारी शामिल।कलेक्टर को बदले जाने का सबसे बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है की 2015 बैच के अफसर को फील्ड पर भेजा जाना है, वहीं 2014 बैच के तीन आईएएस अभी तक कलेक्टर नहीं बन सके हैं इनमें नेहा मीना और आदित्य सिंह प्रमुख है।इन्हे नही मिली फील्ड में पोस्टिंग-----बताया जाता है की मध्यप्रदेश में कई ऐसे आई ए एस अधिकारी है जो लंबे समय से लूप लाइन में है जिनमे आईएएस अफसर नेह मारव्या, रविंद्र सिंह, गिरीश शर्मा, चंद्रशेखर बालिंबे,अजय गुप्ता, धनंजय प्रताप सिंह, ज्ञानेश्वर पाटिल,अजीत कुमार,शिल्पा गुप्ता,सरिता प्रजापति मीनाक्षी सिंह और अभिषेक शामिल है जिन्हे कुछ जिले में कलेक्टर बनाया जा सकता है
कोतवाली पुलिस ने दो अलग अलग कारवाही कर आरोपियों को दबोचा---
सिवनी कोतवाली पुलिस को उस समय एक बड़ी उपलब्धि मिली जब श्पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गुरुदत्त शर्मा, के निर्देशन में अनुविभागीय अधिकारी पुलिस सिवनी पुरुषोत्तम सिंह मरावी के मार्गदर्शन में कोतवाली टी आई सतीश तिवारी के नेतृत्व में अवैध मादक पदार्थ गांजा तस्करो पर कार्यवाही करते हुए दो अलग अलग रास्तों में गांजा लेकर जा रहे तीन लोगो को गिरफ्तार किया। पुलिस ने पहली कारवाही पलारी तरफ से मरझोर रोड में किया। बताया जाता है की कोतवाली पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली की एक युवक बाइक से आ रहा है जिसके पास रखे बैग में गांजा हो सकता है। जानकारी मिलने के बाद कोतवाली की टीम ने बाईक से आ रहे व्यक्ति को रोककर घेराबंदी कर विधिवत तलाशी लिया । बताया जाता है की युवक के पास 03 किलो गांजा और बाइक जप्त किया। पूछताछ में युवक ने अपना नाम राजा बघेल उर्फ राजा पलारी पिता रघुनाथ बघेल उम्र 47 साल निवासी ग्राम पलारी थाना बताया जिसके विरुद्ध अपराध क्रमांक 1104/23 धारा 8/20 एनडीपीएसएक्ट के तहत मामला पंजीबद्ध किया। वही दूसरी कारवाही नागपुर रोड थोक सब्जी मंडी के आगे जोडा फुल के पास की गई। बताया जाता है की पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली की एक पल्सर बाईक से दो लोग गांजे का परिवहन कर रहे है। सूचना मिलने पर पुलिस ने बाइक रोका और विधिवत तलाशी ली गई तो उनके पास 5 किलो अवैध मादक पदार्थ गांजा मिला। पूछताछ में युवकों ने अपना नाम अजय उर्फ अज्जू कोष्ठा एवं अंकित मिश्रा बताया मिला जिन पर एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्यवाही की जाकर आरोपियों को गिरफ्तार कर आरोपियो को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा मे भेजा गया है।बताया जाता है की पूछताछ पर जानकारी मिली कि उक्त आरोपीगण पूर्व से गांजा बिक्री में संलिप्त रहे है जो आरोपियो का पूर्व से आपराधिक रिकार्ड होना पाया गया है। आरोपी राजा बघेल उर्फ राजा पलारी थाना लखनवाड़ा में गुडा सूची में सूचीबध्द है। जिस पर मारपीट, अवैध शराब बिक्री एवं जुआं एक्ट जैसे लगभग 08 मामले पंजीबध्द है इसके अतिरिक्त आरोपी अजय उर्फ अज्जू कोष्ठा पर भी लगभग आधा दर्जन से अधिक मामले मारपीट एंव आबकारी एक्ट के पंजीबध्द है। पुलिस की इस कारवाही में कार्य निरीक्षक सतीश तिवारी, उनि राहुल काकोडिया, सउनि विश्वरंजन रघुवंशी, प्र. आर. रामअवतार डेहरिया, प्र.आर. आत्माराम सिमोनिया, आर, नितेश राजपूत, आर. अमित रघुवंशी, आर. सतीश इनवाती, अभिषेक डेहरिया, महेन्द्र पटेल, शिवम बघेल, इरफान खान, सिध्दार्थ दुबे, मनोज हरिनखेडे, अरविंद मंडराह, अंकित देशमुख शामिल है।
सिवनी महाकौशल 27 दिसं. 2023
सिवनी जिले में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के कई पदाधिकारियों की भूमिका संदिग्ध हो गई जिसमे पार्टी के जिला अध्यक्ष गया प्रसाद कुमरे से लेकर प्रवक्ता रावेन शाह तक के नाम शामिल है जिन्हे पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण 06 सालो के लिए निष्कासित कर दिया गया। बताया जाता है की गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिला अध्यक्ष रहे गया प्रसाद कुमरे की अध्यक्षता में 14 दिसंबर 2023 को समीक्षा बैठक आयोजित कि गई थी जिसके बाद 17 दिसंबर को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिला अध्यक्ष गया प्रसाद कुमरे के हस्ताक्षर से एक निष्कासन पत्र जारी किया गया था जिसमें उल्लेख किया गया की गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की रीती नीतियों के विरुद्ध काम करने के आरोप के चलते गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रवक्ता रावेन शाह,महिला मोर्चा की अध्यक्ष सुभद्रा तुमराम,जिला महामंत्री अनिल गोनगे,अरविंद इनवाती जिला कार्यवाहक अध्यक्ष को 06 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। गया प्रसाद कुमरे को यह बताना चाहिए की जिन्हे उन्होंने 06 साल के लिए निष्कासित किया जब उन्होंने पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में काम नहीं किया तो फिर किसके पक्ष में काम किया था।
इधर अमान पोर्ते को बताना चाहिए गया प्रसाद ने किसके पक्ष में काम किया
17 दिसंबर को गया प्रसाद कुमरे ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण चार लोगों को 6 साल के लिए निष्कासित किया उसके ठीक 04 दिन बाद 21 दिसंबर को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमान सिंह पोर्ते ने पार्टी द्वारा अधिकृत प्रत्याशी के विरोध में काम करने के आरोप के चलते सिवनी जिले के अध्यक्ष गया प्रसाद कुमरे महत लाल वरकड़े,अनिल कुडोपा,अरविंद उईके, एम एस परते को 06 साल के लिए निष्कासित कर दिया। यानी कि सिवनी जिले के 10 गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के नेताओं को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया । ऐसे में राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को यह स्पष्ट करना चाहिए की जिन्हें उन्होंने 6 साल के लिए निष्कासित किया उन्होंने अपनी पार्टी के लिए नहीं तो फिर किस पार्टी के प्रत्याशी के लिए काम किया था ? ताकि पार्टी से जुड़े हुए ईमानदार लोगों को पता चल सके की गोंडवाना गणतंत्र पार्टी में भी ईमानदार नेता नहीं है।
अनुविभागी अधिकारी अपर बहन गंगा बंद उप संभाग क्रमांक 3 में अमीन के पद पर पदस्थ उमेश शर्मा की लापरवाही के कारण विभाग को लगभग साढे चार लाख रुपया का नुकसान हुआ जिसके बाद एसडीओ बस चौधरी ने छपारा थाने में आवेदन दिया जिसके बाद लापरवाह अमीन उमेश शर्मा के विरुद्ध थाने में धारा 409 के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया। निलंबन के बाद भी नही दिया था प्रभार---- बताया जाता है की अपार बहन गंगा बंद उप संभाग क्रमांक 3 भीमगढ़ में अमीन के पद पर पदस्थ उमेश शर्मा को 25 अक्टूबर को निलंबित किया गया था। उन्हें यह भी आदेशित किया गया था कि निलंबन के बाद वह अपना कार्यभार रामकुमार डेहरिया को सौंपेंगे लेकिन उमेश शर्मा ने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश को हवा में उड़ा दिया। बताया जाता है कि निलंबित अमीन ने अपना कार्यभार रामकुमार डेहरिया को नहीं सौपा जिसके कारण शासन को डूब क्षेत्र के किसानों को पट्टे वितरण नहीं हो पाए इसके अलावा एम आर टी सी 6 से रही वसूल नही हो पाई,शासकीय दस्तावेजों का हस्तांतरण नही हो पाया जिससे शासन को लगभग साढे चार लाख रुपया का नुकसान हुआ। जिसके बाद एसडीओ ने छपारा थाने में अमीन उमेश शर्मा के विरुद्ध आवेदन दिया जिसकी जांच के पश्चात अमीन उमेश शर्मा के विरुद्ध धारा 409 के तहत एफ आई आर दर्ज कराई गई।
सिवनी महाकौशल 25 दिसं. 2023
2013 के विधानसभा चुनाव में योगेंद्र बाबा को कोई नहीं जानता था उनकी मां श्रीमती उर्मिला सिंह के नाम से योगेंद्र बाबा को विधानसभा की टिकट मिली थी तब श्रीमती उर्मिला सिंह के नाम से योगेंद्र बाबा पहली बार विधायक बन गए थे। क्षेत्र के लोगों ने उर्मिला सिंह के द्वारा किए गए कामों को ध्यान में रखकर योगेंद्र बाबा को 2013, 2018 और अब 2023 में तीसरी बार विधायक बनाया। वैसे योगेंद्र बाबा को विधायक बनाने में क्षेत्र के भोले भाले गरीब आदिवासियों सहित अन्य वर्गो का विशेष योगदान रहता है लेकिन चुनाव जीतने के बाद योगेंद्र बाबा कुछ धनाढ्य लोगो के हाथो की कठपुतली बन जाते है। 2018 में दूसरी बार चुनाव जीतकर विधायक बने योगेंद्र बाबा ने गरीबों के हिस्से का पैसा अपने कुछ करीबी धनाढ्य लोगो को दे दिया। गतांक में दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने समाचार प्रकाशित करते हुए उल्लेख किया था कि योगेंद्र बाबा ने विधायक निधि से पैसा देते समय यह भी ध्यान नहीं रखा कि वह जो पैसा दे रहे हैं वह किसी गरीब के खाते में जा रहा है या अमीर के खाते में । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार योगेंद्र बाबा ने अपनी विधायक निधि का एक बड़ा हिस्सा घंसौर क्षेत्र के कई धनाढ्य और दबंग लोगों के ऊपर खर्च कर दिया । आश्चर्य इस बात का है कि पैसे खर्च करते समय उन्होंने यह भी नहीं देखा कि जिन लोगों के ऊपर वह विधायक निधि का पैसा खर्च कर रहे हैं वह घंसौर में रहते हैं या जबलपुर में । बताया जाता है कि योगेंद्र बाबा ने अमित कुमार जैन एवं श्रीमती नेहा जैन के नाम से शादी के लिए चार-चार हजार रुपया विधायक निधि से स्वीकृत किया। घंसौर से जुड़े सूत्रों की माने तो अमित कुमार जैन और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती नेहा जैन घंसौर में रहते ही नहीं बल्कि वर्तमान में वह जबलपुर में रहते हैं और वहीं उनका व्यापार है । सूत्र तो यह भी बताते हैं कि अमित कुमार जैन और श्रीमती नेहा जैन सक्षम परिवार के लोग हैं बावजूद इसके उन्हें योगेंद्र बाबा ने विवाह समारोह के लिए चार चार हजार रुपिया दे दिया । सूत्रों की माने तो अमित कुमार जैन एवं श्रीमती नेहा जैन के घर में भी ऐसा कोई गरीब नही है जिसे विधायक निधि से पैसे देने की आवश्यकता हो। विधायक योगेंद्र बाबा को क्षेत्र की जनता को यह अवश्य बताना चाहिए की उन्हे विधायक निधि गरीबों के ऊपर खर्च करने के लिए दी गई है या अपने करीबी धनाढ्य लोगो के ऊपर खर्च करने के लिए दी गई है। उल्लेखनीय है की घंसौर मुख्यालय में कई ऐसे लोग हैं जिन्हें योगेंद्र बाबा समय-समय पर उपकृत करते है । योगेंद्र बाबा के करीबी होने का फायदा उठाकर कुछ लोग ठेकेदारी तो कुछ मटेरियल सप्लाई करते है लेकिन जब चुनाव का समय आता है तो वह घंसौर मुख्यालय से ही योगेंद्र बाबा को जीत नहीं दिला पाते ।
प्रख्यात अधिवक्ता स्व. जकी अनवर खान की बेटी है तबस्सुम
सिवनी महाकौशल। सिवनी जिले में प्रतिभाओं की कमी नहीं रही। जिले की प्रतिभाओं को मौका मिलते ही उन्होंने अपने परिवार और जिले का नाम रोशन किया है ऐसी ही प्रतिभा की धनी है तबस्सुम खान जो डिस्ट्रिक जज के पद पर पदोन्नत हुई है। सिवनी जिले के प्रख्यात अधिवक्ता और समाज सेवी स्वर्गीय जक़ी अनवर की बेटी तबस्सुम खान वर्तमान में जबलपुर कोर्ट मे सिविल जज के रूप में सेवाएं दे रही थी। बता दे की तबस्सुम खान सीनियर अधिवक्ता सज्जाद अनवर की भतीजी और शहीद वार्ड के पार्षद जोएब जकी अनवर और युवा अधिवक्ता सोहेल जकी अनवर की बड़ी बहन है जिनकी प्रारंभिक शिक्षा सिवनी में ही हुई है। तब्बसूम खान 2011 में सिविल जज जूनियर डिवीजन और 2018 में पदोन्नत होकर सिविल जज सीनियर डिवीजन और 2023 में जिला न्यायाधीश के लिए पदोन्नत हुई है। तब्बसुम खान को मिली उपलब्धि पर परिजनों और शुभचिंतको ने उन्हें बधाई देते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना किया।
प्रख्यात अधिवक्ता स्व. जकी अनवर खान की बेटी है तबस्सुम
सिवनी महाकौशल। सिवनी जिले में प्रतिभाओं की कमी नहीं रही। जिले की प्रतिभाओं को मौका मिलते ही उन्होंने अपने परिवार और जिले का नाम रोशन किया है ऐसी ही प्रतिभा की धनी है तबस्सुम खान जो डिस्ट्रिक जज के पद पर पदोन्नत हुई है। सिवनी जिले के प्रख्यात अधिवक्ता और समाज सेवी स्वर्गीय जक़ी अनवर की बेटी तबस्सुम खान वर्तमान में जबलपुर कोर्ट मे सिविल जज के रूप में सेवाएं दे रही थी। बता दे की तबस्सुम खान सीनियर अधिवक्ता सज्जाद अनवर की भतीजी और शहीद वार्ड के पार्षद जोएब जकी अनवर और युवा अधिवक्ता सोहेल जकी अनवर की बड़ी बहन है जिनकी प्रारंभिक शिक्षा सिवनी में ही हुई है। तब्बसूम खान 2011 में सिविल जज जूनियर डिवीजन और 2018 में पदोन्नत होकर सिविल जज सीनियर डिवीजन और 2023 में जिला न्यायाधीश के लिए पदोन्नत हुई है। तब्बसुम खान को मिली उपलब्धि पर परिजनों और शुभचिंतको ने उन्हें बधाई देते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना किया।
सिवनी महाकौशल। सिवनी जिले में प्रतिभाओं की कमी नहीं रही। जिले की प्रतिभाओं को मौका मिलते ही उन्होंने अपने परिवार और जिले का नाम रोशन किया है ऐसी ही प्रतिभा की धनी है तबस्सुम खान जो डिस्ट्रिक जज के पद पर पदोन्नत हुई है। सिवनी जिले के प्रख्यात अधिवक्ता और समाज सेवी स्वर्गीय जक़ी अनवर की बेटी तबस्सुम खान वर्तमान में जबलपुर कोर्ट मे सिविल जज के रूप में सेवाएं दे रही थी। बता दे की तबस्सुम खान सीनियर अधिवक्ता सज्जाद अनवर की भतीजी और शहीद वार्ड के पार्षद जोएब जकी अनवर और युवा अधिवक्ता सोहेल जकी अनवर की बड़ी बहन है जिनकी प्रारंभिक शिक्षा सिवनी में ही हुई है। तब्बसूम खान 2011 में सिविल जज जूनियर डिवीजन और 2018 में पदोन्नत होकर सिविल जज सीनियर डिवीजन और 2023 में जिला न्यायाधीश के लिए पदोन्नत हुई है। तब्बसुम खान को मिली उपलब्धि पर परिजनों और शुभचिंतको ने उन्हें बधाई देते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना किया।
पार्टी से भीतर घात करने वाले हर जगह पाए जाते हैं जो पार्टी से अलग हटकर पार्टी के लोगो को ही निपटाने में लग जाते है। अभी तक कांग्रेस में भीतरघात करने वाले लोगों के चेहरे सामने आए जिन्हें पार्टी ने 6 साल के लिए निष्ठासित कर दिया अब गोंडवाना गणतंत्र पार्टी में भी निष्कासन की कार्रवाई होने लगी है। गत दिवस गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने कई अलग-अलग पदाधिकारी को निष्कासित किया है । मजे की बात तो यह है कि जिला गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अध्यक्ष गया प्रसाद कुमरे ने चार लोगों को पार्टी के निष्कासित किया लेकिन उनकी कार्रवाई के चार दिन बाद प्रदेश अध्यक्ष ने जिला गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अध्यक्ष को ही पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए 06 साल के लिए निष्कासित कर दिया ।
गया प्रसाद कुमरे ने रावन शाह सहित चार लोगो को किया निष्कासित
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिला अध्यक्ष गया प्रसाद कुमरे की अध्यक्षता में 14 दिसंबर 2023 को समीक्षा बैठक आयोजित किया था। बताया जाता है की बैठक के बाद 17 दिसंबर को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिला अध्यक्ष गया प्रसाद कुमरे के हस्ताक्षर से एक निष्कासन पत्र जारी किया गया जिसमें उल्लेख किया गया की गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की रीती नीतियों के विरुद्ध काम करने के आरोप के चलते गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रवक्ता रावेन शाह,महिला मोर्चा की अध्यक्ष सुभद्रा तुमराम,जिला महामंत्री अनिल गोनगे,अरविंद इनवाती जिला कार्यवाहक अध्यक्ष को 06 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया।
इधर निष्कासन करने वाले गया प्रसाद को प्रदेश अध्यक्ष ने किया निष्कासित
17 दिसंबर को गया प्रसाद कुमरे ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण चार लोगों को 6 साल के लिए निष्कासित किया उसके ठीक 04 दिन बाद 21 दिसंबर को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमान सिंह पोर्ते ने एक पत्र जारी किया जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश प्रभारी की अनुशंसा से पार्टी द्वारा अधिकृत प्रत्याशी के विरोध में काम करने के आरोप के चलते प्रदेश भर के 26 नेताओ को 06 साल के लिए निष्कासित किया जिसमे सिवनी जिले के अध्यक्ष गया प्रसाद कुमरे भी शामिल है। बताया जाता है की गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमान सिंह पोर्ते ने सिवनी जिले से गया प्रसाद कुमरे के अलावा महत लाल वरकड़े,अनिल कुडोपा,अरविंद उईके, एम एस परते शामिल है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के द्वारा की गई कार्रवाई अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है ।
सिवनी जिला पंचायत में जबसे सी ई ओ के पद पर पवार नवजीवन पदस्थ हुए है तब से ही वह विवादित है।ताजा मामला गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रवक्ता रहे रावेन शाह से जुड़ा है।बताया जाता है की पवार नवजीवन ने अपने कार्यालय में रावेन शाह के साथ अभद्रता किया जिससे आहत होकर रावेन शाह ने पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन से शिकायत करते हुए कहा की वह जनजाति वर्ग से आता है जिसके कारण सी ई ओ ने उसके साथ जानबूझकर जातिगत रूप से दुर्भावना रखते हुये कार्यालय में सार्वजनिक रूप से अमर्यादित भाषा का उपयोग कर अपमानित किया। रावेन शाह ने विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा की
मेरी पत्नि जिला पंचायत सदस्य श्रीमती ललिता उईके है और मै गोंडवाना गणतंत्र पार्टी सिवनी का जिला प्रवक्ता हूं। इस आधार पर पूर्व में जिला पंचायत सीईओ पवार नवजीवन विजय के साथ भेंटवार्ता भी हुई थी।जिसमें चर्चा के दौरान नाम व जातिगत सामाजिक रूप से परिचय भी हुआ है। वहीं चर्चा के दौरान जिला पंचायत सीईओ शपवार नवजीवन विजय द्वारा यह भी कहा गया था कि सिवनी जिले में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का अच्छा वर्चस्व है और आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व रावेन शाह उईके आप कर रहे है यह अच्छी बात है। इस तरह से जिला पंचायत सीईओ पवार नवजीवन विजय उन्हे अच्छी तरह से जानते थे कि मैं रावेन शाह उईके आदिवासी समाज से आता हूं एवं जनजाति वर्ग से हूं व गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का जिला प्रवक्ता हूं साथ ही जिला पंचायत सदस्य श्रीमती ललिता उईके मेरी पत्नि है।
गोंगपा जिला प्रवक्ता रावेन शाह उईके ने आगे बताया कि दिनांक 20 दिसंबर 2023 को समय लगभग 2.50 बजे से 3.50 बजे के बीच की बात है मैं क्षेत्रीय जनसमस्याओं का समाधान कराने के लिये जिला पंचायत कार्यालय सिवनी गया था। इस दौरान मैं जिला पंचायत सीईओ पवार नवजीवन विजय के कक्ष में भी गया तब भ्रत्य द्वारा गेट खोला गया उसके बाद जैसे ही प्रवेश किया समस्या सुने बिना ही मुझे देखते ही जिला पंचायत सीईओ पवार नवजीवन विजय ने
घूरकर देखते हुये बिना किसी कारण के ललकारते हुये कहा कि तुम चश्मा लगाकर कैसे अंदर आ गये हो तुम्हे अक्ल नहीं है। इसके साथ ही कहा कि बत्तमीज कहीं के, तुम कैसे अंदर आये चिल्लाते हुये सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। उस दौरान उनके कक्ष में जिला पंचायत कार्यालय के 8 से 10 लगभग कर्मचारी व जिला पंचायत सदस्य सभापति घनश्याम सनोडिया जी बैठे हुये थे।
गोंगपा जिला प्रवक्ता रावेन शाह उईके ने बताया कि जिला पंचायत सीईओ पवार नवजीवन विजय ने यह भी कहा कि मैं अभी तुमको छोड़ रहा हूं नही ंतो तुम्हे बताता कि मैं क्या कर सकता हूं। इस तरह से मुझे धमकी भी दिया। मैं जनजाति वर्ग में आता हूं आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करता हूं यह बात जिला पंचायत सीईओ पवार नवजीवन विजय अच्छी तरह से जानते है क्योंकि उनसे मेरा पूर्व में भी परिचय एवं भेंट मुलाकात हो चुकी है इसके बाद भी उन्होंने जानबूझकर मुझे जातिगत रूप से दुर्भावना रखते हुये सार्वजनिक रूप से अपमानित करने का कार्य किया है इससे मेरी मानसिक व सामाजिक छबि खराब हुई है। जिला
पंचायत सीईओ पवार नवजीवन विजय पर अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार अधिनियम एवं मानव अधिकार अधिनियम के तहत कानूनी कार्यवाही करने हेतु पुलिस प्रशासन व जिला कलेक्टर मेरे द्वारा आवेदन दिया गया है।
गोंगपा जिला प्रवक्ता रावेन शाह उईके ने आगे बताया कि इस संबंध में जब मैं शिकायत लेकर कानूनी कार्यवाही कराने अजाक थाना सिवनी गया तो वहां पर अजाक थाना प्रभारी ने प्रकरण दर्ज करने के साथ साथ आवेदन लेने से ही इंकार कर दिया। जिससे मुझे व अनुसूचित जनजाति वर्ग को प्रदत्त संवैधानिक अधिकार एवं मौलिक अधिकार का भी हनन किया गया है।
गोंगपा जिला प्रवक्ता रावेन शाह उईके ने बताया कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिला पदाधिकारियों सहित पंचायत के जनप्रतिनिधियों से इस संबंध में आगे चर्चा की जायेगी। वहीं जिला पंचायत सीईओ के
द्वारा किये गये जातिगत आधार पर दुर्भावनापूर्वक कृत्य को लेकर आगामी समय में संगठन के निर्णय के बाद जिला पंचायत सीईओ के विरूद्ध मोर्चा खोलकर धरना प्रदर्शन किया जायेगा।
सिवनी महाकौशल 16 दिसं. 2023
गत दिवस लखनवाड़ा थाने का प्रभार संभाल रहे उप निरीक्षक प्रमोद भारद्वाज की टीम ने मक्का से भरा ट्रेक्टर चोरी करने वाले आरोपी को 24 घंटे के भीतर दबोच लिया। घटना के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार लखनवाड़ा थाना अंतर्गत भंडारपुर निवासी मंगल सनोडिय़ा ने लखनवाड़ा थाने में बताया की उसके पास ट्रेक्टर क्रमांक एम पी 22 ए बी 8775 है जिसकी ट्राली में उन्होंने बेचने के लिए मक्का भरा था। रात के समय उन्होंने मक्का से भरा ट्रेक्टर लल्लू सनोडिय़ा के खेत में खड़ा कर दिया था जिसे वह सुबह चौरई मंडी ले जाकर बेचने वाले थे। पीडि़त किसान ने बताया की सुबह लगभग 05 बजे जब वह ट्रेक्टर के पास पहुंचे तो उनके होश उड़ गए क्योंकि वहां ट्रेक्टर नहीं था। पीडि़त किसान ने ट्रेक्टर की जानकारी जुटाया लेकिन कहीं पता नही चला। किसान के साथ घटी घटना को संज्ञान में लेते हुए लखनवाड़ा थाने का प्रभार संभाल रहे उप निरीक्षक प्रमोद भारद्वाज ने इसे गंभीरता से लेते हुए एफ आई दर्ज किया। मक्का से भरे ट्रेक्टर चोरी के मामले में एस पी राकेश कुमार सिंह के निर्देश पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एवम एस डी ओ पी के मार्गदर्शन में उप निरीक्षक प्रमोद भारद्वाज के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया जिसमें सहायक उप निरीक्षक योगेंद्र ठाकुर, नानक राम, प्रधान आरक्षक राजेश मात्रे ,संतोष उईके,ललित शर्मा ,योगेंद्र चौहान की टीम बनाई गई जिन्होंने ट्रेक्टर ढूंढना शुरू किया। पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली की एक व्यक्ति उक्त ट्रेक्टर से जा रहा है। तब पुलिस की टीम चावड़ी रोड भंडारपुर के पास पहुंची जहां से पुलिस ने ट्रेक्टर ले जा रहे लल्लू उर्फ सुनील सनोडिय़ा पिता परसराम सनोडिय़ा को पकड़ा। बताया जाता है की आरोपी ने मक्का भी बेच दिया था तब पुलिस ने उसके पास से मक्का की राशि 68300 रुपिया जप्त करते हुए उसे न्यायालय भेज दिया जहां से न्यायालय ने आरोपी को जेल भेज दिया। उल्लेखनीय की लखनवाड़ा थाना प्रभारी श्री सिरामे अवकाश में है जिन्होंने थाने में पदस्थ उपनिरीक्षक प्रमोद भारद्वाज को प्रभार दिया हुआ है । बता दें प्रमोद भारद्वाज ने सिवनी कोतवाली में काम करते हुए भी कई बड़े खुलासे किए उन्हे राष्ट्रीय पर्व में भी कई बार सम्मानित किया जा चुका है जिन्होंने अपनी टीम के साथ सिर्फ 24 घंटे में मक्का से भरा ट्रेक्टर जप्त करने में सफलता पाया।
पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण 11 दिसंबर को प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री राजा बघेल को प्रदेश कांग्रेस ने 06 वर्षो के लिए निष्कासित कर दिया था। राजा बघेल के निष्कासन के बाद 12 दिसंबर को राजा बघेल के कुछ समर्थको के द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्म में इस्तीफा दिया था। आज राजा बघेल के कई समर्थक जिला कांग्रेस कार्यालय पहुंचे और प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व के द्वारा राजा बघेल के निष्कासन को लेकर जमकर नारे बाजी करते हुए पुतला दहन किया। बताया जाता है की जिला कांग्रेस कार्यालय में कुछ लोगो ने इस्तीफा भी दिया। आज जिला कांग्रेस कमेटी सिवनी की अनुशासन समिति द्वारा अनुशासनहीनता के आरोप में जिला कांग्रेस के महामंत्री शिव सनोडिया,रंजीत यादव , रत्नेश चौकसे ,युवा कांग्रेस के आदित्य भूरा और करम सिंह बघेल ,नीलम सिंह बघेल ओम उपाध्याय को कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से 6 वर्ष के लिए निस्काषित कर दिया गया है । बताया जाता है इस्तीफा देने वाले में से बहुत से कार्यकर्ताओं ने जिला कांग्रेस कार्यालय जाकर निवेदन किया की उन्हें गुमराह करके उनके नाम इस्तीफे की सूची में जोड़े गए है जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने निर्णय लिया है की शेष इस्तीफे पर जिला कांग्रेस अनुशासन समिति छानबीन कर निर्णय करेगी। कांग्रेस कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार इस्तीफे देने वाली सूची में अनेक ऐसे नाम है जिनकी सदस्यता कांग्रेस पार्टी में है ही नही। जिन नेताओं को 06 वर्षी के लिए निष्कासित किया गया उनमें प्रवेश बाबू भलोटिया सहित कुछ अन्य नेताओं के नाम नही थे जिसके बाद सवाल यह उठ रहा है की क्या प्रवेश बाबू भलोटिया ने इस्तीफा नहीं दिया।
केवलारी विधानसभा क्षेत्र में कुछ ऐसे विवादित और चर्चित अधिकारी रहे हैं जो अपने आपको मौजूदा विधायक राकेश पाल सिंह का करीबी बताते थे जिनके आचरण के कारण कई लोग अधिकारियों से नाराज थे और यही नाराजगी वोट के माध्यम से निकल गई जिसके चलते केवलारी विधानसभा क्षेत्र से राकेश पाल सिंह लगभग 33000 से अधिक वोटो से हार गए। केवलारी विधानसभा में जो अधिकारी अपने आपको राकेश पाल सिंह का करीबी बताते थे उनमें छपारा जनपद में पदस्थ सहायक यंत्री राहुल रोकड़े और केवलारी जनपद में पदस्थ श्याम सुंदर परिहार रहे है। बताया जाता है की उक्त दोनों ही अधिकारी लंबे समय से सिवनी जिले में पदस्थ है और अपनी पदस्थापना के दौरान उन्होंने कई कीर्तिमान स्थापित किए है जिसकी जांच हो जाये तो दोनो की परेशानी बढ़ जाएगी।
घंसौर में भी चर्चित रहे राहुल रोकड़े
छपारा जनपद में पदस्थ राहुल रोकड़े जब घंसौर जनपद में पदस्थ थे तब भी उनके विवाद सुर्खियों में रहते थे। सूत्र बताते है की जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओ पार्थ जैसवाल का उन्होंने विश्वास जीता था जिसके चलते उपयंत्री होने के बावजूद वह सहायक यंत्री घंसौर बन गए थे। सूत्र बताते है की घंसौर जनपद में पदस्थ उपयंत्री राहुल रोकड़े के पास क्लस्टर 44 के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों का प्रभार था। 27 अगस्त 2021 को राहुल रोकड़े को सहायक यंत्री घंसौर का प्रभार दिया गया था तब से ही उन्होंने घंसौर जनपद के अंतर्गत आने वाली पंचायतो में लापरवाही बरतना शुरू कर दिया था जिसके जमकर चर्चे हुए थे।
योगेंद्र बाबा भी नही देते थे ध्यान
राहुल रोकड़े अपने आपको सबसे सुरक्षित घंसौर जनपद में ही मानते थे। घंसौर में राहुल रोकड़े अपने आप को सबसे सुरक्षित इसलिए मानते थे क्योंकि लखनादौन के विधायक योगेंद्र बाबा कभी भी राहुल रोकड़े जैसे विवादित अधिकारियों के विरुद्ध ना तो कोई आवाज उठाते थे और ना ही विधानसभा में कोई प्रश्न लगाते थे। सूत्र बताते हैं कि जब तक राहुल रोकड़े घंसौर जनपद में पदस्थ रहे तब तक उन्होंने कांग्रेस के कई नेताओं से अपने मधुर संबंध बनाकर रखा था। चर्चा तो यह भी है कि राहुल रोकड़े के रहते कुछ कांग्रेस के नेताओं ने मटेरियल सप्लाई और ठेकेदारी प्रारंभ कर दिया था जिन्हें राहुल रोकड़े का आर्शीवाद मिला हुआ था और उनके कई ऐसे बिल भी पास कर दिये जाते थे जो विवादित हुआ करते थे।
छपारा में पदस्थापना के बाद विधायक का बताने लगे थे करीबी
प्रभारी सहायक यंत्री राहुल रोकड़े जहां-जहां भी पदस्थ रहे वहां उन्होंने कुछ राजनीतिक लोगों से मधुर संबंध बना लिए थे। जब वह छपारा जनपद में पदस्थ हुए तो राहुल रोकड़े अपने आप को केवलारी के विधायक राकेश पाल सिंह का करीबी भी बताते थे और यह दम तक भरते थे कि जब जबलपुर में कोर गुप की बैठक आयोजित की गई थी जिसमें राहुल रोकड़े के स्थानांतरण की चर्चा हुई तब केवलारी के विधायक राकेश पाल सिंह ने उनका स्थानांतरण रुकवाया था हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है यह तो राहुल रोकड़े जाने या विधायक राकेश पाल सिंह। चूंकि अब राकेश पाल सिंह हार गए है ऐसे में राहुल रोकड़े जैसे विवादित अधिकारी अपने नए आका की तलाश अवश्य करेंगे ताकि उनके ऊपर कृपादृष्टि बनी रहे और उनके कारनामे उजागर ना हो सके।
आदिवासियों का विश्वास जीतने फग्गनसिंह कुलस्ते या सुमेरसिंह सोलंकी के नाम पर भी किया जा सकता है विचार
सिवनी महाकौशल 06 दिसं. 2023
भारतीय जनता पार्टी को राजस्थान,छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में बम्फर जीत मिली खास बात यह रही की तीनो ही प्रदेश में किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया गया था। तीनो ही प्रदेश में भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ी और तीनो ही जगह स्पष्ट बहुमत हासिल किया। अब तीनो प्रदेशों में मुख्यमंत्री कौन होगा इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। चूंकि मध्यप्रदेश में भाजपा ने 163 सीट जीता है। अधिकांश भाजपाइयों का कहना है कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के द्वारा चलाई गई लाडली बहना का असर है कि इतनी बड़ी जीत मिली जबकि मुख्यमंत्री के दावेदारों के समर्थक दबी जुबान से इसे मैजिक नही मानते बल्कि उनका कहना है की यह सिर्फ मोदी का जादू था जो तीन प्रदेशों में काम कर गया क्योंकि यदि यह लाडली बहनों का जादू होता तो फिर दो अन्य प्रदेशों में स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार नही बनती। जितने नेता मुख्यमंत्री के दावेदार है उनके समर्थकों के उतने ही दावे है। फिलहाल सबकी निगाह मध्यप्रदेश का अगला मुखिया कौन होगा इस पर टिकी है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के बीच तीनो प्रदेशों के मुख्यमंत्री के नाम पर लगभग चार घंटे मंथन चलते रहा। जो लोग नरेंद्र मोदी और अमित शाह की राजनीति को समझते है उनकी माने तो यदि मुख्यमंत्री के चेहरे के लिए चार घंटे मंथन हुआ है इसका मतलब यह है की तीनो राज्यो में वह कोई अप्रत्याशित निर्णय लेने के मूंड में है जिसकी कल्पना कोई नहीं कर सकता।
तीनो राज्यो में जाएंगे पर्यवेक्षक
बताया जाता है की मंगलवार को तीनो नेताओ ने चार घंटे मंथन किया जिसके बाद निर्णय लिया गया कि तीनो राज्यो में पर्यवेक्षक भेजा जाएगा जो विधायको से मिलकर सीएम के लिए पैनल बनाकर देंगे। कयास लगाए जा रहे है की आज शाम तक पर्यवेक्षक की नियुक्ति हो सकती है। फिलहाल मुख्यमंत्री के दावेदारो में शिवराज सिंह चौहान के अलावा प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं वीडी शर्मा का नाम सामने है।
प्रहलाद पटेल, नरेंद्र तोमर सहित 10 सांसदो ने दिया स्तीफा
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने कई सांसदो को मौका दिया था। बताया जाता है कि जीतने वाले लगभग 10 सांसदो ने स्तीफा दे दिया जिससे यह स्पष्ट हो गया कि अब वह प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहेंगे। जिन संासदो ने संसदीय सदस्यता से स्तीफा दिया उनमें नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंंह पटेल, राकेश सिंह, राज्यवर्धन सिंह राठौर, गोमती साय, दीया कुमारी, रीति पाठक, अरूण साव, किरोड़ीमल मीणा, उदयप्रताप सिंह शामिल है जबकि फग्गनसिंह कुलस्ते एवं गणेश सिंह चुनाव हार गये इसलिए उन्होंने स्तीफा नहीं दिया। सांसदो के स्तीफे से यह तो स्पष्ट हो ही गया कि वह मध्यप्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहेंगे चंूकि वर्तमान में प्रदेश की राजनीति में मुख्यमंत्री को लेकर मंथन चल रहा है जिसमें शिवराज सिंह चौहान सहित प्रहलाद पटेल, नरेंद्र तोमर, कैलाश विजयवर्गीय,वीडी शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम की चर्चा है। इसके अलावा और भी कुछ चौकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं।
सिवनी महाकौशल ---- मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव का परिणाम 03 दिसंबर को आएगा। इस बार हुए चुनाव में मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस बार 77.15 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में 75.63 प्रतिशत मतदान हुआ था। आज शाम से ही लोग टी व्ही चैनल के सामने बैठकर एग्जिट पोल देखते रहे। मजे की बात तो यह है की कुछ एग्जिट पोल कांग्रेस के पक्ष में दिखाई दिए तो कुछ भाजपा के पक्ष में। सभी पोल को देखे तो मध्यप्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली। हालांकि ऐसा नहीं है की हमेशा एक्जिट पोल सही साबित होते रहे है। 2018 में अधिकांश एक्जिट पोल गलत साबित हुए थे जिनका जिक्र आगे आंकड़ों के साथ किया जा रहा है। 2023 का एग्जिट पोल----- आज विभिन्न चैनलों में एग्जिट पोल दिखाई दे रहे है उनमें *India TV-CNX* के एग्जिट पोल में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलने की संभावना जताई गई है। भाजपा को मध्य प्रदेश में 230 में से 140-149 सीटें मिल सकती हैं।
पार्टी सीटें
भाजपा 140-149
कांग्रेस 70-89
अन्य 0-2
*India Today-Axis My India* के एग्जिट पोल में भाजपा को एकतरफा बढ़त
India Today-Axis My India के एग्जिट पोल में मध्य प्रदेश में शिवराज का जादू चलता हुआ दिखाई दे रहा है। भाजपा को प्रचंड बहुमत मिलने की संभावना जताई जा रही है । भाजपा को 140-162 सीटें, कांग्रेस को 68-90 सीटें, जबकि अन्य को 0-3 सीटें मिलने का अनुमान है। *TIMES NOW-ETG* के एग्जिट पोल में भाजपा-कांग्रेस के बीच फंसा मुकाबला
TIMES NOW-ETG के एग्जिट पोल में दोनों पार्टियों के बीच कड़ा मुकाबला दिखाई दे रहा है।
पार्टी सीटें
भाजपा 105-117
कांग्रेस 109-125
अन्य 1-5। *News24-Chanakya* के एग्जिट पोल में मध्य प्रदेश में शिवराज का राज एक बार फिर से स्थापित होता हुआ दिखाई दे रहा है। भाजपा 150 का आंकड़ा पार कर सकती है। एग्जिट पोल में भाजपा को 151 सीटें, कांग्रेस को 74 और अन्य को पांच सीटें मिलने की संभावना है।
पार्टी सीटें
भाजपा 151
कांग्रेस 74
अन्य 5। *
*Matrize* के एग्जिट पोल में भाजपा की सरकार बनने के आसार दिखाई दे रहे हैं।
पार्टी सीटें
भाजपा 118-130
कांग्रेस 97-107
अन्य 0-2। *Jan Ki Baat* एग्जिट पोल में भी कांटे की टक्कर बताई जा रही है
पार्टी सीटें
भाजपा 100-123
कांग्रेस 102-125
अन्य 5। *TV9 भारतवर्ष और पोलस्टार्ट के* एग्जिट पोल में भी मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होते हुए दिखाई दे रही है। एग्जिट पोल में भाजपा को 106-116, कांग्रेस को 111-121 और 0-6 सीटें अन्य के खाते में जा सकती हैं। *Republic TV- Matrize* के एग्जिट पोल में मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने की संभावना जताई जा रही है। भाजपा को 118-130, कांग्रेस को 97-107, जबकि 0-2 सीटें अन्य को मिल सकती है। दैनिक भास्कर के सर्वे में भी कांटे की टक्कर----- देश का एक विश्वसनीय समाचार पत्र दैनिक भास्कर ने भी एग्जिटपोल दिया है। दैनिक भास्कर ने मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को 105 से 120 सीट मिलने का अनुमान लगाया है जबकि भाजपा को 95 से 115 सीट मिलने का अनुमान लगाया है यानी की अधिकांश एक्जिट पोल में दोनो पार्टी के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है। *2018 के चुनाव में कई सर्वे हुए थे गलत साबित।* 2018 के विधानसभा चुनाव के नतीजे 11 दिसंबर 2018 को आए थे। नतीजों से पहले
प्रदेश के एग्जिट पोल में अधिकतर एजेंसियों ने भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर का अनुमान जताया था। जिसमे एबीपी-सीएसडीएस ने कांग्रेस को बहुमत दिया था। उक्त एजेंसी ने भाजपा को 94 और कांग्रेस को 126 सीटें दी थीं। वहीं, टाइम्स नाउ-सीएनएक्स के मुताबिक, भाजपा को 126, कांग्रेस 89 और अन्य को 15 सीटें मिलनी थीं। न्यूज नेशन के अनुसार, भाजपा को 108-112 सीटें, कांग्रेस को 105-109 सीटें और अन्य को 11-15 सीटें मिलनी थीं। न्यूज 24-पेस मीडिया के मुताबिक भाजपा 103 सीटें, कांग्रेस 115 सीटें, अन्य को 10 सीटें मिलनी थीं।
एबीपी-सीएसडीएस
भाजपा 94 सीटें
कांग्रेस 126 सीटें
अन्य 10 सीटें( गलत साबित हुआ था)
टाइम्स नाउ-सीएनएक्स
भाजपा 126 सीटें
कांग्रेस 89 सीटें
अन्य 15 सीटें( गलत साबित हुआ था)
न्यूज नेशन
भाजपा 108-112 सीटें,
कांग्रेस 105-109 सीटें
अन्य 11-15 सीटें ( गलत साबित हुआ था)
न्यूज 24-पेस मीडिया
भाजपा 103 सीटें
कांग्रेस 115 सीटें
अन्य को 10 सीटें ( कुछ हद तक सही साबित हुआ था)
जब 11 दिसंबर 2018 को नतीजे आए तो अधिकांश एक्जिट पोल धरे की धरे रह गए थे। 2018 के परिणाम में भाजपा को 109 सीटें ही मिली थी । दूसरी ओर विपक्ष में रही कांग्रेस ने 114 सीटों पर कब्जा जमाया। इसके अलावा सात सीटों पर अन्य और निर्दलीय प्रत्याशी जीते, जिनके साथ कांग्रेस ने बाद में गठबंधन कर सरकार बनाई थी लेकिन लगभग 15 महीने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। वर्तमान में भी अलग अलग एजेंसी अलग अलग आंकड़े दिखा रही है इन एक्जिट आंकड़ों की क्या विश्वसनीयता है इसका पता तो 3 दिसंबर को ही चलेगा।
सिवनी महाकौशल 28 नवं. 2023
नल-जल योजना के तहत लक्ष्मी सिविल इंजीनियर के द्वारा निर्माण कार्य कराया गया था एवं कंपनी के द्वारा ही योजना का संचालन किया जा रहा था। गत दिवस लक्ष्मी सिविल इंजीनियर ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी को पत्र लिखते हुए चेतावनी दिया कि यदि 30 नवंबर तक उनको बकाया भुगतान नहीं होता तो फिर 01 दिसंबर से वह सिवनी नगर पालिका क्षेत्र में पानी की सप्लाई नहीं कर पाएंगे यानी कि नगर पालिका परिषद ने कंपनी को भुगतान नहीं किया तो 01 दिसंबर से सिवनी नगर के लोग पानी के लिए तरसते रहेंगे। बताया जाता है कि गत दिवस लक्ष्मी सिविल इंजीनियर ने नगर पालिका परिषद के सीएमओ को पत्र लिखते हुए उन्हें अवगत कराया कि 2019 से कंपनी के द्वारा उक्त योजना के तहत पानी सप्लाई का काम कराया जा रहा है। जलावर्धन योजना के तहत भीमगढ़ से बबरिया फिल्टर प्लांट तक एवं प्लांट से बबरिया तक टंकियों के माध्यम से कंपनी के कर्मचारियों के द्वारा पानी सप्लाई कराई जाती है साथ ही एलम ब्लीचिंग की व्यवस्था भी कंपनी के द्वारा की जाती है। 01 अप्रैल 2022 से लेकर 31 मार्च 2023 तक नगर पालिका परिषद ने कंपनी का एक करोड़ 66 लाख 52000 रू. बिल का भुगतान नहीं किया जिसके कारण कंपनी के सामने आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है। कंपनी के पास एलम ब्लीचिंग तक खरीदने के लिए पैसा नहीं है। यदि 30 सितंबर तक नगर पालिका परिषद भुगतान नहीं करती है तो फिर 01 दिसंबर से कंपनी हाथ खींच लेगी जिसके कारण नगर के लोगो को पीने का पानी नहीं मिल पाएगा।
उल्लेखनीय है कि नल जलावर्धन योजना के तहत जब काम प्रारंभ किया गया था तब उक्त कंपनी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती आरती अशोक शुक्ला के ऊपर भी यह आरोप लगते थे कि वह निर्माणाधीन कंपनी के ऊपर मेहरबान है। सिवनी नगर पालिका परिषद में जब कांग्रेस की नगर सरकार आई तब कांग्रेस ने उक्त कंपनी के द्वारा कराये गये काम की जांच कराने की बात कहा था बावजूद इसके नगर पालिका परिषद ने कंपनी को भारी भरकम भुगतान कर दिया था जिसकी शिकायत भारतीय जनता पार्टी के पार्षदो द्वारा जिला कलेक्टर से की गई थी। इस मामले की जांच नहीं हो पाई, इस मामले में एक बार फिर बिल का भुगतान नहीं होने से पानी की सप्लाई बंद करने का अल्टीमेटम दे दिया जिसके बाद देखना यह है कि नगर पालिका परिषद कंपनी को भुगतान करती है या फिर कोई वैकल्पिक व्यवस्था करती है।
सिवनी महाकौशल 26 नवं. 2023
मध्य प्रदेश में 2003 के विधानसभा चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के दो विधायक चुने गए थे लेकिन 2003 के बाद गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की पहचान एक राजनीतिक पार्टी के रूप में कम और वोट काटने वाली पार्टी के रूप में अधिक हो गई है। 2003 के बाद से सिवनी जिले की विधानसभा के आंकड़ों को देखा जाए तो अधिकांश जगह गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का इस्तेमाल वोट काटने के लिए ही किया गया। 2003 से लेकर 2018 तक सिवनी विधानसभा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का ग्राफ धीरे-धीरे कम होते गया। 2003 के विधानसभा चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने अनिल भलावी को टिकट दिया था तब अनिल भलावी को 10.26 प्रतिशत यानी की 11865 वोट मिले थे उस समय गोंडवाना सहित 09 निर्दलियों को 24354 वोट मिले थे तब राजकुमार खुराना 15354 वोटो से चुनाव हारे थे। 2008 के चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने इस्माइल खान को टिकिट दिया था जिन्हे 10.69 प्रतिशत वोट यानी कि 13649 वोट मिले थे तब कुछ मुस्लिम और आदिवासियों ने उन्हें वोट दिया था। 2008 के चुनाव में भी निर्दलीय प्रत्याशियों ने जमकर वोट लिया था।
2013 में मिले थे सिर्फ 4.48 प्रतिशत वोट
10 साल के भीतर सिवनी विधानसभा से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी कमजोर हो गई। 10 साल पहले 2003 में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 10.26 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि 2013 में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को सिर्फ 4. 8 प्रतिशत वोट ही मिले थे। 2013 के विधानसभा चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने रामू तुमराम को टिकिट दिया था तब गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 7909 वोट मिले थे।
2018 में मिले थे 3.02 प्रतिशत वोट
2018 आते तक गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की सिवनी विधानसभा में और भी दयनीय स्थिति हो गई थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में गोंडवाना ने गया प्रसाद कुमरे को टिकट दिया था जो वर्तमान में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिला अध्यक्ष हैं। 2018 के चुनाव में गया प्रसाद कुमरे को सिर्फ 3.02 प्रतिशत यानी की 6066 वोट ही मिले थे। 2008 के बाद गोंडवाना का वोट बैंक धीरे धीरे कांग्रेस की तरफ शिफ्ट होते गया यही कारण है कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस को 77568 वोट मिले थे जो पिछले सभी चुनाव की तुलना में कांग्रेस को मिले वोटो से कही अधिक वोट है।
रंजीत वासनिक के ऊपर गोंडवाना ने जताया भरोसा
2023 के चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व कई मामलों में सुर्खियां बटोरते रहा। असल में 2023 के चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने बालाघाट जिले के परसवाड़ा विधानसभा से तीन लोगों की टिकट बदला जिसके कारण उनके विश्वसनीयता को लेकर प्रश्नचिन्ह लगने लगे थे इस बीच सिवनी विधानसभा से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने बरघाट नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष रंजीत वासनिक को टिकट दिया वहीं केवलारी विधानसभा से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने मेहरू मर्सकोले को टिकट दिया था जबकि प्रीतम उईके अपने आपको सबसे मजबूत दावेदार बताते थे और उन्होंने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की टिकट फाइनल होने का डिंडौरा भी पीट दिया था बाद में उन्हें जब टिकट नहीं मिली तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ लिया। इन घटनाक्रमों ने जिले की गोंडवाना के ऊपर प्रश्नचिन्ह लगा दिया। सिवनी में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने रंजीत वासनिक को टिकट इसलिए दिया ताकि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी अपना पुराना वोट बैंक हासिल कर सके। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का सीधा सा गणित था कि रंजीत वासनिक को टिकट देने से आदिवासियों के अलावा एससी और मुस्लिम वोट भी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की तरफ झुकेंगे हालांकि सिवनी शहर में जहां मुस्लिम बाहुल्य एवं कई एससी क्षेत्र है वहां गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का बहुत कुछ असर देखने को नहीं मिला। सिवनी विधानसभा से गोंडवाना प्रत्याशी रंजित वासनिक को मिलने वाले वोट भी जीत हार तय करेंगे। देखना यह है कि रंजीत वासनिक ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का वोट बैंक बढ़ाया है या नहीं।
इन दिनों आबकारी विभाग शासकीय विज्ञप्ति जारी करते हुए यह बताने का प्रयास कर रहा है कि 30 अक्टूबर से लेकर 19 नवंबर तक वृत्त उत्तर में 30 प्रकरण पंजीबद्ध करते हुए 160.74 ब.ली.मदिरा एवं 4500 कि.ग्रा महुआ लाहन अनुमानित मूल्य 505802/-रू. को जप्त कर नष्ट करने की कार्यवाही की गई। इसी तरह दक्षिण में 29 प्रकरण पंजीबध्द करते हुए 425.23 ब.ली. मदिरा एवं 11900 कि.ग्रा महुआ लाहन अनुमानित मूल्य 1303208/-रू., वृत्त शहर में 33 प्रकरण 314.66 ब.ली. मदिरा एवं 1410 कि.ग्रा महुआ लाहन अनुमानित मूल्य 224450/-रू., वृत्त लखनादौन में 22 प्रकरण पंजीबध्द करते हुए 143.78 ब.ली. मदिरा एवं 1640 कि.ग्रा महुआ लाहन अनुमानित मूल्य 208522/-रू. तथा वृत्त घंसौर में 20 प्रकरण पंजीबधद करते हुए 128.93 ब.ली. मदिरा एवं 1110 कि.ग्रा महुआ लाहन अनुमानित मूल्य 147384/-रू. जप्त कर नष्ट करने की कार्यवाही की गई। लेकिन आबकारी विभाग के अधिकारी शैलेष जैन यह बताने के लिए तैयार नहीं है कि चुनाव के दौरान सिवनी जिले की विभिन्न विधानसभा क्षेत्र में बांटी गई अवैध शराब को रोकने में उन्होंने कोई कार्यवाही क्यों नहीं किया। मतदान से पहले सिवनी विधानसभा क्षेत्र में अवैध शराब परिवहन और अवैध शराब वितरण के मामले सामने आये तब पुलिस ने कार्यवाही किया लेकिन आबकारी महकमा पूरी तरह से निष्क्रिय रहा। आश्चर्य इस बात का है कि 15 नवंबर की शाम से 48 घंटे के लिए लगभग सभी शराब दुकानो को सील कर दिया गया था और 48 घंटे के लिए जिले में शुष्क दिवस घोषित किया गया था बावजूद इसके कई दुकानों से अवैध रूप से वाहनों में शराब भरकर परिवहन किया गया। कई अवैध शराब परिवहन के वीडियो भी वायरल हुए लेकिन आबकारी अधिकारी शैलेष जैन और उनकी पूरी टीम कुंभकर्णीय नींद में सोते रही। चुनाव खत्म होने के बाद आबकारी विभाग के द्वारा शासकीय विज्ञप्ति जारी करते हुए यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि उनका विभाग अवैध शराब पकडऩे के मामले में कितना सक्रिय है लेकिन आबकारी विभाग की कार्यवाही सिर्फ महुआ लाहन पकडऩे तक ही सीमित है। आबकारी विभाग के द्वारा गांव गांव में सप्लाई हो रही अवैध शराब के मामले में सक्रियता नहीं दिखाई जाती जो आश्चर्य का विषय है।
इन दिनों सिवनी विधानसभा के चुनाव में सबकी नजर टिकी हुई है। मतदान के कुछ घंटे शेष बचे है इस बीच सिवनी विधानसभा क्षेत्र में शराब की धरपकड़ प्रारंभ हो गई । बताया जाता है कि आज कोतवाली थाना प्रभारी सतीश तिवारी के नेतृत्व में पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली जब मुखबिर से सूचना मिलने पर पुलिस ने तिलक वार्ड के एक खंडहर मकान में दबिश दिया तो पुलिस की आंखें फटी की फटी रह गई ।बताया जाता है कि जिस जगह पुलिस ने दबिश दिया वहां लगभग 153 पेटी अंग्रेजी शराब रखी हुई थी जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 05 लाख बताई जा रही है। इस संबंध में कोतवाली पुलिस ने विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि रेल्वे स्टेशन रोड़ तिलक वार्ड में एक खंडहर नुमा मकान में शराब का जखीरा रखा हुआ है। तब जिला पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह के निर्देश पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गुरुद्त्त शर्मा व एस डी ओ पी पुरुषोत्तम मरावी के मार्गदर्शन में कोतवाली टी आई सतीश तिवारी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया जिसमे उप निरीक्षक राहुल काकोडिया,संपत्ति मरावी सहायक उप निरीक्षक संतोष बेन, आरक्षक अमित रघुवंशी,नितेश राजपूत,इरफान खान, अजय धुर्वे,विशाल भागरे, गौरीशंकर राणा,विशाल कपाले, शिवम बघेल, अरविंद मंडराह, महिला आरक्षक फरहीन, रीना धुर्वे ने दबिश दिया। पुलिस की इस कार्रवाई में 153 लीटर अंग्रेजी शराब जप्त की गई इस मामले में पुलिस ने एक आरोपी अरविंद साहू पिता तिजबा साहू को गिरफ्तार किया। पुलिस से पता लगाने का प्रयास कर रही है कि मतदान के एक दिन पहले इतनी बड़ी मात्रा में किसने शराब रखा था पुलिस को मिली इस सफलता के लिए एसपी राकेश कुमार सिंह ने कोतवाली पुलिस को बधाई देते हुए पूरी टीम को पुरुष्कृत करने की घोषणा किया। उल्लेखनीय कि जब चुनाव शुरू हुआ था तब से ही सिवनी में शराब व्यवसाय को लेकर जमकर बातचीत हुआ करती थी बीते दो दिनों के भीतर सिवनी मुख्यालय सहित आसपास क्षेत्र में बड़ी मात्रा में शराब पकड़ी गई जो यह बताने के लिए काफी है कि सिवनी में विकास के नाम पर चुनाव नहीं हो रहे बल्कि कुछ लोगो ने मतदाताओं को शराब और पैसे में खरीदने का काम शुरू कर दिया है जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए घातक हो सकता है।
इन दिनों सिवनी विधानसभा के चुनाव में सबकी नजर टिकी हुई है। मतदान के कुछ घंटे शेष बचे है इस बीच सिवनी विधानसभा क्षेत्र में शराब की धरपकड़ प्रारंभ हो गई । बताया जाता है कि आज कोतवाली थाना प्रभारी सतीश तिवारी के नेतृत्व में पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली जब मुखबिर से सूचना मिलने पर पुलिस ने तिलक वार्ड के एक खंडहर मकान में दबिश दिया तो पुलिस की आंखें फटी की फटी रह गई ।बताया जाता है कि जिस जगह पुलिस ने दबिश दिया वहां लगभग 153 पेटी अंग्रेजी शराब रखी हुई थी जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 05 लाख बताई जा रही है। इस संबंध में कोतवाली पुलिस ने विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि रेल्वे स्टेशन रोड़ तिलक वार्ड में एक खंडहर नुमा मकान में शराब का जखीरा रखा हुआ है। तब जिला पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह के निर्देश पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गुरुद्त्त शर्मा व एस डी ओ पी पुरुषोत्तम मरावी के मार्गदर्शन में कोतवाली टी आई सतीश तिवारी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया जिसमे उप निरीक्षक राहुल काकोडिया,संपत्ति मरावी सहायक उप निरीक्षक संतोष बेन, आरक्षक अमित रघुवंशी,नितेश राजपूत,इरफान खान, अजय धुर्वे,विशाल भागरे, गौरीशंकर राणा,विशाल कपाले, शिवम बघेल, अरविंद मंडराह, महिला आरक्षक फरहीन, रीना धुर्वे ने दबिश दिया। पुलिस की इस कार्रवाई में 153 लीटर अंग्रेजी शराब जप्त की गई इस मामले में पुलिस ने एक आरोपी अरविंद साहू पिता तिजबा साहू को गिरफ्तार किया। पुलिस से पता लगाने का प्रयास कर रही है कि मतदान के एक दिन पहले इतनी बड़ी मात्रा में किसने शराब रखा था पुलिस को मिली इस सफलता के लिए एसपी राकेश कुमार सिंह ने कोतवाली पुलिस को बधाई देते हुए पूरी टीम को पुरुष्कृत करने की घोषणा किया। उल्लेखनीय कि जब चुनाव शुरू हुआ था तब से ही सिवनी में शराब व्यवसाय को लेकर जमकर बातचीत हुआ करती थी बीते दो दिनों के भीतर सिवनी मुख्यालय सहित आसपास क्षेत्र में बड़ी मात्रा में शराब पकड़ी गई जो यह बताने के लिए काफी है कि सिवनी में विकास के नाम पर चुनाव नहीं हो रहे बल्कि कुछ लोगो ने मतदाताओं को शराब और पैसे में खरीदने का काम शुरू कर दिया है जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए घातक हो सकता है।
सिवनी विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप नामांकन फार्म भर ने वाले तीरथ चंदेल ने आज कांग्रेस प्रत्याशी आनंद पंजवानी को समर्थन देते हुए मतदाताओं से अपील किया है की वह कांग्रेस के युवा प्रत्याशी आनंद पंजवानी के पंजा चुनाव चिन्ह में वोट करते हुए उन्हें भारी मतों से जिताए। तीरथ चंदेल ने कहा कि वह अपने साथियों के साथ कांग्रेस की सदस्यता लेते हुए आनंद पंजवानी को जिताने की कोशिश करेंगे। श्री चंदेल ने कहा कि उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में गुब्बारा चुनाव चिन्ह मिला था ।उन्होंने आनंद पंजवानी का समर्थन करने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय की तीरथ चंदेल कुर्मी समाज का एक बड़ा चेहरा है और राष्ट्रवादी कांग्रेस से भी जुड़े रहे हैं।
सिवनी विधानसभा से एक बार फिर वोट कटवाने के लिए कुछ निर्दलीय लोगों को मैदान में उतर गया है जिनमें लखनादौन निवासी मकबूल शाह भी शामिल है जो पिछला चुनाव भी लड़ चुके है और जिनकी जमानत तक जप्त हो गई थी। बताया जाता है की भगत सिंह वार्ड क्रमांक 12 लखनादौन निवासी मकबूल शाह ने 30 अक्टूबर को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया।
2018 के विधानसभा में भी निर्दलीय लड़ा था चुनाव
लखनादौन निवासी मकबूल शाह ने 2018 का विधानसभा चुनाव भी निर्दलीय लड़ा था तब उनकी जमानत जप्त हो गई थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में मकबूल शाह को 2536 वोट मिले थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में सिवनी विधानसभा से 05 मुस्लिम प्रत्याशी थे जिन्हें सिर्फ 7229 वोट ही मिले थे। वर्तमान में 04 मुस्लिम प्रत्याशियों ने नामांकन जमा किया है जिनमे लखनादौन के मकबूल शाह, ध्यानचंद वार्ड की शबाना खान, कंडीपार के शादाब पटेल एवं भगत सिंह वार्ड के मुनव्वर रजा शामिल है।
अपने आपको मुनमुन का करीबी बताते है मकबूल शाह
सिवनी विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लडऩे वाले मकबूल शाह अपने आप को दिनेश राय मुनमुन का करीबी बताते हैं। 27 अक्टूबर को जब दिनेश राय मुनमुन की नामांकन रैली थी तब मकबूल शाह लखनादौन से रैली में शामिल होने के लिए सिवनी पहुंचे थे और मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा था कि वह भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता होने के नाते सिवनी पहुंचे हैं उन्होंने यह भी कहा था कि इस सिवनी विधानसभा से दिनेश राय मुनमुन जीतेंगे 27 अक्टूबर तक दिनेश राय मुनमुन की रैली में पहुंचे मकबूल शाह ने 30 अक्टूबर को निर्दलीय पर्चा भरा जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है कि कहीं मकबूल शाह को चुनावी मैदान में खड़ा करने के लिए दिनेश राय मुनमुन और उनके समर्थकों ने मुस्लिम वोट काटने की रणनीति के तहत एक बार फिर लखनादौन से सिवनी बुलाकर चुनाव मैदान में तो नहीं उतारा? वैसे हम याद दिला दें कि दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने भाजपा से जुड़े अल्पसंख्यक नेता निर्दलीय चुनाव लडऩे की तैयारी शीर्षक से समाचार प्रकाशित करते हुए उल्लेख किया था कि सिवनी विधानसभा से कुछ ऐसे मुस्लिम चेहरों को मैदान में उतारा जा सकता है जो भाजपा से जुड़े है और कुछ हद तक मुस्लिम वोट काट सकते है। सूत्र बताते है कि जिन 04 मुस्लिमो ने निर्दलीय फॉर्म भरा है उनमें दो लोगो के परिवार के सदस्य भाजपा से जुड़े हुए है।
आप मेरे लिए एक महीने चलिए मै आपके लिए 05 साल चलूंगा यह वादा एक बेटे का आप लोगो से है। आज जनसंपर्क के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी आनंद पंजवानी ने कहा की कांग्रेस सरकार हमेशा से हर वर्ग और हर व्यक्ति के विकास के लिए सोचती है और मौका मिलने पर काम भी करती है। 2018 के चुनाव में प्रदेश की जनता ने कमलनाथ जी को अपना आशीर्वाद देकर सेवा का मौका दिया था लेकिन सत्ता के लिए भाजपा ने कमल नाथ जी की ईमानदार सरकार को गिराने षड्यंत्र रचा और मात्र 18 महीने में ही कमलनाथ जी की सरकार को गिरा दिया जिसका बदला लेने का मौका भी आ गया है कमलनाथ जी की सरकार आप लोगों के विकास के लिए दृढ़ संकल्पित है । अपने पिछले 10 सालों से सिवनी विधानसभा में क्या विकास देखा है यह आप लोगों से छुपा नहीं है। कांग्रेस ने घोषणा पत्र के बजाए वचन पत्र जारी किया है।और वचन वही देता है जो अपने वादों का पक्का हो । माननीय कमल नाथ जी वादों के पक्के है। यदि 2018 में कांग्रेस की सरकार पूरे 05 साल रहती तो प्रदेश में विकास के कई अध्याय लिखे जाते। आनंद पंजवानी ने कहा की अभी भाजपा ने प्रदेश में अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं किया और माननीय कमल नाथ ने ना केवल प्रत्याशियों की घोषणा कर दिया बल्कि अपना वचन पत्र भी जारी कर दिया ।
आनंद ने कहा की लंबे समय से हमारे किसान भाई बिजली पानी की समस्या से जूझते रहे है जिनकी परेशानी को समझते हुए कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में किसानों को सिंचाई एवं सडक़ का अधिकार दिया है। कांग्रेस का वचन है कि जहां 70 लाख हेक्टेयर आश्वासित सिंचाई के लक्ष्य हेतु नये बांध बनायेंगे एवं पुराने बांधो की जलग्रहण क्षमता बढ़ायेंगे। नहरों के पास तालाबो को भरकर पानी की व्यवस्था की जाएगी एवं नई नहरें बनाकर सिंचाई का रकबा बढ़ाया जायेगा। कांग्रेस ने अपने वचनपत्र में यह भी उल्लेख किया है कि सिंचाई जल उपभोक्ता समितियों को पुन: सक्रिय कर अधिक संपन्न बनाया जायेगा। मेरा तालाब मेरा खेत, मेरा कुआं-मेरा खेत, मुख्यमंत्री नाला सिंचाई योजना, प्राचीन तालाबो का जीर्णोद्धार एवं गहरीकरण किया जायेगा ताकि किसानों को पानी की समस्या से ना जूझना पड़े। बिजली के लिए भी कांग्रेस सरकार के द्वारा इंदिरा किसान ज्योति योजना प्रारंभ की जाएगी। सिंचाई प्रयोजन के लिए 5 हार्सपावर तक नि:शुल्क बिजली प्रदान की जाएगी तथा 10 हार्सपावर तक के सिंचाइ पंप के बिलो मे 50 प्रतिशत तक छूट दी जाएगी। कृषि के पुराने बिलों को माफ किया जायेगा एवं कृषि प्रयोजन के विद्युत संबंधी झूठे प्रकरण वापस लेंगे। कांग्रेस की सरकार किसानों की सरकार होगी इसलिए आप अपने बेटे को आर्शीवाद देकर कमलनाथ का हाथ मजबूत करें।
आज आनंद पंजवानी ने कांग्रेस के संगठन मंत्री पंकज शर्मा, जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवम जिला पंचायत के उपाध्यक्ष ब्रजेश उर्फ लल्लू बघेल,जनपद सदस्य अप्पू ठाकुर सहित सैकड़ों बुजुर्गो युवाओं के साथ चंदौरी, चंदौरीखुर्द, नकटिया, सागर, जटलापुर, पोतलपानी, औरिया, औरिया रैयत, पिपरिया, समनापुर, गुढ़ी, चारगांव, लामटा, बकौड़ी, बाम्हनवाड़ा, बखारी में जनसंपर्क किया।
विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के भीतर दिनेश राय मुनमुन को प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर मूल भाजपा के कार्यकर्ता है पदाधिकारी नाराज बताएं जा रहे हैं । दिनेश राय मुनमुन को टिकट मिलने के बाद सिवनी के कई मूल भाजपा कार्यकर्ताओ और पदाधिकारीयो ने दिनेश राय के जनसंपर्क के कार्यक्रम से भी पूरी तरह से दूरियां बना लिया है। चुनावी सरगर्मी के दौरान आज बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सांसद डॉक्टर ढाल सिंह बिसेन के प्रतिनिधि संजीव मिश्रा और दिलीप अग्रवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। संजू मिश्रा और दिलीप अग्रवाल का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब सिवनी विधानसभा क्षेत्र में दिनेश राय मुनमुन को टिकट दिए जाने के बाद मूल भाजपा के कई कार्यकर्ताओं और वरिष्ट भाजपा नेताओं ने दूरियां बनाया है। सांसद के दोनों प्रतिनिधियों के इस्तीफे की असली वजह क्या है यह तो वे ही जाने लेकिन राजनेतिक गलियारों में इसे मुनमुन राय को मिली टिकिट से जोड़कर देखा जा रहा है। प्रहलाद पटेल के करीबी भी रहे है संजीव मिश्रा--- सांसद प्रतिनिधि के पद से इस्तीफा देने वाले संजीव मिश्रा केबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल के भी करीबी रहे है। चुनाव के दौरान संजीव मिश्रा और दिलीप बघेल के द्वारा सांसद प्रतिनिधि के पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद लोगो के भीतर चर्चा है की अभी तो यह ट्रेलर है पूरी पिक्चर तो अभी बाकी है। गौरतलब है कि जब दिनेश राय मुनमुन को सिवनी विधानसभा से टिकट मिली थी तब उनके स्वागत कार्यक्रम में मूल भाजपा के अधिकांश पदाधिकारी और कार्यकर्ता नदारत थे जिनमें संजू मिश्रा और दिलीप अग्रवाल जैसे वरिष्ठ नेता भी शामिल थे जिन्होंने सांसद प्रतिनिधि के पद से इस्तीफा दे दिया है।
2008 और 2013 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़ते हुए भाजपा को पानी पी-पीकर कोसने वाले दिनेश राय मुनमुन ने अपने मित्र संजय पाठक के प्रयासो से तत्कालीन प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष राकेश सिंह के समक्ष 03 मई 2018 को भाजपा की सदस्यता लिया था और उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में सारे मूल भाजपाइयों को दरकिनार कर वह टिकिट ले आए। उस समय भारतीय जनता पार्टी के कई मूल भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी नाराज भी हुए लेकिन इसे उन्होंने संगठन का आदेश मानकर दिनेश राय मुनमुन के पक्ष में काम करना शुरू कर दिया जिसके चलते 2018 के विधानसभा चुनाव में दिनेश राय मुनमुन ने लगभग 22000 वोटो से चुनाव जीत लिया था। चुनाव जीतने के बाद दिनेश राय मुनमुन और भारतीय जनता पार्टी के मूल भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के बीच दूरियां बढऩे लगी जिसके कारण 2023 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के स्थापित नेता एकजुट हो गए और दिनेश राय मुनमुन के बजाए किसी मूल भाजपाई को टिकिट दिलाए जाने का प्रयास करने लगे लेकिन दूसरी बार भी 5 साल के भीतर दिनेश राय मुनमुन दूसरी बार टिकट लाने में सफल हो गए जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी के मूल भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के बीच यही चर्चा चल पड़ी है क्या भाजपा का मूल कार्यकर्ता सिर्फ दरी फट्टी बिछाने और उठाने तक ही सीमित रहेगा? यदि इसी तरह आयातित नेताओ को पार्टी टिकिट देगी तो फिर दूसरी और तीसरी पंक्ति के नेताओ का वजूद सिर्फ जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे तक ही सीमित हो जाएगा, यही सोचकर नाराज भाजपाई एकजुट होने लगे हैं।
सूत्रों की माने तो भारतीय जनता पार्टी के स्थापित नेताओं ने लगातार बैठक करना भी शुरू कर दिया है। भाजपा के मूल कार्यकर्ता की नाराजगी से ऐसा लगता है कि वह 2018 की तरह 2023 में किसी भी कीमत में समझौता करने के मूड में नजर नहीं आ रहे। वैसे यदि भाजपा के मूल कार्यकर्ता की इसी तरह नाराजगी बने रही तो दिनेश राय मुनमुन के लिए यह चुनाव आसान नहीं रहेगा क्योंकि भाजपा की सबसे बड़ी ताकत ईमानदार और निष्ठावान कार्यकर्ता ही रही है और यदि वही नाराज होकर घर बैठ जाएंगे तो श्री राय अपनी निजी टीम के सहारे मैदान में मजबूत नहीं हो पाएंगे।
नाराज नेताओ से मिलने पहुंचे मुनमुन
05 साल पहले भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेने वाले दिनेश राय मुनमुन को 5 साल के भीतर पार्टी ने दो बार टिकट दे दिया जिसके बाद पार्टी के कई स्थापित नेता नाराज हो गये जिनकी नाराजगी दिनेश राय मुनमुन के स्वागत कार्यक्रम के दौरान भी दिखाई दी। जब टिकट मिलने के बाद दिनेश राय मुनमुन का स्वागत कार्यक्रम जिला भाजपा कार्यालय में आयोजित किया गया तब भारतीय जनता पार्टी के चंद नेताओं के अलावा बाकी नेताओं ने दूरियां बना लिया था जिसे भांपते हुए गत दिवस दिनेश राय मुनमुन ने नाराज नेताओं के घर जाना शुरू कर दिया लेकिन कई नेता घर में नहीं मिले। बताया जाता है कि नाराज नेताओं की टीम एक जगह बैठी हुई थी तब दिनेश राय मुनमुन वहां पहुंच गए जहां दिनेश राय मुनमुन के समर्थकों ने उनकी फोटो ले लिया और सोशल मीडिया में वायरल कर यह संदेश देने का प्रयास किया कि सभी लोग दिनेश राय मुनमुन के साथ है लेकिन सूत्रों की माने तो जो नेता दिनेश राय मुनमुन से नाराज है उन्होंने उक्त फोटो वायरल होने के बाद अपनी नाराजगी भी जाहिर किया। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के नाराज स्थापित नेता किसी भी कीमत में समझौता करने के मूड में नजर नहीं आ रहे, नाराज नेताओं का अगला कदम क्या होगा यह तो समय बताएगा लेकिन वर्तमान में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी के भीतर मूल भाजपा और आयातित भाजपा को लेकर माहौल बन रहा है वह भारतीय जनता पार्टी के लिए घातक हो सकता है।
सिवनी में मूल भाजपाई अब वनवासी हो गए हैं जिन्हें भाजपा के आला कमान ने दरकिनार करते हुए 5 साल पहले भाजपा में आए दिनेश राय मुनमुन को दूसरी बार टिकट देकर एक बार फिर भरोसा जताया। 2018 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिनेश राय मुनमुन ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण किया और टिकिट ले आए थे। 2018 में मूल भाजपाइयों ने इसे संगठन का आदेश मानकर काम किया तब दिनेश राय मुनमुन लगभग 22 हजार वोटो से जीते थे। इस चुनाव में भाजपा संगठन के कई महत्वपूर्ण नेता यह मानकर चल रहे थे कि सर्वे में दिनेश राय मुनमुन कमजोर नजर आ रहे है ऐसे में मूल भाजपाइयों ने दिनेश राय मुनमुन के विरोध में मोर्चा खोल लिया था और भोपाल से दिल्ली तक की दौड़ लगाना शुरू कर दिया था। 09 अक्टूबर को भाजपा की चौथी सूची जारी की गई जिसमें 57 नाम जारी किए गए। सूची में दिनेश राय मुनमुन का नाम शामिल था जिसे देख टिकिट की दावेदारी करने वाले मूल भाजपा नेता मायूस हो गए।
मुनमुन के स्वागत में नही पहुंचे भाजपा के स्थापित नेता
भारतीय जनता पार्टी की चौथी सूची में दिनेश राय मुनमुन का नाम आने के बाद मुनमुन राय के समर्थकों में काफी उत्साह देखा गया ढोलबाजों के साथ उनका स्वागत सत्कार किया गया शाम के समय दिनेश राय मुनमुन का स्वागत कार्यक्रम जिला भाजपा कार्यालय में आयोजित किया गया जिसमें भाजपा के जिला अध्यक्ष आलोक दुबे ,संतोष अग्रवाल नरेंद्र ठाकुर सहित चंद भाजपा के नेता थे लेकिन उक्त कार्यक्रम में अधिकांश चर्चित और स्थापित चेहरे नदारद थे जिसके बाद राजनैतिक गलियारो में चर्चा चल पड़ी है कि दिनेश राय मुनमुन के लिए यह चुनाव आसान नहीं होगा क्योंकि भाजपा संगठन के अधिकांश नेताओं का समर्थन उन्हें नहीं मिल पायेगा। मुनमुन राय के स्वागत कार्यक्रम में पूर्व विधायक नीता पटेरिया, नरेश दिवाकर, सांसद ढालसिंह बिसेन, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी, पूर्व जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन, प्रेम तिवारी, सांसद प्रतिनिधि संजीव मिश्रा, लालू राय, महामंत्री गजानंद पंचेश्वर, अजय डागोरिया, जयदीप चौहान, वेदसिंह ठाकुर, भाजपा उत्तर मंडल अध्यक्ष पप्पू सोनी समेत कई नेता दिखाई नहीं दिये जो चर्चा का विषय बने रहा।
पितृपक्ष में टिकिट की गई जारी
ऐसा कहा जाता है कि सनातन धर्म के लोग पितृपक्ष में कोई भी शुभ काम नहीं करते लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने चौथी सूची जारी कर दिया जिसमें सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन को टिकिट दी गई। पितृपक्ष में चौथी सूची जारी किये जाने के बाद सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन के राजनैतिक भविष्य को लेकर तरह तरह की भविष्य की जाने लगी है फिलहाल दिनेश राय मुनमुन के समर्थक उन्हें टिकिट मिलने से गदगद नजर आ रहे हैं।
नगरीय निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से गद्दारी कर सीव्ही रमन वार्ड से निर्दलीय चुनाव लडक़र पार्टी के प्रत्याशी ज्ञानचंद सनोडिया को हराने का प्रयास करने वाले रामलाल राय इन दिनों अपने आप को बरघाट के प्रत्याशी कमल मर्सकोले का करीबी बताते हुए बरघाट विधानसभा का प्रभारी बताते घूम रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि रामलाल राय यह भी प्रचारित कर रहे हैं कि उन्हें कमल मर्सकोले की अनुशंसा के चलते जिला भाजपा के अध्यक्ष ने बरघाट विधानसभा का प्रभारी बना दिया हालांकि इस आशय की अधिकृत पुष्टि जिला भाजपा के किसी भी नेता ने नहीं किया और ना ही अधिकृत रूप से कोई विज्ञप्ति जारी की गई है लेकिन सूत्र बताते हैं कि रामलाल राय अपने आपको विधानसभा का प्रभारी मानने लगे है।
अभी अजय डागोरिया है विधानसभा प्रभारी
बताया जाता है की बरघाट विधानसभा क्षेत्र का प्रभार जिला भाजपा के महामंत्री अजय डागोरिया के पास है लेकिन रामलाल राय लाल स्वयं प्रभारी बनना चाहते है। भारतीय जनता पार्टी का संगठन भी इस बात को अच्छी तरह से जानता है कि पार्टी से गद्दारी करने वाले रामलाल राय को यदि वह विधानसभा का प्रभारी बनाते हैं तो इसका खामियाजा कमल मर्सकोले को भुगतना पड़ सकता है क्योंकि रामलाल राय के बारे में कहा जा रहा है कि वह पद के लालची है जब पार्टी से उन्हें टिकिट नहीं मिली थी तो उन्होंने सीव्ही रमन वार्ड से पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को हराने के लिए निर्दलीय फार्म भर दिया था हालांकि रामलाल राय ने निर्दलीय चुनाव लड़ा भी बावजूद सके सीव्ही रमन वार्ड से भाजपा की ही जीत हुई। बाद में रामलाल राय यह समझ गये कि पार्टी के बिना उनका अस्तित्व कुछ नहीं है तो उन्होंने उच्च स्तरीय सांठगांठ करते हुए भारतीय जनता पार्टी में पुन: प्रवेश ले लिया और अब वह विधानसभा बरघाट के प्रभारी बनने का सपना संजोने लगे है। यदि रामलाल राय को बरघाट विधानसभा का प्रभारी बनाया जाता है तो फिर कमल मर्सकोले के सपनों में पानी फिर सकता है और वह बैकफुट में आ सकते हैं ऐसे में देखना यह है कि कमल मर्सकोले रामलाल राय से दूरिया बनाते हैं या फिर उन्हें चुपचाप विधानसभा प्रभारी बनता देखते हैं।
कहने को तो सिवनी नगर पालिका परिषद में कांग्रेस की नगर सरकार काबिज है लेकिन वर्तमान में सिवनी नगर पालिका परिषद लखनादौन के ठेकेदार राहुल जैन के इशारों में चल रही है। बताया जाता है कि वर्तमान में ठेकेदार राहुल जैन के ऊपर सिवनी नगर पालिका परिषद के 21 पार्षदों के साथ साथ नगर पालिका के अधिकारी पूरी तरह मेहरबान है तभी तो फुट ब्रिज निर्माण में काम से अधिक भुगतान कर दिया गया और किसी ने आपत्ति नहीं उठाया। गत दिवस सिवनी नगर पालिका के सीएमओ रामकुमार कुर्वेती को पार्षद राजेश राजू यादव,गोलू पंडित और संजय भलावी ने ज्ञापन सौंपते हुए मांग किया है कि नगर पालिका के भीतर 06 माह में लगभग 60 लाख रू. डीजल का भुगतान कर दिया गया जिसकी जांच कराई जाए। बताया जाता है की सिवनी नगर पालिका परिषद ने वाऊचार क्रमांक 39, 105, 188, 259, 361, 532, 634, 844, 959 के माध्यम से नगर पालिका परिषद ने 59 लाख 52 हजार 752 का डीजल का भुगतान किया है।
कही राहुल जैन के कामों के लिए तो खर्च नहीं हुआ डीजल
तीन पार्षदों ने सीएमओ को पत्र लिखते हुए कहा है कि पिछले 6 महीने के भीतर लगभग 60 लाख रू. डीजल के नाम से भुगतान किया गया है जिसकी जांच कराई जाए और यह जानकारी दिया जाए कि वहां कितने किलोमीटर चले? किन-किन वाहनों में कितना-कितना डीजल डाला गया? वैसे सूत्र बताते हैं कि यदि इस पूरे मामले की निष्पक्षता के साथ जांच हो तो पता चल जाएगा कि सिवनी नगर पालिका परिषद ने दलसागर तालाब में बनने वाले फुट ओवर ब्रिज के निर्माण में कितना डीजल दिया। लखनादौन के ठेकेदार राहुल जैन अपने आपको सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन का करीबी बताता है सूत्र बताते हैं कि जब से राहुल जैन ने काम प्रारंभ किया है तब से सिवनी नगर पालिका परिषद ठेकेदार के ऊपर मेहरबान है। ठेकेदार ने लगभग 31 लख रुपए की अधिक लागत से 01 करोड़ 88 लाख में उक्त निर्माण कार्य का टेंडर लिया, ठेकेदार के ऊपर सिवनी नगर पालिका परिषद ने मेहरबानी दिखाते हुए जब दलसागर का काम प्रारंभ हुआ तब सिवनी नगर पालिका परिषद के वाहन लगाए गए वहीं डीजल भी भराया गया।
विधायक का करीबी है ठेकेदार
सवाल यह उठता है कि जब ठेकेदार ने 36 प्रतिशत अधिक की दर से ठेका लिया था तो फिर सिवनी नगर पालिका परिषद को इतनी मेहरबानी दिखाने की आवश्यकता क्यों आन पड़ी? इस पूरे मामले में सिवनी नगर पालिका परिषद के उन पार्षदों की भूमिका को लेकर भी प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं जिन्होंने अब तक लखनादौन के ठेकेदार राहुल जैन के द्वारा किये जा रहे कामों की मांग नहीं किया। गौरतलब है कि राहुल जैन अपने आपको सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन का करीबी बताते हुए सिवनी नगर पालिका परिषद में एक तरफ राज कर रहा है जिसके सामने भाजपा और कांग्रेस दोनो ही पार्टियों के पार्षद बौने नजर आ रहे हैं।
सिवनी जिले के कई ऐसे थाना क्षेत्र है जहां के ढाबे रात भर संचालित होते हैं जिन्हें बंद कराने की जहमत संबंधित थाना क्षेत्र की पुलिस नहीं उठाती। ऐसा ही कुछ बरघाट थाना क्षेत्र में संचालित होने वाले ढाबों में भी हो रहा है। बताया जाता है कि कुछ दिन पहले बरघाट पुलिस ने डीजल चोर गिरोह को पकड़ा था जो रात में डीजल चोरी की घटना को अंजाम देते हुए ढाबो में बैठकर रैकी करते थे। उक्त घटना के बावजूद बरघाट पुलिस की नींद नही खुली। बताया जाता है कि बरघाट थाना क्षेत्र में सबसे ज्यादा चर्चित संतोष ढाबा है जिसके संचालक संतोष सोनी यह दंभ भरते है कि उनके बरघाट पुलिस से मधुर संबंध है और इसी मधुर संबंध का फायदा उन्हें मिलता है। बताया जाता है कि संतोष सोनी तो यह तक कहते है कि नए थानेदार श्री तेकाम ने जब पदभार ग्रहण किया था उसके बाद वह चाय पीने के लिए मेरे ढाबे में आये थे। संतोष सोनी नये थाना प्रभारी की तारीफ करते नही थकते, वह कहते हैं कि नये थानेदार श्री तेकाम बहुत ही सज्जन और सीधे सादे आदमी है, संभवत: इसलिए संतोष सोनी जैसे ढाबा संचालक 24 घंटे ढाबा खोलकर रखते हैं जिनके ऊपर पुलिस किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं करती। सूत्रों की माने तो संतोष सोनी के ढाबे में भोजन के साथ साथ अन्य काम भी होते हैं जिसकी तरफ पुलिस का ध्यान नहीं जाता। समाचार प्रकाशन के बाद बरघाट पुलिस का ध्यान इस ओर आकर्षित कराने का प्रयास भी किया गया लेकिन बरघाट पुलिस का ध्यान संतोष ढाबा सहित क्षेत्र में संचालित अन्य ढाबो की तरफ जाता ही नहीं यही कारण है कि बरघाट क्षेत्र में संचालित अधिकांश ढाबो में भोजन की आड़ में कई चीज उपलब्ध कराई जाती है। देखना यह है कि बरघाट थाने में पदस्थ थाना प्रभारी कृपाल तेकाम और एसडीओपी ललित गठरे क्षेत्र में संचालित ढाबो की गतिविधियों के ऊपर नजर रखते हुए ऐसे ढाबा संचालकों के ऊपर कोई कार्यवाही करते हैं या नहीं जिनके ढाबे नियम विरूद्ध संचालित हो रहे हैं।
मध्यप्रदेश में आचार संहिता किसी भी पल लग सकती है। यह देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज एक वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित किया। बताया जाता हैकि आज के उक्त कार्यक्रम में शिवराज सिंह चौहान के द्वारा लगभग 53 हजार करोड़ की परियोजनाओं व निर्माण कार्यो का भूमिपूजन किया गया वहीं 14 हजार प्रोजक्टस का उदघाटन भी किया गया। सिवनी जिलेवासियों के लिए यह खबर मायूस करने वाली हो सकती है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगभग 300 करोड़ की लागत से बन रहे मेडिकल कॉलेज का उदघाटन नहीं किया जो यह बताने के लिए काफी है कि फिलहाल मेडिकल कॉलेज सिर्फ एक भवन तक ही सिमटकर रह जायेगा वहां अभी कॉलेज लगना प्रारंभ नहीं होगा। बताया जाता है कि जिला प्रशासन के द्वारा 06 अक्टूबर 2023 को जिन कार्यो के भूमिपूजन की सूची जारी की गई थी उनमें जिला शिक्षा केंद्र के अंतर्गत लगभग 10 स्कूलो में शौचालय शामिल है वहीं बबरिया पार्क में पेवर ब्लॉक प्लांटस पिचिंग, कंडीपार मुख्यमार्ग से बींझावाड़ा तक ईटीसी बायपास, सरगापुर से घतुरिया से डिबरा ग्रेबल सडक़ निर्माण, बम्होड़ी से फरेदा मार्ग तक स्लैब कल्वर्ट, आंगनवाड़ी भवन, मंगल भवन, श्रीसिद्ध शनिधाम मंदिर पहुंच मार्ग सहित बीटी रोड निर्माण कार्य, ग्राम टिकारी से नरेला, एवं ग्राम निवारी से पौनार तक बीटी रोड निर्माण सहित अन्य काम शामिल है।
सिवनी विधानसभा के किसी भी बड़े काम का नहीं किया उदघाटन
सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन यह दंभ भर रहे थे कि सिवनी में उन्होंने मेडिकल कॉलेज की सौगात दिया है और चुनाव से पहले वह मेडिकल कॉलेज का उदघाटन करा लेंगे लेकिन सिवनी विधायक के लिए यह खबर आहत करने वाली है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिवनी के मेडिकल कॉलेज का उदघाटन नहीं किया। सूत्र बताते है कि विधायक दिनेश राय लंबे समय से इस प्रयास में थे कि आचार संहिता लगने से पहले उक्त मेडिकल का निर्माण कार्य हो जाये ताकि उन्हें इसका श्रेय मिल सके और वह सिवनी विधानसभा के लोगो को यह बता सके कि उन्हीं के प्रयासो से सिवनी का मेडिकल कॉलेज प्रारंभ हुआ है लेकिन आज लगभग 53 हजार करोड़ के कामों के भूमिपूजन व 14 हजार कामो के उदघाटन में सिवनी मेडिकल कॉलेज का नाम नहीं होने से विधानसभा चुनाव में दिनेश राय मुनमुन मेडिकल कॉलेज का श्रेय लेने से चूक जायेंगे।
सिवनी महाकौशल। लखनादौन विधानसभा में विधायक योगेंद्र बाबा के विरूद्ध भारतीय जनता पार्टी को कोई मजबूत चेहरा नहीं मिल रहा। बताया जाता है कि लखनादौन विधानसभा से धूमा की सरपंच श्रीमती राजेश्वरी उइके का नाम पहले पायदान में बताया जा रहा है और राजेश्वरी उइके के समर्थकों की माने तो सबकुछ ठीक ठाक रहा तो राजेश्वरी उइके के नाम पर अंतिम मोहर लग सकती है हालांकि भारतीय जनता पार्टी के स्थापित नेता इस बात को आसानी से हजम नहीं कर सकते क्योंकि राजेश्वरी एक ऐसी नेत्री है जिनका राजनैतिक कार्यकाल विवादो से घिरा रहा है और कभी भी वह एक पार्टी तक सिमटकर नहीं रही। उन्होंने दो बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से भाग्य आजमाया तो एक बार राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से और तीनों ही बार मतदाताओं ने उन्हे सिरे से नकार दिया जिसके बाद राजेश्वरी उइके ने भाजपा की नाव में सवार होकर चुनाव लडऩे का मन बना लिया है हालांकि उनके लिए चुनाव लडऩा इसलिए आसान नहीं होगा क्योंकि जितना विवाद राजेश्वरी उइके के साथ जुड़ा है उतना अन्य किसी दावेदारो के साथ नहीं जुड़ा।
एफआईआर के लिए लिख चुका है विभाग
गौरतलब है कि जब श्रीमती राजेश्वरी उइके धूमा ग्राम पंचायत की सरपंच थी तब उनके सरपंच होने का फायदा उठाते हुए राजेश्वरी के पुत्र प्रशांत उइके के द्वारा धूमा में स्थित शासकीय शिक्षक आवास भवन में तोडफ़ोड़ कर कब्जा कर लिया गया था। बताया जाता है कि जिस भवन में तोडफ़ोड़ किया गया था। उक्त भवन दिनांक 24/11/1999 के द्वारा एसके तंतुवाय प्राचार्य शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धूमा एवं राजेश्वरी ऊईके के पति ओपी उईके जो उस समय कन्या आश्रम चौकी में अधीक्षक के पद पर पदस्थ थे उन्हें आवासीय प्रयोजन के लिए दी गई थी। सूत्र बताते हैं कि जिस समय उक्त शासकीय भवन को तोडफ़ोड़ कर कब्जा किया गया था उस समय राजेश्वरी उईके के पति थे ही नहीं। प्रश्र यह उठता है कि जिसके नाम से भवन आवंटित किया गया था उनकी गैरमौजूदगी में उक्त भवन को तोडफ़ोड़ कर कब्जा करने का प्रयास कैसे कर लिया गया? बताया जाता है कि इस पूरे मामले को आयुक्त जनजातीय कार्यविभाग मध्यप्रदेश भोपाल ने गंभीरता से लेते हुए दिनांक 18.9.2017 को जनजातीय कार्यविभाग सिवनी को पत्र लिखा था जिसके बाद 10 अक्टू. 2017 को कार्यालय कलेक्टर जनजातीय कार्यविभाग की ओर से आयुक्त जनजातीय कार्यविभाग मध्यप्रदेश भोपाल को पत्र लिखते हुए अवगत कराया था कि शासकीय शिक्षक आवास भवन को सरपंच के द्वारा पद का दुरूपयोग कर नियम विरूद्ध तोडऩे पर अपराधिक प्रकरण दर्ज कराने हेतु जानकारी चाही गई थी जो निम्रानुसार है जिसमें उल्लेख किया गया था कि उक्त भवन शासकीय शिक्षक आवास गृह है जो विभागीय है और उक्त भवन आदिवासी परियोजना के आधिपत्य है। हालांकि सूत्र बताते हैं कि एफआईआर के लिये लिखे गये पत्र के बाद राजेश्वरी उइके ने उच्च स्तरीय सांठगांठ कर कार्यवाही ठंडे बस्ते में करवा दिया था। यदि भारतीय जनता पार्टी को टिकिट देती है तो भाजपा के स्थापित नेताओं को यह जवाब देना पड़ेगा कि क्या पार्टी के पास एक भी ऐसा बेदाग चेहरा नहीं था जो योगेंद्र बाबा के विरूद्ध चुनाव में खड़ा हो सके। बहरहाल देखना यह है कि राजेश्वरी उइके के नाम पर विचार करने वाला शीर्ष नेतृत्व उनके साथ जुड़े विवादो में भी विचार करते हैं या नहीं?
जगदगुरू स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज की जन्मस्थली सिवनी में दिनेश राय मुनमुन के द्वारा रामकथा का आयोजन किया गया था जिसमें स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने मंच से जगदगुरू स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज को लेकर उनका आचरण कांग्रेसी था, कहा गया था जिससे उनके अधिकांश शिष्य आहत थे तब कई लोगों ने कहा था कि क्या सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन रामभद्राचार्य की बातों से सहमत है और यदि सहमत नहीं है तो उन्हें खंडन देना चाहिए लेकिन विधायक दिनेश राय मुनमुन ने खंडन नहीं दिया इस बीच आपका सिवनी आगमन हुआ तो आप दिनेश राय मुनमुन के निवास स्थान में चले गये, इसे क्या माना जाए? यह सवाल दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस के संपादक ने ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की प्रेस कान्फ्रेस में उठाया तब अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि रामकथा में रामभद्राचार्य द्वारा की गई टिप्पणी से दिनेश राय मुनमुन का कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने ऐसे व्यक्तित्व को बुलाया था जिन्हें ना तो टोका जा सकता था और ना ही बोला जा सकता था। उनहोने कहा कि एक वक्तव्य से किसी व्यक्ति के साथ सारे संबंध समाप्त करने का कारण नहीं बन सकता जबकि जो व्यक्तव्य दिया गया वह व्यक्तव्य उस व्यक्ति का ना हो।
अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने माना मुनमुन को हुआ है डैमेज
दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस के सवालों का जवाब देते हुए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि दिनेश राय मुनमुन एक राजनैतिक व्यक्ति हैं और उन्हें यह नहीं मालूम था कि रामभद्राचार्य महाराज मंच से क्या बोलेंगे? उन्होंने कहा कि वैसे ही दिनेश राय मुनमुन को भारी डैमेज हो गया है रामभद्राचार्य महाराज के कहने से। अब दिनेश राय मुनमुन खंडन करें या मंडन करें यह वहीं बात हो गई कि इधर कुंआ, उधर खाई। खंडन करता है तो गड़बड़ है और मंडन करता है तो भी गड़बड़ है, बेचारा षाष्टांग कर रहा है। प्रेस कान्फ्रेस के दौरान महाराजश्री द्वारा दिनेश राय मुनमुन के द्वारा कराई गई रामकथा को लेकर और भी कई बातें कहीं गई। जब महाराज जी ने कहा कि दिनेश राय मुनमुन खंडन करता है तो गड़बड़ और मंडन करता है तो भी गड़बड़ है, यह सुन वहां मौजूद सभी लोग ठहाके लगाकर हंसने लगे।
संस्कृत पाठशाला का होना चाहिए संचालन
प्रेस कान्फ्रेस के दौरान स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे यहां आकर चला कि यहां संस्कृत की पाठशाला चला करती थी, इस पाठशाला का ज्ञान के प्रकाश में बड़ा योगदान था लेकिन अब यह पाठशाला लुप्त हो गई। उन्होंने सभी के सहयोग से संस्कृत की पाठशाला प्रारंभ करने की बात कहा।
जमकर आक्रोशित हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज
प्रेस वार्ता के दौरान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज का आज उग्र रूप देखने को मिला। सिवनी के दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार को लेकर उन्होंने नाराजगी जाहिर किया और जमकर आक्रोश जताने लगे जिसके बाद कुछ पत्रकार उठे और महाराज श्री से कहा कि यदि समाचार पत्र में छपी खबर से आपत्ति है तो नोटिस भेजना चाहिए इस तरह प्रेसवार्ता में पत्रकारों के ऊपर आक्रोशित नहीं हो सकते कहते हुए कुछ पत्रकार पत्रकारवार्ता छोडक़र बीच में ही आ गये। इस बीच अविमुक्तेश्वरानंद ने वहां मौजूद पत्रकारो से कहा कि थू है ऐसी पत्रकारिता में।
सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन जब विधानसभा का चुनाव लड़ रहे थे तब उन्होंने किसानों से कई महत्वपूर्ण वादा किया था। उन्होंने कहा था कि पेंच व्यपवर्तन परियोजना से किसानों को पानी दिलाया जाएगा। बताया जाता है कि अभी कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां के किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा। बार-बार मांग करने के बाद भी जब किसानों के दर्द को किसी ने नहीं समझा तो 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन किसानों ने अहिंसक आंदोलन प्रारंभ कर दिया। बताया जाता है कि 2 अक्टूबर को लाल माटी क्षेत्र के किसान एकजुट हुए और रानी दुर्गावती प्रतिमा के पास ट्रैक्टरों को खड़ा कर धरना प्रारंभ कर दिया। 2 अक्टूबर की दोपहर से शुरू हुए धरना प्रदर्शन करने वाले किसानों की मांग थी कि सांसद और विधायक धरना स्थल पर पहुंचे जहां उनसे बात की जाएगी लेकिन रात भर किसान धरना स्थल पर मौजूद रहे लेकिन उनसे मिलने ना तो विधायक दिनेश राय मुनमुन को समय मिला और ना ही सांसद डॉक्टर ढालसिंह बिसेन को समय मिला। यहां तक की जिले के कलेक्टर क्षितिज सिंघल भी किसानों से मिलने नहीं पहुंचे। हालांकि कलेक्टर के प्रतिनिधि के रूप में एस डीएम मेघा शर्मा अवश्य पहुंची थी।
सुबह पहुंचे विधायक मुनमुन राय
रात भर किसान धरना प्रदर्शन करते रहे लेकिन रात में किसानों से मिलने की फुर्सत ना तो विधायक को मिली और ना ही सांसद को। आज सुबह दिनेश राय मुनमुन किसानों से मिलने पहुंचे दिनेश राय से किसानों ने कहा की हम आपसे मिलना चाहते थे यदि आप आ जाते तो हमारी रात काली नही होती।
किसी प्रतिनिधि को भेज देते विधायक
सुबह जब धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों से मिलने के लिए दिनेश राय मुनमुन पहुंचे तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि नरसिंहपुर में एक एक्सीडेंट हो गया था जहां वह चले गए थे और उसके बाद जबलपुर चले गए थे उनकी जानकारी में नहीं था जबकि पूरे सोशल मीडिया में उक्त आंदोलन चर्चाओं में रहा यदि दिनेश राय मुनमुन व्यस्त थे तो उन्हें अपने प्रतिनिधि को धरना स्थल पर भेज देना चाहिए था और किसानों को अवगत कराना चाहिए ताकि दिनेश राय मुनमुन पारिवारिक काम से नरसिंहपुर और जबलपुर गए हुए हैं लेकिन उन्होंने रात के समय किसी भी प्रतिनिधि को नहीं भेजा जिसके कारण रात भर धरतीपुत्र धरना प्रदर्शन करते रहे। समाचार लिखे जाने तक भी किसान धरना आंदोलन में ही बैठे हुए थे किसानों का कहना था कि आज कैबिनेट की अंतिम बैठक के अंतिम बैठक में जो भी निर्णय होगा उसके बाद वह उठ जाएंगे वैसे यदि इस पूरे मामले का हल नहीं निकलता है तो फिर विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को भारी नुकसान हो सकता है क्योंकि दिनेश राय मुनमुन ने जब चुनाव लड़ा था तब उन्होंने लाल माटी क्षेत्र के किसानों के लिए भी बड़े-बड़े वादे किए थे लेकिन चुनाव जीतने के बाद लाल माटी क्षेत्र के किसानों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जिसके कारण लाल माटी क्षेत्र के किसानों को चुनाव से ठीक पहले धरना प्रदर्शन करने का रास्ता अपनाना पड़ा।
आपने मुझे बुलाया था क्या?
रात भर किसानों ने धरना प्रदर्शन किया जिनसे मिलने सुबह विधायक दिनेश राय मुनमुन पहुंचे और किसानों से चर्चा करते हुए कहा कि आपने मुझे बुलाया था क्या? मुझे सूचना तो देना चाहिए था तब किसानों ने कहा कि 18 अगस्त को किसान महा पंचायत हुई थी जिसमें विधायक सांसद सहित पार्टी के मुखियाओं को बुलाया गया था तभी तय किया गया था कि यदि समय सीमा के भीतर उनकी मांग पूरी नहीं होती तो वह धरना प्रदर्शन करेंगे। वैसे सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन का यह कहा जाना कि मुझे बुलाया था क्या आश्चर्यजनक इसलिए लग रहा है क्योंकि 2 अक्टूबर की दोपहर से किसानों का आंदोलन पूरे प्रदेश भर में चर्चित हो गया था। सोशल मीडिया में पल-पल की अपडेट आ रही थी सोशल मीडिया में सक्रिय रहने वाले सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन को लाल माटी के किसानों का आंदोलन क्यों नहीं दिखाई दिया? यह आश्चर्य का विषय इसलिए है क्योंकि दिनेश राय मुनमुन ने लालमाटी क्षेत्र के किसानों से कई बड़े-बड़े वादे किए थे और जब आचार संहिता लागू होने को आई तब श्री राय किसानों से पूछ रहे हैं कि क्या आपने मुझे बुलाया था क्या या मुझे बताया था क्या?
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो शासकीय नौकरी में रहते हुए अपना मूल काम छोडक़र सेटिग में लगे रहते है। ऐसे ही एक अधिकारी जनजातीय कार्यविभाग में पदस्थ भगतराम सर्वे है। बताया जाता है कि लंबे समय तक भगतराम सर्वे लखनादौन मंडल संयोजक के पद पर पदस्थ थे जिनका एक ऑडियो फरवरी 2023 में सामने आया था जो एक अधीक्षिका से प्रति बच्चों के हिसाब से पैसो की मांग कर रहे थे। जब उक्त ऑडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ तब भगतराम सर्वे की जांच प्रारंभ हुई। जांच के बाद 7 मार्च 2023 को भगतराम सर्वे को शासकीय उत्कृष्ट बालक छात्रावास लखनादौन के अधीक्षक के पद से हटाते हुए उन्हे शैक्षणिक कार्य संपादन के लिए शासकीय माध्यमिक शाला पाना बुढवानी विकासखंड लखनादौन में पदस्थ कर दिया गया लेकिन अपनी उच्च स्तरीय सांठगांठ के चलते श्री सर्वे उक्त स्कूल में पढ़ाने गये ही नहीं। सूत्र बताते हैं कि लंबे समय से शैक्षणिक कार्य से दूर रहने वाले भगतराम सर्वे का मन अध्यापन कार्य में लगता ही नहीं, वह हमेशा इस सेटिंग में रहते हैं कि किसी भी तरह से उन्हें किसी छात्रावास में अधीक्षक का पद मिल जाये ताकि वह अधीक्षक की आड़ में अन्य छात्रावासो में भी अपना सिक्का चला सके। सूत्रों की माने तो लगभग छह महीने तक स्कूल से नदारद रहने वाले भगतराम सर्वे का वेतन नहीं रूका और स्कूल गये बिना उन्हें बकायदा भुगतान होते रहा जो यह बताने के लिए काफी है कि जनजातीय कार्यविभाग में पदस्थ भगतराम सर्वे के इशारो में ही जनजातीय कार्यविभाग काम करता है। यदि कोई अन्य शिक्षक स्कूल ना जाये तो विभाग के आला अधिकारी ना केवल उसका वेतन रोक देते है बल्कि उसके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही भी शुरू कर देते है लेकिन भगतराम सर्वे एक ऐसे शिक्षक है जिनका वेतन बराबर निकल रहा है और वह लखनादौन मुख्यालय में ही रहते है।
अधीक्षक के साथ साथ मंडल संयोजक भी थे सर्वे
भगतराम सर्वे की उच्च स्तरीय पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह ना केवल उत्कृष्ट बालक छात्रावास लखनादौन में अधीक्षक के पद पर पदस्थ थे बल्कि उनहें लखनादौन मंडल संयोजक का प्रभार भी दिया गया था। मंडल संयोजक होने का फायदा उठाते हुए भगतराम सर्वे के द्वारा क्षेत्र के हॉस्टल अधीक्षक से बकायदा कमीशन की बातें की जाती थी जिसका एक ऑडियो वायरल होने के बाद जनजातीय कार्यविभाग के अधिकारियों की छवि धूमिल हुई थी जिसके बाद उन्हें 7 मार्च को अधीक्षक के पद से हटा दिया गया था लेकिन वर्तमान में वह स्कूल जाने से परहेज कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पुन: सरकार बनाने के लिए गंभीर नजर आ रही है जिसके लिए पार्टी ने तीन केंद्रीयमंत्री सहित सात सांसदो को मैदान में उतारा है। बताया जाता है कि भारतीय जनता पार्टी को अभी भी कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली लखनादौन विधानसभा से कोई मजबूत दावेदार नहीं मिल पा रहा जिसके चलते अभी तक भारतीय जनता पार्टी ने लखनादौन विधानसभा से किसी की टिकिट फायनल नहीं किया हालांकि ग्राम पंचायत धूमा की पूर्व सरपंच श्रीमती राजेश्वरी उइके टिकिट के लिए नेताओं की शरण में जरूर पहुंच रही है। गत दिवस राजेश्वरी उइके प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा से मिलने पहुंची थी। वैसे यदि वीडी शर्मा राजेश्वरी उइके के पुराने रिकार्ड को देखें तो उन्हें एहसास हो जायेंगे कि श्रीमती राजेश्वरी उइके भारतीय जनता पार्टी के लिए कितनी घातक है। चुनाव लडऩे का शौक रखने वाली राजेश्वरी उइके ने दो बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली। जब गोंडवाना ने उनके बजाय अन्य किसी को मैदान में उतारा तो राजेश्वरी उइके ने पार्टी से बगावत करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस से चुनाव लड़ लिया। राजेश्वरी उइके के बारे में कहा जाता है कि क्षेत्र में पकड़ नहीं होने के बावजूद वह कांग्रेस पार्टी को नुकसान पहुंचाने के लिए वोट काटने के लिए मैदान में खड़ी हो जाती है। बताया जाता है कि राजेश्वरी उइके के सरपंच रहते उनके सुपुत्र ने शासकीय जमीन पर कब्जा जमा लिया था जिसकी शिकायत के बाद राजेश्वरी उइके भी दोषी पाई गई थी।
उल्लेखनीय है कि सरपंच के पद का दुरूपयोग करते हुए राजेश्वरी उइके के संरक्षण में उनके पुत्र ने शासकीय जमीन में कब्जा जमाने का काम किया था जिसके बाद तत्कालीन एसडीएमआई जे खालको ने 29/11/2016 को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए आदेश दिया था कि श्रीमती राजेश्वरी उईके को ग्राम पंचायत धूमा के धारित सरपंच पद पर बनाए रखना लोकहित व शासन हित में अवांछिनी होने के कारण मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40(1) में निहित प्रावधानों के तहत ग्राम पंचायत धूमा के सरपंच पद से पृथक किया जाता है एवं इसी अधिनियम की धारा 40(2) में वर्णित प्रावधानों के तहत आगामी 6 वर्षों की कालावधि के लिए निर्वाचन के लिए निर्हित( आयोग्य) घोषित किया जाता है। छह सालो के लिए राजेश्वरी उइके को निष्कासित कर दिया गया था यदि ऐसी विवादित महिला नेत्री के ऊपर भाजपा विश्वास जताती है तो क्षेत्र के ईमानदार और निष्ठावान भाजपा कार्यकर्ताओं को कांग्रेस के सवालों का जवाब देते नहीं बनेगा।
केवलारी जनपद के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत उगली की सरपंच श्रीमती पुष्पलता पोचाटे और सचिव छत्रपाल टेंभरे की जुगलबंदी के चलते भ्रष्टाचार के कारनामो को अंजाम दिया गया। दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस के द्वारा दिनांक 23 सितं को ‘आरटीआई के नियमो का पालन नहीं करते उगली ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव’ एवं 26 सितं. को ‘ग्राम पंचायत उगली के सचिव चंद्रपाल टेंभरे ने किस मद में जमा किया साप्ताहिक बैठकी बाजार की राशि’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित करते हुए उल्लेख किया था कि सचिव छत्रपाल टेंभरे कई वर्षो से उगली ग्राम पंचायत में पदस्थ है जिसने वर्तमान सरपंच के अलावा पूर्व सरपंच आनंद भगत के कार्यकाल के दौरान जमकर फर्जीवाड़ा किया। दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने उल्लेख करते हुए यह भी बताया था कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान लक्ष्मण अहिरवार को सचिव चंद्रपाल टेंभरे ने अदेय प्रमाण पत्र जारी कर दिया जबकि लक्ष्मण अहिरवार के ऊपर 2021-22 से पहले ग्राम पंचायत उगली ने बैठकी बाजार की बकाया राशि था जिसके द्वारा राशि जमा की गई लेकिन ग्राम पंचायत के खाते में सचिव ने राशि जमा नहीं किया। इस पूरे मामले की शिकायत केवलारी निवासी मदनलाल रूसी ने उच्चाधिकारियों से किया था लेकिन अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। पीडि़त ने 28 अप्रैल 2023 को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत भी जानकारी मांगा था लेकिन ना तो ग्राम पंचायत ने उसे जानकारी उपलब्ध कराया था और ना ही जनपद के अधिकारियों ने कोई ध्यान दिया जिसके बाद दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया। बताया जाता है कि समाचार प्रकाशन के बाद पंचायत समन्वयक रघुवीर इड़पाचे के नेतृत्व में जांच टीम उगली पहुंची। बताया जाता है कि जांच टीम ने शिकायतकर्ता को भी बुलाया था लेकिन शिकायतकर्ता उनकी जांच से सहमत नहीं हुआ। सूत्रों की माने तो सचिव अपने आपको जनपद के कई अधिकारियों का करीबी बताता है, यही कारण है कि वह जांच से भी विचलित नहीं हुआ।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जनपद सदस्य एवं पूर्व में उगली के सरपंच रहे आनंद भगत ग्राम पंचायत उगली में पहुंची जांच टीम से पहले सक्रिय दिखाई दिये। यदि उगली ग्राम पंचायत या आसपास सीसीटीव्ही कैमरे लगे हो तो पता चल जायेगा कि जांच टीम मे शामिल किन किन लोगों से आनंद भगत मिले थे? यह जांच का विषय है कि आनंद भगत जांच टीम के आने की खबर के बाद क्यों सक्रिय हुए थे?
सिवनी महाकौशल 27 सितं. 2023
इन दिनों रेत उत्खनन में रोक लगी हुई है बावजूद इसके बरघाट थाना क्षेत्र की कुछ रेत खदानो से अवैध रूप से रेत का उत्खनन कर परिवहन किया जा रहा है जिनके ऊपर बरघाट पुलिस और खनिज विभाग कोई कार्यवाही नहीं करता। बताया जाता है कि गत दिवस बरघाट एसडीओपी के ड्रायवर देवीसिंह बरकड़े ने देखा कि मूंडापार के पास से अवैध रूप से रेत का परिवहन किया जा रहा है तो उसने रेत परिवहन करने वाले लोगो को रोकने का प्रयास किया तब रेत माफियाओ ने देवीसिंह बरकड़े के ऊपर हमला करते हुए मारपीट कर दिया जिसकी जानकारी बरघाट एसडीओपी और बरघाट पुलिस को लगी तो वह मौके पर पहुंचे। बताया जाता है कि जिन लोगों ने मारपीट किया उन्होंने मौके पर ही रेत खाली किया और वहां से फरार हो गये। बताया जाता है कि इस मामले में पुलिस के सामने दो नाम आये जिनमें से एक अमित चौहान तो दूसरा रंजीत साहू बताया जाता है। चर्चा है कि एसडीओपी के ड्रायवर के ऊपर हमला करने वाले लोगो की संख्या दो से अधिक थी। इस पूरे मामले को लेकर पुलिस ने धारा 353,294,506,147 सहित एससीएसटी एक्ट के तहत मामला पंजीबद्ध किया। घटना के बाद से आरोपी फरार बताये जा रहे हैं जिनकी तलाश की जा रही है। सूत्र बताते है कि यदि पुलिस आरोपियों को पकडक़र सख्ती से पूछताछ करती है तो बरघाट क्षेत्र के कुछ दबंग और रसूखदार लोगो के नाम भी सामने आ सकते है। इस संबंध में जानकारी के लिए जब बरघाट थाने के अधिकारियों को फोन लगाया गया तो किसी ने भी उक्त घटना से संबंधित विस्तृत जानकारी नहीं दिया। गौरतलब है कि बरघाट क्षेत्र में लंबे समय से रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन का कारोबार होते रहा है जिसकी तरफ बरघाट थाना प्रभारी कृपालसिहं तेकाम ने कोई ध्यान नहीं दिया। क्षेत्र में चर्चा है कि जब कृपालसिंह तेकाम की पदस्थापना बरघाट थाने में हुई थी तब भी रेत उत्खनन में रोक लगी हुई थी लेकिन कभी भी श्री तेकाम ने अवैध रेत उत्खनन और परिवहन करने वाले लोगों की तरफ ध्यान नहीं दिया जिसके चलते क्षेत्र में रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन जोरो पर है।
क्या बरघाट की कांग्रेस बनाएगी मुद्दा
चुनावी साल में बरघाट मुख्यालय में एसडीओपी के ड्रायवर के साथ रेत का कारोबार करने वाले माफियाओं ने एसडीओपी के ड्रायवर के साथ मारपीट कर दिया लेकिन इस घटना के बाद ना तो अब तक बरघाट विधायक अर्जुन काकोडिय़ा की तरफ से कोई बयान आया और ना ही बरघाट कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया जो चर्चा का विषय बना हुआ है। अब जबकि रेत माफियाओं के द्वारा एसडीओपी के ड्रायवर के साथ मारपीट कर दी गई ऐसे में देखना यह है कि पुलिस कब तक आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए उनसे मुख्य आरोपी के बारे में पता लगाती है।
इन दिनों भोमा में स्थित बैंक ऑफ महाराष्ट्र समय से नहीं खुलता जिसके कारण बैंक में जाने वाले उपभोक्ताओं को परेशान होना पड़ रहा है। बताया जाता है कि बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र शाखा भोमा में प्रबंधक के पद पर शालू चौरसिया पदस्थ है। शालू चौरसिया का मुख्यालय भोमा है लेकिन वह भोमा में नहीं रहती बल्कि वह अपडाउन करती है जिसके कारण वह समय से बैंक नहीं पहुंच पाती। क्षेत्र के लोगों की माने तो प्रबंधक शालू चौरसिया बैंक की चाबी अपने पास रखती है जिसके कारण जब तक वह बैंक नहीं पहुंचती तब तक बैंक में ताला लटका रहता है। आश्चर्य तो इस बात का है कि प्रबंधक की लेटलतीफी के कारण बैंक पहुंचने वाले अन्य कर्मचारियों को भी बैंक खुलने का इंतेजार करना पड़ता है। बताया जाता है कि बैंक में हर दिन ना केवल बैंक के उपभोक्ता बल्कि किसान व वृद्धावस्था पेंशन लेने वाले बुजुर्गो व महिलाओं को बैंक खुलने का इंतेजार करना पड़ता है और जब बैंक खुल जाती है तब भी अपने काम कराने के लिए उपभोक्ताओं को काफी इंतेजार करना पड़ता है। बताया जाता है कि बैंक के उच्चाधिकारी भी कभी भोमा में स्थित बैंक ऑफ महाराष्ट्र का औचक निरीक्षण नहीं करते जिसके कारण बैंक प्रबंधन की लापरवाही बढ़ते जा रही है।
केवलारी विधानसभा से लगभग चार दशक बाद राकेश पाल सिंह भाजपा के ऐसे नेता रहे जिन्होंने कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाते हुए भाजपा का परचम लहराया। 2018 के विधानसभा चुनाव में राकेश पाल सिंह को 85839 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के ठाकुर रजनीश सिंह को 79160 वोट मिले थे इस तरह राकेश पाल सिंह 6679 वोटो से जीतकर विधायक बने थे। राकेश पाल सिंह से पूर्व 1990 के चुनाव में भाजपा ने श्रीमती नेहा सिंह को टिकिट दिया था जबकि कांग्रेस ने श्रीमती विमला वर्मा को प्रत्याशी बनाया था तब श्रीमती नेहा सिंह को 37475 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस की श्रीमती विमला वर्मा को 30411 वोट मिले थे इस तरह केवलारी से पहली बार भाजपा की नेहा सिंह 7064 वोटो से जीती थी। 1993 से 2018 तक कांग्रेस का कब्जा रहा। वर्तमान में केवलारी विधानसभा से राकेश पाल सिंह के विरोध में कुछ लोगो ने मोर्चा खोल रखा है जिनमे से एक वेदसिंह ठाकुर है जिन्हें भाजपा ने इतना कुछ दिया कि अब यदि भाजपा वेदसिंह को कुछ ना भी दे तो उन्हे जीवन भर पार्टी के प्रति समर्पित रहना चाहिए। राजनीति में कहा जाता है कि नेताओ की अपेक्षाएं कभी कम नहीं होती। यह बात वेदसिंह ठाकुर के ऊपर सटीक बैठती है। वर्तमान में वेदसिंह ठाकुर अपने सुपुत्र समीर ठाकुर को टिकिट दिलाना चाहते है। पिछले कुछ दिनों से वेद सिंह ठाकुर के करीबी हरि ठाकुर के द्वारा विधायक राकेश पाल सिंह के लिए जहर उगलते हुए कांग्रेस में शामिल होने की गीदड़ भपकी देना इस बीच वेदसिंह ठाकुर का अपने पुत्र समीर ठाकुर सहित अन्य भाजपा नेताओं के साथ दिल्ली में डेरा डालना और केवलारी नगर परिषद में अचानक से विधायक प्रतिनिधि देवी सिंह बघेल और उनकी धर्मपत्नी के विरोध में मोर्चा खोलना सयोंग नही हो सकता। सूत्र बताते है की भाजपा के वरिष्ठ नेता वेदसिंह ठाकुर सहित अन्य भाजपा नेता यह नहीं चाहते की राकेश पाल सिंह को दूसरी बार टिकिट मिले इसलिए उन्होंने अघोषित सिंडिकेट बना लिया और राकेश पाल सिंह के विरोध में माहौल बनाना शुरू कर दिया जो पार्टी के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
केवलारी विधानसभा के लोगो ने वेदसिंह को दो बार नकारा
भाजपा के वरिष्ठ नेता वेद सिंह ठाकुर अपने सुपुत्र समीर ठाकुर को राजनीति में स्थापित करना चाहते है । वैसे पाठको को हम बता दें कि वेद सिंह ठाकुर को दो बार भाजपा ने केवलारी विधानसभा से मौका दिया और दोनो बार मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया। 1985 में भाजपा ने पहली बार वेदसिंह ठाकुर को केवलारी विधानसभा से टिकिट दिया था जबकि कांग्रेस ने श्रीमती विमला वर्मा को टिकिट दिया था तब श्रीमती विमला वर्मा को 29294 वोट मिले थे जबकि वेदसिंह ठाकुर को 9698 वोट मिले थे इस तरह वह पहला चुनाव 19596 वोटो से हार गए थे। बताया जाता है की पार्टी ने 2003 में एक बार फिर वेदसिंह ठाकुर के ऊपर विश्वास जताया था लेकिन वह पार्टी के विश्वास में खरा नहीं उतरे। 2003 में जब भाजपा की लहर थी तब वेदसिंह ठाकुर हरवंश सिंह से 8810 वोट से हार गए थे। 2003 के चुनाव में हरवंश सिंह को 46312 वोट मिले थे जबकि वेदसिंह ठाकुर को 37502 वोट मिले थे। वेदसिंह ठाकुर को दो बार मौका मिलने के बाद भी वह केवलारी विधानसभा से चुनाव नहीं जीत पाए जबकि राकेश पाल सिंह को 2018 में टिकट मिली थी और उन्होंने अपनी रणनीति के तहत चुनाव जीतकर कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाकर भाजपा का झंडा लहराया था। वर्तमान में वेदसिंह ठाकुर अपने सुपुत्र को टिकिट दिलाने दिल्ली के गलियारों में घूम रहे हैं, उनके करीबी हरिसिंह ठाकुर सार्वजनिक रूप से विधायक राकेश पाल के खिलाफ जहर उगल रहे हैं जो यह बताने के लिए काफी है कि वेदसिंह ठाकुर जैसे वरिष्ठ नेता केवलारी विधानसभा सीट से भाजपा को मजबूत करने के बजाय कमजोर करने में लगे हुए है जिसकी तरफ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को ध्यान देना चाहिए।
लगभग एक महीने पहले जिला भाजपा अध्यक्ष आलोक दुबे की अनुशंसा से ग्राम पंचायत बोरदई के सरपंच आसिफ जरदारी की अध्यक्षता में जिला वक्फ बोर्ड का गठन किया गया था जिसमें उपाध्यक्ष शफीक पटेल झालोन, सचिव शहजाद बेग बोरदई, कोषाध्यक्ष निसार खान गोरखपुर, एवे तीन सदस्य के रूप में अकील खान भगत सिंह वार्ड, हैदर शाह विश्वकर्मा बिल्डिंग कस्तूरबा वार्ड एवं मोहम्मद नूमान बोरदई को शामिल किया गया था तब दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने 26 अगस्त 2023 को ‘आलोक दुबे ने नियम विरूद्ध बनवा दिया जिला वक्फ बोर्ड कमेटी’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित करते हुए उल्लेख किया था कि अपने करीबी मित्र और व्यवसायिक पार्टनर दीवान शाद अली के साथ मिलकर जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे ने नियमों को दरकिनार करते हुए आसिफ जरदारी की अध्यक्षता वाली जिला वक्फ बोर्ड कमेटी का गठन करते हुए उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपा। समाचार में उल्लेख किया गया था कि वक्फ एक्ट 1995 संशोधन 2014 की धारा 18 (1)(2) में प्रदाय अधिकार के तहत जिला वक्फ कमेटी मध्यप्रदेश के गठन और उसकी जिम्मेदारी के लिए कुछ नियम बनाये गये हैं जिसमें उक्त नियम के तहत लगभग 7 ऐसे सदस्यो को शामिल करना होता है जो विभिन्न क्षेत्रों से आते हैं। नियम अनुसार किसी भी जिला वक्फ बोर्ड कमेटी में पार्षद/ जिला, जनपद सदस्य, स्थानीय संस्थाओ के चुने गये जनप्रतिनिधि का होना आवश्यक होता है जो आसिफ जरदारी है। इसके अलावा तहसील/ जिला अभिभाषक सदस्य यानि की किसी अधिवक्ता का होना आवश्यक होता है, इसके अलावा एक धार्मिक विद्वान, शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ा हुआ एक शिक्षाविद, शासकीय अधिकारी या कर्मचारी, शिया/बोहरा समुदाय का एक व्यक्ति एवं एक समाजसेवी का होना आवश्यक होता है लेकिन आलोक दुबे की अनुशंसा से बनाई गई जिला वक्फ बोर्ड कमेटी ने इस नियम का पालन नहीं किया, इस मामले को लेकर जिला वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष शोएब राजा ने उच्च न्यायालय में रिट पिटीशन दायर किया जिसे संज्ञान में लेते हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल ने जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे सहित एमपी वक्फ बोर्ड भोपाल के सीईओ एवं अध्यक्ष सन्नवर पटेल, जिला कलेक्टर जिला वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष आसिफ जरदारी, जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे, जिला वक्फ बोर्ड के उपाध्यक्ष शफीक पटेल सहित 11 लोगों को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। देखना यह है कि उच्च न्यायालय के द्वारा नोटिस जारी किये जाने के बाद वक्फ बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष सन्नवर पटेल, सीईओ जिला कलेक्टर सहित जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे क्या जवाब देते है।
सिवनी महाकौशल। सरपंच जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए राजेश्वरी उईके ने अपने पुत्र प्रशांत उईके के सहयोग से शासकीय भवन को तोडक़र कब्जा तो करवा लिया था लेकिन उनकी यही तानाशाही उन्हें भारी पड़ गई थी। बताया जाता है की न्यायालय नायब तहसीलदार वृत धूमा ने शासकीय जमीन पर कब्जा कर अवैध निर्माण कार्य में रोक लगाते हुए कब्जा खाली करने का आदेश 26/09/2015 को जारी किया था। सरपंच पद का दुरुपयोग करते हुए राजेश्वरी उईके ने काम नही रोकने दिया। बताया जाता है की सरपंच के इस कृत्य को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व की न्यायलय ने गंभीरता से लिया था। तत्कालीन एसडीएमआई जे खालको ने 29/11/2016 को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए आदेश दिया था कि श्रीमती राजेश्वरी उईके को ग्राम पंचायत धूमा के धारित सरपंच पद पर बनाए रखना लोकहित व शासन हित में अवांछिनी होने के कारण मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40(1) में निहित प्रावधानों के तहत ग्राम पंचायत धूमा के सरपंच पद से पृथक किया जाता है एवं इसी अधिनियम की धारा 40(2) में वर्णित प्रावधानों के तहत आगामी 6 वर्षों की कालावधि के लिए निर्वाचन के लिए निर्हित( आयोग्य) घोषित किया जाता है।
गौरतलब है की परियोजना प्रशासक कार्यालय लखनादौन के आदेश क्रमांक 693/स्टेनो/ दिनांक 24/11/1999 के द्वारा एसके तंतुवाय प्राचार्य शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धूमा एवं राजेश्वरी ऊईके के पति ओपी उईके जो उस समय कन्या आश्रम चौकी में अधीक्षक के पद पर पदस्थ थे उन्हें आवासीय प्रयोजन के लिए दी गई थी। जब राजेश्वरी उईके सरपंच बनी तो उन्होंने पद का दुरुपयोग कर उक्त शासकीय मकानों को सक्षम अधिकारी से अनुमति लिए बिना तोडक़र कब्जा जमाने का प्रयास किया था। इस मामले में ग्राम पंचायत धूमा की सरपंच राजेश्वरी उइके के ऊपर धारा 40 के तहत कार्यवाही करते हुए उन्हें 06 साल के चुनाव लडऩे के लिए अयोग्य करार दिया गया था। यदि भारतीय जनता पार्टी राजेश्वरी उइके जैसी विवादित महिला नेत्री के ऊपर विश्वास व्यक्त करती है तो भाजपा को कांग्रेस के सवालों का जवाब देते नहीं बनेगा।
संघ के प्रचारक रहे संजय जोशी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोधी कहा जाता है जो मध्यप्रदेश में उस समय चर्चाओं में आये थे जब 2005 में शिवराजसिंह चौहान को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका था। बताया जाता है कि उस समय संजय जोशी मध्यप्रदेश में बीजेपी के संगठन महामंत्री थे जिन्होंने शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था लेकिन 2005 में ही मुंबई में बीजेपी के राष्ट्रीय अधिवेशन से ठीक पहले संजय जोशी के सेक्स स्केंडल की सीडी सामने आई थी जिसके बाद संजय जोशी का राजनैतिक कैरियर लगभग समाप्त हो गया। संजय जोशी को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का घोर विरोधी भी कहा जाता है जिसके चलते संजय जोशी वर्तमान में सक्रिय राजनीति से दूर हो गये। गुरूवार को संजय जोशी का गुपचुप सिवनी आगमन हुआ जिनकी अगुवाई करने के लिए पेट्रोल पंप संचालक एवं भाजपा के नेता जो वर्तमान में भाजपा से दूरियां बना रहे हैं उन्होंने किया था। बताया जाता है कि सर्किट हाऊस में संजय जोशी का स्वागत करने के लिए सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन भी पहुंचे थे और उन्होंने संजय जोशी का स्वागत किया। सर्किट हाऊस में कुछ चुनिंदा लोगो के बीच संजय जोशी काफी देर तक रहे इस बीच श्री जोशी एवं सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन व हरिसिंह ठाकुर के बीच क्या चर्चा हुई इसका तो पता नहीं चल सका लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घोर विरोधी संजय जोशी से सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन का मिलना राजनैतिक गलियारों में चर्चाओं को जन्म दे गया।
पॉलिटेक्निक मैदान में आयोजित रामकथा कथा कम, प्रचार ज्यादा लग रही थी
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने अपने पिता की आज्ञा का सम्मान करते हुए अपने परिवार के लिए 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया। मेरा मानना है कि जिस व्यक्ति के भीतर भगवान राम का आचरण दिखाई देता हो वह रामकथा सुनने और कराने का अधिकारी होता है लेकिन जिन्होंने रामकथा कराया उनके आचरण से तो कहीं नहीं लगता कि उन्होंने भगवान श्रीराम के आचरण को स्वीकार किया हो। उक्ताशय की बात गत दिवस ब्रह्मलीन जगदगुरू स्वामी शंकराचार्य जी महाराज के जन्म शताब्दी समारोह में दिघौरी पहुंचे जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा।
सिवनी महाकौशल 20 सितं. 2023
कार्यक्रम में मौजूद मीडिया के लोगो ने श्री खुराना से पूछा कि हाल ही में सिवनी नगर में श्री रामकथा का आयोजन किया गया था जिसे आप किस रूप में देखते है तो श्री खुराना ने कहा की उक्त रामकथा कथा कम और प्रचार ज्यादा लग रही थी। ऐसा महसूस हो रहा था की श्री रामकथा व्यक्ति विशेष का कार्यक्रम बन गया है जहां से बार-बार उन्हें जिताने और मंत्री बनवाने की बात की जा रही थी। राजकुमार खुराना ने कहा कि भगवान राम ने जो जीवन में किया और और जो लोग उनके आचरण को जीवन में उतारते है उन्हे श्रीराम कथा सुनने और कराने का अधिकार है। जिन्होंने राम कथा कराया उनके चरित्र से कहीं भी श्री राम का आचरण नहीं दिखता। जब श्री ख्ुाराना से यह पूछा गया कि आप यह किस आधार पर कह रहे है तो उन्होंने कहा कि भगवान राम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए परिवार के लिए 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि श्री रामकथा के आयोजक का पारिवारिक विवाद किसी से छुपा नहीं है श्री खुराना ने यह भी कहा कि हो सकता है स्वामी भद्राचार्य महाराज जी से यह सब बाते छुपाई गई हो । जब मीडिया ने उनसे कहा की ऐसी चर्चा है कि श्री रामकथा का आयोजन करने वाले शराब के व्यवसाय से जुड़े हुए है तो उन्होंने कहा की यह बात सभी लोग जानते है कि आयोजक का व्यवसाय शराब सहित अन्य काम है लेकिन मुझे लगता है की आयोजक ने स्वामी भद्राचार्य महाराज जी को अपने बारे में जानकारी नहीं दिया यदि उन्हें जानकारी होती तो मुझे ऐसा लगता है की वह श्री रामकथा करने के लिए तैयार नहीं होते। श्री खुराना ने यह भी कहा कि रामकथा आयोजित कर व्यक्ति विशेष का प्रचार कराने का प्रयास किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि मंच से स्वामी रामभदा्राचार्य ने जगदगुरू स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज का आचरण कांग्रेसी बताया था, इस मामले में आपने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिया तब राजकुमार खुराना ने कहा कि मैं धर्म के मामले में बहुत अधिक जानकार नही हू। स्वामी रामभद्राचार्य विद्वान और धर्माचार्य है और उनके कई भक्त है जिनका मैं सम्मान करता हूं।
श्री खुराना ने कहा कि चूंकि जगदगुरू स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज एक ऐसे शंकराचार्य हुए है जिन्होंने देश की आजादी की लड़ाइ लड़ा था और जेल गये थे उस समय सिर्फ कांग्रेस ही थी जिसके बेनर तले आजादी की लड़ाई हुआ करती थी। महाराज श्री के संबंध में इस तरह का आरोप निंदनीय है उन्होंने कहा कि महाराजश्री के शिष्यों में सभी पार्टी के लोग शामिल है और महाराज श्री ने कभी भी सार्वजनिक मंच से पार्टी विशेष के लिए कोई प्रचार प्रसार नहीं किया।
गौरतलब है कि पॉलिटेक्निक मैदान में 09 सितम्बर से लेकर 18 सितम्बर तक स्वामी भद्राचार्य जी महाराज की श्री रामकथा का आयोजन किया गया था। आयोजन के दौरान उन्होंने सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन को जिताने की अपील करते हुए कहा था की मैं उन्हे कैबिनेट मंत्री बनवाऊंगा। उक्त कार्यक्रम उस समय ज्यादा विवादो में आ गया था जब सार्वजिनक मंच से जगत गुरु स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज के बारे में कहा था की वह आचरण से कांग्रेसी थे जिसके बाद गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने आयोजको को आड़े हाथों लिया और अब जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना ने बेबाकी से अपनी बात रखते हुए आयोजक की नियत में ही सवाल खड़ा कर दिया जिसका जवाब आज तक आयोजक के द्वारा देते हुए यह नहीं बताया गया कि जगत गुरु स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज के संबंध में कही गई बातों का वह समर्थन करते है या सार्वजिंक रूप से खंडन करते है।
सिवनी महाकौशल। दल बदलने में माहिर राजेश्वरी उईके लखनादौन विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की टिकिट मांग रही है। श्रीमती राजेश्वरी उईके के कुछ समर्थक यह दंभ भर रहे है की पार्टी ने उन्हें संकेत भी दे दिए है जबकि हकीकत यह है की पार्टी के स्थानीय नेता इस बात को अच्छी तरह से जानते है कि यदि भाजपा राजेश्वरी उईके को टिकिट देती है तो पार्टी को घेरने के लिए कांग्रेस के पास कई मुद्दे हो जाएंगे जिसका जवाब दे पाना पार्टी के बड़े नेताओं के साथ-साथ स्थानीय नेताओं के लिए भी मुश्किल होगा।
सरपंच रहते परिजनों से करवा लिया था शासकीय जमीन में कब्जा
एक तरफ तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार शासकीय जमीनों में कब्जा करने वाले भूमाफियाओ के विरूद्ध मोर्चा खोला हुए है तो वहीं दूसरी तरफ लखनादौन विधानसभा से पूर्व सरपंच राजेश्वरी उइके टिकिट मांग रही है जिनका नाम भी शासकीय जमीन के कब्जे के मामले से जुड़ चुका है। प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत धूमा में जब श्रीमती राजेश्वरी उईके सरपंच थी तब उनके पुत्र प्रशांत पिता ओमप्रकाश के द्वारा शासकीय शिक्षक आवास को तुड़वाकर शासकीय भूमि में कब्जा किया गया था जिसकी गूंज न्यायालय तक गूंजी थी। बताया जाता है की ग्राम धूमा में ख. न 464 रकबा 0.19 हेक्टेयर मद आबादी में रकबा 61325 व 19325 क्षेत्रफल में शिक्षक आवास गृह बना हुआ था जो जर्जर अवस्था में पहुंच गया था बताया जाता है कि ग्राम पंचायत धूमा की सरपंच राजेश्वरी उइके के पुत्र ने अपनी मां के सरपंच होने का फायदा उठाते हुए उक्त शासकीय भवन को तुड़वाकर उसका अस्तित्व समाप्त कर लिया था और इसका मटेरियल मौके पर रख लिया था जिसकी शिकायत नायब तहसीलदार न्यायालय में की गई थी। बताया जाता है की 09 फरवरी 2016 को न्यायालय नायब तहसीलदार ने राजेश्वरी उईके के पुत्र प्रशांत उईके के उपर 2 हजार का अर्थदंड लगाते हुए आदेश दिया था कि एक सप्ताह के भीतर उक्त शासकीय संपत्ति से कब्जा हटाते हुए अर्थदंड की राशि जमा करें और ऐसा नहीं किए जाने की स्थिति में बलपूर्वक उक्त कब्जा को हटाया जाएगा या सिविल कारागार की कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी। बताया जाता है कि न्यायालय तहसीलदार के द्वारा आदेश जारी होने के बावजूद राजेश्वरी ऊईके के पुत्र ने उक्त आदेश को नहीं माना था। बताया तो यह भी जाता है कि उक्त आदेश के विरुद्ध राजेश्वरी उइके के परिवार ने अपर न्यायालय में भी अपील किया था लेकिन हर न्यायालय से उनकी अपील खारिज हो गई थी। इस बीच राजेश्वरी उइके ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया जिसके कारण उनके ऊपर होने वाली कार्यवाही शिथिल पड़ गई। स्थानीय नेता इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि यदि राजेश्वरी उइके के बारे में पार्टी में विचार करेगी तो कांग्रेस यही सवाल उठायेगी कि चाल चरित्र और चेहरे की बात करने वाली पार्टी के पास बेदाग चेहरे नहीं है जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी दागदार चेहरो को प्रत्याशी बना रही है, ऐसे में देखना यह है कि भारतीय जनता पार्टी राजेश्वरी उइके जैसी विवादित नेत्री को लेकर कितनी गंभीर होती है।
सिवनी महाकौशल 18 सितं. 2023
इन दिनों मध्य प्रदेश में खेलो एमपी यूथ गेम का आयोजन किया गया है। बताया जाता है कि उक्त आयोजन ब्लॉक स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक आयोजित किया गया है जिसमें शासन के द्वारा भारी भरकम राशि भी स्वीकृत की गई है। बताया जाता है कि उक्त पूरी स्पर्धा खेल एवं युवा कल्याण विभाग के माध्यम से कराया जा रहा है जिसके लिए राज्य शासन ने ब्लॉक स्तर से लेकर जिला स्तर में राशि भी जारी किया है इन दिनों सिवनी मुख्यालय में भी जिला स्तरीय खेल स्पर्धा आयोजित किया गया है लेकिन खेल एवं युवा कल्याण विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की निष्क्रियता के चलते खेल में भाग लेने वाले खिलाड़ी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। बताया जाता है कि मध्य प्रदेश में लगभग 18 साल से कम आयु के खिलाड़ी जिसमे छात्र एवम छात्राएं शामिल है उन्होंने भाग लिया है। ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिताएं 12 से 14 सितम्बर तक आयोजित की गई थी। वर्तमान में 16 से 18 सितम्बर तक जिला स्तरीय खेल का आयोजन सिवनी मुख्यालय में रखा गया है। बताया जाता है की खेलो एमपी यूथ गेम में 18 खेलो का आयोजन किया गया है जिसके लिए शासन के द्वारा ब्लॉक स्तर में आयोजन के लिए प्रत्येक ब्लॉक में 12 हजार रू. स्वीकृत किया गया है वहीं जिला स्तरीय प्रतियोगिता के लिए 17 हजार रू. स्वीकृत किया गया है। बताया जाता है की सिवनी में इंडोर और आऊटडोर खेल प्रतियोगिताएं हो रही है जिसमें आसपास ब्लॉक के खिलाड़ी पहुंचे हैं जिन्हें ना तो खाने के लिए बेहतर भोजन मिल पा रहा है और ना ही साफ-सुथरा पानी मिल पा रहा है जिसकी तरफ कोई भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहा। चूंकि खिलाड़ी ब्लॉक स्तर से पहुंचे है इसलिए कोई भी खिलाड़ी खुलकर विरोध नहीं कर पा रहा लेकिन सूत्र बताते है कि बच्चों को भोजन पानी सहित मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने वाले जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता के चलते खिलाडिय़ों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
मध्यप्रदेश में 100 डायल योजना संचालित होती है जिसे कभी भी मदद के लिए बुलाया जा सकता है लेकिन 100 डायल में भी कई ऐसे कर्मचारियों की ड्यूटी लगा दी जाती है जो खुद कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सिवनी शहर में सामने आया। बताया जाता है कि इन दिनों सोशल मीडियो में एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक युवक घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती है जो यह कहते सुनाई दे रहा है कि उसका नाम आलोक यादव है और वह बम्हनी बंजर वार्ड क्र. 2 का रहने वाला है। पीडि़त की माने तो शुक्रवार को वह बस से सिवनी आया था, रात लगभग 12 बजे वह प्रायवेट बस स्टैण्ड की तरफ जा रहा था तभी 100 डायल में सवार कर्मचारियों ने उसे रोका और नाम पता पूछा तो उसने नाम व पता बताया तभी 100 डायल में सवार कर्मचारियों ने उसके साथ मारपीट करना शुरू कर दिया। पीडित युवक आलोक यादव की माने तो वह पीटने वाले कर्मचारियों से बार बार गुहार लगा रहा था कि आप मुझे थाना ले जा लो लेकिन मारो नहीं, बावजूद इसके उनका दिल नहीं पसीजा और उन्होंने आलोक यादव को इतना पीटा कि वह बेहोश हो गया। सुबह जब उसे होश आया तो उसने किसी तरह अपने जीजा को फोन लगाया जिसके बाद आलोक को अस्पताल ले जाया गया जहां उसका उपचार चल रहा है। बताया जाता है कि वीडियो बनाने वाले लोगों ने घायल युवक से बार बार पूछा कि जिस वाहन के लोगों ने तुम्हे पीटा था तुम्हे पक्का मालूम है कि वह 100 डायल थी तब युवक ने कहा कि जब वह जा रहा था 100 डायल अंधेरे में खड़ी थी जिससे कुछ कर्मचारी उतरे और उसके साथ मारपीट किया। इस घटना के बाद देखना यह है कि जिले के कप्तान इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शुक्रवार को 100 डायल में ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों की भूमिका की कब तक जांच कराते हैं?
सिवनी-बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सांसद डॉक्टर दलसिंह बिसेन एक ऐसे नेता है जो पत्र लिखकर अपनी राजनीति चमकाने के मामले में माहिर है। सांसद ढालसिंह बिसेन के बारे में यह भी कहा जाता है कि केंद्र सरकार से मिलने वाली उपलब्धि का श्रेय लेने का वह कोई मौका नहीं छोड़ते लेकिन जब केंद्र की योजनाओं में घटिया काम, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे उठते है तो वह चादर तान कर सो जाते है। पिछले दो दिनों से मोहगांव से खवासा तक लगभग 960 करोड़ की लागत से बने पहले साउंड पू्रफ हाइवे में दरार आने का मामला सामने आया। कांग्रेस ने इसे 50 प्रतिशत कमीशन वाली सरकार का कारनामा बताया लेकिन छोटी-छोटी सौगात में बड़ा श्रेय लेकर विज्ञप्ति छपवाने वाले सांसद ढालसिंह बिसेन पूरी तरह मौन धारण किए हुए है। जबकि जिस जगह हाइवे में दरार आई है वह बालाघाट सिवनी संसदीय क्षेत्र का ही हिस्सा है।
कांग्रेस के आरोपों का भी नही दे पा रहे जवाब
वर्तमान में सिवनी जिले की भाजपा हाइवे में आई दरार के मामले में बैकफुट में नजर आ रही है। गत दिवस जिला कांग्रेस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि 100 साल की गारंटी वाला साउंड पू्रफ हाईवे जरा सी बारिश में बिखर गया उन्होंने कहा कि पूरे देश में आज 50 प्रतिशत कमीशन वाली मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार का हल्ला मचा हुआ है, हर दिन एक नया भ्रष्टाचार की खबरें सुनने को मिल रही है जिससे सिवनी जिला भी अछूता नहीं है जहां करोड़ों अरबो रुपए के कार्यों में भ्रष्टाचार किया गया है। राजकुमार खुराना के द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति का जवाब समाचार लिखे जाने तक भारतीय जनता पार्टी नहीं दे पाई जबकि भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता कांग्रेस की विज्ञप्ति जारी होते ही उसका खंडन देने बड़ी बड़ी विज्ञप्ति जारी कर देते हैं लेकिन लगभग 960 करोड़ की लागत से बने 29 किमी बने साउंड पू्रफ हाइवे में दरार के मामले में भारतीय जनता पार्टी का कोई भी नेता सामने आकर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दे रहा या यूं कहे कि संबंधित ठेकेदार के विरोध में वह आवाज उठाने से डर रहा है।
सिवनी महाकौशल। मोहगांव से खवासा के बीच 29 किलो मीटर की सडक़ लगभग 960 करोड़ रू. की बनाई गई है जिसमे 3,145 मीटर लंबाई के 14 अंडर पास ब्रिज है जिसका लोकार्पण आज से ठीक 2 साल पहले 16 सितंबर 2021 को केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राज्यमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने किया था। बताया जाता है की उक्त सडक़ में प्रति किलोमीटर 33 करोड़ 10 लाख की लागत आई। राष्ट्रीय राजमार्ग 44 में मोहगांव से खवासा तक बनाई गई साउंड पु्रफ हाइवे के लोकार्पण के समय कहा जा रहा था कि यह तकनीक और इंजीनियरिंग की शानदार मिसाल है जिसे सौ साल भी कुछ नही होगा लेकिन दो साल में ही एनएचएआई के कुछ हिस्से में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई जो यह बताने के लिए काफी है कि नितिन गडकरी के विभाग में भी भ्रष्टाचार की दीमक लगी हुई है।
क्या ठेकेदार को गाढ़ेंगे नितिन गडकरी
केंद्रीय सडक़ भूतल मंत्री नितिन गडकरी अक्सर सार्वजनिक मंचों से ठेकेदारों और अधिकारियों को चेतावनी देते नजर आते हैं। अगस्त 2023 को नागपुर में आयोजित भूमिपूजन कार्यक्रम में जब उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस मंच में मौजूद थे तब नितिन गडकरी ने ठेकेदारों -अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा था की यदि ठेकेदारों ने घटिया काम किया तो बुलडोजर उनके ऊपर चलेगा। मई 2018 को नितिन गडकरी बैतूल पहुंचे थे जहां उन्होंने तेंदूपत्ता संग्रहण करने वाले असंगठित मजदूरों की सभा को संबोधित करते हुए ठेकेदारो को चेतावनी दिया था कि यदि कोई ठेकेदार घटिया काम करता है तो बुलडोजर के नीचे गिट्टी की जगह आपको डाल दूंगा। ऐसा ही कुछ नवंबर 2022 को पूर्वोत्तर राज्य जिसमें त्रिपुरा, अरूणांचल प्रदेश, मिजोरम और मणिपुर में राष्ट्रीय परियोजना की समीक्षा करते हुए ठेकेदारों को चेताया था। सवाल यह उठता है कि मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में मोहगांव से लेकर खवासा तक 960 करोड़ की लागत से 29 किलोमीटर सडक़ बनाने वाली दिलीप बिल्डकॉन कंपनी को वादा अनुसार नितिन गडकरी बुलडोजर से दबाएंगे या फिर उन्हे अभय दान दिया जाएगा जैसा कि पहले भी होता रहा है। 960 करोड रुपए की लागत से लगभग 29 किलोमीटर की मोहगांव से खवासा तक सडक़ बनाने वाले दिलीप बिल्डकॉन कंपनी के मालिक अपने आपको मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी बताते हैं इसलिए उनके ऊपर बुलडोजर चलाना नितिन गडकरी के लिए शायद मुश्किल काम होगा हालांकि जो लोग नितिन गडकरी को जानते हैं उनकी माने तो नितिन गडकरी साफगोई से बात करते हैं और जो कहते हैं वह करते हैं ऐसे में सबकी नजर नितिन गडकरी के ऊपर टिकी हुई है। देखना यह है कि लगभग 960 करोड़ की लागत से बनाए गए नेशनल हाईवे में दरार आने के बाद श्री गडकरी ठेकेदार के साथ-साथ किन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करते हैं और उनके ऊपर क्या कार्रवाई करते हैं फिलहाल नेशनल हाईवे से गुजरना लोगो के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है।
सिवनी महाकौशल।
11 सितंबर को जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान महावीर मढिया में भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं ने मैली के सरपंच और जिला कांग्रेस के महामंत्री बनाए गए नदीम खान को पहले हार पहनाया और बाद में भाजपा का गमछा डाल दिया। भाजपा के नेता एवं भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अनुसूचित जाति मोर्चा राजेश डेहरिया ने उसी दिन अपनी फेसबुक में उक्त फोटो अपलोड भी कर दिया था लेकिन तब नदीम खान को कोई आपत्ती नही हुई और ना ही उन्होंने विरोध दर्ज कराया। जब दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने 12 सितंबर को ‘जिला कांग्रेस के महामंत्री ने थामा भाजपा का दामन’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया जिसके बाद मैली के सरपंच नदीम खान को एहसास हुआ कि तीन दिन पहले उनके ऊपर असमाजिक तत्वों ने भाजपा का गमछा डाला था जिसके बाद 14 सितम्बर को उन्होंने जिला कांग्रेस के प्रवक्ता जेपीएस तिवारी के हवाले से विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि कुछ दिन पूर्व सोशल मीडिया पर सामाजिक तत्वों के द्वारा ग्राम मैली के सरपंच जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री नदीम खान को भाजपा का जबरदस्ती गमछा डालकर यह अफवाह फैला दी गई कि नदीम खान ने भाजपा की सदस्य ग्रहण कर लिया है। इस पूरे मामले को लेकर जब दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने जानकारी एकजुट करने का प्रयास किया तो पता चला कि नदीम खान पूर्व में भी भाजपा के कार्यक्रमो में जाते रहे है। 22 अगस्त 2023 को कोहिनूर लॉन में प्रवासी विधायक प्रताप अड़सठ का आगमन हुआ था तब भी नदीम खान उक्त कार्यक्रम में पहुंचे थे जिन्हें फूल माला व भाजपा का गमछा पहनाकर भाजपा जिलाध्यक्ष आलोक दुबे ने स्वागत किया था। उक्त कार्यक्रम के ठीक 20 दिन बाद नदीम खान का राजेश त्रिवेदी, राजेश डहेरिया ने महावीर मढिय़ा के पास फूल हार और गमछा डालकर स्वागत किया जिसमें कोई नई बात नहीं थी लेकिन जिला कांग्रेस के महामंत्री नदीम खान ने यह विज्ञप्ति जारी कर दिया कि असामाजिक तत्वों ने उसके ऊपर गमछा डालकर झूठा प्रचार प्रसार शुरू कर दिया।
दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने समाचार प्रकाशन के बाद राजेश डहेरिया ने दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस को भेजी विज्ञप्ति में बताया कि महावीर मढिय़ा में जनआर्शीवाद यात्रा के दौरान भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओ के साथ साथ जनपद अध्यक्ष किरण भलावी सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे जहां परंपरा अनुसार सभी के गले में भाजपा का गमछा डाला गया था, यदि नदीम को आपत्ति थी तो तुरंत आपत्ति जताना था। श्री डहेरिया ने यह भी कहा कि जब उक्त कार्यक्रम में भाजपा के कार्यकर्ता और पदाधिकारी थे तो नदीम कार्यक्रम में पहुंचे? श्री डहेरिया ने कहा कि नदीम खान अपनी खुशी से कार्यक्रम में आये थे और खुशी खुशी स्वागत कराया था, उनकी खुशी फोटो से सिद्ध होती है। उन्होंने यह भी कहा कि नदीम खान भाजपा के कई गु्रपो से जुड़े है, यदि वह कांग्रेसी है तो भाजपा के कार्यक्रमो में क्यों जा रहे हैं और जब उन्हें माला या गमछा पहनाया जाता है तो मना क्यों नहीं करते?
सिवनी महाकौशल। गत दिवस जिले के कलेक्टर क्षितिज सिंघल निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने पहुंचे थे। इस दौरान जिला कलेक्टर क्षितिज सिंघल ने मेडिकल कॉलेज की विभिन्न शाखाओ में संचालित कार्यो का भौतिक रूप से अवलोकन कर आवश्यक दिशा निर्देश निर्माण एजेंसी को दिये। इस अवसर पर क ार्यपालन यंत्री पीआईयू सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। वैसे इससे पहले 10 जुलाई को सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन ने सिवनी के मीडियाकर्मियों को निरीक्षण के लिए मेडिकल कॉलेज ले गये थे जहां मीडियाकर्मियों ने कॉलेज का निरीक्षण किया था। इस दौरान सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन, जिला भाजपा अध्यक्ष आलोक दुबे सहित अन्य भाजपा नेता भी मौजूद थे जहां निर्माण एजेंसी के तकनीकी अधिकारियों ने पत्रकारों की मौजूदगी में विधायक दिनेश राय मुनमुन से कहा था कि मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग लगभग तैयार हो चुकी हो चुकी है जिसे हम अगस्त के महीने में हेंडओवर कर देंगे वहीं हॉस्टल भी लगभग तैयार है तब मीडिया के लोगो ने आश्चर्य व्यक्त किया था कि लगभग 36 एकड़ भूमि में 300 करोड़ की लागत से बने मेडिकल कॉलेज को इतनी जल्दी कैसे हैंडओवर कैसे किया जा सकता है? लेकिन तकनीकी अधिकारियों ने पूरा विश्वास जताया था तब महाकौशल एक्सप्रेस ने 10 जुलाई को ही ‘अगस्त महीने में मेडिकल कॉलेज हो जायेगा हेंडओवर’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित करते हुए उल्लेख किया था कि लगभग 300 करोड़ की लागत से मेडिकल कॉलेज का निर्माण मार्च 2022 में शुरू हुआ था जिसे अगस्त 2023 में हेंडओवर किये जाने की बात की जा रही है लेकिन यह भी एक जुमला ही साबित हुआ। निर्माण एजेंसी के तकनीकी अधिकारियों ने अब तक उक्त मेडिकल कॉलेज हैंडओवर नही किया और ना ही सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन ने यह जानने का प्रयास किया कि मीडिया के सामने उन्होंने जो कहा था वह क्यों नहीं किया? कुल मिलाकर वर्तमान में मेडिकल कॉलेज का भवन सिर्फ भवन बनकर रह गया है। उक्त कॉलेज कब से प्रारंभ होगा इसका जवाब देने को कोई तैयार नहीं।
सिवनी महाकौशल। गत दिवस जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजकुमार खुराना ने जम्बो कार्यकारिणी का गठन किया जिसमें उन्होंने ग्राम पंचायत मैली के सरपंच नदीम खान को जिला कांग्रेस का महामंत्री बनाया, इसे आश्चर्य ही कहा जायेगा कि जिला कांग्रेस के महामंत्री बनाये गये नदीम खान का शंकर मढिय़ा में राजेश त्रिवेदी, राजेश डहेरिया, गिरधारी पटेल सहित कई भाजपाईयो ने नदीम को हार पहनाकर स्वागत किया। हालांकि नदीम को भाजपाईयो को हार इसलिए नही पहनाया था क्योंकि उन्हें कांग्रेेस का महामंत्री बनाया गया बल्कि उन्हें इसलिए हार पहनाया गया क्योंकि नदीम भाजपा के हो गये।
बताया जाता है कि नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के प्रयासो से मैली के सरपंच नदीम खान को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता दिलाई गई जिसके बाद नदीम खान जनआर्शीवाद यात्रा में राजेश त्रिवेदी और उनकी पूरी टीम के साथ एतिहासिक स्वागत करते हुए नजर भी आये। ऐसे में प्रश्र यह उठता है कि जिला कांगे्रस के अध्यक्ष राजकुमार खुराना ने जिला कांग्रेस के महामंत्री जैसे पद पर नदीम खान की नियुक्ति उनसे पूछकर किया था या फिर अपनी मर्जी से किया था।
वैसे जानकारों की माने तो राजकुमार खुराना ने मैली सरपंच नदीम खान से महामंत्री बनाये जाने से पहले नहीं पूछा होगा, क्योंकि यदि वह पूछते तो नदीम खान स्पष्ट मना कर देते जिसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि एक दिन पहले ही कांग्रेस ने विज्ञप्ति जारी किया था और दूसरे ही दिन नदीम खान भाजपा के हो गये।
सिवनी महाकौशल। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले केवलारी नगर परिषद के लगभग आधा दर्जन पार्षदों ने नगर परिषद की निष्क्रिय कार्यप्रणाली को लेकर मोर्चा खोल लिया है। गत दिवस पार्षदों ने एसडीएम के नाम ज्ञापन सौंपते हुए उन्हें अवगत कराया कि यदि समय सीमा के भीतर नगर परिषद केवलारी की समस्याओं का समाधान नहीं होता तो 22 सितंबर शुक्रवार को दोपहर 2.00 बजे अवंती बाई चौक (चांदनी चौक) पर नगर परिषद के पार्षदों एवं आम नागरिकों के द्वारा धरना प्रदर्शन कर कार्यालय का घेराव किया जाएगा। ज्ञापन सौंपने वाले पार्षदों का कहना है कि नगर परिषद के गठन हुए 01 साल बीत गया बावजूद इसके अभी तक नगर के लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है नगर परिषद कार्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है। पार्षदों के द्वारा आय व्यय का लेखा-जोखा मांगने पर भी संबंधित अधिकारियों के द्वारा लेखा-जोखा नहीं दिया जाता। बताया जाता है कि 01 साल के बाद भी नगर परिषद केवलारी विकास के नाम से एक काम नहीं कर पाई, वार्ड के पार्षदों ने वार्ड के लोगों से वादा किया था कि पार्षद बनने के बाद वह वार्ड के लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे लेकिन नगर परिषद की चल रही मनमर्जी के चलते वार्ड के लोगों को भी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही।
अध्यक्ष पति की चल रही तानाशाही
केवलारी नगर परिषद में वरिष्ट भाजपा नेता देवीसिंह बघेल की धर्मपत्नी श्रीमती सुनीता बघेल मात्र 01 वोट से अध्यक्ष का चुनाव जीती थी। पत्नी के चुनाव जीतने के बाद देवीसिंह बघेल विधायक प्रतिनिधि बन गए और उन्होंने नगर परिषद के कामों में दखल देना शुरू कर दिया। बताया जाता है की सुनीता बघेल से ज्यादा उनके पति देवी सिंह बघेल केवलारी नगर परिषद में तानाशाही चलाते है जिसके कारण नगर के वही काम हो रहे है जिससे देवीसिंह बघेल और उनके परिजनों को फायदा हो रहा है बाकी काम ठप पड़े है। बताया जाता है कि एक साल के भीतर नगर परिषद केवलारी ने भी भ्रष्टाचार का कीर्तिमान स्थापित किया है जिसका फायदा नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमती सुनीता बघेल और उनके पति देवीसिंह बघेल ने ही उठाया है।
नगर परिषद केवलारी में अध्यक्ष पति देवीसिंह बघेल की तानाशाही के कारण अवरुद्ध हुए विकास कार्य के लिए केवलारी के वार्ड क्र. 08 के पार्षद स्वराज बघेल, वार्ड क्र. 12 के नीरज ठाकुर,वार्ड क्र. 11 से श्रीमती अनसुइया सुरेंद्र साहू,वार्ड क्र. 05 से राममिलन कुर्वेती, वार्ड 03 से मिथलेश तेकाम, वार्ड 07 से राजकुमारी उईके,वार्ड 04 से सेवक साहू विरोध में नजर आ रहे है। पार्षदों ने एसडीएम के नाम ज्ञापन सौंपते हुए कहा है कि यदि 10 दिन के भीतर उनकी मांग नही मानी गई तो 22 सितम्बर से अवंती बाई चौक(चांदनी चौक) में नगर परिषद के पार्षदों और गणमान्य नागरिक धरना प्रदर्शन करते हुए नगर परिषद का घेराव करेंगे।
सिवनी महाकौशल 12 सितं. 2023
10 सितंबर को लखनादौन क्षेत्र के लोगो ने लखनादौन को जिला बनाए जाने की मांग को लेकर धरना देते हुए लखनादौन बंद रहा जिसमे लखनादौन क्षेत्र के कुछ रसूखदार और बड़े पद में बैठे नेता गायब रहे जबकि लखनादौन क्षेत्र के लोगो ने उन्हें अपना आशीर्वाद देकर फर्श से अर्श तक भेजा, ऐसे नेताओं में एक विधायक दिनेश राय मुनमुन भी हैं। दिनेश राय मुनमुन एक ऐसे नेता है जिनके परिवार को लखनादौन क्षेत्र के नेताओ ने अपना प्यार और आशीर्वाद देकर लगभग दो दशकों तक लखनादौन नगर की सेवा करने का अवसर दिया। 2008 में जब दिनेश राय मुनमुन ने सिवनी का रुख किया तो उसका आधार भी लखनादौन नगर परिषद में किए गए काम थे। 2008 से लेकर 2018 तक मुनमुन राय को सिवनी की राजनीति में स्थापित करने लखनादौन क्षेत्र के लोगो का योगदान भुलाया नही जा सकता। ऐसा लगता है दो बार विधायक बन जाने के बाद अब दिनेश राय मुनमुन के भीतर लखनादौन क्षेत्र के लोगो के प्रति जिम्मेदारी कम होते नजर आ रही है।
इन दिनों लखनादौन को जिला बनाए जाने के लिए मुहिम छिड़ी हुई है।
10 सितंबर को लखनादौन क्षेत्र के लोगों ने जिले की मांग को लेकर लखनादौन बंद का आव्हान किया था जिसमें क्षेत्र के लोगों ने बढ़ चढक़र हिस्सा लिया लेकिन उक्त धरना प्रदर्शन में कई ऐसे चर्चित चेहरे नदारत रहे जिन्हें लखनादौन क्षेत्र के लोगों ने जमीन से उठाकर आसमान का सफर तय करवाया। उम्मीद की जा रही थी कि सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन इस महत्वपूर्ण मांग का समर्थन करते हुए लखनादौन बंद के दौरान लखनादौन में रहेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं और उन्होंने लखनादौन बंद के दौरान पूरी तरह मुंह फेर लिया। हालांकि उनके कुछ समर्थक दबी जबान से यह अवश्य कह रहे थे कि सिवनी में रामकथा की बड़ी जिम्मेदारी उनके कांधों में है इसी कारण उन्हें समय नहीं मिल पा रहा। उक्त बातो पर लोग भरोसा कर पाते इससे पहले ही मुनमुन राय का जन आशीर्वाद रैली में घंटो घूमने के बाद अब दिनेश राय मुनमुन की भूमिका को लेकर सवाल उठने लगे है।
घंटो जनआर्शवाद यात्रा में रहे शामिल,आधा घंटे के लिए ही पहुंच जाते लखनादौन
10 सितंबर को लखनादौन बंद था जहां के लिए सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन आधा घंटा भी नही निकाल पाए जबकि ठीक दूसरे दिन 11 सितम्बर को जन आशीर्वाद यात्रा सिवनी में निकाली गई। उक्त यात्रा से पहले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने साढ़े ग्यारह बजे प्रेस कांफ्रेंस लिया जिसमे सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन उनके साथ थे, बाद में जन आशीर्वाद रैली निकाली गई उसमें भी विधायक राय घंटो मौजूद थे। इसके बाद सवाल यह उठने लगे कि जिस मातृभूमि के लोगो ने दिनेश राय मुनमुन को नई पहचान देते हुए उन्हें विधायक बनने का रास्ता दिखाया जब वहीं के अस्तित्व की लड़ाई लडऩे की बारी आई तो दिनेश दिनेश राय मुनमुन लखनादौन पहुंचे ही नहीं लेकिन जब उनके राजनीतिक अस्तित्व की बात आई तो उन्होंने रामकथा की व्यस्तता को छोड़ते हुए जन आशीर्वाद यात्रा में घंटे दे दिया।
सिवनी के पॉलिटेक्निक मैदान में स्वामी रामभद्राचार्य महाराज की रामकथा का आयोजन 17 सितंबर तक विधायक दिनेश राय मुनमुन ने आयोजित कराया है। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दिनेश राय मुनमुन ने स्पष्ट कर दिया था कि उक्त कार्यक्रम राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है, उन्होंने महाराजश्री के आगमन और कथावाचन को लेकर जो पोस्टर और बैनर छपवाये है उसमें भी दिनेश राय मुनमुन ने भारतीय जनता पार्टी के लगभग सभी नेताओं को दरकिनार रखा है ताकि लोगों को यह एहसास ना हो सके कि उक्त कार्यक्रम राजनीतिक कार्यक्रम है लेकिन जैसे-जैसे कार्यक्रम आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे उसमें राजनीति के रंग देखने को मिल रहे हैं। इन दिनों मीडिया और सोशल मीडिया में स्वामी रामभद्राचार्य महाराज का एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है जिसमें वह मुनमुन राय का प्रचार प्रसार करते हुए यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि आप इस बार भोपाल में कमल खिलाएं मुनमुन को मैं मंत्री बनवाऊंगा। स्वामी रामभद्राचार्य के द्वारा दिनेश राय मुनमुन के पक्ष में माहौल बनाए जाने का वीडियो इलेक्ट्रानिक मीडिया में भी चला जिसके फुटेज दिनेश राय मुनमुन के समर्थक सोशल मीडिया में वायरल कर रहे हैं जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं चलने लगी है। लोगों का कहना है कि भले ही दिनेश राय मुनमुन यह कहते हो कि उक्त कार्यक्रम राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है लेकिन पूरा ताना-बाना चुनाव को दृष्टिकोण रखते हुए बनाया गया है। लोगों के भीतर चर्चा है कि यदि दिनेश राय मुनमुन रामकथा कराना ही चाहते थे तो पिछले 4 सालों में कभी भी करा सकते थे लेकिन चुनाव के समय ही राम कथा कराने के पीछे क्या कारण है। बहरहाल सिवनी में स्वामी रामभद्राचार्य के कार्यक्रम में बिना राजनीतिक फायदा नुकसान देखते हुए श्रद्धालु पहुंच रहे है।
भाजपा के स्थापित नेताओं ने बनाई दूरी
इस पूरे कार्यक्रम में एक बात और देखने को मिल रही है कि दिनेश राय मुनमुन के द्वारा आयोजित रामकथा के कार्यक्रम से भाजपा के स्थापित नेताओं ने लगभग दूरी बनाई हुई है। कार्यक्रम शुरू हुए लगभग 3 दिन बीत गये इन तीन दिनों में सिर्फ ढालसिंह बिसेन ही आर्शीवाद लेने पहुंचे थे।
सिवनी महाकौशल। भाजपा की जन आशीर्वाद रैली में शामिल होने सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर सिवनी पहुंचे। 11.00 बजे उन्होंने सिवनी की एक निजी होटल में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित किया था जिसमें वह लगभग आधा घंटे देर से पहुंचे। कार्यक्रम में पहुंचने के बाद अनुराग ठाकुर ने वही स्क्रिप्ट पढ़ा जो लगभग 15 दिन पहले प्रेस कांफ्रेस आयोजित करते हुए आलोक दुबे ने पढ़ा था। असल में मध्य प्रदेश सरकार ने 20 साल का रिपोर्ट कार्ड जारी किया था जिसके बाद आलोक दुबे ने 25 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए इन 20 सालों में भाजपा की उपलब्धि बताया था वही कागज लेकर अनुराग ठाकुर भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहुंच गए और उन्होंने वही पढ़ा जो आलोक दुबे ने पढ़ा था जिसमें कोई नई बात नहीं थी।
अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ी प्रेस कांफ्रेंस
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की प्रेस कॉन्फ्रेंस अव्यवस्थाओ की भेंट चढ़ गई। प्रेस कांफ्रेंस में पहुंचे कई मीडियाकर्मियों को कुर्सी में खड़े होकर श्री ठाकुर को सुनना पड़ा। बताया जाता है की उक्त प्रेस कांफ्रेंस में सिवनी जिले के अलावा अन्य जिले से आए पत्रकारों की भरमार थी लेकिन उन्हें भी सम्मान नही मिल पाया।
अनुराग ठाकुर से पूछना था यह सवाल
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की प्रेस कान्फ्रेस का न्यौता दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस को भी था जिसमें शामिल होने के लिए दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस के संपादक पहुंचे थे। प्रेस कान्फ्रेस में संपादक को केंद्रीय मंत्री से दो सवाल करना था लेकिन अव्यवस्था की भेंट चढ़ चुकी उक्त प्रेस कान्फ्रेस में सवाल करने का माहौल नहीं मिल पाया इसलिए समाचार प्रकाशन के साथ दो सवाल प्रकाशित किये जा रहे हैं जिसका जवाब केंद्रीय मंत्री के प्रतिनिधि के रूप में जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे, सांसद डा. ढालसिंह बिसेन, सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन में से कोई भी दे सकता है।
प्रश्र नं. 01- दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से यह पूछना चाहता था कि भारतीय जनता पार्टी को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी कहा जाता है लेकिन वर्तमान में मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में विश्व की सबसे बड़ी पार्टी को निष्ठावान और ईमानदार कार्यकर्ता नहीं मिल पा रहे जिसके कारण आयतित नेताओं को टिकिट दी जा रही है जिसका प्रमाण यह है कि मंडला जिले के बिछिया विधानसभा से डॉ. विजय आनंद को नौकरी से स्तीफा दिलाकर पहले टिकिट दी गई फिर भाजपा में शामिल कराया गया। लांजी विधानसभा से आम आदमी पार्टी के राजकुमार कर्राहे को स्तीफा दिलाकर भाजपा की टिकिट दिलाई गई। पांर्ढुणा से जज प्रकाश उइके को स्तीफा दिलाकर पार्टी ने टिकिट दिया, बंडासागर विधानसभा से शिक्षक वीरेंद्रसिंह को स्तीफा दिलाकर टिकिट दिया गया, गुना के चाचौड़ा से आईआरएस की पत्नी श्रीमती प्रियंका मीरा को टिकिट दिया गया। सिवनी विधानसभा ही ले लिजिए पिछले चुनाव में दिनेश राय मुनमुन को पार्टी ने सदस्यता दिलाया और टिकिट दे दिया, तो क्या आपकी पार्टी में निष्ठावान व ईमानदार कार्यकर्ताओ की कोई कद्र नहीं जिसके चलते आप मूल भाजपाईयों को छोडक़र आयातित नेताओं को टिकिट दे रहे हैं।
प्रश्र नं. 02- दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस केन्द्रीय मंत्री से यह भी पूछना चाहता था कि लोकसभा में बहुमत होने के बाद आपकी सरकार ने बिना बहस किये किसान कानून बना दिया गया। दिल्ली में सेवा बिल लाकर उप राज्यपाल को शक्तिशाली बना दिया गया, लोकसभा में सीएए, एनआरसी, ट्रिपल तलाक, 370 का मामला बिना बहस किये हुए ला लिया गया तो फिर गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का कानून क्यों नहीं बना पा रहे। देश में लगभग 09 साल से एनडीए की सरकार है और भाजपा गौसेवा के नाम से राजनीति करती है तो फिर उसे राष्ट्रीय पशु घोषित करने में आपकी सरकार रूचि क्यों नहीं दिखा रही? लेकिन सवाल अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गये।
जिला चुनाव प्रभारी वेद सिंह ठाकुर को नही दी जगह
भाजपा के कार्यकर्ताओं को सिद्धांत, अनुशासन और मान सम्मान करने की सलाह तो दी जाती है लेकिन जब इसे अमलीजामा पहनाने की बात आती है तो पार्टी के बड़े नेता ही मान सम्मान देना भूल जाते है। आज प्रेस कांफ्रेंस के दौरान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर,संभागीय सयोजक उदय प्रताप सिंह के अलावा जिला भाजपा के अध्यक्ष आलोक दुबे, सांसद ढालसिंह बिसेन,सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन, चुनाव प्रभारी और पूर्व जिला भाजपा अध्यक्ष वेदसिंह ठाकुर,पूर्व जिला अध्यक्ष नरेश दिवाकर प्रेस कांफ्रेंस के हॉल में थे जहां प्रेस कांफ्रेंस के आयोजकों ने वेदसिंह ठाकुर और नरेश दिवाकर के लिए कुर्सी कि व्यवस्था नहीं कराया। काफी देर तक दोनो नेता खड़े रहे बाद में उन्हें पत्रकारों ने कुर्सी ऑफर किया।कुल मिलाकर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की प्रेस कॉन्फ्रेंस रस्म अदायगी बनकर रह गई।
लखनादौन को जिला बनाने के लिए लखनादौन के नागरिकों के साथ-साथ विभिन्न संगठन के लोगों ने आज सडक़ पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया सभी ने स्वेच्छा से लखनादौन बंद रखा। इस बीच लखनादौन क्षेत्र के कुछ नेताओं का दोहरा चरित्र सामने देखने को मिला। कल तक जो लोग जिला बनाओ संगठन के साथ नजर आ रहे थे और लखनादौन को जिला बनाए जाने की पैरवी कर रहे थे उनमें से अधिकांश लोगो के भीतर आज अपनी-अपनी पार्टी के प्रति प्रेम जाग गया। लखनादौन क्षेत्र के स्थापित भाजपा नेताओं के भीतर भारतीय जनता पार्टी के प्रति प्रेम जाग उठा और उन्होंने जन आशीर्वाद यात्रा में अपना समय देना शुरू कर दिया। बताया जाता है कि लखनादौन बनाने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे लोग जब सडक़ों पर उतरे तो उक्त विरोध प्रदर्शन के दौरान लखनादौन नगर के वह चर्चित चेहरे नजऱ नही आए जिन्हें लखनादौन क्षेत्र के लोगों ने फर्श से उठाकर अर्श में बैठाया और उन्हें एक पहचान दिया लेकिन जब कुवर लखन की नगरी के अस्तित्व की लड़ाई का मामला सामने आया तो उन लोगों ने पीठ फेर लिया जिन्हें लखनादौन क्षेत्र के लोगों ने कामयाबी के शिखर तक पहुंचाया।
विधायक,नगर परिषद अध्यक्ष सहित दर्जनों नेता रहे नादरत
लखनादौन क्षेत्र के लोगों के द्वारा लखनादौन को जिला बनाए जाने की मांग करते हुए जिला नहीं तो वोट नहीं का नारा दिया गया लेकिन वर्तमान में लखनादौन क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक पार्टी के लोग इस पूरी मुहिम से दूरी बनाए हुए नजर आ रहे हैं जो आज आम लोगों ने भी महसूस किया समाचार लिखे जाने तक लखनादौन बंद के दौरान जो धरना प्रदर्शन चल रहा था उसमें लखनादौन के विधायक योगेंद्र बाबा नजर नहीं आए। बताया जाता है कि योगेंद्र बाबा आज घंसौर क्षेत्र के दौरे मे थे। समाचार लिखे जाने तक उन्हें इतना समय नहीं तक नहीं मिला कि वह लखनादौन नगर के लोगों के बीच जाकर उक्त मुहिम का समर्थन करते। वही लखनादौन नगर की प्रथम नागरिक श्रीमती मीना बलराम गोल्हानी, उनके पुत्र आशीष गोल्हानी भी नदारद थे, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मालती डेहरिया और उनके पति मुकेश डेहरिया ,जनपद अध्यक्ष श्रीमती पार्वती उइके, जनपद के उपाध्यक्ष दीपक निगम, जनपद सदस्य सचिन पाटकर, आशीष बंटी गोल्हानी, विजय उइके जैसे दर्जनों ऐसे दर्जनो लोग नदारद थे जो भाजपा और कांग्रेस से जुड़े हुए है और जिन्होंने लखनादौन को जिला बनाये जाने के लिए आयोजित बैठक में बड़ी-बड़ी डींगे हांके थे।
दिनेश राय मुनमुन ने भी बनाई दूरी
लखनादौन को जिला बनाए जाने की मुहिम में सिवनी के विधायक दिनेश राय मुनमुन ने भी पूरी तरह से किनारा कर लिया जबकि लखनादौन नगर परिषद के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने सिवनी में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश करते हुए विधायक बने। दिनेश राय मुनमुन को विधायक बनाने में लखनादौन क्षेत्र के लोगों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता लेकिन जब लखनादौन क्षेत्र के लोगों को दिनेश राय मुनमुन के समर्थन की आवश्यकता पड़ी तो उन्होंने मुहिम से ही किनारा कर लिया। दिनेश राय मुनमुन ने लखनादौन को जिला बनाए जाने की मुहिम से किनारा क्यों किया यह तो वही जाने लेकिन लोगों को उम्मीद थी कि हमेशा की तरह दिनेश राय मुनमुन आज भी लखनादौन को जिला बनाए जाने के लिए बुलाए गए बंद का समर्थन करते हुए लखनादौन में रहेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि वह सिवनी में उनके द्वारा आयोजित राम कथा में ही व्यस्त नजऱ आए। क्षेत्र के लोगो का कहना है की सिवनी में रामकथा का कार्यक्रम सुबह से नही बल्कि दोपहर 3 बजे से आयोजित है यदि दिनेश राय चाहते तो वह अपनी कर्मभूमि रहे लखनादौन के लिए कुछ समय तो निकाल ही लेते लेकिन समाचार लिखे जाने तक मुनमुन राय लखनादौन नही पहुंच पाए। कुल मिलाकर लखनादौन को जिला बनाये जाने की मुहिम में राजनैतिक संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों ने दूरी बना लिया।
सिवनी महाकौशल। लगभग 3 साल पहले अगस्त के महीने में तेज बारिश के चलते सिवनी जिले के दो पुल बह गए थे जो आज तक नहीं बन पाए जिनमें से एक भीमगढ का पुल है। वर्तमान में उक्त पुल क्षेत्र के लोगो के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है जहां से ना तो एम्बुलेंस गुजर पाती है और ना ही स्कूली बच्चे, स्थिति यह हो गई है की लोगो को जान हथेली पर रखकर जाना पड़ता है। क्षेत्र के लोगो को उम्मीद थी कि विधानसभा चुनाव से पहले उक्त पुल का ठेका हो जाएगा लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ होता दिखाई नही दे रहा। हालांकि इस मामले में विधायक राकेश पाल सिंह का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है और शीघ्र ही एंजेसी तय कर निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा। इस मामले में भीमगढ और उसके आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि जब तक टेंडर नहीं होगा तब तक हम ऐसे अधूरे पुल से आना जाना कैसे करेंगे? सूत्र बताते हैं कि क्षेत्रीय लोगों ने अब यह निर्णय लिया है कि आपस में कुछ राशि एकत्रित करते हुए पुल में इतना तो काम कर लिया जाए ताकि लोग आसानी से आना-जाना कर सके और उनकी जान बच सके। उल्लेखनीय है की वर्ष 2011-12 में लगभग चार करोड़ की लागत से पीडब्ल्यूडी ब्रिज कारपोरेशन के द्वारा डेढ़ सौ मीटर लंबा भीमगढ़ का पुल बनाया गया था जो 09 साल के बाद तेज बारिश में बह गया जो वर्तमान में परेशानी का कारण बना हुआ है।
सिवनी महाकौशल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में सीएम राइज स्कूल इसलिए खोला ताकि बच्चों को बेहतर माहौल और शिक्षा मिल सके लेकिन कई ऐसे सीएम राइज स्कूल है जहां के प्राचार्य की लापरवाही के चलते न केवल बच्चों का भविष्य धूमिल हो रहा है बल्कि बच्चे परेशान भी हो रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला धनौरा साजपानी में स्थित सीएम राइज हाईस्कूल में सामने आया जहां के प्रिंसिपल प्रीतम सिंह जवरिया के ऊपर गुंडागर्दी करने का आरोप लग रहे हैं। गत दिवस स्कूल के विद्यार्थी धनौरा थाना पहुंचे और प्राचार्य के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने की मांग किया। बच्चों ने बताया कि प्रचार प्रीतम सिंह जवरिया बच्चों से कहते हैं कि मैं शिक्षक नहीं गुंडा हूं मेरे पास दो पेन है एक रेड और एक हरा जिससे मैं शिक्षक और विद्यार्थियों का जीवन बर्बाद कर सकता हूं। एक बच्चे ने बताया कि प्रिंसिपल ने जब उससे नाम पूछा और उसके परिवार का व्यवसाय पूछा तो उसने बताया कि मेरा परिवार बाल काटने का काम करता है तब प्राचार्य ने कहा कि तू भी बाल काटने का ही काम करेगा। बताया जाता है कि प्रिंसीपल ने एक आदिवासी छात्र से भी कहा कि तुम यहां के गौंड हो जो काम करने के लिए नागपुर जाते हो और तुम दो तीन हजार रू. ही कमा सकते हो। इसी तरह उन्होंने अन्य छात्रों के साथ भी बर्ताव किया। बताया जाता है कि प्राचार्य प्रीतमसिंह जवरिया के द्वारा बार बार विद्यार्थियों को अपमानित करने से आहत विद्यार्थियों ने सहायक आयुक्त के नाम एक आवेदन लिखा जिसकी प्रतिलिपि जिले के कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार सहित थाना प्रभारी को देते हुए मांग किया है कि एक सप्ताह के भीतर उक्त विवादित प्राचार्य के विरूद्ध कार्यवाही की जाए और यदि एक सप्ताह के भीतर कोई कार्यवाही नहीं होती है तो बच्चे उग्र आंदोलन करेंगे।
देखना यह है कि बच्चों के द्वारा दिये गये आवेदन को सहायक आयुक्त डॉ. अमर उइके सहित धनौरा थाने की पुलिस कितनी गंभीरता से लेती है फिलहाल बच्चों को इस बात का डर भी सताने लगा है कि कहीं शिकायत करने के बाद संबंधित प्राचार्य उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ ना करने लगे। यदि समय रहते विभाग के आला अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया तो प्राचार्य श्री जवरिया की मनमर्जी बढऩे लगेगी और वह शिकायत करने वाले बच्चों के ऊपर दबाव भी बनाने लगेंगे।
सिवनी महाकौशल। अक्सर कहा जाता है की बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है ऐसा ही उत्तर वन मंडल सिवनी में हो रहा है। उत्तर वन मंडल सिवनी छपारा वृत के पूर्व छपारा के जंगल से लगभग 11 नग सागौन जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 10 लाख बताई जा रही है उन पेड़ो को काटकट तस्करो ने गायब कर दिया। इस मामले को दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस ने ‘पूर्व छपारा के जंगल में सागौन की हुई अंधाधुंध कटाई’, ‘अब अपने आपको बचाने डिप्टी रेंजर संजय जायसवाल अधिकारियों को कर रहे गुमराह’ , एवं ‘सागौन की अवैध कटाई रोकने में नाकाम संजय जायसवाल हो चुके है निलंबित’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित करते हुए उल्लेख किया था कि इस मामले में बीट गार्ड निरंजन मर्सकोले के ऊपर गाज गिराकर डिप्टी रेंजर को बचाने का प्रयास किया जा सकता है। सूत्र बताते है की इस मामले में बीट गार्ड निरंजन मर्सकोले को निलंबित कर दिया गया हालांकि इस संबंध में किसी अधिकारी ने अधिकृत रूप से कोई पुष्टि नहीं किया। विभाग में चल रही चर्चाओं की माने तो वरिष्ट अधिकारियों से मधुर संबंध होने का फायदा डिप्टी रेंजर को मिल गया है।
डीएफओ भी रहे मेहरबान
सूत्रों की माने तो संजय जायसवाल लंबे समय से उत्तर वन मंडल के अंतर्गत आने वाले छपारा वृत्त में पदस्थ है और उनकी डीएफओ वासु कनोजिया से मधुर संबंध है, यही कारण है कि उक्त घटना के कई दिन बीत चुके अब तक डीएफओ ने संजय जायसवाल की भूमिका तय नहीं किया। अब जबकि बीटगार्ड निरंजन मर्सकोले के निलंबन की बात सामने आ रही है ऐसे में देखना यह है कि वरिष्ठ अधिकारी संजय जायसवाल के विरूद्ध कार्यवाही करते हैं या फिर वह भी संजय जायसवाल के ऊपर मेहरबान नजर आते हैं।